राहों को ताकने से मंजिल नहीं मिलती!
कोटों के पथ पर चलना पड़ता है!
किनारों पें रुकी कश्तियाँ कभी पार नहीं लगती!
कश्तीयों को पानी में उतारना पड़ता है!
चाहे कितने भी पथरीले हो रास्ते!
मंजिल को पाने के लिए , उनपर नगें पाव चलना पड़ता है!
15 जून 2022
राहों को ताकने से मंजिल नहीं मिलती!
कोटों के पथ पर चलना पड़ता है!
किनारों पें रुकी कश्तियाँ कभी पार नहीं लगती!
कश्तीयों को पानी में उतारना पड़ता है!
चाहे कितने भी पथरीले हो रास्ते!
मंजिल को पाने के लिए , उनपर नगें पाव चलना पड़ता है!
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नमस्ते पाठकों, pls मुझे फॉलो करें रेटिंग करें और अपने साथ जोड़े रखें,,,लिखा था कभी पैग़ाम उसको प्यार भरे दिल से,,, कुछ खास नहीं कमाता था में, वो कह गयी ऐसी में सोया करती हूँ में, तुम क्या खर्चा उठाओगे मेरा, डर जाओगे मेरे खर्चों और बिजली के बिल से🤣🤣🤣🤣 🤔🤔🤔🤔🤔🤔D