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मन

16 दिसम्बर 2021

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मन तो बसेरा रे
कभी रोये कभी गाये
कभी प्रीत सहेजे
मन तो बसेरा रे
              मन ही मन मुस्कुराये
               क्षण भर तो उड़ता
               पंक्षियों से मंडराये रे
               मन को बांधू तो मै बंधू
               मन तो बसेरा रे
जब मन ही चैन ना भाये
 जब तक उमडता भाये
कभी शुन्य मे घूमे
मन तो बसेला रे

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