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मेरे अपने

20 सितम्बर 2023

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" तू मुझे किस आस से मुंह दिखाने चला आया बेशर्म। तूने क्या सोचा था तू अपनी पसंद की ऐरी गेरी किसी भी लड़की से शादी कर लेगा और मैं तुझे माफ कर दूंगी।जा निकल जा घर से और तुम दोनों का चेहरा मैं आज से कभी नहीं देखूं गी।"
शकुन्तला देवी जोर जोर से खांस रही थी और नवविवाहित जोड़े को खूब खरी खोटी सुना रही थी।
दरअसल नवीन और सुमी ने अपनी पसंद से एक दूसरे से कोर्ट मैरिज कर ली थी ।नवीन नववधू को आशीर्वाद दिलाने के लिए अपनी मां शकुन्तला देवी के पास लेकर आया था।
पतिदेव की छोटी उम्र में ही मृत्यु होने के बाद अकेले शकुन्तला देवी ने एक बेटे और बेटी को बड़ी मुश्किल से पाला था ।सारी सारी रात दूसरों के कपड़े सिलती थी तब जाकर दोनों बच्चों और अपना पेट पाल पाती थी ।
बेटा नवीन बड़ा था और संगीता छोटी थी।
बेटी सुंदर होने के कारण अच्छे घर की बहू बन गयी थी।बेटा भी शकुन्तला देवी ने पढ़ा लिखा कर एक कम्पनी में लगा दिया था।
नवीन को आफिस में साथ काम करने वाली सुमी पहली नजर में भा गयी थी। डेढ़ साल तक दोनों का इश्क परवान चढ़ता रहा आखिर में दोनों ने कोर्ट मैरिज करके एक होने की सोची । क्यों कि दोनों अलग अलग जात बिरादरी से सम्पर्क रखते थे। नवीन कट्टर ब्राह्मण था तो सुमी बंगाली जिसके यहां मांस मच्छी के बगैर खाना नहीं बनता।
नवीन ने मां को समझाने की बहुत कोशिश की पर मां मानने को तैयार ही नहीं थी तो आखिरकार नवीन ने कोर्ट मैरिज करने का फैसला किया।
आज वो सुमी के साथ कोर्ट मैरिज करके आया था।तभी शकुन्तला देवी का गुस्सा सातवें आसमान पर था।
नवीन और सुमी दोनों घर की देहलीज को प्रणाम कर के उल्टे पांव लौट गये।
थोड़े दिन तो शकुन्तला देवी अकेले रही पर बुढ़ापा अब सताने लगा था ।
एक दिन बाथरूम में से नहा कर बाहर आ रही थी कि पैर फिसल गया।सिर पर भयंकर चोट आई । पड़ोसियों ने नवीन को फोन करने के लिए बोला तो शकुन्तला देवी ने तपाक से कहा "मेरा कोई बेटा नहीं है आप लोग मेरी बेटी संगीता को फोन कर दो "
पड़ोसियों ने संगीता को फोन कर दिया ।वो आई और मां को अपने साथ ले गयी।
शकुन्तला देवी को हाथ में भी थोड़ा बहुत फ्रेक्चर हुआ था सोई ढाई महीने का पलस्तर चढ़ा था।
धीरे धीरे सिर की चोट तो ठीक हो गयी पर हाथ पर पलस्तर अभी भी चढ़ा था। शकुन्तला देवी देख रही थी बेटी संगीता तो मां का ख्याल रखती थी पर दामाद का मुंह चढ़ा रहता था।
शकुन्तला देवी धीरे धीरे उठकर संगीता के साथ काम में भी मदद करवाती रहती थी ताकि उन्हें बोझ ना लगे वो।
पर पता नहीं क्यों एक परायापन सा हमेशा लगता था शकुन्तला देवी को उस घर में।

एक दिन शकुन्तला देवी अपने कमरे में बैठी थी तभी बेटी दामाद के कमरे से आवाजें आ रही थी । दामाद बार बार संगीता को गुस्से में डांट रहे थे । शकुन्तला देवी ने जब कान लगाकर सुना तो सन्न रह गयी।

"अब तुम्हारी मां और कितने दिन यहां रहेगी ? अब तो हाथ का पलस्तर भी खुल गया है या जिंदगी भर यही डेरा डालकर बैठना है उनको।"
संगीता उसे चुप कराते हुए बोली,* शशशश थोड़ा धीरे बोलों मां सुन लेंगी।अब भाई भाभी से नाराज़ हैं तो कहां जाएंगी।हमें ही रखना होगा।"
दामाद भड़ाक से दरवाजा पटक कर चला गया।
शकुन्तला देवी को बड़ा ही अजीब लग रहा था ।उसने संगीता को बुलाकर कहा,"बेटा मैं सोच रही हूं तुम्हारे पास बहुत रह ली थोड़ा नवीन के पास भी रहूं। आखिर मां तो मैं उसकी भी हूं वो कैसे अपनी जिम्मेदारी से भाग सकता है।"
संगीता ने हैरानी से अपनी मां की ओर देखकर कहा,"पर मां आप तो भाई से......
शकुन्तला देवी ने मुंह दूसरी तरफ फेरकर आंखें पोछी और बोली,"बस ....अब तू मेरी नवीन के घर की टिकट करवा दे।

शकुन्तला देवी का दिल धड़क धड़क कर रहा था जब वह नवीन के फ्लैट के दरवाजे पर खड़ी थी । क्योंकि उसने अपनी बहू को आशीर्वाद तो देना दूर बहू का चेहरा भी नहीं देखा और धक्के मारकर घर से निकाल दिया।
मन कड़ा करके शकुन्तला देवी ने घंटी बजा ही दी ।अंदर से सुमी ने दरवाजा खोला सामने सास को दरवाजे पर खड़ा देखकर झट मंदिर से पूजा का थाल लाई और सांस की आरती कर बोली,"मां जी स्वागत है आपका आपके घर में।"

शकुन्तला देवी की आंखें भर आईं और उसने सुमी को गले लगाया और बोली,"बहू मुझे माफ़ करदे।और मुन्ना कहां है ?"
शकुन्तला देवी नवीन को प्यार से मुन्ना कहती थी 
"मुझे याद तो करता होगा बहुत?"
अब सुमी क्या कहें कि बेटे ने तो एक दिन भी मां को याद नहीं किया प्रत्यक्ष रूप में बोली,"हां मां जी हररोज ही याद करते हैं।"
यह सुनकर शकुन्तला देवी गदगद हो गयी।
शाम को जब नवीन आया तो मां को आया देखकर हैरत में पड़ गया और मां को बोला,"मां कोई तकलीफ़ तो नहीं हुई?"

और ये कहकर वह अपने कमरे में चला गया ।पीछे पीछे सुमी पानी का गिलास लेकर गयी और बोली,*आप हाल में जाकर मां जी के पास क्यों नहीं बैठते ।जब से आयी हैं आपको ही याद कर रही थी।"
"वो तो ठीक है पर ये तो पूछ लो मां से वो हमारे पास  रहें गी कितने दिन? मां को तुम बिल्कुल पसंद नहीं हो।"
नवीन तपाक से बोला।
सुमी ने आंखों में पानी भर कर कहा," अब मैं उन्हें जाने नहीं दूंगी कहीं भी, ये उनका घर है मुझे अच्छा नहीं लगता बेटे बहू के होते हुए वो बेटी के यहां रहें। रही बात पसंद ना पसंद की मैं पूरी कोशिश करुंगी मां जी के रंग में रंगने की। उन्हें कोई शिक़ायत का मौका नहीं दूंगी।"
बाहर खड़ी शकुन्तला देवी की आंखों से झराझर आंसू बह  रहे थे।आज उन्हें अपने घर की और अपनों की परिभाषा समझ आ चुकी थी और ये भी पता चल गया था कि अपने परिवार से ही प्यार मिलता है।

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रचनाएँ
साढ़ा चिड़ियां दा चम्बा वे........
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बेटियां क्यों पराई हो जाती है । क्यों वो हक से अपने अपने मायके नही आ पाती ।उसके दो घर होने के बाद भी कोई घर नहीं होता। मां कहती हैं पराई है और सास कहती हैं पराये घर से आई है बड़ी गजब रचना हूं मैं तेरी भगवान। बेटी बन कर भी पराई ,बहू बन कर भी पराई।।
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साढ़ा चिड़ियां दा चम्बा वे........

6 अगस्त 2023
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"साढा चिड़िया दा चम्बा है बाबल अंसा उडड जाना।साढी लम्बी उडारी वे ।के मुड़ असा नहीं आना...."संगीता पड़ोस में किसी लड़की की शादी में हल्दी की रस्म हो रही था वहां बैठी ये गीत सुन कर भाव विभोर हो गयी। क्य

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पराई

7 अगस्त 2023
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मैं अपने घर से भाग जाना चाहती थी, लेकिन मैं जाती भी तो कहाँ ? ट्रेन के डिब्बे मे मेरे पास वाली सीट पर दो महिलाएं बैठी थी।शायद दोनों सहेलिय

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सिन्दूर की कीमत

7 अगस्त 2023
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शोभा आज अपनी बालकनी में खड़ी प्रकृति को निहार रही थी ।उसने और सौरभ ने कल ही मकान शिफ्ट किया था पहले ग्राउंड फ्लोर पर रहते थे इसलिए आस-पड़ोस का कुछ भी पता नहीं चलता था लेकिन अब बड़ी सोसायटी में आ गये थ

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उसका बड़प्पन

8 अगस्त 2023
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मेरे चाहे न चाहे वह वैष्णवी रोज ही सारे मोहल्ले से कलेवा बटोर कर मेरे आंगन में आकर रोज सुबह पसर जाती।न अनुमति की आवश्यकता, न हीं आग्रह !बस जैसे उसका ही आंगन हो...भांति भांति की पुड़िया खोल कर अपनी क्षु

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वाह रे ! तेरा न्याय भगवान

9 अगस्त 2023
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आज अमित का गुस्सा सातवें आसमान पर था क्योंकि मनु ने मायके जाने के लिए बोला था ।अमित को कभी भी उसका मायके जाना नहीं सुहाता था।हर बार कोई ना कोई अड़ंगा लगा कर मनु को मायके जाने से रोक ही लेता था।आ

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सर्द हवाएं

13 अगस्त 2023
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"रमुआ जा जाके लकड़ी का इंतजाम कर ।देख सारी रात की मरी पड़ी मां कैसे लकड़ी की तरह अकड़ गई है।" कमली ने रमुआ को झिंझोड़ते हुए कहा।सारी रात रमुआ और कमली अपनी मरी हुई मां के पास बैठे रहे ।सोलह साल क

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हर घर तिरंगा

14 अगस्त 2023
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"भाईयों और बहनों ।जैसा कि आजादी की 75वीं वर्षगांठ आ रही है तो मै चाहता हूं भारत के हर घर मे तिरंगा लहराना चाहिए।"भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भाषण टीवी पर आ रहा था ।चमेली और उसका पति दिहाड़ी

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बस...अब और नही

20 अगस्त 2023
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वह परिवार अभी हाल - फ़िलहाल ही इस नए मोहल्लें में शिफ्ट हुआ था।छः लोगों के इस परिवार में पति - पत्नी और दो बेटियों के अलावा, बुज़ुर्ग माता - पिता ही थे।अभी मोहल्लें के किसी भी परिवार से इस नए परिवार क

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पापा की आवाज

22 अगस्त 2023
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अपने फ़ोन की फ़ोन बुक में एक नंबर ढूंढ रही थी कि पापा जी का कांटेक्ट नंबर आ गया।उंगलियाँ वहीं थम गईं।तीन चार बार प्यार से फ़ोन पर हाथ फिराया।मेरे पापा- मेरे प्यारे पापा ! जितना लाड़ प्यार मैने अपने

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तड़प

30 अगस्त 2023
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"सोमेश वो देखो उस महिला को सड़क के किनारे इतनी रात गए बैठी है! चलो ना देखते हैं""पारु रहने दो ना किस झमेले में फंस रही हो! पता नहीं कौन है! और इतने रात गए क्यों सड़क पर बैठी है!"इसलिए तो कह रही हूँ ना

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मां कौन कहेगा?

13 सितम्बर 2023
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पूरे घर में हवन का धुआं फैला हुआ था, अग्नि में जलती हुई हवन सामग्री की सुगंध चारों ओर फैल रही थी। सामने दो तस्वीरों पर हार चढ़ा हुआ था। रतन के लिए यह तस्वीरें प्रश्न की कड़ियों से जुड़ गई थी। एक

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मेरे अपने

20 सितम्बर 2023
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जाने कौन से देस

25 सितम्बर 2023
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आज निशा का मन बडा उदास था।मन किसी भी काम में नही लग रहा धा।पति और बच्चों को स्कूल और ऑफिस भेज कर वह बरतनों को समेटने लगी।पर मन तो कहीं टिक ही नहीं रहा था।सब कुछ छोड़ कर न

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निर्भया ही नहीं हूं मैं....बस

25 सितम्बर 2023
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आज हर जगह निर्भया ही निर्भया का जिक्र हो रहा है।क्या आप ने कभी सोचा।केवल शारीरिक शोषण ही शोषण नही होता ।मानसिक शोषण भी एक प्रकार का बलत्कार ही है बस कोई घटना प्रकाश मे आ जाती है तो चारों तरफ त्राहि त्

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आ अब लौट चलें

25 सितम्बर 2023
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मां ... मां तुम रो कयो रही हो ,बताओ ना मां.."शिल्पी एकदम से हड़बड़ा कर उठी। कर्ण ने उसको झिंझोड़कर उठाया,"क्या हुआ है शिल्पी तुम नींद मे बडबडाते हुए क्यों रो रही हो?"शिल्पी ने जब अपने आप को सम्ह

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चलों ना अपने घर

25 सितम्बर 2023
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हाय राम ! ये बहू है या आलस की पुड़िया। कोई काम भी पूरा नही करती ।ये देखो कोने मे कचरा पड़ा रह गया और ये महारानी कह रही है कि इसने झाड़ू लगा दी।देखो सूखे कपड़े भी ज्यों के त्यों पड़े है यूं नही कि सब क

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मेरा वजूद

25 सितम्बर 2023
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निशा मेरा टावल कहां है ।ओहो कितनी बार कहा है तुमसे मेरी सारी चीजें निकाल कर सही समय पर मुझे दे दिया करो पर तुम हो के सुनती ही नही।" पचपन साल के सुरेंद्र जी अपनी बावन साल की पत्नी निशा पर बरसने लगे जब

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मैं जीत कर भी हार गयी

25 सितम्बर 2023
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बुआ शब्द सुन,लता की आंँखें फटी की फटी रह गईं।प्रश्न भरी निगाहों से सुनील की तरफ देखा।वो नजरें चुरा रहा था।सुनील से बोली, "क्या जवाब दूंँ !बताइए ना।"दूर से, तरसती आंँखों से माँ भी बेटे के जवाब का इंतजा

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आख़िर तुम चुप क्यों हो

28 सितम्बर 2023
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आखिर तुम चुप क्यों हो?सुगंध के घर में बरसों से बंद पड़े, पीछे के कमरे में (जो घर के बेकार हो चुके सामान से भरा पड़ा था कि ना जाने कब किस सामान की ज़रूरत पढ़ जाये?) बस वहीं छोटी–छोटी अधूरी श्वास लेती हवा म

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म्हारी छोरियां के छोरा से कम है

28 सितम्बर 2023
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गीता के फोन की घँटी लगातार बज रही थी। उसने आंख औ तो देखा रात के दो बजे रहे है। फोन पर उसके मायके की नौकरानी शारदा काकी का नंबर फ़्लैश हो रहा था फोन उठाया देखा तो सत्रह मिस कॉल।उसने घबराहट में तुरंत फोन

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