अपनी बर्बादियों का हमने यूँ जश्न मनाया है,
सितमगर को ही खुद का राज़दार बनाया है.
गम नहीं है मुझे खुद अपनी बर्बादी का,
सितमगर ने मुझको अपना दीवाना बनाया है.
दीवानगी का आलम कुछ यूँ है मेरे यारो,
उनकी दिलज़ारी पे हमको मज़ा आया है.
लोग तो यूँ ही बदनाम करते है सितमगर को,
कत्ले अंदाज़ ही ने मुझ को शायर बनाया है.
वज़ूद शायरी का है उनसे, या शायरी से उनका,
वज़ूद दोनों का ही बस मेरी दीवानगी से तो है .
हुकूमत चले यूँ ही मेरे सरकार की दरबदर,
मैं तो दरबारदारी हूँ हरदम ही हूँ तेरे संग.
(आलिम)