झुलसती हुई गर्मी के बाद जिस तरह बारिश की फुहारें मनुष्य के मन को प्रफुल्लित कर देती है उसी तरह राईमा के मन को प्रफुल्लित कर गयी थी साहिल की बातें..उसका अपनापन| उस रात वह बिलकुल सो नहीं पाई थी...देर रात तक साहिल की बातें उसके कानों में गूंजती रही....
“तुम्हारी आँखों में आंसू अच्छे नहीं लगते,अब इन्हें यों ही फ़िज़ूल में मत बहाना|”
उसे याद आया सौरभ के सामने वह किस तरह फुट फुटकर रोती थी..गिरगिराती थी..मिन्नतें करती थी पर वो अपनी मनमानी करता रहता था...और साहिल उसकी आँखों में कुछ बूंद आंसू देखकर ही कितना दुखी हो गया था...| कभी ऐसी रात राईमा के ज़िन्दगी में आई जब वह सारी रात आंसू बहाती थी अपने नर्क ज़िन्दगी के बारे में सोचकर...और वह उन आंसूओं को चुपचाप अपने में समेट लेती थी..जिससे किसीको पता ना चले कि उसकी ज़िन्दगी में क्या हो रहा है...वह क्या झेल रही है....| कभी कभी रात को उसे डरावने सपने आते जिसमें वह देखती थी उसके वो नग्न तस्वीर सारे शहर में सौरभ ने बाँट दिया है....लोग उसके खानदान का मजाक उड़ा रहे हैं...कीचड़ उछाल रहे हैं...और पापा ने खुद को खत्म कर लिया है...मम्मा पागलों जैसा बर्ताव कर रही है...और वह खुद को इस दुनिया के नज़रों से छुपाने की व्यर्थ कोशिश कर रही है.....|वह अपनी रातें इन्हीं आशंकाओं में गुजारती रहती थी और उन डरावने सपनों को ना देखना पड़े इसलिए सारी रात जागती रहती थी| आज भी उसके आँखों से आंसू थे ..पर ये ख़ुशी के आंसू थे.....भरोसे के आंसू ..जिन्हें उसे मिला था अपने पति से.......जिन्हें वह चुपचाप अपने में समेट रही थी ...क्योंकि सामने ही सोफे पर उसका सबसे अपना...उसका जीवन साथी...उसका पति गहरी नींद में सोया हुआ था ...और अगर वह अचानक ये आंसू देख ले तो शायद घबरा जायेगा...|
राईमा ने साहिल की ओर देखा और उसके होंठ अनायास मुस्कुरा पड़े...| साहिल के बाल बेतरतीबी से चेहरे पर बिखरे हुए थे...गर्मी के कारण पंखा फुल स्पीड में था जिससे साहिल के बाल उसकी आँखों में...गाल पर..गुदगुदी कर रहे होंगे क्योंकि वह नींद में ही अजीब अजीब बच्चों जैसा चेहरा बना रहा था और बार बार उन बालों को हटाने का प्रयास कर रहा था| उसका एक हाथ सोफे से नीचे लटक रहा था और सर के नीचे से तकिया खिसककर नीचे गिर चूका था| राईमा को अचानक बड़ा प्यार आने लगा....बेचारा! राईमा तो उसका बेड अपने कब्ज़े में कर चुकी थी,वह उसपर सोती थी और वह इतना लम्बा चौड़ा इंसान किस तरह एक छोटे से सोफे में खुद को एडजस्ट करने की निरर्थक प्रयास में था| राईमा धीर क़दमों से साहिल के पास आई और उसके हाथ को उठाकर सोफे पर रखा और तकिये को उसके सर के नीचे डालने का प्रयास की,तभी साहिल ने करवट बदलने की कोशिश की....और धम्म से जमीन पर आ गिरा...| राईमा ,जो उसके तकिये को सर के नीचे डालने के प्रयास में मग्न थी..कुछ समझ नहीं पाई और उसके हटने से पहले ही साहिल उसके उपर था...वह जोर से चिल्ला उठी..... “उई माँ.....मर गयी....!”
साहिल घबराकर उठ बैठा और जोर जोर से चिल्लाने लगा.... “क्या हुआ?..कौन है....?कौन है? "
राईमा ,जो उसके नीचे लगभग दबी हुई थी....बकरी जैसा मिमियाने की आवाज़ में बोल उठी.... “साहिल जी...हटिये..मैं..हूँ...”
साहिल जल्दी से हट गया और आश्चर्य होकर राईमा की ओर देखते हुए पूछा... “तुम मेरे नीचे क्या कर रही हो?”
राईमा को उसके प्रश्न और उसकी नींद से भरी गोल गोल आँखें और चेहरे पर उड़ती हवाईयाँ देखकर जोर से हंसी आ गयी| वह अपनी हंसी छुपाते हुए बोली... “आप सोफे से गिर पड़े|”
साहिल ने सर हिलाया और कहा... “हाँ,वो बचपन की आदत है...बेड से भी गिरता रहता हूँ...पर तुम..तुम यहाँ क्या कर रही थी? मुझे उठाने आई थी?”
राईमा ने सर हिलाते हुए ..सोफे पर रखे तकिये को,जो वो उठाकर रख चुकी थी,दिखाते हुए कहा “नहीं,आपके तकिये को उठाने आई थी..|”
साहिल ने आश्चर्य से पूछा... “क्यों? तकिया तो सोफे पर ही है...गिरा तो मैं था....क्या तुम्हें और एक तकिया चाहिए?”
राईमा उसकी बात सुनकर खिलखिला कर हंस पड़ी| साहिल का चेहरा एक छोटे बच्चे की तरह दिख रहा था जो उसके इस तरह हंसने पर आश्चर्य से उसका चेहरा देख रहा था| वह किसी तरह अपनी हंसी रोकते हुए बोली... “आपको बहुत नींद लगी है...सो जाइये|”
साहिल ने सर हिलाया और पूछा ... “तकिया नहीं चाहिए?”
राईमा ने ना में सर हिलाते हुए कहा... “नहीं...|”
साहिल ने एकबार उसकी ओर देखा और फिर जाकर सोफे पर लेट गया| राईमा उठते हुए बोली, “ आपको शायद गर्मी लग रही है,ए.सी. ऑन कर दूँ?”
साहिल ने ना में गर्दन हिलाते हुए कहा.... “नहीं..तुम कमजोर हो,ए.सी.का हवा तुम्हारे लिए ठीक नहीं है|”
राईमा उसकी बातों से चौंक गयी| इसका मतलब साहिल इसी वजह से ए सी ऑन नहीं करता है...| उसे साहिल कि नींद भरी आवाज़ सुनाई दी... “तुम्हें सच में तकिया नहीं चाहिए?”
राईमा : “नहीं,आप सो जाइये...”
साहिल की आवाज़ सुनाई दी.... “हूँ.....”
राईमा बेड पर लेट गयी और आँखें बंद की,तभी उसे साहिल की आवाज़ सुनाई दी.... “पर तुम यहाँ क्या कर रही थी?”
राईमा ने मुस्कारते हुए उत्तर दिया... “कल सुबह बताऊँगी ...अभी सो जाइये|”
पर उससे पहले ही साहिल के हौले हौले खर्राटे की आवाज़ कमरे में गूंजने लगी| राईमा मुस्कुरायी और आँखें बंद कर ली...आज शायद बहुत दिनों बाद वह खुलकर हंसी थी...और अभी भी साहिल की बातें याद करके,उसका हकबकाया हुआ चेहरा याद करके उसके होंठ मुस्कुरा रहे थे|
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अगले दिन साहिल ने कुछ नहीं पूछा,मानों उसे कुछ याद ही नहीं था और राईमा भी कुछ नहीं बोली| वैसे रात को जिस तरह वह खुलकर साहिल से बात की थी,अब वो हिम्मत नहीं था..क्योंकि साहिल का चेहरा इतना गंभीर रहता था कि उससे दूर रहने में ही ठीक लगता था..| पर रात की घटना याद करके उसका मूड काफी अच्छा था ,उसके होंठ बार बार मुस्कुरा पड़ते थे|
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साहिल अपने ऑफिस का काम खत्म कर बाहर निकला और अपनी गाड़ी निकलने लगा तो उसे कुछ युवक- युवतियां नज़र आये जो कुछ दूर खड़े होकर इधर उधर देख रहे थे और कुछ बातें कर रहे थे,पर बहुत धीमी आवाज़ में| साहिल को लगा वो कुछ ढूंढ़ रहे हैं,सो उसने पूछा ... “क्या आपलोग किसे ढूंढ़ रहे हैं? यहाँ किसीसे मिलना है आपको?”
अनुषा झट से बोल उठी.... “आपसे..|”
साहिल उसे आश्चर्य से देखते हुए पूछा... “मुझसे! क्यों? क्या मैं आपलोगों को जानता हूँ?”
अनुषा का बॉयफ्रेंड आयुष आगे आकर बात को सँभालने की कोशिश की| उसने कहा... “सर, आप हमें शायद नहीं पहचाने| आपकी शादी में हम गए थे|”
साहिल ने आश्चर्य से पूछा, “क्यों?”
प्रिया अनुषा के कान में धीरे से फुसफुसाई... “देखने में तो बड़ा स्मार्ट है पर प्रश्न् कैसा बुद्धू जैसा पूछ रहा है..लोग शादी में क्या करने जाते है भला?”
साहिल को उसकी बात सुनाई दी थी,इसलिए उसने मुस्कुराते हुए कहा... “सॉरी...मुझे लगता है आपलोग राईमा के फ्रेंड्स हैं, क्या मैं सही हूँ?”
जवाब में सबने अपने सारे दांत निकालकर मुस्कुराते हुए कहा.... “जी सर..बिलकुल सही समझा अपने..”
साहिल ने उसी तरह मुस्कुराते हुए कहा... “तो आपलोग मुझे सर क्यों कह रहे हैं? इसलिए तो मैं कंफ्यूज हो गया था|”
दीपिका मुस्कुराते हुए बोली... “क्या हम आपको जीजू कह सकते हैं?”
साहिल ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया... “हाँ जरुर..पर आप राईमा से मिलने क्यों नहीं आते? और अचानक मुझसे क्या काम आ पड़ा?”
ऋत्विक आगे बढ़ते हुए बोला... “क्या हम कहीं बैठकर बात कर सकते हैं ? अगर आपको प्रॉब्लम ना हो तो?”
साहिल ने सर हिलाया और कहा... “पास ही कैफ़े है,हम वहां जा सकते हैं|”
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कैफ़े में आयुष ने हिम्मत करके बात आरंभ की.... “असल में हम आपसे कुछ विनती करना चाहते हैं,अगर आप बुरा ना माने तो..”
साहिल ने सर हिलाते हुए उत्तर दिया... “मुझे अच्छा लगेगा अगर आपलोग खुलकर बात करे तो...मैंने अंदाजा लगाया है बात राईमा की होगी इसलिए आपलोग उसके सामने नहीं बताना चाहते,क्या मैं सही हूँ?”
प्रिया ने हाँ कहते हुए बोली.... “असल में हम राईमा की मम्मा यानि आंटी से मिलने गए थे...हमें आंटी ने सब बता दिया कि किस हालात में उन्होंने राईमा का विवाह आपसे किया है और आगे उन्होंने क्या सोच रखा है| हमे लगता है राईमा ने आपको सच्चाई नहीं बताई होगी|”
साहिल :”कैसी सच्चाई?”
अनुषा गला खंखारते हुए बोली : “आंटी ने बताया कि राईमा और सौरभ एक दुसरे से प्यार करते हैं और सौरभ के वापस आने के बाद आप उसे तलाक दे देंगे और....” कहकर वह चुप हो गयी पर साहिल को अपनी ओर देखते हुए बोली... “पर ये झूठ है...सौरभ ने राईमा को ब्लैकमेल किया था रिश्ता बनाने के लिए|”
साहिल ने चौंकते हुए पूछा... “आपको कैसे पता? राईमा ने बताया था?”
अनुषा सर हिलाते हुए बोली : “नहीं जीजू...उसने किसीको नहीं बताया था| ये बात मुझे मेरे भाई से पता चला|”
साहिल और भी चौंक गया| अनुषा कहती जा रही थी.... “असल में मेरा भाई जिम जाता है..जहाँ सौरभ जाता था...वहां उसने सुना था सौरभ अपने दोस्तों से चैलेंज कर रहा था कि वह राईमा को अपने प्यार के जाल में फँसाएगा..| पर वह सौरभ की टीम से डरता था इसलिए चुप था...| एकदिन ,सौरभ के गायब होने से पहले शाम को जब मेरा भाई जिम गया था तो उसने सौरभ और उसके दोस्तों की बातें सुनी थी कि सौरभ किस तरह ब्लैकमेल करके राईमा का इस्तेमाल कर रहा है| उसके दोस्त पूछ रहे थे.... “अरे यार,बता तो सही किस तरह यह सोने की चिड़िया तेरे हाथ में आई?हम भी वो फार्मूला काम में लायेंगे...|”
पर इससे पहले कि आनंद और कुछ जान पाता, सौरभ ने उसे देख लिया और जमकर पिटाई की और जान से मारने की धमकी दी| वह नालायक तो हमें यह भी नहीं बताया कि किन लोगों ने उसकी पिटाई की ....कुछ दिन पहले जब वह अस्पताल से घर आया तो मुझे सारी बातें बताई तो हमें लगा आपसे बात करना चाहिए|”
साहिल : “ क्या आपलोग सौरभ के कारनामों के बारे में जानते थे?”
आयुष सर हिलाता हुआ बोला : “जी सर, हमें कुछ कुछ पता था तो हमनें इन लड़कियों को बताया पर इन्होंने जब राईमा से कहा तो वो बुरा मान गयी और इनसे दूर रहने लगी| उसपर सौरभ का जादू पूरी तरह छा गया था|”
साहिल ने हाँ में सर हिलाया और पूछा... “अब आपलोग मुझसे क्या चाहते हैं?”
प्रिया बोल उठी : “जीजू,हम जानते हैं,आप एक बहुत अच्छे इंसान हैं...
साहिल मुस्कुराता हुआ बोला, “किसने बताया आपलोगों को?”
माहिया मुस्कुराते हुए बोली.... “हमने आपके बारे में सारी जानकारी एकत्रित की है जीजू.”
साहिल हँसता हुआ बोला... “ओके,अब बताईये आप क्या चाहते हैं?”
आयुष : “हम बस ये चाहते हैं कि आप राईमा को गलत न समझें और उसे सौरभ के चंगुल से बचा लें| वैसे भी उसने बहुत झेला है..|”
साहिल मुस्कुराता हुआ कह उठा : “राईमा बहुत लकी है,जिन्हें आप जैसे दोस्त मिले..वैसे राईमा मुझे बता चुकी है थोड़ा बहुत और मैं समझ गया हूँ सौरभ ने कितनी तकलीफ पहुंचाई है उसे,इसलिए तो खामोश रहती है...एक आतंक में जी रही है वो| और एक बात आपलोग भी जान लीजिये...मैंने जरुर कुछ और सोचकर उससे विवाह किया था,पर अब वो मेरी पत्नी से भी ज्यादा एक मजबूर बेबस लड़की है,जिसे मेरे भाई जैसे जानवर से बचाना मेरा सबसे बड़ा फ़र्ज़ है| आप मुझपर विश्वास रखिये,राईमा पर कोई आंच नहीं आएगी|”
आयुष उठता हुआ बोला.. “थैंक यू मि.साहिल|”
साहिल ने उससे हाथ मिलाते हुए पूछा, “आपलोग राईमा से मिलने क्यों नहीं आते? वो अकेली घर में बोर होती है|”
प्रिया : “हम चाहते हैं पर डर लगता है वो बुरा न मान जाए|”
माहिया बोल उठी.... “और आपसे भी डर लगता था जीजू...”
साहिल मुस्कुराते हुए बोला, “अब आपलोगों को मुझसे डरने की जरुरत नहीं है..और मैं सोचता हूँ राईमा को फिर से अपनी स्टडी स्टार्ट कर देनी चाहिए| आपलोग कल आईये,उससे मिलिए स्टडी भी स्टार्ट करने की बात छेड़ने के बहाने उससे मिलिए,बात कीजिये..,फिर मैं संभाल लूँगा|”
साहिल के जाने के बाद माहिया बोल उठी : “हाये! कितना प्यारा इंसान हैं साहिल जी...और कितने हैण्डसम हैं...और उनकी आँखें देखी है ? गोरा चिट्टा रंग...और नीली आँखें! मेरे सपने में रोज ऐसा प्रिंस आता है..|”
प्रिया बोल उठी : “अब कोई फ़ायदा नहीं बालिके...वो प्रिंस अब राईमा का बन चूका है,अपने सपनों की दुनिया से बाहर आ जा|”
ऋत्विक हँसता हुआ बोला : “तभी मैं सोचूं ये माहिया इतनी चपड़-चपड़ करने वाली,आज इतनी चुप क्यों है...किसी और दुनिया में खोयी थी वो तो...|”
अनुषा : “पर यार सच में मि. साहिल कितने अलग हैं अपने भाई से| आशा है राईमा की ज़िन्दगी अब संवर जाएगी..|”
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शाम का समय था| राईमा बालकनी से रास्ते को देख रही थी| उसे आज अपने दोस्तों की बहुत याद आ रही थी| कॉलेज के शुरू के दिनों में वह कितना डरती थी..सहमी हुई रहती थी..पर अनुषा,प्रिया..माहिया..सबने उसे कितना हौसला दिया था और उसने सौरभ के लिए उनलोगों से दुरी बना ली थी.....भगवान् ने इसकी ही सजा दी होगी उसे| उसे तब अपने उन प्यारे दोस्तों की ही बातें बुरी लगने लगी थी..पर बाद में वह तो लगभग कॉलेज जाना ही छोड़ चुकी थी..किसीसे नज़रें मिलाने का साहस उसमें नहीं था| मम्मा के पूछने पर वह झूठमुठ का बहाना करती कि कॉलेज से ज्यादा घर में पढ़ाई होती है| उसके शादी में मम्मा – पापा ने उन सबको निमंत्रण भेजा था पर वो किसीसे बात तक नहीं की थी...कितना बुरा लगा होगा उनको...|” उसने एक लम्बी सांस छोड़ी और अपने आंसू पोछे| तभी गार्ड ने आकर बताया कि राईमा से मिलने कुछ लोग आये हैं,वो उनको दोस्त बता रहे हैं|
राईमा ने चौंककर देखा,उसके सारे दोस्त गेट के पास खड़े थे| राईमा को पता था साहिल का ही आदेश है कि अनजान लोगों को अन्दर ना आने दिया जाये| उसने गार्ड को उन्हें अन्दर लाने को कहा और खुद ड्राइंग रूम में आ गयी| एक ही पल में उसके दोस्त अन्दर थे...और उसके कुछ कहने से पहले ही माहिया,अनुषा,प्रिया आकर उससे लिपट गयी और सबने एक साथ कहना शुरू किया... “हमने तुझे बहुत मिस किया राईमा..इसलिए हिम्मत करके मिलने चली आई..|”
फिर सब लड़कियों ने राईमा से एक साथ बातें शुरू की..राईमा कुछ कहना तो दूर..समझ नहीं पा रही थी कौन क्या बोल रही है...सबकी बातें गड्मड हो रही थी|
आयुष ने मुस्कुराते हुए कहा : “ओये,हेल्लो गर्ल्स...हमने भी मिस किया राईमा को..हमें भी बात करनी है उससे|”
अनुषा मुस्कुराकर बोली... “ लेडीज फर्स्ट...अभी तुमलोगों को कोई चांस नहीं मिलेगा ..|”
राईमा आयुष की ओर देखकर हल्की मुस्कराहट के साथ पूछी... “कैसे हो तुम सब?”
आयुष मुस्कुराता हुआ बोला : “हम तो ठीक हैं राईमा पर तेरी ये सहेलियां बिलकुल ठीक नहीं है...लगता है इस बार पास करना मुश्किल है इनका..स्टडी में बिलकुल दिल नहीं लगता..|”
राईमा ने प्रश्नसूचक निगाहों से आयुष को देखा| ऋत्विक बोल पड़ा... “एक्चुअली तू इनका इन्सपिरेसन (प्रेरणा स्रोत ) थी...तुझे देखकर इन्हें पढ़ाई याद आती थी..|”
प्रिया ने आँखें तरेकर कहा, “चुप चुगलखोर...तुझे और कोई काम नहीं क्या?”
ऋत्विक मुस्कुराता हुआ बोला : “देख प्रिया,मैं कह देता हूँ...पास नहीं की तो मैं तुझसे शादी नहीं कर सकता...मेरे पापा का शर्त यही है कि लड़की पढ़ी लिखी हो..वैसे तूने तो चोरी करके ही पास की है अब तक..”
उसके कुछ कहने से पहले ही प्रिया अपना पर्स उसके तरफ फेंकते हुए गुस्से से बोली.... “चुप बे छछूंदर...तेरे कारनामें सबको पता है...|”
राईमा मुस्कुराने लगी थी....कुछ भी नहीं बदला था...प्रिया- ऋत्विक की वही लड़ाई ...माहिया का अनर्गल बकबक करना...आयुष और अनुषा के समझदारी की बातें...सब कुछ वही था..सिर्फ वो ही बदल गयी थी...कितना मिस किया इनलोगों को उसने!
वह उठती हुई बोली : “तुम लोग बैठो,मैं कुछ लाती हूँ |”
अनुषा उसका हाथ पकड़कर उसे अपने पास बिठाते हुए बोल पड़ी : “हम तुझसे मिलने आये हैं राई...तुझसे बातें करने आये हैं|”
राईमा एक गहरी सांस खींचते हुए बोली : “मैं क्या बातें करूँ,कुछ है ही नहीं बात करने को ..|”
आयुष : “मि. साहिल यानि तेरे पति कहाँ हैं?”
राईमा कुछ कहने जा रही थी तभी उसे साहिल की आवाज़ सुनाई दी.... “हेल्लो ..
साहिल दरवाज़े के पास खड़ा था| राईमा थोड़ा डर गयी..अगर साहिल बुरा मान जाये तो...पर वह कुछ कहती उससे पहले ही माहिया का उल्लसित स्वर सुनाई दिया... “हेल्लो जीजू...|”
राईमा ने अचम्भे से माहिया की ओर देखा जो इस तरह बिना झिझक साहिल को संभाषण कर रही थी मानों बरसों की पहचान हो| पर उससे ज्यादा वो अचंभित थी साहिल की आवाज़ सुनकर...वह मुस्कुराते हुए कह रहा था... “हेल्लो..क्या मैं आपका नाम जान सकता हूँ?”
माहिया ख़ुशी भरे आवाज़ में बोली : “मेरा नाम माहिया है,सभी मुझे माही कहकर पुकारते हैं|”
साहिल ने मुस्कुराकर कहा : “हेल्लो माही ...वैसे आप सब यहाँ आये तो अच्छा हुआ,राईमा वैसे भी बोर होती रहती है अकेले...क्यों राईमा?”
उसने कहते हुए राईमा की ओर देखा| राईमा ने धीरे से सर हिलाया और बोली : “आपको कुछ चाहिए? मैं काकी से कह देती हूँ..|”
साहिल मुस्कुराते हुए उत्तर दिया : “मैं मेहमान नहीं हूँ राईमा...तुम्हें इनकी खातिरदारी करनी चाहिए| मैं श्याम (गार्ड ) को भेज देता हूँ,कुछ आर्डर कर दो|”
कहकर वह सबके तरफ देखकर मुस्कुराते हुए कहा : “आपलोग बात कीजिये, मुझे थोड़ा काम है...सॉरी| पर कल आपलोग शाम को आइये,मुझे राईमा की स्टडी के बारे में बात करनी है...|” कहकर वह सबको बाय कहता चला गया| राईमा कुछ कहती उससे पहले माहिया बोल उठी : “हाय! जीजू तो बड़े प्यारे हैं राई...और कितने हैण्डसम हैं...और तूने देखा होगा राई..उनके तो हंसने पर डिंपलस (गालों में गड्ढे) बन जाते हैं....कितने खुबसूरत दीखते हैं वो!”
ऋत्विक बोल उठा : “ओये माही ...राई का पति है वो और उसे पता है उसका पति कितना हैण्डसम है..तूझे बताने की जरुरत नहीं|”
माहिया ने मुस्कुराते हुए कहा : “हाँ ये भी है..
राईमा इन बातों से कुछ असहज सा महसूस कर रही थी | श्याम आने पर वह खाने का आर्डर देने लगी जिससे साहिल के बारे में चर्चा वहीँ खत्म हो जाये| उसे पता था माहिया बहुत ही साफ़ दिल की है पर बोलने से पहले सोचती नहीं है...अगर उसने ऐसा वैसा कुछ पूछ लिया तो राईमा के लिए मुश्किल हो जायेगा उसका उत्तर देना|
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कुछ महीने गुजर गए थे| राईमा के दोस्त उसके घर आकर उसके स्टडी में सहायता कर देते थे| साहिल ने कॉलेज के प्रिंसिपल से बात कर ली थी और राईमा को घर से पढ़ने की इज़ाज़त मिल गयी थी| जब उसके दोस्त आते तो कभी कभी साहिल भी आ जाता और उनसे बात चीत करता | सब ऐसे सामान्य व्यव्हार करते थे मानो राईमा के जीवन में कुछ हुआ ही ना हो...उसके दोस्तों ने कभी भी सौरभ के बारे में कोई सवाल नहीं किये|
पढाई के अलावा उसके दोस्तों के चर्चा का मुख्य विषय होता था ..साहिल...कितने अच्छे हैं...मिलनसार हैं...हैण्डसम हैं...| आजकल जब साहिल कमरे में अपने फाइल्स पढ़ने में व्यस्त होता तो राईमा भी चोरी छुपे उसको देख लेती थी...और अपने दोस्तों की बातों को याद करती थी |उसने कभी ख्याल ही नहीं किया था कि साहिल हँसते हुए कितना खुबसूरत लगता है...उसके गालों के गड्ढे और गहरे हो जाते थे और नीली आँखें ख़ुशी से चमकने लगती थी ,मानो आँखें भी हंस रही हैं....उसके भरे हुए लाल होंठ और मोती जैसे दांत उसकी निश्छल मुस्कराहट के सौन्दर्य को और बढ़ा देता था ..उसके चेहरे पर बेतरतीबी से बिखरे हुए बाल ऐसे लगते थे मानों वो साहिल के चेहरे को चूमने को बेताब हो...| राईमा कभी कभी सोचती थी कि क्या सुन्दरता इंसान के अन्दर छुपी रहती है...? उसके अन्दर का सौन्दर्य ही शायद उसे और खुबसूरत बना देता है | साहिल से मिलने से पहले सौरभ के उसके बारे में नकारात्मक विचार...बुरे ख्याल ने राईमा को इस तरह प्रभावित किया था कि वह इस दुनिया के शायद सबसे अच्छे इंसान से डरने लगी थी...पर ज्यों ज्यों उससे परिचित होती जा रही थी...इस इंसान की खूबियाँ उसके दिल में छाने लगी थी और शायद अब आस...एक गुप-चुप इच्छा उसके दिल में उमड़ने लगी थी....साहिल की बाहों में अपनी सारी ज़िन्दगी बिता देना...पर उसे कभी कभी लगता था साहिल सिर्फ अपना कर्तव्य निभा रहा है..पति होने का कर्तव्य,क्योंकि उसने कभी भी राईमा के करीब आने की कोशिश नहीं की थी अबतक...या शायद राईमा के गर्भ में पल रहा सौरभ का पाप उसे करीब आने से रोक रहा था..| राईमा जब भी इस बात को सोचती तो उसे अपने गर्भ में पल रहे बच्चे से नफरत होती थी...उसके वश में होता तो वो कब का इसे निकलकर फेंक देती जो कभी भी उसे सौरभ के कारनामों को भूलने नहीं देता था|
वह चाहती थी अपनी ज़िन्दगी में आगे बढ़े....एक नए रिश्ते को,जो अब तक सिर्फ दोस्ती तक ही था..उसे प्यार का नाम दे...पर वह हर पल इस बात से भी डरती थी कि कहीं साहिल का साथ ना छुट जाये..कहीं सौरभ वापस आकर उसकी ज़िन्दगी को फिर से नरक ना बना दे...इसलिए उसने सोच समझकर दोस्तों की बात मानकर अपनी स्टडी फिर से जारी की थी क्योंकि वह जानती थी सौरभ कभी भी वापस आ सकता है और सौरभ इस घर का हिस्सा है..रमेश पापा का बेटा और साहिल का छोटा भाई...वो ज्यादा दिन तक उससे नाराज नहीं रह सकते और सौरभ तो नाटक करने में भी माहिर है...तो वह राईमा को पाने के लिए कुछ भी कर सकता है| शायद उसका राईमा से दिल भर चूका होगा पर जब वह देखेगा कि उसके बड़े भाई की पत्नी राईमा है तो वह कभी इस बात को सहन नहीं करेगा ..और छल या बल से उसे प्राप्त करने की कोशिश करेगा| राईमा इस बात को समझती थी और जल्द से जल्द अपनी स्टडी पूरा कर कहीं और चले जाना चाहती थी..जहाँ सौरभ की परछाई भी उसपर ना पड़े| वह बच्चे को इसी घर में छोड़कर जाना चाहती थी क्योंकि उसे पता था इस घर का ही खून है वह तो रमेश पापा और साहिल उसे खुद से अलग नहीं करेंगे और अपना लेंगे|
इसी प्रण को वह मन ही मन रोज दुहराती रहती....”तुझे यहाँ से जाना है राईमा...किसीसे मोह मत लगा,वरना तुझे ही मुश्किल होगी सबकुछ छोड़कर जाना...ये सौरभ का घर है..ये लोग सौरभ के अपने हैं,भले ही साहिल और पापा कितने अच्छे हों...हैं तो सौरभ के अपने| तू इनसे दिल का रिश्ता जोड़ने की सोचना भी मत...खासकर साहिल से...|
पर कहते हैं... “दिल है कि मानता नहीं”....यही हाल राईमा का था| आजकल पता नहीं उसे क्या हो गया था..हर वक़्त साहिल के साथ बात करने का दिल करता था...उसे देखने का ,उसके पास रहने का दिल करता ..उसकी हर एक प्रतिक्रिया से उसे प्यार हो गया था..उसका गुस्सा भरा चेहरा...उसकी नाराजगी भरी आँखें...उसका डांटना..हर चीज़ से राईमा को प्यार हो गया था क्योंकि उसे पता था इस इंसान का दिल कितना कोमल और निर्मल है| शादी के बाद जब साहिल घर से बाहर रहता तब राईमा चैन से घर पर रहती थी..और उसके आते ही अपने कमरे में दुबक जाती थी पर अब जब तक साहिल घर पर रहता वह तितली जैसी सारे घर में उड़ती फिरती थी क्योंकि उसे लगता वह साहिल के रहने से खुद को सुरक्षित महसूस करती थी और साहिल के ऑफिस जाने के बाद वह अपने कमरे में दुबक जाती थी..लगता था कहीं सौरभ ना आ जाये...| इसलिए वह जान बुझकर साहिल को रोकने की कोशिश करती...कितने बहाने बनाने का यत्न करना पड़ता था उसे...| वह जानती थी साहिल को उसके सेहत का पूरा ख्याल रहता है...तो जानबूझकर देर से उठती,नाश्ता नहीं करती..और फिर साहिल नाश्ते के टेबल पर उसे ना देखकर उसके कमरे में आता और जोर की आवाज़ लगता.... “रात को मच्छर मार रही थी क्या? पता है कितना लेट हो गया है? नाश्ता कब करोगी और दवाई कब लोगी?”
राईमा अलसाई सी कहती : “आज मन नहीं है..आप ऑफिस जाओ|”
साहिल नाश्ते का प्लेट टेबल पर रखकर थोड़े गुस्से में कहता : “जल्दी से उठकर फ्रेश हो जाओ...तुम जानती हो मैं तुम्हें नाश्ता कराये और मेडिसिन दिए बगैर ऑफिस नहीं जाऊंगा|”
और फिर कभी कभी जान बुझकर वह दोपहर का खाना नहीं खाती और कुछ ही बाद साहिल का फ़ोन आता : “क्या बात है? तबियत ठीक नहीं है क्या?”
वह कहती : “नहीं..मुझे भूख नहीं है|”
और कुछ ही देर में साहिल बड़बड़ाता हुआ उसके कमरे में हाजिर होता... “राईमा...एक बच्चे को समझाना इससे ज्यादा आसान है...|”
राईमा कहती : “आप क्यों काम छोड़कर आये? एकदिन नहीं खाऊँगी तो मर नहीं जाऊँगी ...”
साहिल गुस्से से उसे देखता और कहता : “फिर कभी ऐसा बकवास किया तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा....चलो उठो और खा लो जल्दी से...वरना तुम्हारी फेवरिट आईसक्रीम पिघल जाएगी|”
आईसक्रीम के नाम से राईमा बच्चों जैसी खिल जाती थी और साहिल मन ही मन मुस्कुराते हुए कहता : “सच में बच्ची ही है...|”
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कभी कभी राईमा को लगता साहिल जो कुछ कर रहा है..उसका इतना ध्यान रखता है...यह शायद उस बच्चे के लिए जो उसके भाई का खून है पर फिर उसका मन उसे धिक्कारता था इस देवता पर शक करने के लिए|
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राईमा का नवां महीना चल रहा था| उसके एग्जामस हो चुके थे,रिजल्ट आजकल में आने वाला था| आजकल उसे उठने बैठने में भी बड़ी तकलीफ होती थी| साहिल ने काकी की बेटी पिंकी को उसके देखभाल के लिए रखा था,जो हर वक़्त राईमा के साथ होती थी| साहिल ने अपने कमरे में एक और बेड डलवा दिया था,जिसकी ऊँचाई कम थी| उसका कहना था कि राईमा को ऊँचे पलंग से उतरने में तकलीफ होगी | पर राईमा ने मुस्कुराते हुए पूछा था.... “कहीं ऐसा तो नहीं आपको अपना पलंग वापस चाहिए जिसपर मैंने अधिकार कर रखे हैं|”
साहिल मुस्कुराता हुआ जवाब दिया था : “हाँ...मैं अपनी चीज़ किसीको नहीं देता...खडूस हूँ एक नंबर का...और देता हूँ तो सूद समेत वापस लेता हूँ..याद रखना|”
राईमा इतना सुनते ही घबराकर इधर उधर देखने लगती और साहिल उसकी घबराहट देखकर मन ही मन मुस्कुराता| राईमा यों तो साहिल से अभी भी बात करने में झिझकती थी पर जब आधी रात को साहिल अपने पलंग पर गहरी नींद में सोया रहता तो राईमा घंटों उसे निहारती रहती| खिड़की से छनकर आती हुई पूनम की चांदनी के उजाले में साहिल किसी फ़रिश्ते से कम नहीं लगता था और राईमा अपनी सारी ज़िन्दगी इसी फ़रिश्ते के आगोश में बिताने का सपना देखते हुए सुनहरे ख्वाबों के रंगीन जाल बुनने लगती थी|
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उस दिन राईमा का रिजल्ट आने वाला था| उसके सारे दोस्त कॉलेज में थे पर वह नहीं जा सकती थी....पूरा महीना चल रहा था और डॉक्टर ने इसी हफ्ते बच्चे के डेलिवरी का डेट दे रखा था| वह अपना रिजल्ट जाने के लिए बहुत उत्सुक थी और बार बार दोस्तों को फ़ोन कर रही थी| तभी अनुषा ने फ़ोन पर बताया कि जीजू खुद आये थे उसका रिजल्ट देखने और वो ही तुझे बताएँगे तेरा रिजल्ट क्या है..हमें मना किया है..वो घर ही आ रहे हैं|”
राईमा ने घबराते हुए पूछा था.... “मैं पास तो कर गयी ना ?”
अनुषा मज़े लेते हुए बोली थी... “मैं तो नहीं बताऊँगी ...अब अपने प्यारे पतिदेव से ही पूछ लेना...|”
राईमा बैचेन होकर अपने कमरे में टहल रही थी | तभी उसे साहिल के कार का हॉर्न सुनाई दिया...वह घबराकर अपने बेड पर बैठ गयी और साहिल का इंतज़ार करने लगी| साहिल बाहर से ही उसे आवाज़ देता हुआ आ रहा था....लग रहा था बहुत खुश है,वरना इतने ऊँचे आवाज़ में बात करते उसे राईमा ने कभी नहीं सुना था| साहिल जैसे ही अंदर आया..राईमा उठकर खड़े होने की कोशिश की और अचानक उसके निचले पेट में जोरों का दर्द आरम्भ हो गया| वह गिरने ही वाली थी कि साहिल के मजबूत बाँहों ने उसे थाम लिया| वह दर्द से कराह रही थी और साहिल घबराहट के मारे पसीना पसीना हो रहा था...पिंकी,जो वहीँ बैठकर टीवी देख रही थी, दौड़कर अपनी माँ को बुला लायी| तबतक साहिल राईमा को उठाकर बेड पर सुला दिया था और बार बार उसे पूछ रहा था .... “राईमा तुम ठीक हो? ये अचानक क्या हो गया तुम्हें..प्लीज बात करो मुझसे...” उसकी आवाज़ रुँधने लगी थी | काकी अंदर आते ही माजरा समझ गयी और साहिल से कहा, “बेटा, डेलिवरी पेन है ..आप जल्दी से एम्बुलेंस बुलाओ| राईमा बिटिया को अभी अस्पताल लेकर जाना है|”
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एम्बुलेंस का आवाज़ सुनते ही साहिल राईमा को अपनी बाहों में उठाकर बाहर की ओर दौड़ा| एम्बुलेंस अस्पताल पहुँचते ही राईमा को ऑपरेशन कक्ष में ले जाया गया| साहिल ने इसी बीच पापा और राईमा के मम्मा –पापा को इन्फॉर्म कर दिया था| उन्होंने साहिल को दिलासा देते हुए कहा कि वो कुछ ही देर में पहुँच जायेंगे वहां| साहिल ऑपरेशन कक्ष के बाहर बैचेनी के साथ टहल रहा था...उसे अचानक वो दिन याद आ गया जब इसी तरह उसकी मम्मा दर्द से तड़प रही थी एक छोटे से अस्पताल में...सौरभ आने वाला था| उसके पापा बहुत चिंतित थे क्योंकि केस क्रिटिकल था पर छोटा साहिल तो अपने भाई या बहन के आने की ख़ुशी में झूम रहा था| वो बार बार पापा से पूछ रहा था.... “पापा कब मैं अपने नन्हे से भाई या बहन को देखूंगा?”
उसे अपना नन्हा भाई जरुर मिल था पर मम्मा को बचाया नहीं जा सका था| अत्यधिक खून बह जाने के कारण उनकी मौत हो गयी थी...पापा जब तक खून का इंतजाम करते ,सबकुछ खत्म हो चूका था|
साहिल अस्पताल के छोटे से मंदिर के सामने जाकर खड़ा हुआ और हाथ जोड़कर रुंधे स्वर में बोल उठा.... “भगवान,आपको याद होगा अपनी मम्मा के लिए छोटा साहिल आपसे कितनी प्रार्थनाएं की थी,पर आपने नहीं सुनी थी| और उसके बाद आज तक कभी भी मैंने आपके सामने हाथ नहीं जोड़े...आज फिर आया हूँ...| आज फिर मैं किसीके लिए आपके सामने हाथ जोड़कर खड़ा हूँ, जिसे मैं बेपनाह प्यार करने लगा हूँ...अब उसके बिना मेरी ज़िन्दगी अधूरी है भगवान्..उसे मत छिनना मुझसे...
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