आजकल प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक सभी तरह के मीडिया पर कुछ ऐसे विज्ञापन प्रकाशित किये जा रहे है जो बच्चो, किशोर, युवाओं के साथ -साथ बृद्धों को भी बुरी तरह से प्रभावित कर सामाजिक पतन, आर्थिक नुकसान के साथ-साथ उनको चारित्रिक पतन की ओर ढ़केल रहे है / ऐसे विज्ञापनों के माध्यम से खुलकर समाज में देह व्यवसाय, अन्धविश्वास और जालसाजी को बढ़ावा दिया जा रहा है /इन विज्ञापनों का शिकार केवल अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे लोग नहीं उच्च शिक्षित लोग भी हो रहे है / आश्चर्य होता है की ऐसे समस्याओं के लिए नेताओं और अन्य पेशे के लोगो की आलोचना करने वाला मीडिया खुद ऐसे गन्दगी को खुलेआम फैला रहा है / केवल अपने व्यवशायीक हित के लिए मीडिया, समाज को किस ओर ले जा रहा वह स्वयं विचार करे / क्या मीडिया की नैतिक जिम्मेवारी नहीं बनती की वह ऐसे गन्दगी फ़ैलाने से बचे / आइये हम सब मिलकर इसके विरुद्ध आवाज़ बुलंद करे ताकि हमारा समाज पतन से बच सके /