*आया बसंत है*
*आया बसंत है**आया बसंत है*
चहुंओर प्रकृति बदल गई आया बसंत है।
मन में उमंग भर गई आया बसंत है।।
पतझड़ हुआ,अंकुर फुटे,सर्दी चली गई।
कोयल फिर कुंहक गई आया बसंत है।।
स्फुटित हुआ नव किशलय,हवा बदल गई।
चिड़िया फिर चहंक गई आया बसंत है।।
आम फिर बौरा गया,अलसाई आ गई।
तरुणाई फिर मचल गई आया बसंत है।।
आचार्य धीरज द्विवेदी "याज्ञिक"
ग्राम व पोस्ट खखैचा प्रतापपुर हंडिया प्रयागराज उत्तर प्रदेश।
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