अमवा पर बौर खुब आय गयव रे
होली मा बुढ़ऊ बौराय गयव रे
रंग लिहिन मूंछ खिजाब लगाय के
धोती से पैंट मा आय गयव रे
छोड़ दिहिन लाठी देह सिधाय के
कमरियव मा लचक आय गयव रे
सांझ सबेरे कन घुसेड़ू सजाय के
फिल्मी धुन पर रिझाय गयव रे
चल दिहिन ससुरे झोरा उठाय के
रस्ता मा चक्कर खाय गयव रे
गोरी का मेकअप नजर लाय के
बूढ़ा कय गठरी भुलाय गयव रे
चाल ढाल मा बदलाव पाय के
बूढ़व के ताव आय गयव रे
उठाय लिहिन झाड़ू चश्मा लगाय के
बुढ़ऊ का फागुन भुलाय गयव रे
विशाल शुक्ल अक्खड़