देखो सरसो फुलाने बसंत आ गया।
तन-मन हर्षाने बसंत आ गया।।
आम बौरा गया और महुआ फुला।
कोयल लगी गीत गाने बसंत आ गया।।
फूल फूलें अनेक भंवरे लिए उन्हें छेंक।
भौजी लगी मुस्कुराने बसंत आ गया।।
मौसम गया है बदल मन में हुई हलचल।
धीरज लगे गीत गाने बसंत आ गया।।
आचार्य धीरज द्विवेदी "याज्ञिक"
ग्राम व पोस्ट खखैचा प्रतापपुर हंडिया प्रयागराज।
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