आज निशा का मन बडा उदास था।मन किसी भी काम में नही लग रहा धा।पति और बच्चों को स्कूल और ऑफिस भेज कर वह बरतनों को समेटने लगी।पर मन तो कहीं टिक ही नहीं रहा था।सब कुछ छोड़ कर निशा ने टेलीविजन ऑन किया।चैनल पर जगजीत सिंह की गजल आ रही थी"चिठ्ठी ना सन्देश, जाने तुम कौन से देश, जहाँ तुम चले गये"।निशा को बहुत तेज रूलाई आ गयी।भाग कर अपने कमरे में चली गयी और जोर जोर से रोने लगी।हाय!लता दीदी तुम कहाँ चली गई । लता यहीं नाम था उस की दीदी का,वह निशा के लिए बहन से ज्यादा एक माँ थी ।दस साल बडी थी उस से ।दोनों बहनें दो जिस्म एक जान थी। निशा को याद हैं वो दिन जब लडके वाले उस की दीदी को देखने आये थे ।लडके के पिता निशा के पिता जी के दोस्त थे । देखना दिखाना तो एक औपचारिकता थी ।रिश्ता तो पहले ही पक्का हो गया था ।फिर भी ये सोच कि हम बेटे वाले हैं लडके की माँ बार-बार लता को कभी चल कर दिखाने को बोलती कभी गाना गाने को ,जैसे लता लडकी नही कोई गाय भैंस हो।हद तो तब हो गयी जब लडके की माँ ने कहा "जाओ बेटी जरा मुँह धो कर आना।बस निशा का सब्र का बांध टूट गया ।वह बोली "आंटी आप मेरी दीदी का रंग देखना चाहतीं हैं ना तो आप इन के हाथ देख लो वहाँ पर कोई मेकअप नही है ।लडके की माँ झेंप गयी । लता दीदी की शादी हो गई ।उसे याद है वह बहुत रोयी थी ।माँ ने समझाया पर वह रोती ही रही।पर कहते हैं न कि वक्त सब जख्म की दवा है ।निशा भी अपनी पढाई में लग गयी।ये बात निशा हर बार नोटिस करती थी कि दीदी जब ससुराल से आती थी तो चेहरा मुरझाते होता था ।मायके आते ही फूल की तरह खिल जाती थी।पर जैसे ही जीजू लेने आते लता की आखों में एक डर समा जाता था ।एक दिन माँ ने पूछ ही लिया कि क्या बात है बेटी जब भी तुम ससुराल जाती हो एक डर सा तुम्हारी आँखों में होता है ।निशा पास ही बैठी थी ।लता पहले तो कहती रही नही माँ ऐसी कोई बात नहीं है पर जब माँ का आँचल मिला तो फफक पड़ीं ।लता ने बताया कि उस की ससुराल का और मायके का कोई मेल नहीं हैं ।माहौल मे दिन रात का अंतर है । पति का बात बात पर मारना, गालियां देना आम बात है ।माँ के पैरो तले से जमीन निकल गयी।निशा को बडा गुस्सा आ रहा था ।बोली"दीदी तुम जीजू को छोड़ दो।"परन्तु लता पुराने खयालातों की थी उस न निशा से कहाँ "नही मेरी निशु माँ पिता जी ने जो ढूँढ दिया अब वो ही मेरे लिए भगवान है ।शादी कोई खेल नही है जो मन में आया तोड़ दी मन में आया निभा ली।निशा को गुस्सा तो बहुत आ रहा था पर जब दीदी ने ही हथियार फेंक दिए तो वह क्या कर सकती थी।
समय बीतने लगा।निशा की उम्र भी शादी लायक हो गयी।वर की तलाश होने लगी।उस के पिता जी ने सोच लिया था कि एक बेटी की जिन्दगी तो नरक है ही अब दूसरी बेटी की जिन्दगी नर्क नही होने दूंगा ।पलाश को निशा के लिए उन्होंने चुना।विदेश में सेट लड़का और क्या चाहिए ।निशा की शादी का दिन आ गया।उसे याद है जीजू ने दो घंटे के लिए दीदी को भेजा था ।क्योकि दीदी की सास बीमार थी।जीजू ने क्लेश कर रखा था ।दोनों बहनें जितनी देर रही इकट्ठी रही।जाते वक्त दीदी बहुत रोयी थी ।बोली थी "मेरी निशु ना जाने तुम्हे कब देखूगी"
निशा विदा होकर ससुराल आ गयी ।दो दिन बाद ही विदेश जाने की टिकट थी ।सारा काम इतनी जल्दी हो रहा था कि उसे समय ही नही मिला कि वह अपनी दीदी को फोन भी नहीं कर पाई।निशा विदेश आ गयी ।समय बीतता रहा ।कुछ दिन तो सब ठीक रहा। लेकिन बाद मे निशा को अहसास हो गया कि पलाश के लिए जो सपने बुन कर वह आयी थी वो सब धोखा था।पलाश भी गुस्से वाला था।गुस्सा तो उस की नाक पर रहता था।निशा को दीदी की बात समझ आ गयी थी।कि शादी कोई खेल नही है जो मन में आया तोड़ दी ।
लता जब भी मायके आती थी तो निशा से फोन पर बात करती"अरे निशु तुम कब आओ गी बहुत दिन हो गये तुम्हे देखे हुए ।निशा हर बार टाल जाती।सात साल बीत गये थे।निशा को मायके गये।हर बार दीदी से छुपा जाती ।अब माँ पिता जी को और अपनी दीदी को क्या बतायें कि उन की निशु अब पहले वाली नही रही।अब वो दब्बू निशा हो गयी है।
एक दिन अचानक सुबह-सुबह फोन की घंटी बजी ।निशा हडबडाकर उठी।फोन की तरफ जाते हुए मन घबरा रहा था कि भगवान करे सब ठीक हो।उसने रिसीवर उठाया दूसरी तरफ से माँ की आवाज़ थी"निशु
तुम्हारी लता दीदी "।इतना कहते ही माँ के हाथ से रिसीवर गिर गया।पिताजी ने बताया कि उस की दीदी का एक्सीडेंट हो गया है।हालत गम्भीर है ।निशा ने पति को जगाया।रोते हुए सब बता दिया।
दोनों भारत आगये।निशा एयरपोर्ट से सीधे हॉस्पिटल गयी।बस मन में यही मनाती रही कि सब ठीक हो । पर जैसे ही हॉस्पिटल पहुची।माँ के रोने की आवाज सुनाई दी ।निशा के पैर कांपने लगे।उस की दीदी इस दुनिया से जा चुकी थी।
निशा दहाड़े मार मार कर रोने लगी।"दीदी उठ जाओ।देखों तुम्हारी निशु आ गयी,एक बार उठकर गले तो लगा लो दीदी उठो ना बस एक बार पर अब उसकी आवाज़ उस की दीदी को सुनाई नहीं दे रही थी क्योकि वह उस लोक चली गयी जहाँ से कोई नहीं आता।ना चिठ्ठी जाती है ना कोई सन्देश ...................