गीता के फोन की घँटी लगातार बज रही थी। उसने आंख औ तो देखा रात के दो बजे रहे है। फोन पर उसके मायके की नौकरानी शारदा काकी का नंबर फ़्लैश हो रहा था फोन उठाया देखा तो सत्रह मिस कॉल।
उसने घबराहट में तुरंत फोन लगाया।फोन शारदा काकी के बेटे मोहन ने उठाया। तो गीता ने कहा,"मोहन काकी फोन कर रही थी क्या हुआ कोई बात है क्या?माँ पापा सब ठीक तो है?"
वो दीदी दअरसल बात ये है कि जमीन विवाद के चक्कर मे आज आपके पापा और गाँव का वो दबंग लड़का कालू ने बाबूजी को बहुत मारा है। उनका हाथ टूट गया सिर पर गहरी चोट भी आयी है।
"क्या ?क्या कह रहा है तू,लेकिन झगड़ा क्यों हुआ?"गीता ने गुस्से और दर्द भरी आवाज में पूछा
दीदी आपकी वो नहर वाली जमीन को लेकर झगड़ा किया उसने बोला,"ये जमीन छोड़ दो या मुझे बेच दो,आखिर तुम रख कर करोगे क्या इतनी जमीन कौन सा तुम्हारे बेटा जो जमीन और पैसा बचा कर रखना चाहते हो। तुम्हारे मरने के बाद तो ये वैसे भी तुम्हारे पटीदार ही लेंगे।"
जब बाबूजी ने मना किया तो उसने लाठी डंडे लात घुसे से बहुत पिटाई की उनकी,किसी की हिम्मत नही हुई उन्हें बचाने की।साथ ही उसने धमकी दी कि अगर कोई शिकायत दर्ज करायी तो वो उसके पूरे खानदान का नामोनिशान मिटा देगा।
"लेकिन ये सब हुआ कब, सुबह तो मेरी वीडियो कॉल पर बात हुई तब सब ठीक था।"
दीदी दोपहर की घटना है ये.....बाबूजी ने तो आपको बताने से मना किया था।लेकिन माँ और मुझसे रहा नही गया। आज बाबूजी बहुत रो रहे थे। उनके आंसू देख सब को रोना आ रहा था। जितनी मुँह उतनी बाते हो रही थी।कोई कहता कि बेटा होता तो आज कालू की हिम्मत ना होती जमीन पर नजरें डालने की। तो कोई कहता कि ,"अरे!उससे कौन दुश्मनी मोल लेगा?किसको अपनी जान प्यारी नही"
गीता की आंखों से झरझर आंसू गिरने लगे उसने फोन काट दिया। उसके रोने की आवाज सुनकर बगल में सोए उसके पति विनोद ने कहा,"गीता किसका फोन था क्या हुआ बताओ तो सही।"
गीता ने रोते हुए सारी बात बतायी। तो विनोद ने कहा,"तुम रोना बंद करो, मैं अपने कुछ परिचय के दोस्तो से बात करता हूं वो कल बाबूजी के साथ जाकर पुलिस कंप्लेन कर देंगे।"
रोते हुए गीता ने कहा,"विनोद!एक बात पुछु,बुरा तो नही मानोगे,"
विनोद:- नहीं!पूछो क्या पूछना है?
गीता ने कहा,"-अगर कोई तुम्हारे पापा के साथ ऐसा करता तो भी तुम यही करते"
विनोद ने तब कहा,"मेरे पापा को अगर कोई हाथ लगाए तो मैं उसका हाथ उसके शरीर से अलग कर दूंगा।इतना ही नही मुझे खुद को नही पता कि मैं उसकी क्या हालत कर दूंगा
गीता ने कहा,"ठीक है अमन मुझे मेरा जवाब मिल गया, अब मैं आज सुबह ही गांव जाऊंगी।"
विनोद ने कहा,"ठीक है मैं भी साथ चलूंगा"
शाम 5 बजे तक गीता और विनोद गाँव पहुंच गए। पूरा गांव उन्हें देख रहा था। गीता ने बैग अपने घर पर रखा और अपने पापा को गले लगाया तो उनके तन से ज्यादा अपमान के चोट का दुःख सैलाब बनकर बहने लगा। उसने अपने पापा के आंसू पोछे और मुस्कुरा कर कहा,"आपकी बेटी आ गई है। बस अब आज के बाद आप कभी नही रोयेंगे ना ही किसी की हिम्मत होगी आपकी तरफ आंख उठाने की"
गीताके पापा ने कहा,"बेटी तू अकेली है कहाँ जा रही है?रुक जा बेटा मैं दामाद जी को क्या जवाब दूंगा।"
गीता ने जाते हुए कहा,"आपको किसी को कोई जवाब नही देना होगा आप बस मेरा इंतजार कीजिये।"
गीता कालू के दरवाजे पर पहुंची जहां गांव के पुरुषों का जमावड़ा लगा हुआ था। सबके बीच बैठा कालू ठहाके लगा रहा था बगल में उसके पिता मूछों पर ताव फेरते सिगार का मजा ले रहे थे।
तभी गीता ने सबके बीच जाकर लगातार कालू को एक साथ कई तमाचे जड़ दिए।अचानक पड़े थप्पड़ से वो जमीन पर गिर गया। और वहाँ बैठे सभी आदमी सन्न खड़े हो देखने लगे।
कॉलर पकड़ कर कालू को गीता ने जमीन से उठाकर आंखों में आंखे डाल कर कहा,"ये थप्पड़ मैं चाहती तो तेरे सामने तेरे बाप को भी मार सकती थी। लेकिन तब तेरी और मेरी परवरिश में कोई फर्क नही रह जाता। तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरे पापा पर हाथ उठाने की। अब उठा हाथ देखु तेरी मर्दानी कितनी है।"
तू शायद भूल गया कि जिस पर तुमने हाथ उठाया उनकी एक बेटी तुझ जैसे ग्यारह बेटे पर अकेले भारी है।ऐसे ब्लैक बेल्ट नही मिला मुझे। और अगर डॉक्टर गीता किसी की जान बचाना जानती है। तो वक्त आने पर किसी की जान ले भी सकती है।चल उठा लाठी देखु तेरी लाठी और तुझमें कितनी ताकत है।
माहौल में एकदम सन्नाटा छा गया था
किसी को भी उम्मीद नही थी कि गीता इस तरह का कदम उठाएगी।तमाशबीन बनी भीड़ में आज खुशी थी ।
गीता अपने मातापिता की इकलौती संतान थी जिसे पढा लिखाकर उसके पापा ने उसे डॉक्टर बनाया था। उसके उसके आत्मरक्षा के लिए जुडो कराटे से लेकर हर वो गुण सिखाये थे जिससे वो हमेशा निडर आत्मनिर्भर रहकर समाज मे सम्मान के साथ अपना जीवन जिए।
अपने बेटे का ये हाल देख कालू के पापा ने कहा,"रे छोरी तेरी ये मजाल जो तू मेरे बेटे को सबके सामने मारे,तेरे बापू ने तुझे शिक्षा ही दी सिर्फ लगता है संस्कार देना भूल गया"
गीता ने तब कहा,"काका,मेरे बापू ने तो मुझे शिक्षा और संस्कार दोनो दिए लेकिन तन्ने के दियो अपने बेटे को,ना शिक्षा ना संस्कार कुछ भी ना दियो। अच्छा होता कि थोड़ी तमीज सीखा देते पर कोई ना मैं कर दूंगी,अब आगे से ये कुछ भी करने से पहले सौ बार सोचेगा और इस थप्पड़ की गूंज आजीवन इसकी कानों में रहेगी।"
कालू ने हाथ उठाने की जैसे ही कोशिश की वहाँ विनोद भी पुलिस के साथ आ चुका था क्योंकि वहाँ का डी एम उसका मित्र था। उसने कहा,"हमे तो बड़े दिन से तलाश थी लेकिन कोई गवाही ही देने को तैयार नही था। लेकिन कहते है ना कि एक ना एक दिन बुराई का अंत होता ही है।"
गीता के पापा आज गर्व से फुले नही समा रहे थे। विनोद ने उनको गले लगाकर कहा,"बाबूजी आप अकेले नही आपकी ये एक धाकड़ बेटी ऐसे कई बेटो पर भारी है।"
तब गीता के पापा उसके गले लगकर मुस्कुराने। ताली बजाती शारदा काकी ने कहा," देखा मालिक आप बेकार में ही डर रहे थे मैं ना कहती थी कि अपनी गीता बेटी धाकड़ छोरी है। यो के छोरा सै कम सै।अब तो मैं यही चाहूंगी कि मेरे मोहन को भी गीता बेटी जैसी एक छोरी हो जाये बस।"