15 जून 2022
राहों को ताकने से मंजिल नहीं मिलती! कोटों के पथ पर चलना पड़ता है! किनारों पें रुकी कश्तियाँ कभी पार नहीं लगती! कश्तीयों को पानी में उतारना पड़ता है! चाहे कितने भी पथरीले हो रास्ते! मंजिल को पाने