चुनाव नजदीक है अपनी -अपनी पार्टी को जिताने के लिए लोग अनोखे -अनोखे इन्तजाम कर रहे हैं चुनाव नजदीक आते ही टर-टराने लगे हैं जैसे वर्षा आते ही मेढ़क |ठीक उसी प्रकार का दृश्य रहता है उस समय |फिर क्या टर-टराने लगते अपने पार्टी की बातें सुनने वाले हो या न हो उन्हें फर्क नहीं है वे पानी भीड़ को देखकर मगन हो जाते हैं और समझते है कि ये पानी सिर्फ हमारा है वे यह नही समझते कि इस पानी में और किसी मेंढ़क का हो सकता है |और क्या कहें ये नेता केवल बरखा मतलब चुनाव के समय ही बोलते हैं बाद में मेढ़क की तरह इनकी भी आवाज गूलर के फूल ,बिल्ली के आंवर और ईद के चाँद जैसा हो जाता है|