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मेरा वजूद

25 सितम्बर 2023

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निशा मेरा टावल कहां है ।ओहो कितनी बार कहा है तुमसे मेरी सारी चीजें निकाल कर सही समय पर मुझे दे दिया करो पर तुम हो के सुनती ही नही।" पचपन साल के सुरेंद्र जी अपनी बावन साल की पत्नी निशा पर बरसने लगे जब वो नहाने के लिए गये पर उन्हें बाथरूम में टावल टंगा हुआ नही दिखा ।बेचारी निशा जी लंगड़ाते हुए टावल लेकर भागी बाथरूम की तरफ ।
"और हां जब मै नहाकर तैयार होकर आऊं मुझे डाइनिंग टेबल पर नाश्ता रेडी मिलना चाहिए ।पता है कितनी बार तुम्हारे कारण मै लेट हो जाता हूं आफिस मे।" सुरेन्द्र जी बडबडाते हुए बाथरूम में घुस गये।
निशा जी ने भी रसोई मे जाते हुए आवाज लगाई ,"सब कुछ तैयार है आप आ जाओ गर्मागर्म परांठे सेंक देती हूं।"
निशा जी का ये हर रोज का रूटीन था जब तक पति आफिस ना चले जाते तब तक चक्करघिन्नी बनी रहती थी उनकी।
उनकी सास ने हमेशा उन पर दबाव बना कर रखा कि पति की सेवा ही स्त्री का धर्म है।जब वो ब्याह कर इस घर मे आई थी तो जैसे एक नौकरानी मिल गयी थी घर को ।हमेशा ही ननदों ,देवरों,सास ससुर और पति की सेवा ही अपना धर्म बना लिया था निशा जी ने । लेकिन पति सुरेंद्र जी को तनिक भी कद्र नही थी अपनी पत्नी की ।सुबह शाम जब भी वो खाना खाने बैठते तो दस चक्कर कटवाते थे निशा जी के । उन्हें अच्छा भला पता था कि निशा जी के पैर की एक नस ब्लाक है।वो सही से चल भी नही पाती थी लेकिन फिर भी अपने पति की भाग भाग कर सभी जरूरतें पूरी करती थी।
"नलिनी जरा मेरा कार्नफ्लेक्स बना देना ।" बेटा रुपेश जब जिम करके तैयार हुआ तो कमरे से ही चिल्लाया।
निशा जी ने बहू ऩदिनी की तरफ देखा जो सब के लंच पैक कर रही थी । लेकिन उसके का पर जूं तक ना रेंगी।जब बहू ने अनसुना कर दिया तो निशा जी बोली ,"नंदिनी बेटा । रुपेश तुम्हें बुला रहा है । मैंने और काम का बोझ तुम पे नही डाला कम से कम रूपेश तुम्हारा पति है उसका तो छोटा मोटा काम कर दिया करो।"
"मम्मी जी  मैने दूध और कार्नफ्लेक्स टेबल पर रख दिए है वो छोटे बच्चे नहीं है जो मै उन्हें बाउल मे डालकर भी दूं।और हां मम्मी जी अगर मै ऐसे छोटी छोटी जरूरतों के लिए रुपेश की , भागती रही तो आफिस के लिए मुझे देरी हो जाएगी।"
निशा जी बोली,"बेटा वैसे तो हम ने तुम्हें पूरी आजादी दे रखी है पर पति की सेवा तो तुम्हारा धर्म....
"माफ करना मम्मी जी ।पति की सेवा क्या है । क्या सारा धर्म पत्नी ही करेगी कभी पति भी तो ऐसा धर्म करे।कभी वो भी पत्नी को "फील एट होम" करवाये। क्या सारा जीवन आप की तरह पति की सेवा मे भाग दौड़ करते बीत जाएगा।और माफ करना मम्मी जी ।जितना आप करती है पापा जी के लिए उसका एक पर्सेंट भी पापा जी आप के लिए करते है .....नही ना बल्कि आप की मन से बनाई चीजों मे सौ नुक्स निकाल देगे वो अलग से।"नंदिनी ने निशा जी की बात बीच मे काटते हुए कहा।
तभी शायद सुरेंद्र जी आ गये थे डाइनिंग टेबल पर।निशा जी डेली रूटीन की तरह फिर से उनके आगे पीछे दौड़ने लगी ।आज उन्होंने आलू के परांठे बनाएं थे सुरेंद्र जी की पसंद के । दोनों परांठे खाने के बाद अचानक से सुरेन्द्र जी चिल्लाए,"क्या तुम भी इतना तेल लगा देती हो परांठों पर के खाये नही जाते।" यह कहकर एक टुकड़ा थाली मे छोड़कर सुरेंद्र जी खड़े हो हो गये।
निशा जी आफिस जाती हुई बहू नंदिनी से आंखे नही मिला पा रही थी।तभी पीछे से आफिस जाते रुपेश ने नंदिनी को कहा,"सुनो रात को डिनर पर चलेंगे। बहुत दिनों से एक जैसा रूटीन चल रहा है । दोनों बेटा बहू और पति तीनों जब आफिस चले गये तब निशा जी आइने के सामने खड़ी हो कर अपने आप को निहारने लगी ।सच मे इन सब की तिमारदारी करते करते वो तो अपने लिए जीना भूल ही गयी थी । उन्होंने ससुराल सेवा को जैसे ओढ़ ही लिया था‌। बदले मे क्या मिला अपमान , तिरस्कार।सास जब तक जिंदा रही हमेशा सौ नुक्स निकालती थी हर काम मे ।अब पति ने वो जिम्मा ले लिया था।निशा जी को नंदिनी बहू की बात सो टका सही लगी ।"मम्मी जी अपने लिए जीना सीखिए।सारा दिन पति बच्चों ,देवर ननदों के चक्कर मे आप अपनी उम्र से ज्यादा बुढ़ी लगने लगी हैं।"
वास्तव मे जब निशा जी ने अपने आप को आइने मे देखा तो वो सुरेंद्र जी से तीन साल छोटी होने कू बाद भी उनसे उम्र मे बड़ी लगती थी।
निशा जी ने पर्स उठाया और चल दी पार्लर ।जब पार्लर से बाहर आई तै वो अपने आप को चालीस साल जैसा महसूस कर रही थी पहले कभी ध्यान ही नही दिया।
घर आकर अपनी सभी पुरानी सहेलियों को फोन कर फिल्म देखने का प्रोग्राम बनाया। फिल्म देखने का समय छह से नो बजे का था। पांच बज कर पैंतालीस मिनट पर जब सुरेंद्र जी घर पहुंचे तो चाय की प्याली मेज पर ना पा कर आग बबूला हो गये लगे चिल्लाने,"कहां मर गयी हो तुम , तुम्हें जरा भी शर्म नही आती मै थका हारा घर आया हूं एक गर्मागर्म चाय की प्याली ही बना दूं।"
उनकी आवाज़ सुनकर निशा जी नीली जरी के बाडर वाली साड़ी पहन कर पर्स हाथ मे लेकर बाहर निकली ।उनका ये रुप देखकर सुरेंद्र जी हक्के बक्के रह गये।आज तो बड़ी ही सुंदर लग रही थी निशा जी। लेकिन फिर भी एक मर्द का अहम आगे आ गया ,"तुम ये सज संवर कर कहां चली । तुम्हें पता नही मै आफिस से आने वाला हूं।और मैडम तुम तो बाहर खाकर आओगी मेरा क्या?"
"आप के लिए खाना केसरोल मे रख दिया है जब मन करे खा लेना और बहू बेटा बाहर जा ही रहे है डिनर पर।"
निशा जी बाल संवारते हुए बोली।
सुरेन्द्र जी तमतमा उठे,"तुम्हें पता होना चाहिए मै पैसे कमाकर लाता हूं तब तुम खर्च कर पाती हो।"
आज तो निशा जी भी कमर कसकर बैठी थी बोली,"क्या हुआ तुम कमा कर लाते हो तो मै अपनी सूझबूझ से इस ईंट गारा के मकान को घर बनाती हूं।"
आज सुरेंद्र जी के कोई ताने कोई तर्क निशा जी पर काम नही कर रहे थे।वो उठे और बोले,"मै क्या पागल हूं जो घर रहूंगा चलो मै दिखाकर लाता हूं तुम्हें फिल्म और डिनर भी हम दोनों बाहर करेंगे।"
निशा जी आज पहली बार पति के साथ डिनर डेट पर जा रही थी।और बहू नंदिनी की तरफ कृतज्ञता से देख रही थी। उनकी बहू ने उन्हें आत्म सम्मान से जीना सीखा दिया था।

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रचनाएँ
साढ़ा चिड़ियां दा चम्बा वे........
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बेटियां क्यों पराई हो जाती है । क्यों वो हक से अपने अपने मायके नही आ पाती ।उसके दो घर होने के बाद भी कोई घर नहीं होता। मां कहती हैं पराई है और सास कहती हैं पराये घर से आई है बड़ी गजब रचना हूं मैं तेरी भगवान। बेटी बन कर भी पराई ,बहू बन कर भी पराई।।
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साढ़ा चिड़ियां दा चम्बा वे........

6 अगस्त 2023
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"साढा चिड़िया दा चम्बा है बाबल अंसा उडड जाना।साढी लम्बी उडारी वे ।के मुड़ असा नहीं आना...."संगीता पड़ोस में किसी लड़की की शादी में हल्दी की रस्म हो रही था वहां बैठी ये गीत सुन कर भाव विभोर हो गयी। क्य

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पराई

7 अगस्त 2023
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मैं अपने घर से भाग जाना चाहती थी, लेकिन मैं जाती भी तो कहाँ ? ट्रेन के डिब्बे मे मेरे पास वाली सीट पर दो महिलाएं बैठी थी।शायद दोनों सहेलिय

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सिन्दूर की कीमत

7 अगस्त 2023
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शोभा आज अपनी बालकनी में खड़ी प्रकृति को निहार रही थी ।उसने और सौरभ ने कल ही मकान शिफ्ट किया था पहले ग्राउंड फ्लोर पर रहते थे इसलिए आस-पड़ोस का कुछ भी पता नहीं चलता था लेकिन अब बड़ी सोसायटी में आ गये थ

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उसका बड़प्पन

8 अगस्त 2023
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मेरे चाहे न चाहे वह वैष्णवी रोज ही सारे मोहल्ले से कलेवा बटोर कर मेरे आंगन में आकर रोज सुबह पसर जाती।न अनुमति की आवश्यकता, न हीं आग्रह !बस जैसे उसका ही आंगन हो...भांति भांति की पुड़िया खोल कर अपनी क्षु

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वाह रे ! तेरा न्याय भगवान

9 अगस्त 2023
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आज अमित का गुस्सा सातवें आसमान पर था क्योंकि मनु ने मायके जाने के लिए बोला था ।अमित को कभी भी उसका मायके जाना नहीं सुहाता था।हर बार कोई ना कोई अड़ंगा लगा कर मनु को मायके जाने से रोक ही लेता था।आ

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सर्द हवाएं

13 अगस्त 2023
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"रमुआ जा जाके लकड़ी का इंतजाम कर ।देख सारी रात की मरी पड़ी मां कैसे लकड़ी की तरह अकड़ गई है।" कमली ने रमुआ को झिंझोड़ते हुए कहा।सारी रात रमुआ और कमली अपनी मरी हुई मां के पास बैठे रहे ।सोलह साल क

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हर घर तिरंगा

14 अगस्त 2023
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"भाईयों और बहनों ।जैसा कि आजादी की 75वीं वर्षगांठ आ रही है तो मै चाहता हूं भारत के हर घर मे तिरंगा लहराना चाहिए।"भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भाषण टीवी पर आ रहा था ।चमेली और उसका पति दिहाड़ी

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बस...अब और नही

20 अगस्त 2023
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वह परिवार अभी हाल - फ़िलहाल ही इस नए मोहल्लें में शिफ्ट हुआ था।छः लोगों के इस परिवार में पति - पत्नी और दो बेटियों के अलावा, बुज़ुर्ग माता - पिता ही थे।अभी मोहल्लें के किसी भी परिवार से इस नए परिवार क

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पापा की आवाज

22 अगस्त 2023
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अपने फ़ोन की फ़ोन बुक में एक नंबर ढूंढ रही थी कि पापा जी का कांटेक्ट नंबर आ गया।उंगलियाँ वहीं थम गईं।तीन चार बार प्यार से फ़ोन पर हाथ फिराया।मेरे पापा- मेरे प्यारे पापा ! जितना लाड़ प्यार मैने अपने

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तड़प

30 अगस्त 2023
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"सोमेश वो देखो उस महिला को सड़क के किनारे इतनी रात गए बैठी है! चलो ना देखते हैं""पारु रहने दो ना किस झमेले में फंस रही हो! पता नहीं कौन है! और इतने रात गए क्यों सड़क पर बैठी है!"इसलिए तो कह रही हूँ ना

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मां कौन कहेगा?

13 सितम्बर 2023
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पूरे घर में हवन का धुआं फैला हुआ था, अग्नि में जलती हुई हवन सामग्री की सुगंध चारों ओर फैल रही थी। सामने दो तस्वीरों पर हार चढ़ा हुआ था। रतन के लिए यह तस्वीरें प्रश्न की कड़ियों से जुड़ गई थी। एक

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मेरे अपने

20 सितम्बर 2023
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" तू मुझे किस आस से मुंह दिखाने चला आया बेशर्म। तूने क्या सोचा था तू अपनी पसंद की ऐरी गेरी किसी भी लड़की से शादी कर लेगा और मैं तुझे माफ कर दूंगी।जा निकल जा घर से और तुम दोनों का चेहरा मैं आज से कभी न

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जाने कौन से देस

25 सितम्बर 2023
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आज निशा का मन बडा उदास था।मन किसी भी काम में नही लग रहा धा।पति और बच्चों को स्कूल और ऑफिस भेज कर वह बरतनों को समेटने लगी।पर मन तो कहीं टिक ही नहीं रहा था।सब कुछ छोड़ कर न

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निर्भया ही नहीं हूं मैं....बस

25 सितम्बर 2023
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आज हर जगह निर्भया ही निर्भया का जिक्र हो रहा है।क्या आप ने कभी सोचा।केवल शारीरिक शोषण ही शोषण नही होता ।मानसिक शोषण भी एक प्रकार का बलत्कार ही है बस कोई घटना प्रकाश मे आ जाती है तो चारों तरफ त्राहि त्

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आ अब लौट चलें

25 सितम्बर 2023
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मां ... मां तुम रो कयो रही हो ,बताओ ना मां.."शिल्पी एकदम से हड़बड़ा कर उठी। कर्ण ने उसको झिंझोड़कर उठाया,"क्या हुआ है शिल्पी तुम नींद मे बडबडाते हुए क्यों रो रही हो?"शिल्पी ने जब अपने आप को सम्ह

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चलों ना अपने घर

25 सितम्बर 2023
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हाय राम ! ये बहू है या आलस की पुड़िया। कोई काम भी पूरा नही करती ।ये देखो कोने मे कचरा पड़ा रह गया और ये महारानी कह रही है कि इसने झाड़ू लगा दी।देखो सूखे कपड़े भी ज्यों के त्यों पड़े है यूं नही कि सब क

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मेरा वजूद

25 सितम्बर 2023
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निशा मेरा टावल कहां है ।ओहो कितनी बार कहा है तुमसे मेरी सारी चीजें निकाल कर सही समय पर मुझे दे दिया करो पर तुम हो के सुनती ही नही।" पचपन साल के सुरेंद्र जी अपनी बावन साल की पत्नी निशा पर बरसने लगे जब

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मैं जीत कर भी हार गयी

25 सितम्बर 2023
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बुआ शब्द सुन,लता की आंँखें फटी की फटी रह गईं।प्रश्न भरी निगाहों से सुनील की तरफ देखा।वो नजरें चुरा रहा था।सुनील से बोली, "क्या जवाब दूंँ !बताइए ना।"दूर से, तरसती आंँखों से माँ भी बेटे के जवाब का इंतजा

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आख़िर तुम चुप क्यों हो

28 सितम्बर 2023
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आखिर तुम चुप क्यों हो?सुगंध के घर में बरसों से बंद पड़े, पीछे के कमरे में (जो घर के बेकार हो चुके सामान से भरा पड़ा था कि ना जाने कब किस सामान की ज़रूरत पढ़ जाये?) बस वहीं छोटी–छोटी अधूरी श्वास लेती हवा म

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म्हारी छोरियां के छोरा से कम है

28 सितम्बर 2023
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गीता के फोन की घँटी लगातार बज रही थी। उसने आंख औ तो देखा रात के दो बजे रहे है। फोन पर उसके मायके की नौकरानी शारदा काकी का नंबर फ़्लैश हो रहा था फोन उठाया देखा तो सत्रह मिस कॉल।उसने घबराहट में तुरंत फोन

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