स्वरचित कविता -
*मकर संक्रांति का त्योहार कुछ खास है*
तिल गुड़ की मिठास,हम सबका उल्लास है।
मकर संक्रांति का त्योहार कुछ खास है।
सब करते स्नान,पूजा,ध्यान हैं। सामर्थ्य अनुसार दान का बिधान है।
दैत्यों की रात्रि देवताओं का दिन मान है।
गंगा का सागर से मिलन,भीष्म प्राण प्रयान है।
कही लोहड़ी,कहीं पोंगल,कहीं खिचड़ी नाम है।
तो कहीं उत्तरायण,उत्तरायणी कहते सब तमाम हैं।
पर्व एक नाम अनेक सूर्य का राशि परिवर्तन खास है।
अनेकता में एकता का धर्म,संस्कृति महान है
कोई पतंग उड़ाते,कोई गीत गाते,आश विश्वास है।
मकर संक्रांति का त्योहार कुछ खास है।
आचार्य धीरज द्विवेदी "याज्ञिक"
ग्राम व पोस्ट खखैचा प्रतापपुर हंडिया प्रयागराज उत्तर प्रदेश।
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