shabd-logo

पवित्र रिश्ता : अध्याय 3

8 अक्टूबर 2021

34 बार देखा गया 34

अध्याय 3   

उसके बाद राईमा की ज़िन्दगी पूरी तरह नर्क बन चुकी थी| अब तो सौरभ को खुला लाइसेंस मिल गया था राईमा के जिस्म से खेलने का,क्योंकि उसके पास राईमा के वो फोटोज थे,जिसे दिखाकर वो राईमा को ब्लैकमेल करता रहता था| अब जब भी साहिल और रमेश अंकल घर पर नहीं होते,सौरभ आ जाता राईमा के घर पर और राईमा की मम्मी से थोड़ी देर मीठी मीठी बातें करता और फिर लाइब्रेरी जाने के बहाने राईमा की मम्मा से अनुमति लेकर वह राईमा को अपने घर लाता...या सीधा उसे ही फ़ोन कर देता.... “ मैं इंतज़ार कर रहा हूँ..जल्दी आओ|”



राईमा एक ऐसे जाल में फंस चुकी थी जहाँ से निकलना उसके लिए नामुमकिन था| वह अब सिर्फ अपने लिए मौत चाहती थी पर मरना भी इतना आसान कहाँ होता है? मरने की बात सोचती तो पापा और मम्मा की याद आती जो अपनी इकलौती सन्तान को खुद से ज्यादा प्यार करते थे| उसे लगता था कि अगर उसने मौत को चुना तो मम्मा – पापा भी जीते जी मर जायेंगे| उसने दादी से, मम्मा से सुना था कि हमे लोगों पर विश्वास रखना चाहिए...यों किसीको कानों सुनी बात पर शक नहीं करना चाहिए,और इसी विश्वास का उसे बहुत खुबसूरत इनाम मिला था अपना सौदा करके| राईमा को अब पता चला था कि सौरभ शराब पीता था और नशे में उसने वो सारी बातें बतायी थी जिसे सुनकर राईमा कांप उठती थी| उसने बताया था कि राईमा के दोस्तों ने सही कहा था...उसे तो हर रोज एक नयी लड़की चाहिए होती थी पर आजकल लड़कियां बड़ी चालाक हो गयी है ,कोई यों ही किसी लड़के पर आँख मुदकर विश्वास नहीं करती इसलिए उसे कॉल गर्ल, बार डांसर या पतिताओं के साथ ही अपनी वासना पूरा करना पड़ता था| पर जब से उसने राईमा को देखा था, उसके जीवन में एक ही सपना रह गया था...राईमा को पाना...और इसके लिए उसने खुद को कुछ समय से शराब,लड़कियों से दूर रखा..जेंटलमैन बनकर रहने का नाटक किया| वह नशे में चूर होकर राईमा को अपनी बाहों में कसते हुए कहता था..... “डार्लिग...मैंने बहुत बड़ी कीमत चुकाई है तुम्हें पाने के लिए...और सौरभ मेहता जो चाहता है,उसे पाकर ही दम लेता है...आखिर में तू मेरे जाल में फंस ही गयी....और तू तो इतनी नायाब है कि दिल नहीं भरता मेरा |सबसे बड़ी बात है तू कुंवारी है...ऐसी चीज़ तो अब तक नहीं मिली मुझे...|”



राईमा को महसूस होता था वह इस जानवर का क़त्ल कर डाले| पर इतनी हिम्मत भी उसमें नहीं थी| वह तो गिरगिराती,उसके पैर पकड़कर रोती और विनती करती कि उसके फोटो सौरभ मोबाइल से मिटा दे...किसीको ना दिखाए और उसे जाने दे|



उसकी बात पर सौरभ ठहाका लगाकर हंसता और उसके गाल थपथपाकर कहता.... “क्या डार्लिंग...मैंने तो बस एक ही चीज़ मांगी तुझसे...और तू कितनी सारी मांग रखती है? और तुझे जाने कैसे दूँ इतनी जल्दी? अभी मेरा मन नहीं भरा तुझसे..|”



अब राईमा को अपने आप से,अपने इस शरीर से नफरत हो गयी थी जो अब सौरभ जैसे जानवर के भूख मिटाने का जरिया बन चूका था|और उस दिन तो उसके पैर के नीचे से जमीन ही निकल गयी जब उसे पता चला कि सौरभ के वासना का फल उसके पेट में पल रहा है ..| उसने जब सौरभ को ये बात बताई और इस आफत से छुटकारा पाना चाहा तो उसने अपने माथे पर हाथ मारते हुए कहा....शिट यार! तुझे देखता हूँ तो कुछ याद ही नहीं रहता....मुझे सावधान रहना चाहिए था...पर अब गलती की है तो सौरभ मेहता को ही भुगतना पड़ेगा|..अच्छा, एक काम कर,किसीको बताना मत...तू जानती है मैं तुझे बहुत पसंद करता हूँ,तो सोच रहा हूँ तुझसे शादी ही कर लूँ| मैं मौका देखकर पापा से बात करता हूँ,वो तुझे पसंद करते हैं,मान जायेंगे| पर अगर उन्हें पता चला कि शादी से पहले ‘हमने’ ये सब किया है तो नाराज हो जायेंगे...समझी न राई डार्लिंग?”



राईमा का काम था सिर्फ मौन रहकर आंसू बहाना...सौरभ तो ऐसे बात करता था मानो राईमा ने उसे खुली छुट दे रखी है उसके साथ शारीरिक संपर्क बनाए का..सच कहो तो वह कभी राईमा के किसी जवाब का इंतज़ार भी नहीं करता था न उसके किसी सहमति का|मानो वह एक खिलौना हो,जिसे सौरभ जब चाहे,जैसे चाहे खेलता रहे|



एक महीना और गुजर गया था पर सौरभ ने ना उसके साथ अपना खेल छोड़ा था न ही अपने पापा से बात की थी| राईमा खुद नहीं जानती थी कि वह किस चीज़ का इंतज़ार कर रही है| वह सौरभ से अपनी शादी की बात सोचती तो उसे अपने आप से नफरत होती...अपने ही रेपिस्ट के साथ विवाह करके सारी ज़िन्दगी उसका हवस पूरा करने जैसे घिनौना ज़िन्दगी तो कल्पना से भी परे है ..पर उसे लगता अगर शादी के बाद सौरभ का उससे दिल भर जाने पर,राईमा के मिन्नतें करने पर वह उसे तलाक दे दे तो वह कहीं दूर चली जाएगी| और मेहता खानदान की बहु होने के नाते,सौरभ उसके फोटोज सारी दुनिया को दिखाने जैसा काम नहीं करेगा...पता नहीं,किस आशा में वह जिये जा रही थी....पर उसे अपने गर्भ में पल रहे बच्चे से सबसे ज्यादा नफरत थी...उसने सोच लिया था कि इस बच्चे के जन्म के बाद वह इससे छुटकारा पा लेगी..अगर सौरभ रखना चाहे तो ठीक,वरना किसी अनाथालय में फेंक देगी|

....................

पर सौरभ ने कुछ और ही प्लान बनाकर रखा था| एकदिन रमेश अंकल घबराये स्वर में पापा को फ़ोन करते हुए बताया कि सौरभ ने उसके हस्ताक्षर नक़ल करते हुए बैंक से काफी मोटी रकम निकाला है और कहीं गायब हो गया है| रमेश अंकल ये बात ना पुलिस को बताना चाहते थे और ना मिडिया को ..क्योंकि उन्हें पता था इससे उनके खानदान की ही बदनामी होगी..लोग हँसेंगे उनपर..|



जहाँ राईमा के पापा रमेश अंकल को ढाढस बंधा रहे थे कि सबकुछ ठीक हो जायेगा...सौरभ अपनी गलती समझकर जरुर वापस आएगा और उनसे माफ़ी मांगेगा...वहीँ राईमा के लिए आगे सिर्फ अँधेरा ही अँधेरा था....अब वह क्या करेगी..कहाँ जाएगी..किसको अपना दुखड़ा सुनाएगी...कुछ नहीं पता था उसे...बस इतना समझती थी कि अपनी प्रेगनेंसी को वो अब ज्यादा दिन नहीं छुपा सकती और ना कोई उसकी बात पर विश्वास करेगा...और वह कहेगी भी तो कैसे? किस मुंह से?..अब उसके लिए एक ही रास्ता बचा था....और वह उसे अपनाने को मजबूर थी..| जब एकदिन पापा और मम्मा कहीं गए थे,उसने अपनी कलाई काटकर अपने जीवन का अंत करना ही मुनासिब समझा.....|

.........



जब उसे होश आया तो वह अस्पताल के बेड पर थी| उसे याद आया कि उसने अपनी कलाई काटी थी पर वह नहीं मर पायी थी| मम्मा को बाजार में अचानक याद आया था कि गैस तो शायद खुला छोड़ आई है ,इसलिए उसने राईमा को फ़ोन किया और बार बार फ़ोन करने भी उसने फ़ोन नहीं उठाया तो पापा-मम्मा घबराकर वापस लौट आये थे और उसे बेहोश अवस्था में खून की नदी में सोया हुआ पाया था...उन्होंने तुरंत एम्बुलेंस बुलाया था और उसकी जान बच गयी थी|



उसके होश में आने पर मम्मा ने सिर्फ इतना पूछा था.... “कौन है वो? सौरभ?”



और उसकी ख़ामोशी से सब समझ गयी थी| पापा और मम्मा ने और कुछ भी नहीं पूछा था क्योंकि उन्हें पता था उनकी बेटी कोई जवाब नहीं देगी| जवाब नहीं देना पड़े इसीलिए उसने खुद को ख़त्म करने की सोची होगी| उन्होंने रमेश अंकल से बात की थी और अब राईमा के पापा भी अपनी तरफ से पूरी जोर लगा दी थी सौरभ को ढूंढने में पर वह तो ऐसे गायब हुआ था जैसे गधे के सर से सींग|



राईमा के मम्मा पापा अब अपनी बेटी के लिए बहुत ज्यादा चिंतित थे| उन्होंने डॉक्टर से भी बात की थी पर उन्होंने बच्चे को गिराने से बिलकुल मना कर दिया था| उनका कहना था वैसे भी राईमा के कलाई काटने से बहुत ज्यादा खून बह गया है...और अब बच्चा भी तीन महीने का हो चूका था,सो उसे निकालने का अर्थ है राईमा की ज़िन्दगी का रिस्क लेना और डॉक्टर इसके लिए कभी भी मंजूरी नहीं दे सकते|

अगले दिन रमेश अंकल आये थे राईमा को देखने और उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा था.... “उस नालायक ने जो किया है,उसके लिए मैं शर्मिंदा हूँ बेटा...पर आप चिंता मत करो,वो कबतक छुपा रहेगा? पैसा खत्म होते ही घर वापस आ जायेगा| तबतक आप हमारे घर की बहु बनकर रहोगी...मेरे साहिल की पत्नी बनकर| दुनिया को आपके परिवार पर ऊंगली उठाने का मौका नहीं दूंगा मैं क्योंकि गलती मेरे बेटे की है|”

मम्मा ने भी समझाया था कि इसी में राईमा की भलाई है| उन्हें लगता था उनकी बेटी सौरभ से प्यार करती है और शायद वो करीब आ गए होंगे क्योंकि यह उम्र का तकाजा है | पर राईमा उन्हें नहीं बता सकती थी कि सौरभ ने उसके साथ कितना घिनौना खेल खेला था और अब वह उससे कितना नफरत करती थी|

.................

और राईमा उस इंसान की पत्नी बनकर इस घर में आ गयी थी जिसके सामने आने से वह डरती थी| उसे पता था यह केवल एक समझौता था पर उसके लिए यह समझौता कौन सा नयी मुसीबत लेकर आनेवाली है.....इस बात से वह आतंकित थी क्योंकि साहिल के बारे में भी उसका नजरिया कुछ वैसा ही था जैसा सौरभ के लिए हुआ था| दुल्हन राईमा इसी सोच में डरी सहमी आंसू बहा रही थी कि तभी साहिल आंधी के तरह कमरे में आया था और अपना सारा गुस्सा मानो राईमा पर उतार देना चाहता था....| पर राईमा का डरा हुआ चेहरा देखते ही वह भूल गया कि वह जली - कटी बातें सुनाने आया था और अपना गुस्सा उस दीवार पर और कांच की खिड़की पर उतारना चाहा ,पर कांच की खिड़की या दीवार बेजान हो सकती है, हमारे मध्यम वर्ग समाज की कोई कमजोर लड़की तो नहीं जो सबके क्रोध को चुपचाप सह ले, साहिल के गुस्से का नतीजा उसके खुद के हाथ के घायल होने के रूप में सामने आया|

...............................


राईमा ने उसकी तरफ देखा था,जो अपने कलाई पर बड़ी मुश्किल से पट्टी बांधकर सोफे पर सो चूका था| राईमा भी बहुत थक चुकी थी...| उसने बिस्तर की ओर देखा और दबे पाँव आकर वहां निढाल हो गयी...कल क्या होगा..ज़िन्दगी क्या रुख लेगी सोचने से पहले ही नींद ने उसे अपनी आगोश में ले लिया|

.................................

सुबह जब राईमा की नींद खुली तो वह घबराकर उठ बैठी और सोफे की तरफ देखा पर साहिल वहां नहीं था| उसने चैन की सांस ली और फ्रेश होकर धीर क़दमों से डाइनिंग रूम में आई जहाँ रमेश अंकल बैठकर नाश्ता कर रहे थे| उन्होंने राईमा को देखते ही बड़े प्यार से अपने पास बिठाते हुए कहा.... “बेटा ,मैं जानता हूँ साहिल ने आपसे अच्छा व्यवहार नहीं किया होगा| उसने ये शादी सिर्फ मेरे कहने पर की है और मुझे पता है इसका गुस्सा वो आप पर निकाला होगा| पर बेटा वह दिल का बहुत साफ़ है..और मेरे पास और कोई रास्ता भी नहीं था सिवाय इसके...”



वो कहते हुए एक पल रुके और राईमा की ओर देखा...मानों उन्होंने खुद कोई अपराध किया है और अब सफाई दे रहे हैं| उन्होंने फिर कहा.... “आप यहाँ आराम से रहो, साहिल के तरफ से मैं आपको आश्वासन देता हूँ,वो आपको हाथ तक नहीं लगाएगा...और वो नालायक वापस लौटते ही साहिल आपको तलाक दे देगा और सौरभ और आप पवित्र रिश्ते में बंध जायेंगे...मैं जानता हूँ आपदोनों एक दुसरे से प्यार करते हैं और मैं खुश हूँ कि सौरभ के जीवन में आप रहोगे...और वह सुधर जायेगा क्योंकि आपका प्यार उसे सुधार देगा|”



वो कहते हुए मुस्कुराये और नाश्ते की ओर इशारा करते हुए कहा... “बेटा,आपकी सास आज जिंदा होती तो आपका ख्याल रखती पर अफ़सोस इस बात का है कि घर में कोई बुजुर्ग महिला नहीं है,आपको अपना ख्याल खुद रखना पड़ेगा| आप ठीक से नाश्ता कीजिये और जो जरुरत है कह देना..आपका अपना घर है ये..|”

....................................

एक महीना बीता चूका था राईमा के विवाह के|वह धीरे धीरे खुद को उस घर में एडजस्ट करने की कोशिश कर रही थी| रमेश अंकल उसका बहुत ध्यान रखते थे और साहिल के तरफ से सबसे बड़ी राहत उसे थी कि वह राईमा को हाथ तो लगाना दूर की बात,उसकी तरफ देखता तक नहीं था| राईमा के दिल में उसके लिए कुछ अच्छे विचार नहीं थे क्योंकि सौरभ ने साहिल की तस्वीर पहले ही मैला करके पेश किया था उसके सामने और दूसरी बात, वह इस परिवार से जुड़ना ही नहीं चाहती थी..बस बच्चे के दुनिया में आने का इंतज़ार कर रही थी,जिसके बाद वह इनसे दूर चली जाये| उसने सोच लिया था कि बच्चे के जन्म के बाद वह मम्मा को सबकुछ सच सच बता देगी और वो सब कहीं दूर चले जायेंगे,जहाँ सौरभ कभी पहुँच ही ना पाए|

....................

डॉक्टर ने उसे बेड रेस्ट करने को कहा था इसलिए उसने मम्मा से कहा था उसकी किताबें वहां भेज दें| उसके लिए टाइम पास करने का एक मुख्य जरिया था किताबें..जिनका वह बचपन से शौकीन थी| एक दिन वह रोमियो-जुलिएट की कहानी पढ़ने में इतनी मग्न हो गयी थी कि पता ही नहीं चला कब साहिल उसके कमरे में आ चूका था...उसकी बातों से राईमा का ध्यान टुटा| वह कुछ गुस्से भरी आवाज़ में कह रहा था.... “ये फ़िज़ूल की किताबें ही हैं जो तुम जैसी लड़कियों को बर्बाद करता है...प्यार व्यार कुछ नहीं होता| ये सब सिर्फ नाटक होता है|”



उसे साहिल की बातें पसंद नहीं आई थी इसलिए उसका विरोध करते हुए बोली थी.... “प्यार कोई फ़िज़ूल चीज़ नहीं होती...उसके बिना दुनिया नहीं चल सकती|”

साहिल ने एक बार उसे देखा था और फिर उसके पेट के तरफ दिखाते हुए कटाक्ष किया था.... “हाँ,उसका ये नतीजा होता है| प्यार के नाम पर तुमलोगों को सिर्फ अपनी भूख मिटानी होती है|”



राईमा के तन बदन में आग लग गयी थी यह सुनकर...वह किताब को फेंकते हुए चिल्लाई थी.... “मैं वैसी लड़की नहीं हूँ जैसा आप समझते हैं...आपका भाई..उसने मेरे साथ.....” पर वह एक झटके से रुक गयी| वह किसको क्या कह रही थी? यह इंसान भी तो वैसा ही होगा जैसा उसका भाई है...इसे तो और ख़ुशी होगी इस बारे में जानकर...”



वह झटके से उठी और बाहर की ओर कदम बढ़ाया पर साहिल उसका रास्ता रोककर खड़ा था| उसने राईमा की ओर एकटक देखते हुए पूछा... “क्या किया उसने? तुम उससे प्यार नहीं करती हो?”



राईमा ने जलती निगाहों से उसे देखते हुए उत्तर दिया.... “मैं उस जानवर से नफरत करती हूँ....हाँ,मैं उससे प्यार करने लगी थी....पर उसने मेरे साथ नाटक किया था...मैं आपको नहीं बता सकती उसने क्या क्या किया है मेरे साथ....” कहते हुए उसकी आँखों से झर झर आंसू बहने लगे|

साहिल चुप सा खड़ा था! थोड़ी देर बाद उसने धीरे से पूछा.... “अगर तुम साफ़ साफ़ बताओगी उसने क्या किया है तुम्हारे साथ तो मैं कोशिश करूँगा तुम्हें उससे दूर रखने का| इतना तो मैं एक इंसान होने के नाते तुम्हारे लिए कर सकता हूँ पर अगर वह वापस आ गया तो तुम्हें पता है इसके बाद क्या होगा..”



राईमा सौरभ के वापस आने के आशंका से ही कांप उठी| उसने कांपते आवाज़ में कहा... “साहिल जी,आप मुझे अच्छे इंसान लगते हैं| क्या मुझपर इतनी मेहेरबानी कर सकते हैं कि मुझे कहीं दूर भेज दें जहाँ सौरभ ना पहुँच पाए...मैं आपका ये एहसान ज़िन्दगी भर नहीं भूलूंगी|”

साहिल कुछ देर सोचता रहा फिर उसके पास आकर उसके हाथों को धीरे से पकड़ते हुए बोल पड़ा.... “उसने तुम्हारे साथ गलत किया?”



राईमा ने नज़रें नीची करते हुए सर हिलाया..



साहिल को समझ में आ रहा था कि राईमा के लिए कितना मुश्किल होगा उसके सामने ये सब कहना| उसने कुछ सोचते हुए पूछा... “तुम अपने मम्मा को बता सकती थी...अगर उसने कुछ किया तो इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है|”

राईमा ने आंसू भरी निगाहों से साहिल को देखकर बोल पड़ी.... “उसके पास मेरे फोटोज...उसने मुझे ब्लैकमेल किया...करता रहा.... 3 महीनों से.... लगातार....” वह आगे बोल नहीं पायी और अपने चेहरे को हाथों से ढकते हुए सिसक पड़ी|



साहिल स्तब्ध था! वह समझ चूका था राईमा क्या कहना चाहती थी| वह जानता था लड़कियां सौरभ की कमजोरी है पर वह इतना नीचे गिर जायेगा वह सोच भी नहीं सकता था| राईमा के आंसू..उसका चेहरा साफ़ बता रहा था उसने क्या नहीं झेले होंगे...|



उसने धीरे से कहा.... “मैं समझ सकता हूँ राईमा तुम्हारे लिए कितना मुश्किल रहा होगा पर चुप रहना कोई हल तो नहीं...तुम्हे पता है पापा ने क्या फैसला लिया है? अगर सौरभ लौट आये तो तुम्हारे लिए...सिर्फ तुम्हारे लिए उसे माफ़ कर देंगे और अपनी आधी जायदाद उसके नाम लिख देंगे बशर्ते कि वह तुमसे शादी कर ले...|”



राईमा आतंकित स्वर में चिल्ला उठी.... “उस हवसी से शादी करने से पहले मैं खुद को खत्म कर लुंगी साहिल जी...मैं तो मर जाना चाहती थी,क्यों फिर से उस नर्क ज़िन्दगी को झेलने के लिए बच गयी?” कहते हुए उसके आंसूओं का बाढ़ फिर से बह चला| साहिल कुछ देर खड़ा रहा,फिर पानी का ग्लास उसे देते हुए कहा.... “तुम न मरोगी और ना डरोगी| विवाह के सारे मन्त्र पढ़कर मैंने तुम्हारे साथ इस पवित्र रिश्ते को बंधा है...अब तुम्हारा दुःख,तुम्हारी तकलीफ मेरी है...तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा..ये वादा है मेरा|”



राईमा ने आश्चर्य से उस इंसान की ओर देखा,जिससे वह डरती थी..जिसके बारे में ना जाने क्या क्या सोच रखा था उसने| साहिल अपनी जेब से सफ़ेद रुमाल निकलकर उसकी ओर बढ़ाते हुए मुस्कुराकर कहा.... “तुम्हारी आँखों में आंसू अच्छे नहीं लगते,अब इन्हें यों ही फ़िज़ूल में मत बहाना| मैं तुम्हारे साथ हूँ और रहूँगा...जैसा कि मैंने सात फेरों के समय वादा किया है....सात जन्मों तक साथ रहूँगा...अगर तुम चाहो|”



उसने बाहर जाने के लिए अपने कदम बढ़ाये पर रूककर राईमा की ओर देखा और मुस्कुराते हुए बोला... “और हाँ,एक बात याद रखना,अपनी पत्नी से मुझे इसके बदले कुछ नहीं चाहिए...” कहकर वह वहां से चला गया पर राईमा उस तरफ देखते हुए विमूढ़ सी खड़ी थी....उसने क्या कहा! अभी भी उसके कानों में गूंज रही थी............!

......................................

Punam Banerjee की अन्य किताबें

Jyoti

Jyoti

बहुत बढ़िया

31 दिसम्बर 2021

4
रचनाएँ
पवित्र रिश्ता
5.0
“जब कभी हमसे तकदीर रूठ जाती है तो आशा की किरणें सपनों में झिलमिलाती है कोई तो होगा जो एकदिन पास आएगा अपने पवित्र प्यार को मुझपर यों लुटायेगा अपनी प्यारी मुस्कराहट से ,नयी उमंग जगायेगा जैसी भी हूँ मैं,बेझिझक वो अपनाएगा जिस्म की सीमा से आगे,दिल तक समा जायेगा तब अपना वो प्यारा रिश्ता ‘पवित्र रिश्ता’ कहलायेगा |” अध्याय -1 क्यों? क्यों ? क्यों?....कहते हुए उसने गुस्से से दिवार पर जोर से मुक्का मारा और उतने ही गुस्से से गरजा... “क्यों हर बार मैं ही ? क्यों हर बार उसकी गलती की सजा मुझे मिलती है? क्यों वह बचकर निकल जाता है?” राईमा दुल्हन के लिबास में चुपचाप एक कोने में दुबककर खड़ी थी और सुनी,भयभीत नज़रों से उस इंसान को देख रही थी जिसे सपने में भी देखना उसके लिए आतंक की बात थी| अचानक उसने देखा उस इंसान के हाथ से खून की धारें बह निकली| उसने गुस्से में खिड़की के कांच पर हाथ दे मारा था और उस कांच के टुकड़े जमीन पर पड़े थे और शायद कुछ टुकड़े उसके हाथ में भी चुभ गए थे इसलिए तो उसका चेहरा दर्द से पीला पड़ा था ..वह अपने दायें जख्मी हाथ को बाएं हाथ से पकड़कर रखा था और दर्द को सहने की कोशिश कर रहा था| वह उठा और अलमारी से फर्स्ट एड बॉक्स निकला और मरहम पट्टी करने की कोशिश की पर बाएं हाथ से पट्टी बाँधी नहीं जा रही थी तो उसने गुस्से से उसे दूर फेंका और जाकर सोफे पर ढह गया| राईमा ने देखा खून अभी भी बह रहा था| उसने किसी तरह साहस बटोरे और फर्स्ट एड बॉक्स उठाकर उसके थोड़ा पास आई और धीरे से कांपते स्वर में बोली, “लाइये ,मैं कर देती हूँ|” पर उसकी आवाज़ सुनते ही उस इंसान के तन-बदन में आग लग गयी| वह उसकी तरफ लाल लाल आँखों से देखते हुए गुर्राया... “बेवकूफ लड़की! मैंने तुम्हें मना किया था न ! तुम जैसे पागल लड़कियों को ये क्यों समझ नहीं आता कि मर्द को सिर्फ एक औरत का जिस्म चाहिए होता है..जिसके लिए वह प्यार का नाटक करता है...और न मिले तो जबरदस्ती करता है...छल-बल हर चीज़ वह अपनाता है सिर्फ और सिर्फ अपनी हवस पूरी करने के लिए...पर तुमलोगों को तो बस लव स्टोरी बनाने का चस्का लगा रहता है...और इतनी बेशरम कैसे हो सकती हो तुम लोग? बिना किसी शर्म के अपना तन विवाह के रिश्ते में जुड़ने से पहले किसीको कैसे सौंप सकती हो? क्या दिमाग नाम की कोई चीज़ नहीं होती? मैं तुम जैसी लड़कियों से नफरत करता हूँ...समझी!!” राईमा अवाक सी उसे देख रही थी! यह क्या कह रहा था! ऐसे बातें कहते हुए उसने एकबार भी नहीं सोचा कि वह खुद भी एक मर्द है!किस मिटटी का बना है ये! और अगर वह उससे नफरत करता है तो उससे विवाह क्यों किया? वह तो अपनी गलती की सजा भुगत रही थी..मर जाना चाहती थी..| पर क्या ये जो कह रहा है वो सच है? उसने सौरभ से प्यार जरुर किया था पर उसने कभी सीमा नहीं लांघी| उसकी परवरिश ऐसी नहीं हुई थी...पर ,यह आदमी,जो इतनी बड़ी बातें कर रहा है...वह क्यों नहीं सोचता कि वह आज जिस जगह खड़ी है,सिर्फ और सिर्फ इसके भाई की वजह से...उस हवसी के वजह से,जिसका सिर्फ एक ही मकसद है...प्यार का छलावा कर लड़कियों के जिस्म से खेलना....| ........................ पूनम

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए