बड़े सौभाग्य से ये मनुज तन मिला,
इसको यूं ही गंवाना नहीं चाहिए।
है जो दायित्व हमको प्रभु ने दिया,
वह कर्तव्य भुलाना नहीं चाहिए।
धर्म और कर्म का हो समन्वय सदा,
राह अधर्म की जाना नहीं चाहिए।
सुख आये तो खुश होकर फूलो नहीं,
आये दुःख यदि घबराना नहीं चाहिए।
घूमता कालचक्र है नियत पथ पर ,
इसके विपरीत जाना नहीं चाहिए।
आचार्य धीरज द्विवेदी याज्ञिक
ग्राम व पोस्ट खखैचा प्रतापपुर हंडिया प्रयागराज
8318757871
9956629515बड़े सौभाग्य से यह मनुज तन मिला है