मां ने बड़े जतन से गांव से भेजा है
डिब्बे में घी का कुछ कतरा अब भी है
जानता हूं वह मेरी मां है, सब जानती है
याद मेरे दूध न पीने का नखरा अब भी है
साथ भेज दी हैं भुनी हुई मूंगफलियां भी
मेरी सेहत पर लगता उसे खतरा अब भी है
7 मई 2016
मां ने बड़े जतन से गांव से भेजा है
डिब्बे में घी का कुछ कतरा अब भी है
जानता हूं वह मेरी मां है, सब जानती है
याद मेरे दूध न पीने का नखरा अब भी है
साथ भेज दी हैं भुनी हुई मूंगफलियां भी
मेरी सेहत पर लगता उसे खतरा अब भी है
बहुत ही मन से लिखी हुई बात है . विशाल जी , माँ ऐसी ही होती है
8 मई 2016