अथश्री चहचहाहट कथा...यह कथा है इनकी, उनकी, सबकी...
(06 जुलाई 2015 को हिन्दुस्तान कानपुर में प्रकाशित)चीं चीं...चीं चींचीं चीं...चीं चींअरे हुजूर!यह क्या हाल बना रखा है, चहचहा क्यों रहे हैं? अच्छे-खासे इनसान हैं, चिडि़या बने क्यों घूम रहे हैं?उफ जमूरे! रह गए जमूरे के जमूरे ही।इस चहचहाहट में बड़े-बड़े गुण। निर्गुण, सगुण, दुर्गुण...सारे गुण इसमें समाए