मित्रता भाग--1
सही मित्रों का चुनाव -- आचार्य रामचंद्र शुक्ल का मानना है कि जब कोई युवा घर से बाहर निकलकर समाज में प्रवेश करता है तब अनेक लोगों से उसका मिलना--जुलना होता है, उनसे परिचय बढ़ता है और यह हेल--मेल मित्रता में बदल जाता है| शुक्ल जी कहते हैं कि युवाओं को मित्रता करने से पहले उनके आचरण, व्यवहार, चरित्र आदि की पूर्ण जानकारी कर लेनी चाहिए| मित्रों के सही चुनाव से ही जीवन सफल हो पाता है|
युवा मन पर संगति का प्रभाव-- युवाओं का चित्त बहुत ही कोमल और हर तरह के भाव ग्रहण करने योग्य होता है इस अपरिपक्व अवस्था में बाहरी चीज़ो का प्रभाव बहुत शीघ्र और स्थायी रूप से पड़ता है| युवा प्रायः कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं, जिन्हें राक्षस या देवता,किसी भी रूप में ढ़ाला जा सकता है अतः संगति करते समय बड़े विवेक की आवश्यकता होती है|