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त्याग

25 जून 2016

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अपनी कार से उतर कर मैं सीधे ऑफ़िस के अपने केविन में प्रवेश किया / बैंग को टेबल पर रखा और उस पर रखे कागज़ात तथा फाइलों पर नज़र डाली / आज बहुत कम काम निपटाने थे / एक -एक कर मैं उन फाइलों और कागज़ात को उलट-पुलट कर देखने लगा / अचानक मेरी नज़र एक बंद लिफाफे पर पड़ी / शायद कल की डाक से आई थी / यह लिफाफा कोई और नहीं, मेरे आँफिस के पिउन की भेजी गई थी जिसकी मृत्यु पिछले सप्ताह नदी में डूब जाने से हो गई थी / मैंने उस बंद लिफ़ाफ़े पर लगे पोस्ट-ऑफ़िस के स्टैम्प पर नज़र डाली यह लिफाफा उसने अपने मृत्यु के दो दिन पहले पोस्ट किया था / ठीक जिस दिन से वह छुट्टी पर था / हाथों में लिफाफा लिए -लिए मुझे ऑफ़िस में उसके साथ बिताए पांच साल की यादें ताज़ा हो गई /  

नाटे कद काठी का , गठीला बदन , रंग गेहुंआ, ऑफ़िस में हाफ पेंट और हाफ बाँहों वाला खाकी शर्ट पहने उसका उम्र का अनुमान लगाना मुश्किल था / हालाँकि जब पांच साल पहले मैं इस ऑफ़िस में ज्वाइन किया था तब वह लगभग चौवन वर्ष का होने वाला था / मुझे देखते ही वह पहले सलाम साब कहा था फिर मेरी हाथों से मेरा बैंग लेकर मेरे केविन में  टेबल पर रखते हुए कहा था -" साब जी इस टेबल पर बैठने वाले साब लोगों की मैंने पिछले पैंतीस सालों से सेवा की है / अब आपको किसी चीज की जरुरत हो तो मुझसे कहिएगा /" 

मैंने जब उससे उसका नाम जानना चाहा तो वह अपने दोनों हाथों को जोड़कर तथा सर को झुका कर कहा " साब जी ऐसे तो हमार नाम रामसहाय सहानी है लेकिन ऑफ़िस में बाबू लोग हमके रामू काका कहत है / " 

"तब तो मैं भी आप को रामू काका ही कहकर पुकारूंगा /" 

"जैसी मर्ज़ी आपकी साब /" 

" घर में कौन -कौन है ? " मैंने उससे परिचय बढ़ाना चाहा / 

" साब,  मेहरी थी / उ तो पिछले साल ही चल बसी / बड़ी बीमार रहती थी / दुई गो बेटी थी / मेहरी के ज़िंदा रहते ओहकनि के शादी- बिआह कई देहनी साब / सब अपना -अपना घर में रहत है / एगो बिटवा है साब / ओहकरा का आदमी ना बनावे पाइनि साब जी /" 

" पढ़ाई -लिखाई कहाँ तक किया है आपका बेटा ? " मैंने उससे पूछा / 

" कहवाँ पढ़ाई-लिखाई कइलख ससुरा / आवारा निकल गवा साब / चौथी तक केहुँग पढ़ा है / ओहकरे चिंता त हमके खाय जात ह / " 

" अभी क्या करता है ? " 

" कुछु नहीं करता है साब / दिन भर आवारागर्दी करत  है / रात को दारु पीकर आवत है / हमार मेहरी के कवनों मरे का उमर था / उ त ओहकरे चिंता में बीमार पड़ गई और मर गई / " 

" कितना उमर है उसका " 

" साब,  बाइस बरस का हो गवा है लेकिन बुद्धि एको पैसा का नहीं है / मेहरी के मर जाने के बाद लोगों ने कहा की शादी करा दो तो सुधर जाएगा और घर चलाने वाला भी मिल जाएगा तो मैंने उसकी शादी भी करवा दी लेकिन उसमे कवनो सुधार नहीं आया / उलटे वह अपनी मेहरिया को ही रोज मारने पीटने लगा / एक दिन वह भागकर अपने मायके चली गई फिर नाही आई / ' 

मुझे उसके घरेलु कहानी बहुत रोचक लग रही थी / लेकिन मेरा इस ऑफ़िस में पहला दिन था और मुझे अपना काम भी समझना था, बाकी के सहकर्मियों से परिचय करना था इसलिए मैंने बात आगे नहीं बढ़ाई /  

फिर मैं समय मिलते ही उसके घर का समाचार लेता / उसके बात-चीत से मुझे महसूस हुआ की वह अपने बेटे के भविष्य के लिए बहुत चिंतित रहता था /  

वह अपने बेटे की करतूत को अक्सर मुझसे साझा करता /   

एक दिन उसने मुझसे बताया की वह अपने बहु के मायके गया था / उसने बहु को बहुत समझाया की तुम उसके साथ रहोगी तो धीरे-धीरे सुधार जाएगा / बहु आने को तैयार थी लेकिन उसके माता-पिता ने उसे साफ़ शब्दों में कह दिया की जब तक वह कोई काम नहीं करता और शराब पीना नहीं बंद करता तब तक वे अपने बेटी को ससुराल नहीं भेजेंगे / 

एक दिन जब मैंने उसे देखा तो उसके चेहरे पर चोट के कुछ निशान दिखाई दिए / मैंने उससे पूछा -"क्या हुआ रामू काका, चोट कैसे लगी /" 

उसने बड़े उदास मन से कहना शुरू किया -" क्या कहूँ साब जी / कल रात में शराब के नशे में हमार बिटवा ने हमको बहुत मारा /" 

" क्यों मारा /" मुझे यह सुनकर बहुत गुस्सा आ रहा था /  

" साब जी रुपया मांग रहा था / वेतन मिलते ही आधे से ज्यादा वेतन तो वही ले लेता है / बाकी के आधे में किसी तरह घर का ख़र्चा और उधारी सोध करता हूँ / अब महीना का अंत चल रहा है तो मैं कहाँ से रुपया दूँ साब जी / इसी बात पर मुझसे लड़ने लगा और मुझपर हाथ चला दिया / मैंने जब उसे रोकना चाहा तो मुझे बहुत मारा / " 

" तुम उसके हाथ में पैसे क्यों देते हो?/" 

" साब देता कहाँ हूँ ज़बरदस्ती छीन लेता है /"  

"तुम उसके लिए कुछ काम की व्यवस्था क्यों नहीं कर देते कम से कम अपना और अपने पत्नी का तो  पेट पालता /"  

"साहब कौन रखेगा उसको काम पे / कुछ रुपया लगाकर एक दुकान खोल दिया था वह भी नहीं चला पाया / सब बेचकर दारु और जुए में उड़ा दिया / रिक्शा ख़रीद दिया था की उसे चलकर कुछ कमाएगा तो वो भी किसी से बेचकर जुए में उड़ा दिया / मेहरी के सब गहने , घर के सारे बर्तन बेंच दिए है ससुरे ने /"  

" तो तुम उसे घर से निकल क्यों नहीं देते ? अपने माथे पर पडेगा तो सब सीख जाएगा /" 

" नाही साब कैसे निकाल दूँ / वह मेरा एकमात्र औलाद है / मैं मरुँगा तो उसी के हाथों मुझे मुक्ति मिलेगी साब जी / मेरे घर का चिराग है साब / जब तक मैं ज़िंदा हूँ तब तक उसके लिए कुछ न कुछ तो कर ही जाऊंगा आखिर जब मैंने उसकों जनम दिया है तो करम भी देना मेरा ही जिम्मेवारी है न साब /" 

मुझे उसे अपने बेटे के प्रति आये इस अचानक प्रेम से गुस्सा भी आ रहा था और उसके इस सोच से आश्चर्य भी हो रहा था /उसे लगता था की वो अपने बेटे को कहीं सेट ना करके अपनी जिम्मेवारी नहीं निभा पा रहा है /  

अक्सर वो इस बात का रोना रोता की वह अपने बेटे को लायक नहीं बना पा रहा है /  

उसके बात-चित से लगा की उसके बेटे को बचपन के लाड -प्यार ने उसे बिगाड़ दिया / दो बेटियों के बाद एक बेटा हुआ था / उसका देख-भाल में पति-पत्नी कोई कसर नहीं छोड़े थे / लेकिन बेटे ने उनके लाड -प्यार का जम कर मजा उठाया था / बहुत कम उमर में ही वह नशे का आदी बन गया था / अक्सर नशे में धुत होकर वह घर आता / अपनी माँ और बहनों से लड़ता / घर से गहने और कीमती वस्तुएँ चुराकर बेच देता और जुए खेल जाता / माँ उसके इस स्वभाव से बहुत दुखी रहती / बेटियों के शादी में अच्छा-खासा खर्च हुआ / काफी कर्ज ले लिए गए थे / उसे सोध किया जा रहा था / घर में अब बेचने लायक कुछ नहीं बचा था / अब वह माँ से हमेशा पैसा के लिए लड़ता / बात-बात पर मारने पर उतारू हो जाता / हाथा- पाई भी कर लेता / माँ चिंतित रहने लगी / फिर धीरे-धीरे बीमार रहने लगी और अचानक एक दिन चल बसी / रामू  काका के साथ काम करते हुए मुझे पांच साल हो गए थे / पंद्रह दिन पहले ही मुझे प्रोन्नति मिला था / मेरी बदली का भी आदेश आ गया था / अगले महीने मुझे दूसरे जगह पर चले जाने था /  

जब रामू काका को यह समाचार मिला तो वह मेरे पास आये और बोले - 

" साब जी अब तो आप हमहन के छोड़के चले जाइएगा /" 

" हाँ वो तो जाना पड़ेगा / लेकिन आप की बहुत याद आयेगी / आप को भूल पाना मुश्किल है / ' 

" साब जाते -जाते मेरी एक विनती सुन लेहल जात तो बहुत मेहरबानी होत /" 

" क्या बात है बोलो " 

" साब आप तो अब बड़े साब हो गए है / मेरे बेटे को कसहु सेट कर देते तो मैं निश्चिं हो जाता /' 

मैं उनकी बातों को सुनकर मुस्कुराने लगा और बोला  

" यह तो सरकारी ऑफ़िस है और यहाँ किसी को नौकरी देना किसी के बस की बात नहीं / यहाँ तो केवल कम्पीटिशन के माध्यम से ही नौकरी मिलती है /" 

फिर वे हाथ जोड़कर कहने लगे " कोई उपाय कीजिए साब जी / हमार नौकरी औरो एक साल का है / उसके बाद उसका क्या होगा साब जी / कवनो  रास्ता निकलिए /" 

मैंने हँसते हँसते मजाकिये अंदाज़ में उनसे कहा-" तो फिर आपको मरना होगा तभी आपके जगह पर आपके बेटे की नौकरी होगी / 

इतना कह कर  मैं अपने काम में व्यस्त हो गया था /  

अगले दिन रामू काका छुट्टी का आवेदन लेकर मेरे पास पहुंचे / 

मैंने उन्हें दो दिनों की छुट्टी मंज़ूर की लेकिन पाँच दिनों के बाद भी जब वे ऑफ़िस नहीं आये तो उनके घर पर खबर भिजवाया गया /  पता चला की वे नदी में नहाने गए थे / उन्हें तैरना नहीं आता था वे उसी में डूब कर मर गए / 

इस समाचार को सुन कर पूरा ऑफ़िस सन्न रह गया था / काम और व्यवहार से वे हमारे आफीस में सबके चहेते थे /  

मैं उनकी इन यादों में इस तरह खो गया था की मुझे लिफाफे को खोलने का सुध नहीं रहा /  

तुरंत मैंने लिफाफे को खोला / उसमे एक छोटे से कागज़ के टुकड़े में  रामू काका ने जो लिखा था वह पढ़कर मैं अपनी आँसू  नहीं रोक पाया / 

उसमें लिखा था -साब जी मैं आपकी सलाह मान ले रहा हूँ / आप हमर बिटवा को मेरी जगह पर जरूर नौकरी दिलवा दीजिएगा / जब बाप का सब फर्ज निभाए है तो इस अंतिम फ़र्ज़ को निभाने से मैं पीछे काहे हटू साब / नमस्कार /  



राजेश कुमार श्रीवास्तव 

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पुरुषों के बराबरी के चक्कर में महिलाओं ने अपना कद छोटा किया है

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पहले महिलाएं त्याग, संस्कार, धर्म और सादगी की प्रतिमूर्ति हुआ करती थी / इन्ही विशेष गुणों के कारण उन्हें भारतीये समाज में देवी का स्थान प्राप्त था / इन सब गुणों को महिलायों ने बिना किसी के दबाव में स्वच्छेया से अपनाया था / वह परिवार की आतंरिक मैनेजर बनकर गर्व महसूस करती थी / महिलाएं परिवार के आतंरिक

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ठूठ

29 जून 2016
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हे पथिक मुझे माफ़ करना।इस भरी दुपहरी में-तुम्हारी तपन मिटाने  के लिए -मेरे पास अपने हरे कोमल पत्तियों की छाया नहीं हैं। हे पथिक मुझे माफ़ करना।आज इस निर्जन भूखंड पर-तुम्हारी  क्षुधा मिटाने के लिए-मेरी सुखी डालियों में अब फल नहीं है। हे पथिक मुझे माफ़ करना।इस चिलचिलाती धुप में-तुम्हारी तृष्णा मिटाने के

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वेश्या

30 जून 2016
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वो हर शाम दिख जाती /उस खंडहर सा इमारत के नीचे /जिसकी सफेदी, दिवाल के पपड़ियों के साथ-उजड़ गई थी वर्षों पहले /लेकिन उसकी कोमल चमड़ियों को-सभ्य समाज नोच-नीच कर भी -नहीं उजाड़ पाया था अब तक /टूटी खिड़किया, अधखुले दरवाजे/दीवालों पर लटकती लताए /शाम होते ही लगती थी टिमटिमाने-केरोसिन की ढिबरिया /सज जाती थी

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रामू काका

2 जुलाई 2016
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"अरे! बबुआ / तुम कईसे-कईसे यहाँ पहुँच गए /" रामू काका अचानक मुझे दरवाजे पर खड़ा पाकर हैरान थे / दरवाजा खोलकर झट मुझे अपनी गोद में उठाना चाहा / लेकिन अब मैं इतना भारी हो गया था कि काका उठाने के अपने प्रयास में सफल नहीं हो पाये / मै हंसते -हंसते उनसे लिपट गया और बोला " काका अब मैं बड़ा हो गया हूँ / मु

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सीख

12 जुलाई 2016
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अक्सर जब घर में कमाने वाला एक और खाने वाले अत्यधिक हों तो जो हाल होता है वही हाल सुधीर का था/ उसके अलावा,  परिवार में माता -पिता,एक बेरोजगार भाई, एक अविवाहित बहन और एक तलाकशुदा बहन अपने दो-दो बच्चों के साथ एक ही घर में रहते थे / सभी के खर्च का जिम्मा सुधीर ही उठाता था / पिताजी रिटायर्ड हो चुके थे और

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बलात्कार जारी है /

13 जुलाई 2016
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पीड़िता अपने स्वजनो के साथ थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने और मेडिकल टेस्ट कराने के बाद जैसे ही घर पहुंची उसने देखा घर पर मीडिया वालों का जमावड़ा लगा था  / टैक्सी से उनके उतरते ही मीडिया के लोग अपने-अपने कैमरे और माइक लेकर पीड़िता के पास पहुँच गए / उसके घरवालों ने मीडिया वालों को रोकना चाहा लेकिन वो खुद मी

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ऐसे विज्ञापनों के प्रकाशन क्यों ?

14 जुलाई 2016
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आजकल प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक सभी तरह के मीडिया पर कुछ ऐसे विज्ञापन प्रकाशित  किये जा रहे है जो बच्चो, किशोर, युवाओं के साथ -साथ बृद्धों को भी बुरी तरह से प्रभावित कर सामाजिक पतन, आर्थिक नुकसान के साथ-साथ उनको चारित्रिक पतन की ओर ढ़केल रहे है / ऐसे विज्ञापनों के माध्यम से खुलकर समाज में देह व्यवसाय, अन

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डैड मेरे लिए हस्बैंड खरीद दो ना /

15 जुलाई 2016
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डैड अब मैं यंग हो गई हूँ/ब्वाय फ्रैंड बदलते-बदलते -तंग हो गई हूँ/अब मुझे चाहिए स्थाई समाधान/ला दो ना मुझे कोई हैंडसम, स्मार्ट  चाहे जितना देना पड़े दाम/"कन्या दान" का नाम मत लेना/वर खरीदकर मुझे दान कर देना/कोई ऐसा वर खरीदना /जो जिंदगी भर मेरी गुलामी कर सके/गाड़ी, बंगला मैं जहाँ-जहाँ चाहू दिला सके/उस

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फेसबुक

18 जुलाई 2016
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"अबे स -I ---ल--/ मैं आधे घंटे से तेरे सामने बैठा हूँ / तेरे डब्बे की सारी बिस्किट खा चुका / अपना और तेरा, दोनों चाय का कप शेष कर डाला / लेकिन तू है क़ि कम्प्युटर  से नजर ही नहीं हटाता/ स -I ---ल-- अब तू कम्प्युटर चला और मैं चला /" मैं गुस्से से कुर्सी से उठते हुए दरवाजे क़ि ओर बढ़ा / गुस्सा आना भी

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अब गदहे भी घोड़े कहाने लगे है

19 जुलाई 2016
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इस कदर अब बुरे वक्त आने लगे हैं /सोएं मुर्गे, लोग उनको अब जगाने लगे हैं/ कश्ती डूबने की  डर थी जिन्हे बीच भँवर में /अपनी कश्ती ही खुद वो डुबोने लगे है /ना दुःख में शामिल, सुख में मिलना बामुश्किल /अब "फेसबुक" पर ही दोस्ती निभाने लगे है /जवानी के जोश में हुए बेख़ौफ़ इस कदर /मासूमों पर ही अपनी मर्दांगि

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तू मेरे सीने से लिपटो /

21 जुलाई 2016
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चलो हम सब मिलकर -आपसी नफ़रत को - जलाकर राख कर डाले /तू मेरे सीने से लिपटो ,हम तुम्हे गले लगा डाले /तू हमारे और  हम तुम्हारे -भावनाओं का रखें ख्याल /बन गई जो दूरियाँ -उसे सिमटा डाले /तू मेरे सीने से लिपटो ,हम तुम्हे गले लगा डाले /अब न कोई सेंक सके रोटी -हमारी भावनाओं की-जलाकर आग /राजनितिक मुहरा बनने स

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लिंग-भेद

22 जुलाई 2016
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 "इक्कीसवी सदी में स्त्रियाँ किसी भी मायने में पुरुषों से कम नहीं है / कारखाना हो या ऑफिस, सीमा पर लड़ना हो या अंतरिक्ष में चहलकदमी, सभी जगह महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधे मिलाकर आगे बढ़ रही है / और एक आप है जो खुद नौकरी करते है लेकिन मुझे रोकते है / बड़े सौभाग्य से मेरी सहेली ने मेरे लिए कॉल स

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ना हिन्दू बुरा है ना मुसलमान बुरा है

23 जुलाई 2016
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ना हिन्दू बुरा है ना मुसलमान बुरा है /कौन कहता है अपना हिन्दुस्थान बुरा है /करे जो वतन से गद्दारी, धरम के नाम पर /मै कहता हूँ उनका इमान बुरा है /ना मेरा राम बुरा है ना तेरा रहीम बुरा है /दोनों के दिमाग में बैठा शैतान बुरा है /कराता है अधर्म लेकर नाम धर्म का /इंसान के भेष में घूमता हैवान बुरा है /ना

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गुस्सा

12 अगस्त 2016
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गुस्से से जब वे लाल हो गए /बुद्धि से तब वे कंगाल हो गए /लिए निर्णय जब - जब वे गुस्से में /मत पूछो, हाल उनका बेहाल हो गए /गुस्से की आग झुलसाता किसी को /क्रोध की अग्नि जलाता है खुद को /रखो इसे बहुत दूर या फिर काबू में /रखके पास इसे कई बेसमाल हो गए /गुस्से ने अब तक बनाया है किसको /क्रोध एक मीठा जहर उजा

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खंडित भारत माँ का क्रन्दन

13 अगस्त 2016
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सुनती   हूँ  ना कि मै -सैकड़ो वर्षो की पराधीनता से मुक्त हुई हूँ।तुमने मेरी गुलामी की जंजीरों को काटकर,मझे स्वतंत्र किया है।लेकिन मुझे याद है-मेरी खुली बालें लहराती थी-मुजफ्फराबाद, रावलपिंडी, लाहौर से क्वेटा तक।आज मुझे नहीं दिखाई पड़ती है,मेरी लहराती, उन्मुक्त बालें।रोज नए नए जख्म मेरे सर में-पैदा क

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माँ का ज़ेहाद

15 अगस्त 2016
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शायद दिल्ली के राजपथ पर गणतंत्रता दिवस पर होने वाले परेड की तैयारी भी उतनी जोर -शोर से नहीं चल रही होगी जीतनी तैयारी रेहाना बीबी गणतंत्रता दिवस के एक दिन पहले अपने घर पर कर रही थी / उनका एकमात्र बेटा अब्दुल्ला,  दो वर्षों के पश्चात सऊदी अरब से कमा कर घर  लौट रहा था / चौबीस जनवरी को ही वह मुम्बई एअरप

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इण्डिया बनाम भारत

29 अगस्त 2016
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ये इण्डिया वाले, अपने बच्चे तक को - गोद में नहीं उठा पाते है / भारत के लोग,अधेड़ पत्नी के शव को उठाकर- मीलों चले जाते है / (चित्र गूगल से साभार)

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मदर टेरेसा की सेवा भावना /

4 सितम्बर 2016
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कहते है जहाँ सेवा है वहां स्वार्थ नहीं और जहाँ स्वार्थ है वहां सेवा नहीं / मदर टेरेसा सात समुद्र पर करके भारत जैसे देश में सेवा के उद्देश्य से आई थी ऐसा नहीं है / उनका मूल उद्देश्य सेवा की आड़ में हिन्दुओं का ईसाईकरण करना था / और, किसीके सेवा का एक प्रतिशत भाग भी यदि

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अतिथि देवो भव:

8 सितम्बर 2016
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अपने भारत की संस्कृति में अतिथि को देवता के समान माना जाता है / यदि शत्रु भी किसी के घर पर अतिथि बन कर जाता है तो उसे अपमानित नहीं करने की परंपरा है / लेकिन कुछ दिनों पहले कश्मीर में जो भी हुआ वह भारतीय परम्परा और संस्कृति के सीधे उलट है / जब कश्मीर की वर्तमान समस्या

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विजयादशमी

11 अक्टूबर 2016
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अब हम विजयादशमी कुछ इस तरह मनाते है / पुतले तो फूंक देते रावण बचा लिए जाते है / अच्छाई के रास्तों पर चलना गंवांरा नहीं हमें /बुराइयों के सहारे हम ऊँची छलांग लगाते है / राजेश कुमार श्रीवास्तव विजयादशमी की हार्दिक शुभकामना /( फोटो गूगल से साभार)

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प्रधानमंत्री भजन

23 नवम्बर 2016
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तुम्ही हो त्राता, भाग्य विधाता / खोज रही थी जिसे भारत माता / देशभक्तों के तुम बन गए सवारी / दुश्मनो पर तूम पड़ रहे हो भारी / ना पद का मोह ना धन से नाता / छोड़ा घर-बार, बने राष्ट्र निर्माता / नाम तुम्हारा सुन शत्रु घबड़ाये / भारत माता की जयकार लगाए / एक भारत श्रेष्ठ भ

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एकता

24 नवम्बर 2016
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यदि साथ ईमानदारों के- खड़े ना हो सको तो / सारे बेईमानो एक हो जाओ / भय, भूख और भ्रष्टाचार मुक्त ,देश के राह में रोड़े अटकाऒ

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मुझे दूसरे के घर जाना है न

24 मई 2017
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अपने मित्र सोहन के साथ उसके बहन के घर पहुँचा / सोहन की बहन रेखा की शादी शहर से ४० किलोमीटर दूर एक गांव में हुई थी / सोहन और हम एक दूसरे के गहरे मित्र थे / हमें देखकर पता ही नहीं चलता की हमलोग मित्र है या सगे भाई / रेखा भी मुझे अपने छोटे भाई जैसा प्यार देती / रक्षा बंधन हो

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हम कितना नीचे उतर गए

25 मई 2017
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हजारों साल पहले जिस देश में - विशाल स्नानागार हुआ करें , और आज उसके नागरिकों को - शौच करने की जगह बतलानी पड़े, तो समझों हम कितना पिछड़ गए / जिस देश के संस्कार में - स्वच्छता को ईश्वर का निवास - बतलाया जाय और - फिर आज उसके निवासियों को - स्वच्छता की पाठ पढाई जाय / तो समझो

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हो मेरे राम

7 जून 2017
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हो मेरे राम, मेरे भगवान / फिर से आओ ना अपने धाम / हो मेरे राम, मेरे भगवान / छल की शिकार बन रही अहिल्या / बन जाओ ना तारणहार / तुझे पुकार रहे विश्वामित्र होकर ताड़का , मारीच से परेशान / हो मेरे राम, मेरे भगवान / फिर से आओ ना अपने धाम / सब कुछ लुटा चुकें है सुग्रीव / आओ

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शौच का समय

9 जून 2017
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कुछ साल पहले की घटना है / मैं अपने पैतृक गांव बैकुंठवा एक रिश्तेदार की शादी में सम्मिलित होने आया हुआ था / यह गाँव बिहार प्रदेश के पश्चिम चंपारण जिले में है / यह क्षेत्र काफी पिछड़ा है / मुझे एक सप्ताह यहाँ रुकना था / जून का महीना था / काफी गर्मी पड़ रही थी / सुबह चार बजे ह

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दूरियाँ

14 जून 2017
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चलो दूरियां कुछ सिमटा लेते है / एक दूजे को फिर अपना लेते है / क्या ठीक, ये जिंदगी रहे ना रहे / रिश्तों की गर्माहट बढ़ा लेते है / ना तुम याद रखो, मै भूल जाऊ / सारे गीले -सिकवे मिटा लेते है / तुम मैं, और मैं तुम बन जाऊं / रिश्तों को नया अंजाम देते है / दूरियां बढ़ ना पाए फिर

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कई और बंगलादेश बना देंगे /

14 जून 2017
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तुम बार-बार- हमारी सहनशीलता का - परीक्षा लेते हो / जीत जाने पर बुजदिल, और- हारने पर असहिष्णु / नाम देते हो / तुम पत्थर चलाते रहो, और - हम फूल बरसाते रहें / ये कैसा तुमने - शौक पाल रखा है / सहनशीलता का ठेका क्या अकेले हमने ही - सम्भाल रखा है / एक गाल में थप्पड़ - जड़ दो

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मैं मोबाइल फोन हूँ

29 जून 2017
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मैं मोबाइल फोन हूँ / वर्तमान युग में - मानवता के खातिर - मानव द्वारा आविष्कृत - एक अभूतपूर्व खोज / मैंने सिमटा है दूरियों को - ताकि इस विशालकाय पृथ्वी को बनाया जा सके एक गांव / मैंने मिलाये है - कई अनजानों को / बधें है कई जोड़ों पवित्र बंधन में - मेरे ही खातिर

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मेरा वो देश कहाँ है /

22 जुलाई 2017
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http://rajeshkumarsrivastav.jagranjunction.com/2017/07/22/%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A4%BE-%E0%A4%B5%E0%A5%8B-%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6-%E0%A4%95%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%81-%E0%A4%B9%E0%A5%88/

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संघे शक्ति कलियुगे

5 अगस्त 2017
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अब देश के तीनों शीर्ष पदों पर राष्ट्रिय स्वयं संघ से सम्बंधित लोग आसीन हो चुके है / राष्ट्रपति के पद पर श्री रामनाथ कोबिंद जी , उपराष्ट्रपति के पद पर श्री वेंकैया नायडू जी और प्रधानमंत्री के पद पर श्री नरेंद्र मोदी जी आसीन ह

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बंगलादेश के राष्ट्रगान में मातृवन्दना

18 अगस्त 2017
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उत्तर प्रदेश के योगी सरकार के सभी मदरसों में स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्रगीत गाने के आदेश के खिलाफ कई मुश्लिम संगठन और इस्लामिक धर्मगुरुओं ने आवाज़ बुलंद की है / खबर है की भारतवर्ष के राष्ट्रगान वन्दे मातरम को गैर इश्लामिक करार देते हुए कई मदरसों में इसे गाने नह

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