नैना का प्यार - 2
इस प्रकार से 16 साल की उम्र में पहली बार विमला आंटी के साथ नैना घर से बाहर अपने पहले काम के लिए गई ।
उनके मोहल्ले से थोड़ी दूर पर ही एक नयी पॉश कालोनी बनी थी । पंद्रह मिनट चलने के बाद दोनों एक आलीशान घर में पहुंच गई ।
उस घर की भव्यता को देखकर वह दंग रह गई ।
वहां जाते ही विमला आंटी ने मिश्रा मेडम से उसका परिचय करवाया मिश्रा मैडम एक सरकारी स्कूल में पढ़ाती थी और उनके पति कोयले के व्यापारी थे । निशा मैडम के दो बच्चे थे । जो 15 और 12 साल के थे उनका नाम था चंचल और मुग्धा । दोनों बच्चों को स्कूल जाना होता था । उनकी शिफ्ट दिन की थी । दूसरी तरफ मैडम की सुबह की शिफ्ट थी । उन्हें शहर से लगभग 12 किलोमीटर दूर स्थित सरकारी स्कूल जाना पड़ता । इसलिए वे कुक के बिना काम नहीं चला सकती थी । पुरानी कुक की तबीयत खराब हो गई थी जिसकी वजह से उसने छुट्टी ले ली थी , ऐसी स्थिति में मिश्रा मैडम का स्कूल जाना बंद हो गया था ...... क्योंकि बच्चों को खाना बना कर देते देते उनका टाइम हो जाता था । इसी से परेशान होकर उन्होंने विमला आंटी से कुक की मांग की थी । नैना के आते ही उनकी समस्या का समाधान हो गया और उसी दिन से नैना का काम चालू हो गया ।
नैना दिल लगाकर काम करती थी इसलिए दो दिन में ही नैना के हाथों से बना खाना घर में सबको पसंद आने लगा ।
धीरे-धीरे 15 दिन पूरे हो गए और वह पुरानी कुक वापस आ गई । बीमारी की वजह से अब वह बहुत कमजोर हो गई थी , इसलिए उसको डॉक्टर ने रेस्ट करने के लिए कहा था । मेडम ने उसका हिसाब पूरा कर दिया ....
और नैना को वहां परमानेंट कर दिया गया है। नैना अब बहुत ही ज्यादा खुश थी सुबह जल्दी उठकर घर का सारा काम निपटाती थी और नहा धोकर तैयार हो जाती और अपने काम पर चली जाती ।समय गुजरता गया नैना की पहली तनख्वाह मिल चुकी थी उसकी उम्मीद से भी ज्यादा उसे मिला था । अब मां बाप और भाई बहन सभी खुश थे । धीरे-धीरे नैना का काम बढ़ने लगा । अब उसे तीन चार घर मिल गए थे । उसने अपनी कमाई से एक साइकिल भी खरीद ली थी, ताकि समय पर वह सभी घरों पर पहुंच पाए । बड़े बड़े घरों में उसे काम मिला था तो उसका पहनावा भी पहले से बदल गया था । अब वह अच्छी तरह से तैयार होकर सलीके से बाल बनाकर जाने लगी थी । उसके मोहल्ले से लेकर रास्ते में हर लड़का उसको आहें भर भर कर देखता और अलग-अलग किस्म के इशारे करता, जिसे वह नजरंदाज कर आगे बढ़ जाती थी ....
समय आगे बढ़ता रहा .....
अब नैना भी पहले जैसी दुबली पतली नहीं रही !
सत्रहवाँ साल लगते लगते उसका शरीर भी भरने लगा था !
खूबसूरती और बढ़ने लगी थी।
उस समय एक नई एक्ट्रेस दिव्या भारती फिल्मों में आई थी .....
वह भी हूबहू दिव्या भारती जैसी दिखती थी.....
सब उसको दिव्या भारती कह कर पुकारने लगे थे । वह भी मन ही मन इसे सुनकर खुश होती और शर्माते हुए अपने काम पर चली जाती ।
अब तक वह अपने मां पिताजी के लिए नए कपड़े साथ ही भाई बहनों के लिए भी नए कपड़े और साईकिल लेकर दे चुकी थी। उसकी इस प्रगति को देखकर मोहल्ले के ही कई लोगों को उससे ईर्ष्या होने लगी थी ।
उसमें सबसे ज्यादा ईर्ष्या जिसको हुई थी वह थी विमला आंटी !
वह भी कई सालों से कुक का काम कर रही थी लेकिन उसे दो घर से ज्यादा कभी भी नहीं मिला था ! इधर नैना को काम शुरू किए हुए साल भर ही हुआ था और उसके पास 5 घरों में खाना बनाने का काम था और अच्छी तनख्वाह मिल रही थी । यह बात उसे खटकती थी ....
इधर नैना इन बातों से अनभिज्ञ अपना काम इमानदारी और लगन से करती रही । जिसकी वजह से उन घरों की महिलाएं उसके लिए विशेष अवसरों पर अलग से गिफ्ट भी दिया करती थी । इस वजह से विमला आंटी के दिल में और भी दर्द उठ जाता था । एक दिन विमला आंटी के घर उनका दूर का रिश्तेदार एक युवा लड़का गांव से आया ।
उसका था नाम चेतन । चेतन 20 साल का युवक था जो काम की तलाश में गांव से शहर आया था । पड़ोस में रहने के कारण वह रोज नैना को सुबह उठने से लेकर काम पर जाते तक और फिर आते समय ताड़ने लग गया । नैना को अब इस सब को झेलने की आदत हो चुकी थी । वह उस पर ज्यादा ध्यान नहीं देती थी । चेतन सांवले रंग का था । उसके नाक नक्श भी ठीक-ठाक थे । चेतन को भी अब वही एक काम मिल चुका था । वह भी अपनी साइकिल से काम पर जाने लगा । धीरे-धीरे दोनों की जान पहचान हुई ।
चेतन को तो नैना पसंद थी !
बहुत ज्यादा पसंद थी !!
वह आए दिन उसके आगे पीछे घूमने लगा, जैसा कि इस उम्र में होता है ।
कुछ समय के बाद नैना को भी चेतन भाने लगा । धीरे-धीरे दोनों में बातचीत की शुरुआत होने लगी .....
पर वे दोनों इस बात का ध्यान रखते कि वह मोहल्ले में अंजान बने रहे। रास्ते में कभी-कभी वे आपस में मिलने भी लगे । चेतन नैना को देखकर मुस्कुराता तो नैना भी वापस मुस्कुरा देती । उस उम्र में अटेंशन मिलना अट्रैक्शन होना बहुत ही सहज था । नैना हर किसी को आकर्षक लगती थी । नैना को अब चेतन आकर्षक लगने लगा था । इतना सब होने के बावजूद नैना को अपने पिताजी की बातें हमेशा याद रहती थी । इसलिए वह आगे नहीं बढ़ रही थी ....
उधर चेतन दीवानों की तरह उससे प्यार करने लगा था । कभी वह उसे फूल देता तो कभी चॉकलेट ! नैना भी दिल ही दिल उसे चाहने लगी थी .....
मगर बोलने से डरती थी ।
एक दिन चेतन नैना से बोला - कल संडे है । मैं तुम्हें पार्क में मिलना चाहता हूं ।
नैना ने मना कर दिया । उसे डर लग रहा था कि कोई देख ना ले । उस डर का एक मुख्य कारण और था और वह था उसकी जाति । चेतन नैना से छोटी जाति का था, यह वह कारण था जिसकी वजह से उसको लगता था कि उसके घर वाले कभी भी चेतन से उसे शादी नहीं करने देंगे .....
धीरे धीरे प्यार के जज्बात उसके इन विचारों पर हावी होने लगे .....
वह धीरे-धीरे चेतन से अकेले भी मिलने लगी । चेतन लगातार उसे पार्क में मिलने का आग्रह करता रहा । काफी दिन टालने के बाद एक दिन नैना ने हिम्मत करके चेतन से दूर एक पार्क में मुलाकात के लिए हामी भर दी । चेतन और नैना साइकिल को पार्किंग एरिया में छोड़कर अंदर गए । वहां एक से बढ़कर एक फूल खिले थे । हरी हरी घास थी और ठंडी ठंडी हवा बह रही थी ।
चेतन नैना का हाथ थामना चाहता था.....
पर नैना डर रही थी.....
वह घबरा रही थी ।
ठंडी हवा उसके बालों को बिखरा रही थी कभी वह बालों को कभी अपनी चुन्नी को ठीक कर रही थी। वे दोनों चलते हुए एक गुलाब के बगीचे के पास पहुंच चुके थे । वहां पर एक बेंच रखी हुई थी । उस समय दोपहर के बारह बज रहे थे, इसलिए पार्क में बहुत कम लोग थे । जो अंदर थे वह सारे के सारे जोड़े थे और सभी अपने अपने क्रियाकलापों में लगे हुए थे । दोनों बेंच पर जाकर बैठ गए ।
चेतन अपने आप को बहुत भाग्यशाली समझ रहा था जो इतनी सुंदर लड़की उसके साथ पार्क में बैठी थी और वह भी उसके इतने मशक्कत करने के बाद ....
वह मन ही मन सोच रहा था कि सब्र का फल मीठा होता है.....
काफी देर तक संकोच करने के बाद चेतन उसका हाथ पकड़ लेता है...... नैना शर्मा जाती है। नैना के दिल की धड़कने तेज हो जाती है ।
पहली बार उसने किसी अनजान को छुआ था !
हिचक भी हुई और अच्छा भी लगा !
चेतन ने उससे अपने दिल की बात कही - आई लव यू , नैना !
वह नैना से भी वही सब सुनना चाहता था पर नैना तो शरमाते हुई बैठी थी ।