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पत्नी रानी

4 मई 2016

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पत्नी रानी पत्नी रानी 
दिनभर करती हैं मनमानी
मेरी पत्नी पत्नी रानी 

सुबह जगे से शाम ढले तक
शाम से लेकर सूर्य उगे तक
किचकिच करतीं दिलवरजानी
पत्नी रानी पत्नी रानी...रानी 

समय से सोना समय से जगना
समय से खाना समय से पीना
सबपर चलातीं हुकुम रानी
पत्नी रानी पत्नी रानी....

भूख लगे चाहे प्यास लगे
मन में जब अहसास जगे
नहीं सतातीं घर की महरानी
पत्नी रानी पत्नी रानी...

सिर की पीड़ा दिल का दर्द
बदन में अकड़न जकड़े सर्द
बन बरसें राहत का पानी
पत्नी रानी पत्नी रानी...

प्रेमी की सूरत थी देखी
ममता की मूरत बन बैठी
दिल की धड़कन नस का पानी
पत्नी रानी पत्नी रानी...

बिस्तर पर सिलवट न फूटे
कपड़ों की खूंटी जब टूटे
कभी न करती आनाकानी
पत्नी रानी पत्नी रानी...

भइया की अपने बड़की बहना
बनकर आई मेरे घर की गहना
नए-नए रिश्तों संग बन गई नई कहानी
पत्नी रानी पत्नी रानी....

अम्मां-बप्पा की बीमारी
भाई-बहनों की हरकारी
सभी निभातीं बड़ी सयानी
पत्नी रानी पत्नी रानी...

सासू मइया हुकुम डोलावयं
पिता सरीखे ससुर बुलावयं
छमछम दौड़े ले दाना-पानी
पत्नी रानी पत्नी रानी....

ननदों के है नाज उठाती 
जेठ के मन को खूब सुहाती
जल-भुन जाती है जेठानी
पत्नी रानी पत्नी रानी...

देवर आगे-पीछे घूमे
मन की सब बातें कह झूमे
तुम ही चुनना अपनी देवरानी
पत्नी रानी पत्नी रानी...

पास-पड़ोस हो रिश्तेदारी
सबकी करती खातिरदारी
हर मन की याद सुहानी 
पत्नी रानी पत्नी रानी...

बेटा-बिटिया की सरदारी
सेहत हो या पढ़ने की बारी
सबकी करतीं निगहबानी
पत्नी रानी पत्नी रानी...

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प्रियंका शर्मा

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अमवा पर बौर खुब आय गयव रेहोली मा बुढ़ऊ बौराय गयव रेरंग लिहिन मूंछ खिजाब लगाय केधोती से पैंट मा आय गयव रेछोड़ दिहिन लाठी देह सिधाय केकमरियव मा लचक आय गयव रेसांझ सबेरे कन घुसेड़ू सजाय केफिल्मी धुन पर रिझाय गयव रेचल दिहिन ससुरे झोरा उठाय केरस्ता मा चक्कर खाय गयव रेगोरी का मेकअप नजर लाय केबूढ़ा कय गठरी भुला

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यहां पर भी हम

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17 मई 2016
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https://www.facebook.com/Vishal-Shukla-Akkhad-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%B2-%E0%A4%B6%E0%A5%81%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B2-%E0%A4%85%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%96%E0%A4%A1%E0%A4%BC-153011831527487/

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जुल्फ घनेरी छांव तले बादल बन उड़ जाऊंगाकैसे सोच लिया तुमने मन गीत तुम्हारे गाऊंगामां के आंचल में सिसका हूं मां के सीने पर सोया हूंमैं गीत उसी के गाता हूं, मैं गीत उसी के गाऊंगा

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शब्दों की सीमा में तुझको बांध कहां पाऊंगा कविता में तुझ जैसा अभिमान कहां से लाऊंगा ममता की कीमत देने को कैसे कह डाला तुमने जननी जैसा कोई न सम्मान तुम्हें दे पाऊंगा 

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मैं हंसता हूंवह हंसती हैमैं रोता हूंवह रोती हैमैं पिता हूंवह बेटी हैमैं सेंकता हूंवह सिंकती हैमैं खाता हूंवह घुलती हैमैं याचक हूंवह रोटी हैमैं सजता हूंवह सजती हैमैं हर्षित हूंवह मुदित हैमैं नंगा हूंवह धोती है

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वो कमजर्फ निगहबां को भूल जाते हैंकमबख्त कैसे बागबां को भूल जाते हैंबचकर रहना इन बेमौसमी बादलों सेखुदगर्जी में आसमां को भूल जाते हैं

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चलो कुछ ऐसा कमाया जायेरिश्तों का बोझ ढहाया जायेआईने पर जम गई है धूल जोमिलकर कुछ यूं हटाया जाये#विशाल शुक्ल अक्खड़

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