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Osho की पुस्तकें

Sahaj Samadhi Bhali, Vol. - 2 (सहज समाधि भली, भाग - 2)

Sahaj Samadhi Bhali, Vol. - 2 (सहज समाधि भली, भाग - 2)

धर्म तो गूंगे का गुड़ है; जिसने स्वाद लिया, वह गूंगा हो गया। उसे बोलना मुश्किल है, बताना मुश्किल है। उस संबंध में कुछ भी कहने की सुगमता नहीं है। जो कहे, समझ लेना उसने जाना नहीं है।बुद्ध भी बोलते हैं, लाओत्से भी बोलता है, कृष्ण भी बोलते हैं। लेकिन जो

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Sahaj Samadhi Bhali, Vol. - 2 (सहज समाधि भली, भाग - 2)

Sahaj Samadhi Bhali, Vol. - 2 (सहज समाधि भली, भाग - 2)

धर्म तो गूंगे का गुड़ है; जिसने स्वाद लिया, वह गूंगा हो गया। उसे बोलना मुश्किल है, बताना मुश्किल है। उस संबंध में कुछ भी कहने की सुगमता नहीं है। जो कहे, समझ लेना उसने जाना नहीं है।बुद्ध भी बोलते हैं, लाओत्से भी बोलता है, कृष्ण भी बोलते हैं। लेकिन जो

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Ashtavakra Mahageeta Bhag II Dukh Ka Mool (अष्टावक्र महागीता भाग II दुख का मोल)

Ashtavakra Mahageeta Bhag II Dukh Ka Mool (अष्टावक्र महागीता भाग II दुख का मोल)

अष्टावक्र की गीता को मैंने यूं ही नहीं चुना है। और जल्दी नहीं चुना है। बहुत देर करके चुना है- सोच-विचार के। दिन थे जब मैं कृष्ण की गीता पर बोला, क्योंकि भीड़-भाड़ मेरे पास थी। भीड़-भाड़ के लिए अष्टावक्र गीता का कोई अर्थ न था।बड़ी चेष्टा करके भीड़-भाड

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Ashtavakra Mahageeta Bhag II Dukh Ka Mool (अष्टावक्र महागीता भाग II दुख का मोल)

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अष्टावक्र की गीता को मैंने यूं ही नहीं चुना है। और जल्दी नहीं चुना है। बहुत देर करके चुना है- सोच-विचार के। दिन थे जब मैं कृष्ण की गीता पर बोला, क्योंकि भीड़-भाड़ मेरे पास थी। भीड़-भाड़ के लिए अष्टावक्र गीता का कोई अर्थ न था।बड़ी चेष्टा करके भीड़-भाड

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Ashtavakra Mahageeta Bhag- VI Na Sansar Na Mukti (अष्टावक्र महागीता भाग- 6 न संसार न मुक्ति)

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Ashtavakra Mahageeta Bhag - 9: Anumaan Nahin Anubhav (Hindi)

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Ashtavakra Mahageeta Bhag - 9: Anumaan Nahin Anubhav (Hindi)

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Dhyan Darshan (ध्यान दर्शन)

Dhyan Darshan (ध्यान दर्शन)

ओशो स्वयं तूफानों को पाले हुए थे। और उनका अक्षर-अक्षर मुहब्बत का दीया बनकर उन तूफानों में जलता रहा... जलता रहेगा। यह अक्षर उन्हीं के नाम जिस ओशो से मैंने बहुत कुछ पाया है, अर्पित करती हूं-'कह दो मुखालिफ हवाओं से कह दो मुहब्बत का दीया तो जलता रहेगा।

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Dhyan Darshan (ध्यान दर्शन)

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ओशो स्वयं तूफानों को पाले हुए थे। और उनका अक्षर-अक्षर मुहब्बत का दीया बनकर उन तूफानों में जलता रहा... जलता रहेगा। यह अक्षर उन्हीं के नाम जिस ओशो से मैंने बहुत कुछ पाया है, अर्पित करती हूं-'कह दो मुखालिफ हवाओं से कह दो मुहब्बत का दीया तो जलता रहेगा।

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Honi Hoye So Hoye (Kabir Vani): कबीर वाणी पर प्रवचन)

Honi Hoye So Hoye (Kabir Vani): कबीर वाणी पर प्रवचन)

सीधी अनुभूति है अंगार है, राख नहीं। राख को तो तुम सम्हाल कर रख सकते हो। अंगार को सम्हालना हो तो श्रद्धा चाहिए, तो ही पी सकोगे यह आग। कबीर आग हैं। और एक घुंट भी पी लो तो तुम्हारे भीतर भी अग्नि भभक उठे- - सोई अग्नि जन्मों-जन्मों की। तुम भी दीये बनो। तु

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Honi Hoye So Hoye (Kabir Vani): कबीर वाणी पर प्रवचन)

Honi Hoye So Hoye (Kabir Vani): कबीर वाणी पर प्रवचन)

सीधी अनुभूति है अंगार है, राख नहीं। राख को तो तुम सम्हाल कर रख सकते हो। अंगार को सम्हालना हो तो श्रद्धा चाहिए, तो ही पी सकोगे यह आग। कबीर आग हैं। और एक घुंट भी पी लो तो तुम्हारे भीतर भी अग्नि भभक उठे- - सोई अग्नि जन्मों-जन्मों की। तुम भी दीये बनो। तु

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Kahai Kabir Diwana

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