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जाने कौन से देस

25 सितम्बर 2023

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आज निशा का मन बडा उदास था।मन किसी भी काम में नही लग रहा धा।पति और बच्चों  को स्कूल और ऑफिस  भेज कर वह बरतनों  को समेटने लगी।पर मन तो कहीं  टिक ही नहीं  रहा था।सब कुछ छोड़ कर निशा ने टेलीविजन ऑन किया।चैनल पर जगजीत सिंह  की गजल आ रही थी"चिठ्ठी  ना सन्देश, जाने तुम कौन से देश, जहाँ  तुम चले गये"।निशा को बहुत  तेज रूलाई आ गयी।भाग कर अपने कमरे में चली गयी और जोर जोर से रोने  लगी।हाय!लता दीदी तुम कहाँ  चली  गई ।                                                                             लता यहीं  नाम था उस की दीदी  का,वह निशा  के लिए बहन से ज्यादा एक माँ  थी ।दस साल  बडी  थी उस से ।दोनों  बहनें  दो जिस्म  एक जान थी। निशा को याद हैं  वो दिन जब लडके  वाले  उस की दीदी  को देखने आये थे ।लडके  के पिता निशा  के पिता  जी के दोस्त  थे । देखना दिखाना  तो एक औपचारिकता  थी ।रिश्ता  तो पहले  ही  पक्का  हो  गया  था ।फिर भी ये सोच कि हम  बेटे  वाले  हैं  लडके  की माँ  बार-बार  लता को कभी  चल कर दिखाने  को बोलती कभी गाना  गाने को ,जैसे  लता लडकी  नही कोई  गाय भैंस  हो।हद तो तब हो गयी  जब लडके की माँ ने कहा "जाओ बेटी जरा मुँह धो कर आना।बस निशा का सब्र  का बांध  टूट गया ।वह बोली "आंटी आप मेरी दीदी  का रंग  देखना चाहतीं  हैं  ना तो आप इन के हाथ देख लो वहाँ पर  कोई  मेकअप  नही है  ।लडके की माँ झेंप  गयी ।                                          लता दीदी की शादी  हो गई ।उसे याद है  वह बहुत रोयी थी ।माँ ने समझाया  पर वह रोती ही रही।पर कहते  हैं न  कि वक्त  सब जख्म की दवा है ।निशा भी अपनी पढाई में लग गयी।ये बात निशा हर बार नोटिस  करती थी कि दीदी  जब ससुराल   से आती थी तो चेहरा  मुरझाते होता था ।मायके  आते ही  फूल की तरह  खिल जाती थी।पर जैसे ही  जीजू लेने आते  लता की आखों  में  एक डर समा जाता था ।एक दिन माँ ने पूछ ही लिया कि क्या  बात है  बेटी   जब भी  तुम  ससुराल  जाती हो एक डर सा तुम्हारी आँखों में होता है ।निशा पास ही बैठी थी ।लता पहले  तो  कहती रही नही माँ  ऐसी कोई बात नहीं है पर जब माँ  का आँचल  मिला तो फफक  पड़ीं ।लता  ने बताया कि उस की ससुराल  का और मायके  का कोई मेल नहीं हैं ।माहौल  मे दिन रात का अंतर है । पति का बात बात पर मारना, गालियां  देना  आम बात है ।माँ के पैरो तले से जमीन निकल गयी।निशा को बडा गुस्सा आ रहा था ।बोली"दीदी  तुम जीजू को छोड़ दो।"परन्तु लता पुराने खयालातों की थी उस न निशा से कहाँ "नही मेरी निशु माँ  पिता जी ने जो ढूँढ दिया अब वो ही मेरे लिए  भगवान है ।शादी कोई खेल नही है जो मन में  आया तोड़  दी मन में आया निभा ली।निशा को गुस्सा तो बहुत आ रहा था पर जब दीदी ने ही हथियार फेंक दिए तो वह क्या कर सकती थी।
                                    समय बीतने लगा।निशा की उम्र भी  शादी लायक हो गयी।वर की तलाश होने लगी।उस के पिता जी ने सोच लिया था कि एक बेटी की जिन्दगी तो नरक है ही अब दूसरी बेटी  की जिन्दगी  नर्क  नही होने दूंगा ।पलाश  को निशा के लिए उन्होंने चुना।विदेश में सेट लड़का और क्या  चाहिए ।निशा  की शादी का दिन आ गया।उसे याद है जीजू ने दो घंटे के लिए दीदी को भेजा था ।क्योकि दीदी की सास बीमार थी।जीजू ने क्लेश कर रखा था ।दोनों बहनें जितनी देर रही इकट्ठी  रही।जाते वक्त दीदी बहुत रोयी थी ।बोली थी "मेरी निशु ना जाने तुम्हे कब देखूगी"
          निशा विदा होकर ससुराल आ गयी ।दो दिन बाद ही विदेश जाने की टिकट थी ।सारा काम इतनी जल्दी हो रहा था कि उसे समय ही नही मिला कि वह अपनी दीदी को फोन भी नहीं कर पाई।निशा  विदेश आ गयी ।समय बीतता रहा ।कुछ दिन तो सब ठीक रहा। लेकिन बाद मे निशा को अहसास हो  गया कि पलाश के लिए जो सपने बुन कर वह आयी थी वो सब धोखा  था।पलाश भी गुस्से वाला था।गुस्सा तो उस की नाक पर रहता था।निशा  को दीदी की बात समझ आ गयी थी।कि शादी कोई  खेल नही है जो मन में आया तोड़ दी ।
       लता  जब भी मायके  आती थी तो निशा से फोन पर बात करती"अरे  निशु तुम कब आओ गी बहुत दिन हो गये तुम्हे देखे हुए ।निशा हर बार टाल जाती।सात साल बीत गये थे।निशा  को मायके गये।हर बार दीदी  से छुपा जाती ।अब माँ  पिता जी को और अपनी दीदी  को क्या बतायें कि उन की निशु अब पहले वाली नही रही।अब वो दब्बू  निशा हो गयी है।
          एक दिन अचानक सुबह-सुबह फोन की घंटी बजी ।निशा हडबडाकर उठी।फोन की तरफ जाते हुए  मन घबरा रहा था कि भगवान करे सब ठीक हो।उसने रिसीवर उठाया दूसरी तरफ से माँ की आवाज़ थी"निशु
तुम्हारी लता दीदी "।इतना कहते ही माँ के हाथ से रिसीवर  गिर गया।पिताजी ने बताया कि उस की दीदी का एक्सीडेंट हो गया है।हालत गम्भीर है ।निशा ने पति को जगाया।रोते हुए सब बता दिया।

दोनों भारत आगये।निशा एयरपोर्ट से सीधे हॉस्पिटल गयी।बस मन में यही मनाती रही कि सब ठीक हो । पर जैसे ही हॉस्पिटल पहुची।माँ के रोने की आवाज सुनाई दी ।निशा के पैर कांपने लगे।उस की दीदी इस दुनिया से जा चुकी थी।
                निशा दहाड़े मार मार कर रोने लगी।"दीदी उठ जाओ।देखों तुम्हारी निशु आ गयी,एक बार उठकर गले तो लगा लो दीदी उठो ना बस एक बार पर अब उसकी आवाज़ उस की दीदी को सुनाई नहीं दे रही थी क्योकि वह उस लोक चली गयी जहाँ से कोई नहीं आता।ना चिठ्ठी  जाती है ना कोई सन्देश ...................


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रचनाएँ
साढ़ा चिड़ियां दा चम्बा वे........
5.0
बेटियां क्यों पराई हो जाती है । क्यों वो हक से अपने अपने मायके नही आ पाती ।उसके दो घर होने के बाद भी कोई घर नहीं होता। मां कहती हैं पराई है और सास कहती हैं पराये घर से आई है बड़ी गजब रचना हूं मैं तेरी भगवान। बेटी बन कर भी पराई ,बहू बन कर भी पराई।।
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साढ़ा चिड़ियां दा चम्बा वे........

6 अगस्त 2023
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"साढा चिड़िया दा चम्बा है बाबल अंसा उडड जाना।साढी लम्बी उडारी वे ।के मुड़ असा नहीं आना...."संगीता पड़ोस में किसी लड़की की शादी में हल्दी की रस्म हो रही था वहां बैठी ये गीत सुन कर भाव विभोर हो गयी। क्य

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पराई

7 अगस्त 2023
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मैं अपने घर से भाग जाना चाहती थी, लेकिन मैं जाती भी तो कहाँ ? ट्रेन के डिब्बे मे मेरे पास वाली सीट पर दो महिलाएं बैठी थी।शायद दोनों सहेलिय

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सिन्दूर की कीमत

7 अगस्त 2023
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शोभा आज अपनी बालकनी में खड़ी प्रकृति को निहार रही थी ।उसने और सौरभ ने कल ही मकान शिफ्ट किया था पहले ग्राउंड फ्लोर पर रहते थे इसलिए आस-पड़ोस का कुछ भी पता नहीं चलता था लेकिन अब बड़ी सोसायटी में आ गये थ

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उसका बड़प्पन

8 अगस्त 2023
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मेरे चाहे न चाहे वह वैष्णवी रोज ही सारे मोहल्ले से कलेवा बटोर कर मेरे आंगन में आकर रोज सुबह पसर जाती।न अनुमति की आवश्यकता, न हीं आग्रह !बस जैसे उसका ही आंगन हो...भांति भांति की पुड़िया खोल कर अपनी क्षु

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वाह रे ! तेरा न्याय भगवान

9 अगस्त 2023
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आज अमित का गुस्सा सातवें आसमान पर था क्योंकि मनु ने मायके जाने के लिए बोला था ।अमित को कभी भी उसका मायके जाना नहीं सुहाता था।हर बार कोई ना कोई अड़ंगा लगा कर मनु को मायके जाने से रोक ही लेता था।आ

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सर्द हवाएं

13 अगस्त 2023
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"रमुआ जा जाके लकड़ी का इंतजाम कर ।देख सारी रात की मरी पड़ी मां कैसे लकड़ी की तरह अकड़ गई है।" कमली ने रमुआ को झिंझोड़ते हुए कहा।सारी रात रमुआ और कमली अपनी मरी हुई मां के पास बैठे रहे ।सोलह साल क

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हर घर तिरंगा

14 अगस्त 2023
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"भाईयों और बहनों ।जैसा कि आजादी की 75वीं वर्षगांठ आ रही है तो मै चाहता हूं भारत के हर घर मे तिरंगा लहराना चाहिए।"भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भाषण टीवी पर आ रहा था ।चमेली और उसका पति दिहाड़ी

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बस...अब और नही

20 अगस्त 2023
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वह परिवार अभी हाल - फ़िलहाल ही इस नए मोहल्लें में शिफ्ट हुआ था।छः लोगों के इस परिवार में पति - पत्नी और दो बेटियों के अलावा, बुज़ुर्ग माता - पिता ही थे।अभी मोहल्लें के किसी भी परिवार से इस नए परिवार क

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पापा की आवाज

22 अगस्त 2023
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अपने फ़ोन की फ़ोन बुक में एक नंबर ढूंढ रही थी कि पापा जी का कांटेक्ट नंबर आ गया।उंगलियाँ वहीं थम गईं।तीन चार बार प्यार से फ़ोन पर हाथ फिराया।मेरे पापा- मेरे प्यारे पापा ! जितना लाड़ प्यार मैने अपने

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तड़प

30 अगस्त 2023
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"सोमेश वो देखो उस महिला को सड़क के किनारे इतनी रात गए बैठी है! चलो ना देखते हैं""पारु रहने दो ना किस झमेले में फंस रही हो! पता नहीं कौन है! और इतने रात गए क्यों सड़क पर बैठी है!"इसलिए तो कह रही हूँ ना

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मां कौन कहेगा?

13 सितम्बर 2023
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पूरे घर में हवन का धुआं फैला हुआ था, अग्नि में जलती हुई हवन सामग्री की सुगंध चारों ओर फैल रही थी। सामने दो तस्वीरों पर हार चढ़ा हुआ था। रतन के लिए यह तस्वीरें प्रश्न की कड़ियों से जुड़ गई थी। एक

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मेरे अपने

20 सितम्बर 2023
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" तू मुझे किस आस से मुंह दिखाने चला आया बेशर्म। तूने क्या सोचा था तू अपनी पसंद की ऐरी गेरी किसी भी लड़की से शादी कर लेगा और मैं तुझे माफ कर दूंगी।जा निकल जा घर से और तुम दोनों का चेहरा मैं आज से कभी न

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जाने कौन से देस

25 सितम्बर 2023
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आज निशा का मन बडा उदास था।मन किसी भी काम में नही लग रहा धा।पति और बच्चों को स्कूल और ऑफिस भेज कर वह बरतनों को समेटने लगी।पर मन तो कहीं टिक ही नहीं रहा था।सब कुछ छोड़ कर न

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निर्भया ही नहीं हूं मैं....बस

25 सितम्बर 2023
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आज हर जगह निर्भया ही निर्भया का जिक्र हो रहा है।क्या आप ने कभी सोचा।केवल शारीरिक शोषण ही शोषण नही होता ।मानसिक शोषण भी एक प्रकार का बलत्कार ही है बस कोई घटना प्रकाश मे आ जाती है तो चारों तरफ त्राहि त्

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आ अब लौट चलें

25 सितम्बर 2023
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मां ... मां तुम रो कयो रही हो ,बताओ ना मां.."शिल्पी एकदम से हड़बड़ा कर उठी। कर्ण ने उसको झिंझोड़कर उठाया,"क्या हुआ है शिल्पी तुम नींद मे बडबडाते हुए क्यों रो रही हो?"शिल्पी ने जब अपने आप को सम्ह

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चलों ना अपने घर

25 सितम्बर 2023
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हाय राम ! ये बहू है या आलस की पुड़िया। कोई काम भी पूरा नही करती ।ये देखो कोने मे कचरा पड़ा रह गया और ये महारानी कह रही है कि इसने झाड़ू लगा दी।देखो सूखे कपड़े भी ज्यों के त्यों पड़े है यूं नही कि सब क

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मेरा वजूद

25 सितम्बर 2023
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निशा मेरा टावल कहां है ।ओहो कितनी बार कहा है तुमसे मेरी सारी चीजें निकाल कर सही समय पर मुझे दे दिया करो पर तुम हो के सुनती ही नही।" पचपन साल के सुरेंद्र जी अपनी बावन साल की पत्नी निशा पर बरसने लगे जब

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मैं जीत कर भी हार गयी

25 सितम्बर 2023
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बुआ शब्द सुन,लता की आंँखें फटी की फटी रह गईं।प्रश्न भरी निगाहों से सुनील की तरफ देखा।वो नजरें चुरा रहा था।सुनील से बोली, "क्या जवाब दूंँ !बताइए ना।"दूर से, तरसती आंँखों से माँ भी बेटे के जवाब का इंतजा

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आख़िर तुम चुप क्यों हो

28 सितम्बर 2023
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आखिर तुम चुप क्यों हो?सुगंध के घर में बरसों से बंद पड़े, पीछे के कमरे में (जो घर के बेकार हो चुके सामान से भरा पड़ा था कि ना जाने कब किस सामान की ज़रूरत पढ़ जाये?) बस वहीं छोटी–छोटी अधूरी श्वास लेती हवा म

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म्हारी छोरियां के छोरा से कम है

28 सितम्बर 2023
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गीता के फोन की घँटी लगातार बज रही थी। उसने आंख औ तो देखा रात के दो बजे रहे है। फोन पर उसके मायके की नौकरानी शारदा काकी का नंबर फ़्लैश हो रहा था फोन उठाया देखा तो सत्रह मिस कॉल।उसने घबराहट में तुरंत फोन

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