कहते है जहाँ सेवा है वहां स्वार्थ नहीं और जहाँ स्वार्थ है वहां सेवा नहीं / मदर टेरेसा सात समुद्र पर करके भारत जैसे देश में सेवा के उद्देश्य से आई थी ऐसा नहीं है / उनका मूल उद्देश्य सेवा की आड़ में हिन्दुओं का ईसाईकरण करना था / और, किसीके सेवा का एक प्रतिशत भाग भी यदि स्वार्थ है तो यह सेवा के श्रेणी में नहीं आता / विवेकानन्द द्वारा स्थापित रामकृष्ण मिशन देश विदेशों में निःस्वार्थ सेवा प्रदान करता है / यह संसथान कभी भी धर्म परिवर्तन कराके अपने धर्म से जोड़ने का कोई अजेंडा नहीं रखता / मिशनरीज ऑफ चैरिटी सहित बहुत सारी ईसाई मिशनरियां यहाँ सेवा की आड़ में भोली भली जनता को धर्म परिवर्तन कराके भारतियों को उनके मूल धर्म , नाम और संस्कृति से केवल विमुख ही नहीं करा रही बल्कि एक शत्रु तैयार करा रही रही है जो पहले धर्म, नाम और अपनी संस्कृति से विमुख होकर राष्ट्र से भी विमुख हो जा रहे है
/ उत्तर पूर्व के राज्य इसके ज्वलंत उदाहरण है / अब चमत्कार जैसे अन्धविश्वास को आधार बनाकर फिर से ईसाईकरण की मुहीम को तेज किया जा सकता है /