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सहभागीता और पारस्परिक विचार-विमर्श का महत्व

11 मार्च 2015

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सहभागीता और पारस्परिक विचार-विमर्श का महत्व आज के आधुनिकता और तकनिकी भरे माहोल और व्यस्त जीवन के कारण मनुष्य हर मोड़ पर अनेकों मुश्किलों और समस्यायों से घिरा रहता है| ऐसे में मनुष्य अपने सिमित ज्ञान और संसाधनों के कारण हर मुश्किल और समस्याओ से परेशान रहता है| बहुत सारे समस्याओ की जानकारियों के बावजूद वह उन समस्याओ का हल नहीं ढूढ़ पाता है और जल्दबाजी तथा परेशानी के कारण बहुत सी गलती कर जाता है जो उसे और मुश्किल में डाल देती है| इसके पीछे जो सबसे बड़ा कारण आज है वह समाज और अपने आस पास के लोगो, सहयोगियो से दूर रहना| संकोच और अहम् के कारण आज व्यक्ति ना तो एक दुसरे से नजदीकीयां रख रहा है, न तो सहभागीता रख रहा है और न पारस्परिक विचार-विमर्श करना चाहता है, जिसके कारण ऐसी बहुत सी चीजे और बाते है जो बिना ज्ञान और पैसे के प्राप्त हो सकती है, जिसके लिए आप पैसा खर्च करने के बाद भी नहीं प्राप्त कर सकते है, और वह समस्या जो बड़ी आसानी से हल हो सकती है आप वंचित रह जाते है| शेयरिंग एक ऐसा अस्त्र है जो बड़े बड़े कार्य और मुश्किल को आसान बना सकता है| शेयरिंग का अर्थ है कि आप अपने आस पास के जीवन को समझे, आस पास के रहने वालो, मिलाने जुलने वालो और खासकर जिन्हें आप अपना विशेष इष्ट-मित्र या दोस्त समझते है उनसे अपने हर उस सुख और दुःख को बाटें, हों सकता है की आप उनसे अपने चीजों को साझा करे तो हों सकता है ऐसा करने से आप को कोई ऐसी राह और दिशा मिल जाय जिसके लिए आप अत्यधिक परेशान और तनाव में रह रहो हों और वह क्षण भर में दूर हों जाय| यह सर्वथा सत्य है की हर व्यक्ति के अंदर अच्छा व बुरा गुण होता है चाहे वह छोटा हों या बड़ा साथ ही हर व्यक्ति अनुभव के साथ-साथ बहुत कुछ ज्ञान और समझ रखता है| अनपढ़ और गंवार व्यक्ति भी समाज के ठोकरों और दूसरों के कार्यों से बहुत कुछ सीख लेता है जो आप और हम पढ़ लिखकर और डिग्री पाने के बाद भी नहीं जन सकते अहै| एक कहावत अत्यंत ही सत्य है की घुमकड़ व्यक्ति हर परिस्थिति और और मुश्किलों का सामना बड़े ही आसानी से कर लेता है| इसके अलावा प्रकिर्ति ने सभी को सुख और दुःख का भागीदार बनाया है हों सकता है उस सुख और दुःख को पाने और दूर करने में उसका अनुभव आप के काम आ जाय| कभी कभी बड़ी से बड़ी मर्ज़ का इलाज़ छोटी चीजों से हों जाता है जिसे आप बहुत ही कठिन और असम्भव समझ रहें होते है| सहभागिता और पारस्परिक संबंध आप को अपनो से दूर रहने पर भी मिल सकती है, जैसे की आप कही बाहर गए है और आप को अपनी ज्ञान और जानकारी के बाद भी किसी चीज की आवशयकता पड़ गए तो यदि छोटा बनकर किसी कि मदद मांग लेते है तो आप की बड़ी से बड़ी समस्या हल हों जायेगी| आप को विश्वाश नहीं होगा की आप जब छोटा बनकर किसी की मदद मंगाते है तो मदद करने वाला अत्यंत ही प्रसन्न और धन्य समझता है, और उससे से अधिक कही दिल को तसल्ली और प्रसन्ता तब मिलती है जब आप किसी की मदद करते हों यदि आप इसका अनुभव करना चाहते हों तो किसी भूले हुए व्यक्ति को रास्ता बताकर कुछ दूर उसको पहुचा दे, आप स्वंय महशुश करंगे की आप को कितनी खुशी मिलतीं है| खुशी खोजने और छीनने से नहीं मिलाती उसे पाने के लिए आप को दूसरों के मदद करने की आवश्यकता होगी| ऐसा करने से आप खुद ही पाओगे की लोग आप की मदद करने के लिए खुद ही चले आयेंगे| दुनिया में किसी भी चीज का कोई शार्ट कट नहीं है, जो है वह मात्र एक सुविधा के रूप में है और अस्थाई है| सफलता के लिए हमें सदैव पाजीटिव बनना होगा और एक अच्छा इंशान भी बनना होगा, साथ ही नयी गांधी की सोच को अपनाए “ अच्छा करे, अच्छा सुने और अच्छा देखे “| स्वाभिमानी बने अभिमानी नहीं, ज्ञान को बाटें रखे नहीं, दुखी: ना हों अपने से ज्यादा दुखी को देखे, दूसरों की मदद करे आप की मदद करने वाला आप के पीछे होगा| हम क्या कर सकते है उस पर चले नाकि दूसरे कैसे चल रहें है उसका अनुशरण करे, आप की परिस्थिति आप को मालुम है दूसरे को नहीं वही करे जो मन और दिल कहता हों सत्य का साथ दे, कर्म हम कर सकते है, समय हमारे वश में नहीं है और भाग्य

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सहभागीता और पारस्परिक विचार-विमर्श का महत्व आज के आधुनिकता और तकनिकी भरे माहोल और व्यस्त जीवन के कारण मनुष्य हर मोड़ पर अनेकों मुश्किलों और समस्यायों से घिरा रहता है| ऐसे में मनुष्य अपने सिमित ज्ञान और संसाधनों के कारण हर मुश्किल और समस्याओ से परेशान रहता है| बहुत सारे समस्याओ की जानकारियो

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