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पवित्र रिश्ता : अध्याय 5

22 अक्टूबर 2021

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 जब राईमा को होश आया तो उसके कानों में सबसे पहले साहिल की ही आवाज़ पहुंची जो डॉक्टर से चिंतित स्वर में पूछ रहा था... “डॉक्टर, मेरी पत्नी को कब होश आएगा? आपने बेबी को इनक्यूबेटर में क्यों रखा? क्या कुछ सीरियस है?”

डॉक्टर : “नहीं मि. साहिल..बच्ची बिलकुल ठीक है और आपकी पत्नी को कुछ देर में होश आ जायेगा|”

राईमा को रमेश पापा का उल्लसित स्वर सुनाई दिया : “अगर राईमा या बेबी को कुछ होता तो तू डॉक्टर को जिंदा नहीं छोड़ता उनको पता है,क्यों डॉक्टर?”


डॉक्टर हँसते हुए कहने लगा : “हाँ, मि. रमेश ,हम तो डर ही गए थे| बस इतना कहा था कि केस थोडा क्रिटिकल है,शायद सर्जरी करना पड़े तो आपके बेटे ने जो हंगामा मचाया...|”

पापा ,रमेश पापा और मम्मा के हंसने की आवाज़ सुनाई दी| राईमा को आँखें खोलते देख डॉक्टर बोल उठे : “ मिसेस मेहता को होश आ रहा है मि. साहिल| जाइए,उनसे मिल लीजिये|”

साहिल राईमा के पास आकर उसके हाथों को धीरे से दबाते हुए कहा.... “बधाई हो...बहुत खुबसूरत है बेबी |”

सिस्टर ,जो वहीँ खड़ी थी..मुस्कुराते हुए बोली : “बिलकुल अपने पापा जैसी हुई है...”

साहिल उच्छ्वसित स्वर में बोल उठा : “क्यों ना हो...पापा की बेटी है वो|”

राईमा के आँखों से आंसू गिरने लगे थे| क्या साहिल भूल गया था कि ये उसके प्यार की निशानी नहीं बल्कि किसीके पाप की निशानी है? कैसे वह इतना खुश हो सकता है? कैसे किसीके बच्चे को अपना कह सकता है? उसे तो उस बच्ची को देखने तक का दिल नहीं कर रहा क्योंकि उसमें उसे उस इंसान की छबि नज़र आएगी जिसने उसकी ज़िन्दगी को बर्बाद कर दिया है....उसकी सारी ख़ुशी का गला घोंट दिया है|”

उसे साहिल का ख़ुशी भरा स्वर सुनाई दिया... “डॉक्टर,कबतक मैं इनको घर ले जा सकता हूँ?”

डॉक्टर : “बस एक हफ्ता इन्हें यहाँ रहना है मि. साहिल|”

...............

एक हफ्ते बाद राईमा बच्ची को लेकर घर आ गयी थी| उस एक हफ्ते के दौरान साहिल सुबह से शाम तक अस्पताल में ही रहता था और बच्ची को प्यार करता रहता ,उससे पता नहीं क्या क्या बोलता रहता था| उसने बच्ची का नाम भी रख दिया था....प्रिंसेस...पापा की प्रिंसेस थी वो,उसका कहना था| राईमा के सारे दोस्त उससे मिलने आये थे और साहिल के पास मांग रखी थी कि एक बड़ी पार्टी देनी होगी...दो ख़ुशी एकसाथ सेलीब्रेट करना था ...राईमा के फर्स्ट क्लास मिलने के और इतनी प्यारी सी बच्ची के आगमन के लिए| साहिल ने ख़ुशी ख़ुशी उनके सारे डिमांड मान लिए थे|


सभी खुश थे पर राईमा के दिल में वो बच्ची शूल जैसा चुभ रही थी| वह ना उस बच्ची को प्यार करती न गोद में उठाती| वह एक मिनट के लिए भी भूल नहीं पाई थी कि वो सौरभ का खून है..गन्दा खून| पर वह जितना उस बच्ची से दूर रहती..साहिल उतना ही ज्यादा उस बच्ची को अपने पास खींचता था| वह उसे प्रिंसेस कहकर बुलाता था| आजकल वह ज्यादा समय घर पर ही रहता था और घर से ही बिज़नेस के काम संभाल लेता था | राईमा जानती थी वह उस बच्ची के लिए ऐसा कर रहा है| साहिल की नज़रों से ये बात नहीं छुपी थी कि वो बच्ची को नज़रअंदाज़ करना चाहती है और यह बात साहिल को बिलकुल पसंद नहीं था| पर वह जानता था ऐसा करना राईमा के लिए स्वाभाविक है इसलिए वह खुद बच्ची की हर जरुरत का ख्याल रखता था| बच्ची अब कुछ बड़ी हो गयी थी और साहिल को देखकर बहुत खुश होती थी..किलकारी मारती थी और राईमा को देखकर रोने लगती थी| साहिल उसे कहता था.... “देखो राईमा ,एक मासूम बच्ची भी समझती है तुम उसे प्यार नहीं करती हो..|”


राईमा रूखे स्वर में जवाब देती: “जितनी जल्दी समझ जाये उतना अच्छा है...|”


साहिल को उसकी बात बहुत बुरी लगती थी पर वह कुछ कहता नहीं,बस बच्ची को गोद में उठाये बाहर चला जाता था| आजकल राईमा को यह बात भी बहुत खलती थी कि साहिल बच्ची को लेकर इतना मग्न हो जाता है कि राईमा के लिए उसके पास समय का अभाव होने लगा था और इसी वजह से वह और भी चिढ़ने लगती थी और अपने उस संकल्प को दोहराने लगती कि उसे यहाँ रहना ही नहीं है| उसे लगता, अच्छा है साहिल बच्ची से इतना जुड़ा हुआ है,राईमा के लिए आसान हो जायेगा उसे यहाँ छोड़कर जाने के लिए |


अब प्रिंसेस घुटनों के बल थोड़ा थोड़ा चलने लगी थी और वह सारे घर में घुमती रहती थी | रमेश पापा और साहिल उसकी हर एक नयी चीज़ सीखने पर बहुत खुश होते और उसके साथ बच्चे बन जाते थे पर राईमा कभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाती थी| उसने अपनी स्टडी शुरू कर दी थी और उसके खत्म होने पर जल्द से जल्द वहां से जाना चाहती थी|

....................

उसदिन बहुत जोरों की बारिश हो रही थी| राईमा अपने कमरे में बैठकर कुछ पढ़ने में मग्न थी, तभी साहिल प्रिंसेस को लेकर अंदर आया और उसे अपने पलंग पर सुलाते हुए राईमा से बोला : “प्रिंसेस का ख्याल रखना राईमा,इसका बेबी फ़ूड खत्म हो गया है,मैं अभी लेकर आता हूँ|”

राईमा ने कहा : “बारिश रुकने दो फिर जाना साहिल..|”

साहिल ने ना में सर हिलाते हुए कहा, “नहीं राईमा,प्रिंसेस को उठते ही भूख लगती है और तुम जानती हो वो रो रोकर आसमान सर पर उठा लेती है|”

राईमा : “वो अब काफी बड़ी हो गयी है साहिल,कुछ और खिला देना..|”

साहिल बाहर जाते हुए बोला : “तुम्हे शायद पता नहीं,उसे बेबी फ़ूड के अलावा कोई चीज़ पसंद नहीं है,नहीं खाती वो...|’

...................

राईमा थोड़ी देर पढ़ती रही और फिर अलसाई सी बेड पर लेट गयी| उसने देखा बच्ची आराम से साहिल के पलंग पर सो रही थी| उसने भी आँखें बंद की और पता नहीं कब उसे नींद आ गयी|

अचानक जोर से बादल गरजा और प्रिंसेस की नींद टूट गयी| वह उठकर बैठ गयी और साहिल को ढूंढने लगी पर उसकी नज़र राईमा की ओर गयी और वह और डर गयी| वह अस्फुट स्वर में बोल उठी... . “ पा...पा...|”


उसने पलंग से नीचे उतरने की कोशिश की और एक ही पल में धम्म से नीचे गिर पड़ी| उसी पल साहिल अंदर आया और प्रिंसेस को गिरते देखकर दौड़कर आकर उसे अपने गोद में उठाया पर तबतक प्रिंसेस के सर से खून बहने लगा था| उसके जोर जोर से रोने के आवाज़ से राईमा की नींद टूट गयी...और उसने विस्फारित नेत्रों से देखा...बच्ची के सर से खून बह रहा था और साहिल उसे गोद में लेकर डॉक्टर को फ़ोन लगा रहा था और चिल्ला रहा था फ़ोन पर..| राईमा समझ गयी कि प्रिंसेस पलंग से गिर गयी है और सारी गलती राईमा की है..उसे ध्यान रखना चाहिए था..इस तरह उस बच्ची को अकेला छोड़कर सो जाना नहीं चाहिए था| वह जल्दी से साहिल के पास आई और बोली : “साहिल,मुझे दो प्रिंसेस को...|”


पर साहिल उसका हाथ झटकता हुआ, बच्ची को अपने सीने से लगाता हुआ गुस्से से फट पड़ा... “ हाथ मत लगाओ मेरी प्रिंसेस को...तुम माँ नहीं हो राईमा....तुम्हारे सीने में कोई दिल नहीं है...यह बच्ची क्या समझती है बताओ जो तुम इससे इतना नफरत करती हो? अगर तुम्हें प्रिंसेस से इतनी नफरत है तो मैं अपनी बच्ची को लेकर तुमसे दूर चला जाऊंगा...बहुत दूर..और अपनी बच्ची के साथ खुश रहूँगा ..कह दूंगा उसे कि उसकी माँ मर गयी है.. और उसे माँ और बाप दोनों का प्यार दूंगा|”


कहते हुए उसने बच्ची को चुमते हुए दौड़कर कमरे से निकल गया जहाँ राईमा पत्थर की मूर्ति की तरह चुप खड़ी थी...यह क्या कह दिया साहिल ने! इसका तो यही अर्थ हुआ कि उसे राईमा से नहीं उस बच्ची से प्यार है,जो उसका अपना खून है..अपने भाई का खून..| शायद यही होना था...रमेश अंकल ने राईमा को अपने घर की बहु बनाया उस बच्ची के लिए जो उनके बेटे का खून था और साहिल ने भी शायद इसीलिए उसे अपनाया था| राईमा को इतने दिनों में ये तो समझ आ ही गया था कि रमेश अंकल अपने छोटे बेटे से अथाह प्यार करते हैं,उनको उसने सौरभ की तस्वीर लेकर चुपचुप आंसू बहाते देखा था | साहिल ने कभी भी सौरभ का जिक्र उसके सामने नहीं किया पर उसके दिल में अपने भाई के लिए बहुत ज्यादा प्यार है यह बात राईमा समझती थी| तो वह ही इस घर के लिए अवांछित है....राईमा की आँखों से आंसू बहने लगे थे| उसने जैसा सोचा था वैसा ही सबकुछ हो रहा है...साहिल उसे नहीं चाहता है...ना कभी चाहा...उसने राईमा का जितना भी ध्यान रखा,सिर्फ उसके पेट में पल रहे उस बच्ची के लिए और आज उसका गुस्सा देखकर राईमा समझ गयी कि अब उसे यहाँ से चले जाना चाहिए...|

जब साहिल बच्ची के सर पर पट्टी बंधवाकर उसे लेकर घर आया तो प्रिंसेस उसके गोद में सो रही थी | साहिल ने ना राईमा से बात की और ना कुछ पूछा...बस प्रिंसेस को गोद में लेकर उसके मासूम चेहरे को निहारता रहा और आंसू बहाता रहा| सारी रात वह उसी तरह उसे गोद में लेकर बैठा रहा और उसके नींद में...पा...पा...कहने पर उसे सीने से चिपटाकर रुंधे आवाज़ में बोलता रहा... “हाँ बच्चा..आपके पा आपके पास हैं...अब वो आपको एक पल के लिए भी अकेला नहीं छोड़ेंगे..|”

.................

सुबह प्रिंसेस ठीक थी पर साहिल ने उसे एकबार के लिए भी खुद से अलग नहीं किया और ना राईमा से कोई बात की| राईमा के लिए साहिल का इस तरह उसकी उपेक्षा करना असहनीय हो रहा था...पर वह सिर्फ समय का इंतज़ार कर रही थी जब साहिल से बात कर सके| दो-तीन बाद जब प्रिंसेस बिलकुल ठीक थी और खेल रही थी,साहिल अपने लैपटॉप में कुछ काम कर रहा था,राईमा उसके पास आई और धीरे से बोली : “मुझे कुछ बात करनी है ..|”


साहिल ने उसकी ओर बिना देखे कहा, “हाँ कहो..|”

राईमा ने अपने आंसू रोकते हुए कहा, “मैं यहाँ से जाना चाहती हूँ...|”

साहिल अपने काम में मग्न था,वह उसी तरह बोला, “ ठीक है,जाओ..कुछ दिन मम्मा के घर होकर आओ,प्रिंसेस मेरे पास रहेगी|”

राईमा को उसका जवाब सुनकर और गुस्सा आ गया..वह बोली : “मुझे पता है..मैं तुम्हारी बेटी को लेकर नहीं जा रही| वैसे भी मैं उसकी कोई नहीं लगती...मैं तो माँ बनने के ही लायक नहीं हूँ न...|”

साहिल समझ नहीं पाया कि अचानक राईमा इतनी बिफर क्यों पड़ी| उसदिन उसने गुस्से में जो कहा था,उसे बिलकुल याद नहीं था| उसने अचम्भे से उसकी ओर देखते हुए कहा... “क्या बोले जा रही हो राईमा? तुम्हारा दिमाग तो ख़राब नहीं हो गया है?”

राईमा ने गुस्से में चिल्लाया : “हाँ,अब कहोगे मैं पागल हूँ...पागल ही तो हूँ जो अबतक इस घर से चिपकी पड़ी हूँ,जिस घर से मेरी बर्बादी शुरू हुई थी..उसी घर को अपना समझने लगी थी...पर अब अक्ल आ गयी है मुझे...मुझे अपनी ज़िन्दगी जीना है...मैं जा रही हूँ कभी ना वापस आने के लिए...|”

साहिल हक्का बक्का सा उसे देख रहा था और उसकी बातें समझने की कोशिश कर रहा था| उसने लैपटॉप पटकते हुए खड़ा हुआ और राईमा को कंधे से पकड़कर झिंझोड़ते हुए चिल्लाया : “क्या कहा तुमने? और एक बार कहो तो...तुम जा रही हो कभी ना वापस आने के लिए? इसका क्या मतलब है?”

राईमा चिल्लाई : “मैंने झूठ क्या कहा है? मेरा यहाँ कौन है जो मैं इस जगह से चिपकी पड़ी रहूँ?”

साहिल उसकी ओर देखते हुए चिल्लाया : “कौन है तुम्हारा यहाँ? तुम भूल गयी कि हमारी शादी हुई है...मन्त्रों के साथ...सात फेरों के साथ हमने वचन लिया था साथ जीने मरने का...मैंने वचन लिया था अपने पति होने का कर्तव्य निभाऊंगा और तुमने अपनी पत्नी होने का.....| अच्छा धर्म निभा रही हो तुम पत्नी होने का|”


राईमा के आँखों से आंसू झर झर बह रहे थे| उसने कुछ रोष से कहा.... “और तुमने क्या कर्तव्य निभाया?तुम्हें सिर्फ अपने भाई की बच्ची चाहिए थी,जो तुम्हें मिल गयी है..| मैं भी इस घर में रहती हूँ,एक जीता जागता इंसान... तुम भूल गए हो | मैं जानती हूँ मैं तुम्हारे लायक नहीं हूँ पर मेरे भी कुछ अरमान है...अपनी इज्ज़त खोयी थी मैं..अपने अरमान नहीं...पर तुम्हारा इस तरह मुझसे दूर रहना क्या समझाता है कि तुम मुझे कभी अपना ही नहीं सकते...मैं एक अवांछित..अछूत पदार्थ हूँ, किसीकी सताई हुई परित्यक्ता हूँ जो किसीके लायक नहीं हूँ|”


कहकर वह पैर पटकते हुए अन्दर चली गयी जहाँ साहिल अपना सर पकड़कर बैठ गया| वह राईमा की बातों को समझने का प्रयत्न कर रहा था...क्या कहना चाहती थी वो...! अचानक जैसे उसके आँखों के सामने सारे भेद खुल गए...| राईमा ने जो कहा!!...क्या वो ऐसा महसूस करती है? क्या वो ऐसा समझती है कि सौरभ के कारण साहिल उसे अपवित्र और अछूत समझता है और इसलिए उससे दूर रहा है? पर साहिल ने तो ऐसा कभी नहीं सोचा...| वह तो सिर्फ और सिर्फ राईमा से प्यार करता है | जब राईमा इस घर में एक दो बार सौरभ से मिलने आई थी,तभी साहिल को वो अच्छी लगी थी और इसलिए साहिल ने उसे सौरभ से सावधान करने की कोशिश की थी | बाद में राईमा कभी नहीं आई ,तो साहिल को लगा था कि राईमा समझ गयी है वो क्या कहना चाहता है...पर उसे तो पता ही नहीं चला था कि सौरभ कुछ और ही गुल खिला रहा था उसके पीठ पीछे| और जब उसे राईमा के बारे में पता चला तो उसने सिर्फ इसीलिए उससे शादी की कि वह उसकी ज़िन्दगी बचाना चाहता था..| उसे लगा था सौरभ वापस आने पर वह राईमा की ख़ुशी के लिए सौरभ को मजबूर करेगा उससे शादी करने को...पर जब उसे असलियत पता चला तो उसने उसी दिन सोच लिया था कि अब राईमा को कभी खुद से अलग नहीं करेगा| धीरे धीरे उसे राईमा से प्यार हो गया...जिस प्यार के नाम से उसे चिढ़ थी,वही कब और कैसे उसके दिल को मजबूर कर दिया उसे पता ही नहीं चला| उसका दिल करता था घंटों राईमा से बातें करे...उसको हँसते खिलखिलाते देखे..उसकी सारी ख्वाहिशें पूरी करे...पर वह राईमा से कह नहीं पाता था | उसे लगता था कहीं राईमा बुरा ना मान जाये| कहीं राईमा ना सोच ले उसे राईमा के करीब जाने का बहाना चाहिए ..इसलिए वह उसके होनेवाले बच्चे के बारे में ख्याल रखने के बहाने उसे मेडिसिन खिलाता...अपने सामने बिठाकर खाने को मजबूर करता..राईमा के पसंद की चीज़ें उसके कहने से पहले ही लेकर हाज़िर हो जाता था, जिसे देखकर राईमा खिल उठती थी और साहिल को अजीब सी ख़ुशी महसूस होती थी| इस बच्ची के आने के बाद साहिल को लगा कि कहीं राईमा को ये ना लगे कि साहिल इस बच्ची से नफरत करता है,इसलिए उसने बच्ची को गले से लगा लिया| पर धीरे धीरे उसे समझ आया कि बच्चे तो भगवान की देन है...उसके माथे पर नहीं लिखा रहता कि वो किसीके प्यार की निशानी है या पाप का करतूत है ...| प्रिंसेस का चेहरा, उसकी नीली आँखों को छोड़कर बिल्कुल अपने मम्मा की कार्बन कॉपी थी और इसलिए साहिल को उससे और ज्यादा लगाव था ...और अब तो प्रिंसेस भी उसके बिना नहीं रह पाती थी...| साहिल तो भूल ही गया था वो उसकी बेटी नहीं है| आज अगर सारी दुनिया चिल्ला चिल्लाकर कहे कि प्रिंसेस उसकी बेटी नहीं है,तो भी वह नहीं मानेगा..| उसने प्रिंसेस की ओर देखा जो एक बड़े टेडी के गोद में एक छोटा टेडी को सुलाकर अपनी तोतली आवाज़ में बोल रही थी.... “ पा....पिंचे....(पापा और प्रिंसेस)|


उसने प्रिंसेस को अपनी गोदी में उठा लिया और उसका मुंह चुमते हुए बोला.... “पापा और प्रिंसेस में तो दोस्ती हो गयी है..अब वो साथ साथ रहेंगे...पर प्रिंसेस की मम्मा भी चाहिए ना हमारे साथ...तो अब आपके पापा को और एक कदम आगे बढ़ना पड़ेगा प्रिंसेस...|”

......................

राईमा गुस्से से बिफर रही थी और पता नहीं क्या क्या मन में सोच रही थी,तभी उसकी मम्मा का फ़ोन आया : “बेटा,कल तू यहाँ आ रही है ना?”

राईमा ने आश्चर्य से पूछा : “क्यों मम्मा? साहिल ने कुछ कहा क्या?”

उसकी मम्मा बोली : “साहिल क्या बोलेगा? उससे तो मेरी बात नहीं हुई...पर तू भूल गयी क्या, कल करवा चौथ है| पिछले साल तो तू रख नहीं पायी थी,इस साल करेगी ना?”

राईमा ने हाँ कहते हुए बोली : “हाँ मम्मा,आ जाऊंगी सुबह |”


उसने साहिल से ऊँची आवाज़ में बात जरुर की थी पर उसके बाद उसे बहुत ग्लानि महसूस हो रही थी| साहिल ने जो भी उसके लिए किया था अब तक,बहुत किया था...| उसने कभी भी राईमा की आज़ादी पर कोई रोक टोक नहीं लगाया था..ना कभी उसे किसी बात के लिए कभी कोई उलाहना दिया था| उसने गुस्से में जो कह दिया था उसके लिए उसे खुद ही शर्मिंदगी महसूस हो रही थी| साहिल क्या सोचेंगे उसके बारे में ...कि वह साहिल के करीब जाना चाहती है...उसकी पत्नी होने का अधिकार पाना चाहती है..? उसने तो कभी कोई कर्तव्य नहीं निभाया साहिल के प्रति...वह खुद अपना ख्याल रख लेता है और अब तो बच्ची का भी रखता है पर उसने कभी कोई शिकायत नहीं की राईमा से| राईमा जब भी रसोई में जाती तो साहिल कहीं से टपक पड़ता और कहता... “राईमा, तुम्हारा यहाँ क्या काम? काकी और पिंकी सब संभाल लेंगे, तुम अपनी पढ़ाई करो |”


या कहता....


“राईमा,जितना समय रसोई में हाथ जलाने में नष्ट करोगी,उतना अपने संगीत चर्चा में लगाओ...मुझे पता है,तुम्हें संगीत का शौक है,तो उसे कभी छोड़ना मत| मुझे देखो,कितना बेसुरा गाता हूँ...मुझे लोरी गाते सुनकर प्रिंसेस भी डर जाती है...|”

.............

रात को उनके उस झगड़े के बाद साहिल ने उससे कोई बात नहीं की थी पर राईमा चाहती थी वह साहिल के दिल की बात जान ले| वह क्या चाहता है...यह जानना उसके लिए बहुत जरुरी था |साहिल तो प्रिंसेस को अपनी बाँहों में लेकर सो गया था पर वह सारी रात जगती रही...| उसमें इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह अपने मन की करे...घर से निकलकर कहीं चली जाये...और ना इतनी हिम्मत थी कि पापा-मम्मा से कोई बात करे | सौरभ के गायब होने के बाद से पापा-मम्मा उसके लिए बहुत परेशान रहे क्योंकि उन्हें ना कभी ये ठीक लगा कि साहिल के साथ उसका विवाह दे...और फिर बाद में सौरभ के लौटने पर साहिल से तलाक और सौरभ से शादी| राईमा के पापा मुंबई के बहुत बड़े बिजनेसमैन थे और समाज में उनका काफी रुतबा था..उसकी मम्मा ने भी बहुत सारे स्वयंसेवी संस्था से खुद को जोड़ा था और अब तो उनकी भी काफी पहचान हो गयी थी| ऐसे में उनकी अपनी बेटी के ज़िन्दगी में ऐसे उथल –पुथल सबके आँखों में खटकेगी और लोग बातें बनायेंगे ये उन्हें पता था ,पर वो अपनी बेटी की ख़ुशी के लिए सब कुछ मानने को तैयार थे|


पर धीरे धीरे सब ठीक हो रहा था| साहिल का उस बच्ची से प्यार..राईमा को इतनी आज़ादी देना और राईमा के इस स्थिर ज़िन्दगी से वो काफी खुश थे | अब प्रिंसेस भी राईमा के मम्मा से काफी घुल मिल गयी थी क्योंकि साहिल को जब काम से बाहर जाना होता..उसकी कोई मीटिंग होती तो वह बच्ची को राईमा की मम्मा के पास छोड़कर जाता था और उसकी मम्मा के साथ साहिल की अच्छी दोस्ती थी| राईमा बहुत कम अपने मैके जाती थी,पर उसके जाते ही मम्मा सिर्फ और सिर्फ साहिल की बातें करती थी| आज जब वो लोग इतने खुश थे तो राईमा का कोई भी फैसला फिर उन्हें विचलित कर देगा वो जानती थी,इसलिए चाहे गुस्से में वह साहिल से कुछ भी कहे..उसके लिए वो करना इतना आसान नहीं था| और कल तो करवा चौथ का व्रत था जो साहिल की लम्बी उम्र और खुशहाल ज़िन्दगी के लिए उसे जरुर करना था| उसकी पत्नी होने के नाते इस कर्तव्य को तो वह पूरा कर सकती थी|


सुबह वह साहिल को खोजती बगीचे में आई,जहाँ साहिल प्रिंसेस को चिड़िया दिखा दिखाकर खाना खिला रहा था| पिंकी ने चिड़ियों को दाने छिड़क दिए थे जिसे खाने के लिए ढेर सारे पंछी जमीन पर उतर आये थे और उनके चीं चीं का शोर चारों दिशाओं में गूंज रहा था, प्रिंसेस उन्हें देखकर खुश होकर ताली बजा रही थी और साहिल उसे खाना खिला रहा था| राईमा को यह दृश्य इतना प्यारा लगा कि वह कुछ क्षण रुक गयी और दूर खड़ी देखती रही| प्रिंसेस के काले घुंघराले बाल उसके चेहरे पर गिर रहे थे...उसके गाल लाल लाल सेव जैसे थे..और हंसने पर गालों में साहिल के जैसे गड्ढे बन जाते थे...राईमा को समझ नहीं आया था कि प्रिंसेस को यह चीज़ साहिल से कैसे मिला..उसकी आँखें भी साहिल के आँखों जैसी नीली थी...|


उसने मम्मा से एकबार पूछा था इस बारे में तो उन्होंने इतना कहा था... “बच्चे सिर्फ अपने माँ-बाप जैसे नहीं होते बेटा...असल में गर्भवती माँ के सामने हर पल जो इंसान रहता है ,जिसे वह दिल से प्यार करती है,जिसके बारे में सोचती रहती है.....जिसका चेहरा उसके दिमाग में होता है....कभी कभी बच्चों को उसका अक्स मिल जाता है...|”


राईमा को लगा था शायद मम्मा कहना चाहती थी कि राईमा के दिल में साहिल है ना कि सौरभ..क्योंकि प्रिंसेस के चेहरे का कोई भी हिस्सा सौरभ जैसा नहीं था|

..................

राईमा कुछ देर खड़ी देखती रही फिर धीरे से कहा : “मुझे मम्मा ने बुलाया है..|”

साहिल यह सुनकर उसकी ओर देखा और फिर उत्तर दिया : “ठीक है,ड्राईवर छोड़ आएगा तुम्हें| और मम्मा को कहना मैं शाम को आऊंगा|”

राईमा कहना चाहती थी कि आज करवा चौथ का व्रत है और साहिल को शाम को वहां रहना जरुरी है पर वह कुछ कह नहीं पायी और अपने कमरे में आ गयी| उसकी आँखों में आंसू आ रहे थे...क्योंकि साहिल ने उससे कुछ भी नहीं पूछा था और अकेले जाने को कह दिया था|

.....................


सारा दिन गुजर चूका था| राईमा भूख से निढाल हो रही थी और खिड़की के पास खड़े होकर दूर सड़क को देख रही थी...उसे साहिल का इंतज़ार था| वह आईने के सामने जाकर खड़ी होकर खुद को देखने लगी...मम्मा को पता नहीं क्या सूझी,जो उसके लिए दुल्हन जैसे जोड़े खरीदकर लायी थी और उनके प्यार भरे विनती को वह ठुकरा नहीं पाई थी और पहनना पड़ा था| मम्मा का कहना था आज हर विवाहिता औरत लाल जोड़े पहनती है और नयी दुल्हन जैसा सजती संवारती है| राईमा ने अपनी मांग में सिंदूर लगाया और खिड़की के पास आकर खड़ी होकर आसमान को देखने लगी जहाँ चाँद निकल आया था| तभी उसे मम्मा की आवाज़ सुनाई दी ,जो उसे बुला रही थी.... “बेटा ,जल्दी छत पर आ जा...साहिल आ गए हैं ..और चाँद भी निकल आया है|”


वह छत पर आई जहाँ साहिल प्रिंसेस को लेकर खड़ा था| पापा भी आ चुके थे | मम्मा ने राईमा के हाथ में पूजा की थाली पकड़ाई और उसे सारे नियम बताये| राईमा ने चलनी से चाँद को देखा और फिर साहिल को.....जो मुस्कुरा रहा था | फिर साहिल ने उसे पानी पिलाया और प्रसाद खिलाया | मम्मा भी अपना व्रत पापा के हाथों से पानी पीकर तोड़ चुकी थी| वह मुस्कुराकर राईमा से बोली : “बेटा, साहिल को कुछ खिला दे ..उसने सुबह से कुछ नहीं खाया है|”


राईमा ने चौंककर साहिल की ओर देखा | पापा कह रहे थे...“बेटा, आपने क्यों व्रत रखा? ये तो औरतें रखती है हमारे लिए|”


साहिल ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया : “पापा, अगर औरतें हमारे लिए रख सकती है तो क्या हम उनके लिए नहीं रख सकते? जिस तरह आपके बिना मम्मा का जीवन अधुरा है,उसी तरह उनके बिना आपका भी होगा न? तो क्यों न हम भी उनके मंगल कामना के लिए व्रत रखें? उनमें इतनी ताकत होती है कि अपने पति के लिए पानी का घूंट भी गले से नहीं उतारती सारा दिन....तो क्या हम कमजोर हैं?”


पापा मुस्कुराते हुए बोले : “सही कहा आपने दामादजी, अगले वर्ष से मैं भी राईमा की माँ के लिए व्रत रखूँगा|”

राईमा की माँ बोल उठी : “छोडिये जी,अब इस उम्र में ये सब करने की जरुरत नहीं है...आपने कह दिया,यही बहुत है मेरे लिए|’

पापा मुस्कुराते हुए कहा: “देखा साहिल बेटा, यही इन औरतों की महानता है..इन्हें हमसे कुछ नहीं चाहिए...बस देना जानती है..सिर्फ त्याग और त्याग...

.......................

रात काफी हो चुकी थी| साहिल अब जाने वाला था| राईमा का दिल चाह रहा था कि वह भी वापस चली जाये साहिल के साथ,पर कहने की हिम्मत नहीं थी| मम्मा ने ही कहा, “बेटा, घर चली जा साहिल के साथ..|”

राईमा ने बस इतना कहा : “पर मम्मा..साहिल ने नहीं कहा |”

उसे साहिल की आवाज़ सुनाई दी....”किसीको अपने घर जाने के लिए कहना पड़ता है क्या राईमा? या किसीकी परमिशन लेनी पड़ती है?”

राईमा ने प्रिंसेस की ओर देखा जो गहरी नींद में मम्मा के गोद में सो रही थी| मम्मा मुस्कुराते हुए बोली.... “इसे यही रहने दे आज...बहुत गहरी नींद सो रही है,टूट जाये तो रोने लगेगी|”

राईमा ने साहिल की और देखा क्योंकि साहिल कभी भी प्रिंसेस को खुद से अलग नहीं करता था पर आश्चर्य की बात थी वो भी ख़ुशी ख़ुशी मान गया|

......................

दोनों घर पहुंचे तो साहिल ने राईमा से कहा कि वह अंदर जाये,वो गाड़ी पार्क करके आ रहा है| राईमा को पता था रमेश पापा किसी काम से दिल्ली गए हैं पर उसे आश्चर्य लगा घर में अँधेरा देखकर| पूछने पर साहिल ने बताया कि उसने काकी और पिंकी दोनों को आज छुट्टी दे दी |

राईमा जैसे ही अपने कमरे में पहुंची और लाईट ऑन की......उसकी आँखें हैरत से फ़ैल गयी....सारा कमरा दुल्हन जैसा सजा था....मोगरे की खुशबु चारों ओर फैली थी....कमरे में एक ही पलंग था...साहिल का पलंग,जो फूलों की बेड़ियों से सजा हुआ था....बेड के बीचोबीच लाल गुलाब से दिल का आकार बना हुआ था जिसके बीच में कुछ लिखा हुआ था..वह सधे क़दमों से पास आई और पढ़ते ही उसके गाल शर्म से लाल हो गए...वहां लिखा था.... “आइ लव यू मेरी प्यारी वाइफ..”


वह स्तंभित सी खड़ी थी! अचानक साहिल की आवाज़ कमरे में गूंजी.... “कैसा लगा राई....आज के इस शुभ दिन में क्या मेरा तोहफा तुम्हें कबूल है?”


राईमा ने भीगी आँखों से उसे देखा और हाँ में सर हिलाते हुए अपनी नज़रें झुका ली| साहिल उसके पास आया और धीरे से कहा... “अगर ये तोहफा तुम्हें पसंद है तो आज की रात और एक तोहफा कबूल कर लो राई...इस नाचीज़ को अपना बना लो...|”


राईमा के होंठ थरथराये पर वह कुछ कह नहीं पाई और ना ही अपनी नज़रें उठाकर साहिल को देख पाई| साहिल अचानक घुटनों के बल बैठ गया और अपने जेब से एक खुबसूरत हीरे की अंगूठी निकालकर उसकी ओर बढ़ाते हुए कहा: “अगर आज ये अंगूठी तुम अपनी इन खुबसूरत ऊँगली में पहनाने दोगी तो मैं समझ जाऊँगा कि तुम्हे मैं कबूल हूँ...और तुम हमारे रिश्ते को और आगे ले जाना चाहती हो|”


राईमा ने अपनी ऊंगली आगे बढ़ा दी..साहिल ने मुस्कुराते हुए उसकी ऊंगली में अंगूठी पहनाई और उसे चूम लिया| राईमा ने नज़रें नीची रखते हुए ,शर्म से लाल होती हुई बोली : “इस खुबसूरत गिफ्ट के लिए थैंक यू|” साहिल उसके और करीब आते हुए फुसफुसाया.... “सिर्फ थैंक यू से काम नहीं चलेगा राई...|”


राईमा उसकी ओर भीगी आँखों से देखते हुए उसके गले में अपनी बाहें डाल दी और अपने नरम होंठ उसके होंठों पर रख दिए...साहिल की साँसे जैसे रुकने लगी...दिल की धड़कन जैसे 100 किलोमीटर की रफ़्तार से भागने लगा....उसके लिए और इंतज़ार करना मुश्किल था...उसने राईमा को अपनी बाँहों में भर लिया और कुछ ही पल में दोनों प्यार के समंदर में डूब गए....आज की रात वो सारी दूरियां खत्म कर देना चाहते थे...साहिल चाहता था राईमा को अपने प्यार के सागर में सरोबोर कर दे और राईमा चाहती थी साहिल के प्यार को अपने जिस्म के हर एक कोने में भर लेना..जिससे सौरभ के उसके जिस्म को कलुषित करने का हर दाग मिट जाये....|

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क्रमश :   


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Jyoti

Jyoti

👌

31 दिसम्बर 2021

4
रचनाएँ
पवित्र रिश्ता
5.0
“जब कभी हमसे तकदीर रूठ जाती है तो आशा की किरणें सपनों में झिलमिलाती है कोई तो होगा जो एकदिन पास आएगा अपने पवित्र प्यार को मुझपर यों लुटायेगा अपनी प्यारी मुस्कराहट से ,नयी उमंग जगायेगा जैसी भी हूँ मैं,बेझिझक वो अपनाएगा जिस्म की सीमा से आगे,दिल तक समा जायेगा तब अपना वो प्यारा रिश्ता ‘पवित्र रिश्ता’ कहलायेगा |” अध्याय -1 क्यों? क्यों ? क्यों?....कहते हुए उसने गुस्से से दिवार पर जोर से मुक्का मारा और उतने ही गुस्से से गरजा... “क्यों हर बार मैं ही ? क्यों हर बार उसकी गलती की सजा मुझे मिलती है? क्यों वह बचकर निकल जाता है?” राईमा दुल्हन के लिबास में चुपचाप एक कोने में दुबककर खड़ी थी और सुनी,भयभीत नज़रों से उस इंसान को देख रही थी जिसे सपने में भी देखना उसके लिए आतंक की बात थी| अचानक उसने देखा उस इंसान के हाथ से खून की धारें बह निकली| उसने गुस्से में खिड़की के कांच पर हाथ दे मारा था और उस कांच के टुकड़े जमीन पर पड़े थे और शायद कुछ टुकड़े उसके हाथ में भी चुभ गए थे इसलिए तो उसका चेहरा दर्द से पीला पड़ा था ..वह अपने दायें जख्मी हाथ को बाएं हाथ से पकड़कर रखा था और दर्द को सहने की कोशिश कर रहा था| वह उठा और अलमारी से फर्स्ट एड बॉक्स निकला और मरहम पट्टी करने की कोशिश की पर बाएं हाथ से पट्टी बाँधी नहीं जा रही थी तो उसने गुस्से से उसे दूर फेंका और जाकर सोफे पर ढह गया| राईमा ने देखा खून अभी भी बह रहा था| उसने किसी तरह साहस बटोरे और फर्स्ट एड बॉक्स उठाकर उसके थोड़ा पास आई और धीरे से कांपते स्वर में बोली, “लाइये ,मैं कर देती हूँ|” पर उसकी आवाज़ सुनते ही उस इंसान के तन-बदन में आग लग गयी| वह उसकी तरफ लाल लाल आँखों से देखते हुए गुर्राया... “बेवकूफ लड़की! मैंने तुम्हें मना किया था न ! तुम जैसे पागल लड़कियों को ये क्यों समझ नहीं आता कि मर्द को सिर्फ एक औरत का जिस्म चाहिए होता है..जिसके लिए वह प्यार का नाटक करता है...और न मिले तो जबरदस्ती करता है...छल-बल हर चीज़ वह अपनाता है सिर्फ और सिर्फ अपनी हवस पूरी करने के लिए...पर तुमलोगों को तो बस लव स्टोरी बनाने का चस्का लगा रहता है...और इतनी बेशरम कैसे हो सकती हो तुम लोग? बिना किसी शर्म के अपना तन विवाह के रिश्ते में जुड़ने से पहले किसीको कैसे सौंप सकती हो? क्या दिमाग नाम की कोई चीज़ नहीं होती? मैं तुम जैसी लड़कियों से नफरत करता हूँ...समझी!!” राईमा अवाक सी उसे देख रही थी! यह क्या कह रहा था! ऐसे बातें कहते हुए उसने एकबार भी नहीं सोचा कि वह खुद भी एक मर्द है!किस मिटटी का बना है ये! और अगर वह उससे नफरत करता है तो उससे विवाह क्यों किया? वह तो अपनी गलती की सजा भुगत रही थी..मर जाना चाहती थी..| पर क्या ये जो कह रहा है वो सच है? उसने सौरभ से प्यार जरुर किया था पर उसने कभी सीमा नहीं लांघी| उसकी परवरिश ऐसी नहीं हुई थी...पर ,यह आदमी,जो इतनी बड़ी बातें कर रहा है...वह क्यों नहीं सोचता कि वह आज जिस जगह खड़ी है,सिर्फ और सिर्फ इसके भाई की वजह से...उस हवसी के वजह से,जिसका सिर्फ एक ही मकसद है...प्यार का छलावा कर लड़कियों के जिस्म से खेलना....| ........................ पूनम

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