देश का मूड तो यही बता रहा है कि नरेंद्र मोदी फिर से दूसरी बार भी प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। देश की कुल आबादी का ८० प्रतिशत जनता तो फ़िलहाल यही चाहती है कि मोदी जी को फिर से एक मौका देना ही चाहिए , उनके पास कोई जादू की छड़ी नहीं है की वह पांच वर्षो में सब कुछ ठीक - ठाक कर देंगे इतना बड़ा देश है बहुत मुश्किल है इसको चलाना वैसे भी जिस मुल्क़ में नाना प्रकार के धर्म -संप्रदाय हो और जाति वाद अपनी चरम सीमा में हो तो सब को साथ लेकर चलना तथा सत्ता की कुर्शी पर बैठ कर सत्ता का सुख भोगना बड़ा मुश्किल तो होता ही है जातीय समीकरण बैठना भी कठिन होता है।
भाजपा जातीय समीकरण बैठाने में सफल रही है। लोकसभा उम्मीदवारों के टिकट बटवारे भी इसी को देख कर किए गए है बहरहाल देश की १२५ करोड़ की जनता जो जातिवाद के कुच्रक में उलझी हो यैसे में यदि कोई राजनीतिक पार्टी जातिगत समीकरण सत्ता पाने के लिए बैठती है नहीं है।
पिछले ६० वर्षो से सत्ता में रही कॉंग्रेस ने भी मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति कर के मुसलमानो का दोहन किया है। मैं ये नहीं कहता कि मोदी जी के आने के बाद से मुसलमानो में जागरूकता आई है जो आज मुसलमान भी भाजपा को पसंद करने लगे है , कही न कही मोदी जी का कार्य और विकास की नीति और समझदारी भी अल्पसंख्यक समाज मोदी जी की तरफ आगे बढ़ा है।
भारत की सभी राजनीतिक पार्टियों का ज़्यादातर आधार ही जातिगत है जातियों -उपजातियो पर खड़ी ये राजनीतिक दल सत्ता के लिए अपने ही समाज का शोषण कर के आगे बढ़ते है। भाजपा का चेहरा हिंदुत्व वादी राजनीति है मगर इन कुछ वर्षो में भाजपा ने हिन्दू समाज को भी आपस में बाटने का काम किया है जिस परिणाम यह हुआ कि मध्यप्रदेश , छतीसगढ़ , राजस्थान में विधान सभा चुनाव भाजपा हार गई।
खैर भाजपा की एक'' ए ''टीम और ''बी'' टीम भी है। ' 'ए '' टीम राष्ट्रीय स्वेम सेवक संघ ,'' बी '' टीम विश्व हिन्दू परिषद , जो भाजपा को सत्ता में लाने के लिए अपना पूरा -पूरा दमख़म लगा देती है। भाजपा से जुड़े ये यैसे संगठन है जो जमीनी स्तर से जुड़े हुए है जो वर्ष के चौबीसो घंटे अपने सेवा के प्रकल्प चलाते है और अपनी मुख्य विचारधारा हिंदुत्व को मुखर हो कर जन -जन तक प्रचारित करते है जिसका सीधा -सीधा लाभ चुनाव में भाजपा को मिलता है।
मैं और ज़्यादा भाजपा समर्पित संगठनों के विवरण में नहीं जाऊंगा। मगर अब तो यह तय मान कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दूसरा कार्यकाल बहुत ही चुनौतियों वाला होगा। इसक बहुत से कारण है , पहला सर्वाधिक ज्वलंतशील मुद्दा बेरोजगरी , आज भी यह मुद्दा भयानक मुद्दा बना हुआ है। मोदी जी ने २ करोड़ युवाओ को रोजगार देने का वादा किया था , मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अभी तक किसी को रोजगार नहीं मिला बेरोज़गारी और बढ़ी है। राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा यह भी बहुत बड़ा है हर दिन सीमावर्ती क्षेत्रों में आतंकवादी हमले हो रहे है। एफडीआई , मेकिंग इण्डिया , महिला सुरक्षा , जीएसटी , इत्यादि यैसे नाना प्रकार की चुनौतियां है जिसको लेकर कांग्रेस हमेशा से मोदी जी को घेरती रही है।
बेरोजगारी पर नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) की रिपोर्ट को लेकर भी जारी विवाद के बीच केंद्र सरकार ने सफाई दी थी सरकार ने कहा था कि बेरोजगारी की दर को दर्शाने वाली एनएसएसओ की यह रिपोर्ट अंतिम नहीं है. यह सर्वे अभी पूरा नहीं हुआ है. आपको बता दें कि एनएसएसओ की रिपोर्ट में कहा गया कि देश में बेरोजगारी दर 2017-18 में 45 साल के उच्च स्तर यानी 6.1 प्रतिशत पर पहुंच गई है. जिसको लेकर विवाद छिड़ गया था और विपक्ष इस मुद्दे पर मोदी सरकार को लगातार घेरती रही है। राहुल गाँधी अपने चुनावी जनसभाओं में इसी मुद्दे को भुना रहे है।
वैसे रोजगार का यह मुद्दा बड़ा गंभीर है जिसे दूर करना मोदी के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। यदि दूसरी बार भाजपा सत्ता में आ जाती है तो यकीनन देश में उत्पन्न ये सारी समस्याए तुरंत दूर करनी होगी वरना देश के लिए परिणाम ठीक नहीं आएंगे। देश का युवा बेरोज़गार आखिर कब तक चुप बैठेगा। वह विद्रोह पर उतर आएगा इसलिए अब देश की जनता का मूड फिर से मोदी को प्रधानमंत्री बनाना है मगर दूसरी तरफ मोदी के लिए ढेर सारी चुनौतियां मुख खोले खड़ी है जिन्हे सत्ता में बने रहने के लिए लिए मोदी जी को जल्द दूर करना ही होगा।