shabd-logo

"रास्तों का कभी, साथ न मिला"

3 अप्रैल 2022

40 बार देखा गया 40
रास्तों का कभी, साथ न मिला ।
    मंजिलों का, कभी इकरार न मिला ।
जमाने में किसी से, वफ़ा न मिली ।
      जो भी मिला, उससे इक नयी- हंसी मिली ।
सचमुच, मैं किसी को, रिझा न सका ।
        पलभर को अपना, बना न सका ।
उम्मीदों को मैंने, बेहद प्यार दिया ।
      फिर भी, उम्मीदों ने मुझे, नकार दिया ।
रास्तों का कभी, साथ न मिला।
      मंजिलों का, कभी इकरार न मिला ।

        -निर्मल गुप्ता
76
रचनाएँ
"निर्मल काब्य अर्चित- पुष्पांजलि"
5.0
मैं नवीन लेखक "निर्मल गुप्ता" अपनी दो पुस्तकों के प्रकाशन, "निर्मल काब्य मधु-रस" व "निर्मल काब्य चेतना-अमृतांजलि" के पश्चात एक नवीन रचना"निर्मल काब्य अर्चित-पुष्पांजलि" का शुभारंभ मां शारदे के चरणों में, अपने शब्द रुपी पुष्पों की, पुष्पांजलि मां शारदे के चरणों में अर्पित करने का सौभाग्य प्राप्त कर,अर्पित करना चाहता हूं । "निर्मल काब्य अर्चित-पुष्पांजलि" कविताओं का एक अनूठा संगम है , जिसमें जीवन के विभिन्न अनुभव , जिसमें कहीं सच्चे प्यार की कसक, कलयुग में गिरते हुए नैतिक मूल्यों,वक्त की सर्वोपरिता, बदलते इंसानों के आचरण, आधुनिक प्रेम, एवं इंसान में, पनपती अहं की भावना,प्रकृति के विरोधाभास , बिखरते हुए रिश्तों की, दिल में चुभन आदि का चित्रण कर अनुभव रुपी दीपक के प्रकाश से सांसारिक मानवों को एक नया ज्ञान का प्रकाश देने का प्रयास किया गया है । मेरी लेखनी पाठकों के सहयोग से ही, आगे बढ़ने की शुभ-आकांक्षा रखती है ।
1

"मां शारदे ने, मुझे क्या नहीं दिया ?"

3 अप्रैल 2022
0
0
0

मां शारदे ने, मुझे क्या नहीं दिया ? सचमुच मेरी लेखनी में, रंग भर दिया ।शब्दों में लय संवार,मधुर राग, भर दिया ।मां शारदे ने,मुझे क्या नहीं दिया ? सचमुच मेरी लेखनी

2

"रास्तों का कभी, साथ न मिला"

3 अप्रैल 2022
0
0
0

रास्तों का कभी, साथ न मिला । मंजिलों का, कभी इकरार न मिला ।जमाने में किसी से, वफ़ा न मिली । जो भी मिला, उससे इक नयी- हंसी मिली ।सचमुच, मैं किसी को, रिझा न सका ।

3

"जिसके दिल में दर्द,न हो"

3 अप्रैल 2022
0
0
0

जिसके दिल में दर्द, न हो, वह जानवर कहलाता है ।जिसके दिल में,दर्द समा जाये, वह इंसान कहलाता है ।जो बेसहारों का, सहारा बन जाये, वह मसीहा कहलाता

4

"इंसान के शब्द नहीं, इंसान का वक्त बोलता है"

3 अप्रैल 2022
1
1
1

इंसान के शब्द नहीं, इंसान का वक्त बोलता है । इंसान की बेईमानी नहीं, इंसान का ईमान बोलता है ।इंसान की फितरत नहीं, इंसान का वजूद बोलता है । इंसान की किस्मत

5

"मंजिलें नयी हैं,कोई बात नहीं"

3 अप्रैल 2022
1
0
0

मंजिलें नयी हैं,कोई बात नहीं । रास्ते नये हैं,कोई बात नहीं ।अपने अलग हैं, कोई बात नहीं । अपने हौसले बुलंद हैं, है, बात नयी ।किस्मत की लकीरों की,कोई

6

"आप अच्छे हैं,तो आपके साथ अच्छा होगा"

3 अप्रैल 2022
1
0
0

आप अच्छे हैं,तो आपके साथ अच्छा होगा । यह कहावत अब, निस्सार हो गयी ।अच्छों के साथ, बुरा सुलूक हो रहा,यही कलयुग की पहचान हो गयी । कलयुग में,बुराई का, अं

7

"जिन्दगी इक पहेली है"

4 अप्रैल 2022
0
0
0

जिन्दगी इक पहेली है,जिसका कहीं ओर-छोर नहीं मिलता । सचमुच जिन्दगी, सुख-दुख की सहेली है,जिसका कभी जीवन में, अन्त नहीं होता । कुछ जिन्दगी को नीरसता से,तो कुछ

8

"लेखनी लरजती रही, किसी के प्यार में"

4 अप्रैल 2022
0
0
0

लेखनी लरजती रही, किसी के प्यार में ।कविताएं, गढ़ती रहीं, किसी के प्यार में ।लोग कहकहे, लगाते रहे, कविताओं के, प्यार में ।तुमने कविता के, शब्द

9

"तुम्हारा साथ हो,तो जिन्दगी खूबसूरत लगती है"

6 अप्रैल 2022
2
2
3

तुम्हारा साथ हो, तो जिन्दगी खूबसूरत लगती है । तुम्हारा साथ न हो,तो जिन्दगी बोझ ही लगती है ।प्रेम की निधि,हर खजाने ‌‌‌से बड़ी होती है । जिसमें सिर्फ

10

"तुमसे मिलने की तमन्ना,जवां होने लगी है"

7 अप्रैल 2022
1
1
1

तुमसे मिलने की तमन्ना जवां,होने लगी है । मेरी आंखें भी, आंसुओं से, सजल होने लगी हैं ।ये तो बदरिया सी, तुम्हारी खोज में भटकने लगी हैं । &nbsp

11

"जंगल में पुष्प का जीवन, चंद दिन का होता है"

8 अप्रैल 2022
0
0
0

जंगल में पुष्प का जीवन,चंद दिन का ही होता है । चंद दिन निखरने के बाद, खुद आत्म -समर्पण, झड़ने को होता है । इसी नज़ीर में, कुछ

12

"क्यूं, नकारते हो, सन्नाटे को ?"

8 अप्रैल 2022
0
0
0

क्यूं नकारते हो, सन्नाटे को ? क्या, सन्नाटे का कोई अस्तित्व नहीं ।सन्नाटा भी, खुद में है, अस्तित्व प्रबल ।मुरझाए ,नीरस जीवन का यह तो है,शरणागत- वत्सल ।हलचल से, बोझिल हो जीवन,लेता है

13

"जो छू लिया, तेरा हाथ"

8 अप्रैल 2022
0
0
0

जो छू लिया तेरा हाथ, तो प्रेम की संवेदना पनप गयी । जो सुन लिया तेरा गीत,तो संगीतमय मधु -वाणी हो गयी ।जो निगाह मेरी, तेरी आंखों पर, आ टिकी । स

14

"मौसम बदलने का, इंतजार न करो"

8 अप्रैल 2022
0
0
0

मौसम बदलने का, इंतजार न करो । राह पर चलने की,किसी से, सलाह न लो । रास्ता खुद चुनो,मंजिल पर पहुंचने का । आत्म-विश्वास को, विकसित करो,&nbs

15

"इस सुंदर जहां में, सुन्दर मुकाम हो मेरा"

8 अप्रैल 2022
0
0
0

इस सुंदर जहां में, सुन्दर मुकाम हो मेरा । नेक राह पर, चलने का ,हरदम प्रयास हो मेरा ।मुझे तो , पैसों की सेज पर, नींद आती नहीं । सच पूछो तो रात भर, इंसानियत कुलबुलाती रही

16

"हर खुशबुओं में अलग, सुगन्ध हो तुम "

8 अप्रैल 2022
0
0
0

हर खुशबुओं में अलग, सुगन्ध हो तुम । हर आहट का अलग, प्रतिरुप हो तुम ।इक हिरनी की चाल का, सुन्दर स्वरुप हो तुम । ममता की मूरत, आंखों में नज़र आती है ।तुम्हारे बिना हर खुशी

17

"प्यार और दोस्ती में, उम्र का कोई पड़ाव नहीं होता"

8 अप्रैल 2022
0
0
0

प्यार और दोस्ती में, उम्र का कोई पड़ाव नहीं होता । सच्चा प्यार शीरत देखता है,सूरत नहीं ।कब और कहां भावनाओं का ठहराव हो, पता नहीं चलता । पता तब चलता है,जब जमाने

18

"क्या सच्चे प्रेम का है, आधार यही?"

9 अप्रैल 2022
1
0
0

दर्द क्यूं ,ऐसा दे दिया,जिसका मुझे एहसास न था। प्यार क्यूं ,इतना कर लिया, जिसका मुझे अंदाज न था । अब जिन्दगी कसमसाती है ।पर नींद आती नहीं । &

19

"कितना बदल गया इंसान"

9 अप्रैल 2022
0
0
0

कितना बदल गया इंसान । मानवता विहीन हो, जग में ।करता रहता, सतत प्रयास ।कितना बदल गया इंसान । धन-दौलत के, पंख लगाकर,उड़ने चला इंसान ।कितना बदल गया इंसान । &nbsp

20

"ज़िन्दगी में, कुछ भी नहीं है"

9 अप्रैल 2022
1
1
2

जिन्दगी में, कुछ भी नहीं है । फिर भी, जीता हूं,जीता हूं ।गमों का बोझ, दिल पर रखकर, क्यूं लबों को सीता हूं, सीता हूं ।कुछ तो है,जिसके लिए मजबूर हूं, जिन्दगी जीने क

21

"देखो, आज का इंसान बदल गया है"

9 अप्रैल 2022
0
0
0

रिश्ते क्यूं , टूटी माला के, मोतियों के समान, बिखरने लगे हैं । क्यूं, अपने, अपनों से, बेवफाई करने लगे हैं ।क्यूं, आज हम गैरों में, प्रेम ढूंढने लगे हैं ।

22

"गिले-शिकवे कर लो, कोई बात नहीं"

10 अप्रैल 2022
1
1
2

गिले- शिकवे कर लो, कोई बात नहीं, नाराजगी का न होने दो, एहसास कभी ।विचारों में विरोधाभास, हो सकता है । पर सीने में, छिपा प्यार भी, हो सकता है ।चंद दिनों की जिंदग

23

"आज भी उम्मीद से,अपना रिश्ता बनाये बैठा हूं"

10 अप्रैल 2022
1
1
1

कैसे भुला दूं, उन ख़्वाबों को,जो संजोये थे,मन में । कैसे मिटा दूं,अतीत को,जो हर पल सता रहा है, मन में । अतीत छूटता नहीं, भविष्य मिलता नहीं ।वर्तमान से तो, हर कोई निक्षुब्ध बैठ

24

"दिलो-जान से, चाहने की, क्या यही सजा होती है ?"

10 अप्रैल 2022
0
0
0

तुम कितना, बदल गये, पर हम खुद को,बदल न सके ।तुम पास से गुजरे, मेरे, पर मेरी ओर ,रुख कर न सके ।पर हम तो, दिल से बेकाबू हो, &nbsp

25

"मानव मत कर,इतना अभिमान "

10 अप्रैल 2022
0
0
0

मानव मत कर, इतना अभिमान । पता नहीं, किस समय आ जाये,तेरे लिए, मृत्यु का फरमान । जिन्दगी भर ,इकट्ठा करता रहा, तू दौलत, अभिमान ।मानवों को, इकट्ठा न कर पाया, सिर्फ ते

26

"सुन्दर मन और सुन्दर वाणी"

10 अप्रैल 2022
0
0
0

सुन्दर मन और सुन्दर वाणी, है प्रेम की ,इक अमिट निशानी ।जिसका मन सुन्दर , निर्मल हो, वह जग में, अद्भुत, प्राणी हो ।जनसमूह में वह, पलक-पूरित हो । &nb

27

"मैं तो इक, आवारा बादल"

10 अप्रैल 2022
1
0
0

मैं तो इक, आवारा बादल, इधर-उधर, मंडराता हूं ।जहां कहीं भी, प्रेम विहीन, मानव-ह्रदय, धरती देखी ।इक पल ठहर कर , प्रेम-पूर्ण वर्षा

28

"क्यूं घुटन होने लगी, इस बेदर्द दुनिया में ?"

10 अप्रैल 2022
0
0
0

क्यूं, घुटन होने लगी ? इस बेदर्द दुनिया में । क्यूं, नेत्र सजल हो चले ? इस दर्द भरी, दुनिया में ।क्यूं, दुनिया में,अब रिश्तों का मान न रहा ?&nb

29

"मुझे पहचान बनाने या शोहरत, कमाने का शौक नहीं है"

11 अप्रैल 2022
1
2
0

मुझे पहचान बनाने या शोहरत, कमाने का शौक नहीं है ।बस इतना काफी है,कि लोग मेरी उपस्थिति, पसन्द करते हैं ।न मिलने पर,पूछते हैं,कि कहां थे ? &nbs

30

"सचमुच तेरी चंचल छवि में,मेरी भावना है, भरमायी"

11 अप्रैल 2022
0
0
0

तुम्हारे सोलह श्रृंगार को देखकर, इक ग़ज़ल याद आयी । आकाश में सतरंगी इन्द्रधनुष की, छवि मेरे दिल में उतर आयी । खनकती चूड़ियों की झंकार, मेरे मन भायी ।शायद

31

"वर्तमान में जियो"

11 अप्रैल 2022
1
2
0

वर्तमान में जियो, पर अतीत को, बिसराओ मत ।सुन्दर छोटी खुशियों को गले, लगाते चलो ।बड़ी खुशियों के इन्तजार में, छोटी खुशियों को, बिसराओ न

32

"जिन्हें चलना सिखाया था, हमने"

12 अप्रैल 2022
0
0
0

जिन्हें चलना सिखाया था,हमने, हमें,वो आज दौड़ना, सिखा रहे हैं ।वक्त की बदौलत, हमें वो खिल-खिलाकर, हंसना सिखा रहे हैं ।सच है कहावत, कभी नाव पानी पर, &

33

"महकने लगी, दुनिया मेरी"

12 अप्रैल 2022
0
0
0

महकने लगी, दुनिया मेरी, इक सुन्दर सुवास, आ गयी ।जिन्दगी में तेरे आने से इक सुन्दर, प्रभात आ गयी ।तुझको पाने की हसरत थी,

34

"मैं समय हूं "

12 अप्रैल 2022
1
1
1

मैं समय हूं । हर पल रहने वाला, गतिशील ।न मैं, रुका हूं । न, मैं रुकूंगा ।मैं रहूंगा, हरपल प्रयत्नशील । मेरा साथ ,जिसको भा जाता है ।वह पल में, क्या

35

"कोई साथ न हो, कोई बात नहीं"

12 अप्रैल 2022
0
0
0

कोई साथ न हो, कोई बात नहीं ।ख्वाबों का साथ है । ये हैं, सौगात बड़ी ।ख्वाबों के साथ ही, बैठकर, कुछ समय बिता लेता हूं ।दिल के अरमानों की इक, &nbsp

36

"जिन्दगी की राह में, गुनगुना रहा हूं"

12 अप्रैल 2022
0
0
0

जिन्दगी की राह में, गुनगुना रहा हूं । इक नयी महफ़िल, सजाने जा रहा हूं ।लोग इसे, सपना समझते हैं । पर हम इन‌ नयी राहों को, अपना स

37

"अगर किसी के साथ, अच्छा न करो"

13 अप्रैल 2022
1
1
1

अगर किसी के साथ, अच्छा न करो, तो बुरा करने की, हिम्मत न करो ।अगर किसी के साथ वफ़ा न करो, तो बेवफा बनने की, जुर्रत न करो ।ईश्वर सब देखकर, लेखा करता है ।&nb

38

"वो बदल गये,मौसम से"

13 अप्रैल 2022
0
0
0

वो बदल गये,मौसम से, क्यूं, दुनिया के, रश्मो-रिवाज भूल गये ?मोहब्बत में वादे करके, वो क्यूं बेवफा हो गये ? अब इस दुनिया में , इन्सान की बात का कोई वजूद न र

39

"कितनी गुमनाम सी हो गयी है, जिन्दगी"

13 अप्रैल 2022
0
0
0

कितनी गुमनाम सी हो गयी है, जिन्दगी । लगता है, तुम्हारे नाम हो गयी है, ये ज़िन्दगी ।अपना तो, होशो-हवास न रहा । तुम्हारे ही ख्यालों में , गुजर‌ रही है, ये ज

40

"लोगों में नसीहत देने का, अंदाज आ गया है"

13 अप्रैल 2022
1
1
1

लोगों में नसीहत देने का, अंदाज आ गया है । किसी से सीख लेने का, अंदाज न आया ।चरणों को स्पर्श कराने में,गर्व मना रहे हैं । &nbs

41

"जिस देवी मां को, ढूंढते फिरते हैं, मंदिरों में"

14 अप्रैल 2022
1
0
0

जिस देवी मां को, ढूंढते फिरते हैं, मन्दिरों में । वह तो घर में ही, रहती, विराजमान हैं ।फिर क्यूं, मानव को हो गया, इतना अज्ञान है ? मां की कभी सेवा

42

"मां का महकता आंचल, वहीं सौगात थी मेरी"

14 अप्रैल 2022
0
0
0

मां का महकता आंचल, वहीं सौगात थी मेरी, आज उन स्मृति श्रृंखलाओं में, जुड़कर,ही कुछ महक रहा हूं, मैं । आज स्मृतियां ही,सज

43

"प्रेम से वो जिगर, मांगे, वो भी दे दूंगा"

14 अप्रैल 2022
0
0
0

प्रेम से वो जिगर मांगे,वो भी दे दूंगा । कैसे भी हो,मैं जिन्दगी को, उन पर कुर्बान कर दूंगा ।दिल से चाहने की, इक मिशाल दे दूंगा । मानता हूं, छल-कपट मे

44

"तेरे प्रेम में,पागल हुआ मन"

14 अप्रैल 2022
1
0
0

तेरे प्रेम में ,पागल हुआ मन, अब चैन हैं, पाता नहीं ।जिस तरफ देखूं मैं, इक पल , तेरे अश्क से, बच पाता नहीं ।मेरी तो हर सुबह और शाम, &nb

45

"ये कैसी प्रारब्ध की, विडम्बना है?"

15 अप्रैल 2022
0
0
0

ये कैसी प्रारब्ध की, विडम्बना है ? बड़े महलों में, छोटे लोगों को रहते देखा ।छोटी झोपड़ियों में,बड़े लोगों को रहते देखा । महल लाख बड़ा हो, दिल उनका संकुचित हो चला

46

"जब भी मेरा दिल, उदास होता है"

15 अप्रैल 2022
0
0
0

जब भी मेरा दिल, उदास होता है, मेरी मां और ख्वाबों का, साथ होता है ।जब भी कभी जीवन में, मिली उदासी , मां के आंचल के साया में, मिटती रही उदासी ।आज न मां का

47

"आज इंसान को इंसान से, दुनिया में प्यार न रहा"

15 अप्रैल 2022
0
0
0

आज इंसान को इंसान से, दुनिया में, प्यार न रहा ।सच है अब किसी को किसी का, दुनिया में, ऐतबार न रहा ।लोग फरेब करते हैं,अपनों से ।

48

"सोच और वास्तविकता की क्यूं,आपस में ठनी रही है ?"

15 अप्रैल 2022
0
0
0

सोच और वास्तविकता की क्यूं, आपस में ठनी रही है ? इंसान सोचता कुछ हैं,और होता कुछ और हैं ।हर चीज में क्यूं, प्रकृति विरोधाभास प्रकट करती है ?

49

"आज लरजते गीतों का, संदेश सुनाने आया हूं "

15 अप्रैल 2022
0
0
0

आज लरजते गीतों का , संदेश सुनाने आया हूं ।आज महकते फूलों की, सुगन्ध बिखेरने, आया हूं ।कभी किसी का, दिल न दुखाना, सबकी मद

50

"सुन्दर वक्तव्यों का जहां में, बहुत महत्त्व हो गया है"

15 अप्रैल 2022
0
0
0

सुन्दर वक्तब्यों का जहां में, बहुत महत्त्व हो गया है । लोग सुन्दर शब्दों को गढ़ने में, प्रवीण हो रहे हैं ।लोगों को अपने शब्द जाल में फंसाने में, अत्यन्त रंगीन हो

51

"मैं समय के साथ चल रहा हूं"

16 अप्रैल 2022
0
0
0

मैं समय के साथ चल रहा हूं । या समय से पीछे ।कैसे पता करु ? मैं समय के आगे हूं ।या, समय मेरे आगे । इक अनबूझ सी, पहेली बनी

52

"वो मुकर गये, वादा करके"

16 अप्रैल 2022
2
1
0

वो मुकर गये, वादा करके, कोई बात नहीं ।समझ लूंगा, उन्होंंने दी है, प्यार में, सौगात बड़ी ।अब वादों का, क्या भरोसा ? &nbsp

53

"बुलंद इरादे हैं,सार्थक प्रयास है"

16 अप्रैल 2022
0
0
0

बुलन्द इरादे हैं। सार्थक प्रयास है।फिर भी न जाने, क्यूं मेरा प्रारब्ध नाराज हैं ? क्यूं ,अनदेखा करते हो,मेरे इश्क को ?तुम प्रारब्ध हो ।

54

"कोई आज मुझे प्यार करने का, अंदाज सिखा दे"

17 अप्रैल 2022
0
0
0

कोई आज मुझे प्यार करने का , अंदाज सिखा दे ।गैरों को अपना बनाने का ब्यौहार, सिखा दे ।यूं तो नसीहत, देने‌वाले हैं, दुनिया में बहुत । &nbs

55

"सत्य तिलमिलाता है"

17 अप्रैल 2022
0
0
0

सत्य तिलमिलाता है, कि लोग उसकी , पहचान जान लें ।झूठ कंपकंपाता है, कि कहीं लोग,उसको पहचान न लें ।कितना विरोधाभास है, दोनोें में, किसको क्या अ

56

"प्यार क्यूं , छिप-छिप कर किया जाता है ?"

17 अप्रैल 2022
0
0
0

प्यार क्यूं ,छिप -छिप कर किया जाता है ? क्यूं, हिंसा सरे-आम की जाती है ?क्यूं, अपराधियों को पनाह दी जाती है ? क्यूं, बहू-बेटिओं की इज्जत सरे-

57

"मेरे प्यार में, रुक जाओ इक पल"

17 अप्रैल 2022
0
0
0

मेरे प्यार में, रुक जाओ इक पल, तो जिन्दगी संवर सकती है ।अगर बहाना बनाकर, चले गये तुम, तो जिन्दगी रुक सकती है ।प्यार में ठहरने वाले लोग, &nbsp

58

"क्यूं , लरजते हैं, आंखों में आंसू ?"

17 अप्रैल 2022
0
0
0

क्यूं, लरजते हैं, आंखों में आंसू ? जब इनका कोई, मोल न रहा ।क्यूं, तड़पते हैं, अपनों के लिए, जब उनके दिलों में, कोई प्यार न रहा ? क्यूं, संजो रहे सपने, भविष्

59

"इस नन्हीं सी जिन्दगी में, प्यार बांटते चलो"

18 अप्रैल 2022
0
0
0

इस नन्हीं सी जिन्दगी में, प्यार बांटते चलो । यूं , तो हैं, हजार ग़म ,उन्हें जड़ से, उखाड़ने चलो । कोई क्या कहेगा अब ?इसे ध्यान से, निकालते

60

"जिन्दगी बसर हो रही है"

18 अप्रैल 2022
0
0
0

जिन्दगी बसर हो रही है, सिर्फ ख्वाबों के सहारे ।हम भी खामोश बैठे हैं, उम्मीद की, पतवार थामे ।कभी न कभी कश्ती , किनारे लग ही जायेगी । &n

61

"नींद में कम हो जाते हैं,ग़म "

19 अप्रैल 2022
1
0
0

नींद में कम हो जाते हैं, ग़म । इसीलिए नींद से, प्यार हो चला है ।जमाने वाले तो सिर्फ, ताने कसते हैं । इसीलिए जमाने से,कुछ अलगाव हो चला है ।नींद आगोश में लेकर, दुः

62

"दर्द उभर आया है, दिल में मेरे"

20 अप्रैल 2022
1
0
0

दर्द उभर आया है, दिल में मेरे । साथ में वफ़ा का, समन्दर क्यूं है ?जिन्होंने भुला दिया हमको । उनको क्यूं, न भुला पाया मैं ?अजीब दास्तां,अजीब सी हालत है, दिल की ।

63

"लोग चंद पैसों के लिए, आज ईमान बेचने लगे"

22 अप्रैल 2022
1
0
0

लोग चंद पैसों के लिए ,आज ईमान बेचने लगे । इस कलयुग में लोग,पैसों को, अपना भगवान बनाने लगे ।इंसानियत को ताक पर रखकर, हैवानियत का सबक अपनाने लगे । आज परिन्दों की तरह, रिश्

64

"कभी-कभी बिना वजह के भी, मुस्कुरा दिया करो"

23 अप्रैल 2022
0
0
0

कभी-कभी बिना वजह के भी, मुस्कुरा दिया करो । दूसरों के दिलों को, खुश रखने के लिए,कभी-कभी खुद को, हरा दिया करो । यूं ,तो हर आदमी, अहं में भरा रहता ह

65

"धन वैभव की, मुझे चाह नहीं"

24 अप्रैल 2022
0
0
0

धन वैभव की, मुझे चाह नहीं । जग में शोहरत का ,ख्याल नहीं ।उड़ता हूं परिन्दा, बन निश्छल । रहता हूं सक्रिय , मैं अविरल ।जो अश्रुपूरित, असहाय मिला ।&nb

66

"क्यूं , बदल गये , जमाने वाले ?"

25 अप्रैल 2022
2
2
1

क्यूं , बदल गये, जमाने वाले ? क्यूं , न हम बदल पाये ,खुद को ?यूं , तो वफ़ा के नाम पर ,कसमें खायी जाती हैं । वक्त पड़ने पर ,क्यूं , हमें इनक

67

"ऐ! धड़कनें, खामोश हो जा"

25 अप्रैल 2022
0
0
0

ऐ ! धड़कनें , खामोश हो जा, वो नहीं, अब आने वाले ।वो विचरने हैं, लगे अब, चांद और तारों में जाके । क्यूं ,मुझे गाफिल कर,अब, इस जहां में, भटका गय

68

"मेरी वफाओं को भुला दिया,कोई बात नहीं"

26 अप्रैल 2022
1
1
0

मेरी वफाओं को भुला दिया, कोई बात नहीं । मुझे पहचानने से, इन्कार कर दिया,मुझे कोई रंजोगम का, एहसास नहीं । कभी न कभी, तो मेरी, वफाओं की याद आयेगी ।चुपचाप तुम्हारे द

69

"किससे गिला करें, किससे शिकवा करें"

26 अप्रैल 2022
0
0
0

किससे गिला करें, किससे शिकवा करें । जब दर्द भी, अपना है ।और दर्द देने वाला, भी अपना है । अब क्यूं , ऐसा होता है ?अपनों के, हाथों में ही , &nb

70

"नया रास्ता है, कोई हमसफ़र नहीं है"

26 अप्रैल 2022
0
0
0

नया रास्ता है, कोई हमसफ़र नहीं है । महफिलें बहुत हैं,पर अपने मतलब, की नहीं हैं।क्यूं , दिन के उजाले भी, अब रास नहीं आते हैं ? क्यूं , मेरे सूने मन को, हरपल‌ एहसा

71

"कभी फुरसत में मिलो,तो कुछ बात हो"

26 अप्रैल 2022
0
0
0

कभी फुरसत में मिलो, तो कुछ बात हो ।कभी उल्फत से मिलो, तो इकरार हो ।यूं , तो गिले-शिकवे , जमाने को भी हैं, हमसे । तुम गिले-शिकवे कर लोगे,

72

"अंन्तिम जीवन यात्रा में, कोई साथी नहीं मिलता"

27 अप्रैल 2022
1
0
2

अन्तिम जीवन यात्रा में, कोई साथी नहीं मिलता । पर शहनाइयों की गूंज में,हर कोई है,दिखायी देता ।इस समाज की विडम्बना में,क्या न कहा जाये ? जो भी कहा जाये,शब्दों की स

73

"यादों का काफिला ही, मेरे साथ रहा"

27 अप्रैल 2022
1
0
0

यादों का काफिला ही, मेरे साथ रहा । बाकी रिश्ते तो, कांच के खिलौनों की तरह,हर पल टूटते ही रहे । अहं की आग में ,क्या-क्या नहीं झुलस गया ?इक पल में ,अपनों का,

74

"समय के चक्र में,क्या कुछ नहीं हुआ ? "

27 अप्रैल 2022
0
0
0

समय के चक्र में, क्या कुछ नहीं हुआ ? थोड़ा सा कुछ मिला, बहुत कुछ दूर हो गया ।अपनों का साथ न मिला, गैरों का मिल गया । गैरों में पनपता प्यार ,

75

"क्यूं ,मौसम की तरह, बदल गये इंसान ? "

27 अप्रैल 2022
0
0
0

क्यूं , मौसम की तरह बदल गये इन्सान ? फिर भी क्यूं लेता हूं,वफ़ा का नाम ?वफ़ा के नाम पर, लोगों ने, मेरे दिल को लूट लिया । पलट कर ज्यूं देखा, मेरी पीठ

76

"जिन्दगी में अब क्षमा याचना का, कोई अस्तित्व न रहा"

28 अप्रैल 2022
0
0
0

जिन्दगी में अब क्षमा याचना का, कोई अस्तित्व न रहा । सचमुच जिन्दगी में अब, पश्चाताप का कोई महत्त्व न रहा ।लोग गलतियां करने में, खुद को अक्लमंद समझते हैं ।

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए