shabd-logo

पवित्र रिश्ता :

7 अक्टूबर 2021

26 बार देखा गया 26

अध्याय -2 


   राईमा को अच्छी तरह बिलकुल साफ़ वो दिन याद है जब पहली बार इस इंसान से मिली थी| वह सौरभ से कुछ नोट्स लेने आई थी| यह ड्राइंगरूम में बैठा कुछ फाइल्स पढ़ने में मग्न था| राईमा चुपके से खिसक जाना चाहती थी क्योंकि पहले भी कभी यहाँ सौरभ के साथ आई तो इसे दूर से घूरता पाया था और ना जाने क्यों राईमा को बहुत डर लगा था| पर आज यह बिलकुल सामने था| वह दबे क़दमों से सौरभ के कमरे की ओर रुख की थी पर उसके कदम इसके गंभीर आवाज़ से आगे नहीं बढ़ पाए थे | उसने पूछा था.... “क्यों,आई हो?”


राईमा ने कांपते आवाज़ में जवाब दिया था.... “वो...वो..सौरभ...उससे कुछ नोट्स चाहिए थे|”

उसने उसी तरह राईमा को घूरते हुए कहा था, “जब घर में पापा हो तब आना|”


राईमा समझ नहीं पायी थी उसने ऐसा क्यों कहा था| इस घर में वह सौरभ से मिलने से पहले कभी नहीं आई थी पर रमेश अंकल से वह भलीभांति परिचित थी| वो पापा के बिज़नेस पार्टनर थे और अच्छे दोस्त भी,और यदाकदा उनके घर आते रहते थे| उनकी पत्नी का देहांत बहुत साल पहले हो चूका था | रमेश अंकल बहुत खुशमिजाज इंसान थे पर राईमा थोड़ी शर्मीली होने के कारण कभी उनसे ज्यादा बात नहीं की बस कभी कभी वो जब पापा के साथ गप्पे हांकते तो वो नमस्ते करते हुए माँ द्वारा भेजे हुए चाय और नमकीन उनके सामने रख जाती थी| अंकल मुस्कुराकर एक दो बातें पूछते ..बस...| पर राईमा के इस घर में आने के लिए क्यों अंकल की परमिशन लेनी होगी ये समझ नहीं पायी थी| जब उसने ये बात सौरभ से कही थी तो वो हो हो करके हंस पड़ा था और बोला था.... “तुम भी किसके चक्कर में पड़ गयी राई...वो एक नंबर का शक्की इंसान है...सबको शक करता है..यहाँ तक कि मुझे भी| असल में वह मुझे पसंद ही नहीं करता है...|” उसने अपना चेहरा उदास बनाते हुए अंतिम वाक्य कहे थे|


राईमा ने आश्चर्य से पूछा था.... “ऐसा क्यों? वो तो तुमसे काफी बड़ा होगा न? दीखता तो ऐसा ही है...तो भाई या बहन में उम्र का फासला ज्यादा हो तो प्यार बढ़ता है,ना कि कम होता है|”


सौरभ ने सर हिलाते हुए उत्तर दिया था.... “नहीं राईमा,हमारे में बिलकुल उल्टा है| वह मुझे 11 साल बड़ा है ,तो मेरे जन्म के बाद मुझे सबका बहुत प्यार मिला...उसे जलन होने लगी| मुझे बचपन में इसने इतनी तकलीफ दी...मारा ,पिटा...मम्मा तो मुझे जन्म देते ही गुजर गयी थी| पहले तो मैं डरता था पापा से उसके बारे में कुछ कहने से क्योंकि मैं छोटा था| फिर जब बड़ा हुआ तो समझ में आया कि पापा तो सिर्फ उसे ही प्यार करते हैं| माँ के मौत का जिम्मेदार मुझे मानते हुए पापा ने मुझे कभी गले से नहीं लगाया | तभी मैंने सोच लिया था कि पढ़ लिखकर कुछ बनकर दिखाऊंगा..और पापा की प्रॉपर्टी से एक पैसा नहीं लूँगा मैं...”


राईमा को सौरभ की बात सुनकर बहुत अफ़सोस हुआ था कि अंकल ऐसा कैसे कर सकते हैं| उसकी माँ की मौत बहुत ज्यादा खून बह जाने से हुआ था तो इसमें उस बच्चे की क्या गलती जो दुनिया में उसी वक़्त आया है| उसे याद आया कि पापा से बातें करते हुए जब भी अंकल अपने बेटे का जिक्र करते तो उनके मुंह से एक ही नाम सुनने को मिलता....साहिल..साहिल...| मानों उनका एक ही बेटा हो,कभी सौरभ का जिक्र भी नहीं करते वो| राईमा के दिल में सौरभ के लिए ढेर सारा प्यार उमर आया था.. ‘बेचारा!”


उसे सौरभ का आवाज़ सुनाई दिया था... “तुम भी किस सोच में पड़ गयी राईमा...जाने दो..मैं तुम्हे दुखी नहीं करना चाहता था..सॉरी|”

राईमा ने कहा था, “ तुम कितने अच्छे हो सौरभ जो इतनी बड़ी बात को अब तक मुझसे छुपाकर रखा| वैसे मुझे तुम्हारा वो भाई बिलकुल पसंद नहीं है..कैसे बेढंगा कपड़ा पहनता है ,आजकल के फैशन के बारे में कुछ पता ही नहीं और कैसे घूरता रहता है| क्या वह सभी लड़कियों को इस तरह घूरता है?”

सौरभ ने हाँ कहते हुए कहा था, “इसलिए तो जब वो घर पर नहीं रहता तब मैं अपने दोस्तों को बुलाता हूँ...खासकर लड़कियों को, क्योंकि इसकी नज़र बड़ी बुरी है..|”

राईमा ने पूछा था, “इसने अब तक शादी क्यों नहीं की?”

सौरभ ने कंधे उचकाकर कहा था.... “एक के साथ दिल नहीं भरेगा इसका..हर रात तो होटल में बिताता है,नयी नयी लड़की के साथ..मेरी तो शर्म से गर्दन झुक जाती है|”


राईमा को याद आया जब उसकी सौरभ से दोस्ती हुई थी तो उसने कानाफूसी यह बात सुनी थी कि सौरभ हर रोज नयी नयी लड़कियों के साथ रातें बिताता है,पर उसे बिलकुल विश्वास नहीं हुआ था| जहाँ तक उसकी सौरभ से दोस्ती होने के बाद उसने कभी उसे छूने तक की कोशिश नहीं की,तो वो कैसे इस बात को मान सकती थी?


अनुषा ने कहा था, “देख राईमा,तू वैसे भी बड़ी भोली है और किसीके भी झांसे में आ सकती है| सौरभ इसका फायदा उठा रहा है| उसके लिए तो लड़कियां बेड शीट की तरह है जिसे वह रोज बदलना पसंद करता है,दूर रह उससे|”


राईमा बड़ी जोरों से अपना दलील पेश करते हुए बोली थी, “तुझे जरुर कोई ग़लतफ़हमी हुई है अनु| हो सकता है लोग उससे जलते हों,इसलिए ऐसी बातें फैलाते हैं| जिन लड़कियों को वो भाव नहीं देता,वो लोग ये बातें फैलाते होंगे,पर मैं कैसे मान लूँ? उसने तो मुझे कभी ये भी नहीं बताया था कि वो रमेश अंकल का बेटा है| मैंने जब पूछा तो उसने जवाब दिया कि वह अपने पिता के नाम पर पहचान नहीं बनाना चाहता है| और अब तो वह हमारे घर भी आने –जाने लगा है| पापा और मम्मा बहुत पसंद करते हैं उसे और वो भी कितना विनम्र व्यवहार करता है,अगर उसमें बुराई होती तो ऐसे कैसे छुपा सकता था वो?”


सुहाना ने उदास स्वर में कहा था, “इंसान एक ऐसी आफत है,जिसे भगवान भी नहीं समझ सकते,हम मनुष्य क्या चीज़ है...और हम तेरे दोस्त हैं राईमा,तेरा भला चाहेंगे| खैर तू जैसा ठीक समझे|”

राईमा ने बात वहीँ खतम कर दी थी पर अब वह अपने दोस्तों से फासला बढ़ाना शुरू कर दिया था| उसे लगता था उसकी और सौरभ की दोस्ती से वो लोग जलते हैं| पर दिल में उनकी बातें खटक जरुर रही थी इसलिए उसने सीधा सौरभ से ही पूछ लिया था.... “सौरभ, मेरे दोस्त पता नहीं क्या क्या कहते हैं तुम्हारे बारे में...

सौरभ उसकी ओर देखते हुए पूछा था, “क्या कहते हैं ?”

राईमा को लगा था बेकार में ही उसने बात छेड़ दी है| उसकी बातें शायद सौरभ को तकलीफ पहुंचाए इसलिए बोली थी.... “कुछ नहीं..वो तो...

पर सौरभ ने कहा था.... “नहीं राई, जो पूछना है तुम बेझिझक पूछो...दोस्ती में ये संकोच,झिझक नहीं होनी चाहिए, वरना दोस्ती टिकती नहीं है|”

राईमा लज्जित थी इसलिए बोली थी... “सॉरी सौरभ,मुझे उनकी बातों में नहीं आना चाहिए था|”

सौरभ ने एक लम्बी सांस छोड़ी थी और उदास स्वर में कहा था.... “मुझे पता है वो क्या बोलते होंगे ......यही न कि मैं लड़कियों के साथ....”

पर उसके बात पूरा होने से पहले ही राईमा बोल उठी थी... “मैं उनपर विश्वास नहीं करती सौरभ..प्लीज छोड़ो उन बातों को|”


सौरभ की आँखों में आंसू थे| वह कह रहा था.... “ करता कोई और है,और भरता कोई और| ये मेरा भाई है राई,मेरा बड़ा भाई,जो ये सब करता रहता है पर लोग मेरा नाम फैलाते हैं| उन्हें ये क्यों समझ नहीं आता कि ऐसा जरुरी नहीं कि बड़ा भाई ऐसा हो तो छोटा भी ऐसा होगा|”

उसकी आँखों में आंसू थे और राईमा मन ही मन पछता रही थी उसे दुखी करके| पर उसे ये समझ नहीं आया था कि अगर बड़ा भाई ऐसा करे तो लोग छोटे भाई को क्यों इस कीचड़ में खींचे...| पर धीरे धीरे वह इस टॉपिक को भूल गयी थी|

........................................................


राईमा अपने माता –पिता की इकलौती लड़की थी| पापा मुंबई शहर में ही रहते थे पर वह मम्मा के साथ अपने दादी के पास एक छोटे से शहर में रहती थी क्योंकि दादी अपने जीवन के इस अंतिम पड़ाव पर आकर अपना घर छोड़कर मुंबई नहीं आना चाहती थी और वो दादी को अकेला नहीं छोड़े सकते थे| राईमा के बारहवीं तक की पढ़ाई वहीँ के गर्ल्स स्कूल में हुई और दादी के देहांत के बाद वो मुंबई चले आये जहाँ पापा ने उसे मुंबई के एक अच्छे कॉलेज में दाखिला दिला दिया था | राईमा यहाँ आकर बहुत खुश थी क्योंकि बचपन से ही उसका सपना मुंबई में रहने का था पर उसकी समस्या ये हुई कि वह कॉलेज को-एड था| वह कभी भी लड़कों के साथ दोस्ती नहीं की थी क्योंकि दादी को ये सब बिलकुल पसंद नहीं था और उसे ऐसा कभी महसूस ही नहीं हुआ कि लड़कों से दोस्ती करना कोई स्पेशल चीज़ है| अपनी दुनिया में खोयी रहने वाली राईमा के लिए पढ़ाई और संगीत...दो ही चीज़ थे,जो उसे बहुत पसंद थे| और हाँ,और एक शौक उसे था....कहानी पढ़ना | किशोर अवस्था तक आते आते ये उसका हॉबी बन गया,पर उसे रोमांटिक प्रेम कहानी ज्यादा पसंद थे और उन्हें पढ़ते पढ़ते वह भी अपने लिए एक सपनों के राजकुमार की कल्पना करने लगती थी...और उसके बारे में सोचते सोचते खुद ही शरमाकर लाल हो जाती थी| कॉलेज में उसके कुछ ही गिने चुने दोस्त थे और सारी की सारी लड़कियां ही थीं ...पर धीरे धीरे अनुषा,प्रियंका और अन्य सहेलियों के बॉय फ्रेंड के साथ जान पहचान होने पर उसे महसूस हुआ कि लड़के कोई हौआ नहीं होते...और उनसे दोस्ती करना कोई बुरी बात नहीं है| बी.ए. का एक साल इसी तरह गुजर गया और जब वह सेकंड ईयर में आई,अचानक सौरभ उसके जीवन में आया जो थर्ड ईयर का स्टूडेंट था| हुआ यों कि एक दिन जब वह कॉलेज से घर आ रही थी,अचानक रास्ते में उसकी स्कूटी पंक्चर हो गयी| शाम का समय था और पंक्चर ठीक करवाने के लिए काफी दूर जाना था,वह ना गाड़ी छोड़कर जा सकती थी.....ना ही उसे खींचकर ले जा सकती थी| उसने पापा को फ़ोन करने की बात सोची पर याद आया पापा तो बिज़नेस के काम में दो दिन पहले दिल्ली गए हुए हैं| मम्मा को फ़ोन करके कोई फायदा नहीं था,क्योंकि उन्हें अब तक मुंबई अनजानी ही लगती थी| अँधेरा घिरता जा रहा था और वह इसी सोच में पड़ी थी कि तभी एक कार उसके पास आकर रुकी और उसमें से सौरभ बाहर निकल आया | वह पहले डर गयी थी पर बाद में याद आया इस लड़के को उसने कॉलेज में देखा है| सौरभ ने उसे इस समस्या का यह हल दिया था कि स्कूटी वहीँ छोड़ दे और उसके साथ चले,वह उसे घर छोड़ देगा और मैकेनिक लाकर स्कूटी ठीक करवा देगा पर राईमा उस अनजान के साथ जाने को तैयार नहीं थी | सौरभ उसका संकोच समझ गया था और मुस्कुराते हुए कहीं कॉल किया था| थोड़ी ही देर में वहां मैकेनिक आ गया था और पंक्चर ठीक हो गए थे | राईमा ने सौरभ को धन्यबाद देते हुए घर की ओर रुख की थी|

.....................


कुछ दिन गुजर गए थे| राईमा ने सौरभ को कॉलेज में देखा था पर वह खुद बात करने वालों में नहीं थी| सौरभ भी उससे बात नहीं की थी,पर मुस्कुराता जरुर था उसे देखकर| राईमा को अच्छा लगा था कि वह उन लड़कों में से नहीं है,जो अगर एक बार कोई मदद कर दे तो पीछे ही पड़ जाते हैं|


उसके कुछ दिन बाद कॉलेज में सगीत प्रतियोगिता थी जिसमें राईमा को प्रथम पुरस्कार मिला था| उस दिन सौरभ उसे बधाई देने आया था और राईमा को बहुत ही अच्छा लगा था | फिर उसे पता ही नहीं चला कब धीरे धीरे वह सौरभ की ओर खींचती गयी और एक दिन तो ऐसा आया कि वह उससे मिले बिना रह नहीं पाती थी| फिर भी उसने सौरभ को लेकर कुछ नहीं सोचा था क्योंकि वह इतनी जल्दी किसी फैसले पर आने वाली लड़कियों में नहीं थी | पर एकदिन जब उसे पता चला कि सौरभ रमेश अंकल का बेटा है तो उसने आश्चर्य से सौरभ से पूछा था, “तुमने कभी बताया नहीं?”


सौरभ उसकी तरफ देखकर मुस्कुराते हुए कहा था.... “मैं अपने पापा के नाम से नहीं,खुद की पहचान बना चाहता हूँ| अगर तुम्हें बुरा लगा तो मैं माफ़ी चाहता हूँ|”

राईमा उसके जवाब से बहुत खुश हुई थी| उसे लगा था सौरभ जैसा लड़का तो लाखों में एक है,जो इतना अमीर होते हुए भी अपनी पहचान खुद बनाना चाहता है वरना आजकल के रईसजादे तो इतने बिगड़े हुए होते हैं कि किसीको कुछ समझते ही नहीं,बस अपनी मनमानी करते रहते हैं |

सौरभ अब उनके घर भी आने जाने लगा था और मम्मा भी उसे बहुत पसंद करने लगी थी| वह आते ही मम्मा के पैर छूता,उनसे उनकी तबियत के बारे में पूछता और कहता... “मैंने अपनी मम्मा को नहीं देखा है,पर आपको देखकर ,आपसे मिलकर अपनी माँ की कमी महसूस नहीं करता| आपको बुरा तो नहीं लगता आंटी?”

मम्मा खुश होकर कहती.... “अरे बेटा,ऐसी बात नहीं कहते| आपको जब जी चाहे आ जाया करो और हाँ,आपकी पसंद की चीज़ें बताना,मैं बना दिया करुँगी....|”

अब सौरभ राईमा के घर से होकर,उसकी ज़िन्दगी में भी आ चूका था और राईमा यह स्वीकार करने में बिलकुल भी झिझकती नहीं थी कि उसे सौरभ से प्यार हो गया है...वही उसके सपनों का राजकुमार है| एकदिन जब सौरभ ने अपने प्यार का इज़हार कर डाला तो राईमा ने भी उसमे हाँ की मोहर लगा दी थी| सौरभ ख़ुशी से झूमता हुआ बोला था.... “थैंक यू राईमा...मैं नहीं बता सकता कितन खुश हूँ| आज मुझे सबकुछ मिल गया|”

राईमा शर्मीली आँखों से मुस्कुराई थी|

पर सौरभ ने उसका हाथ पकड़कर चूमते हुए कहा था.... “पर बुरा मत मानना राई...मैं चाहता हूँ अपने पैरों पर खड़ा हो जाऊं ,तब शादी करूँ| तबतक हम इस बात को सिर्फ खुद में ही रखे तो ठीक होगा..तुम क्या कहती हो?”

राईमा ने जवाब दिया था.... “मैं भी अभी विवाह नहीं करना चाहती सौरभ..मैं पढ़ लिखकर पहले कुछ बनना चाहती हूँ,इसलिए मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है|”

..............

इसी तरह दिन गुजर रहे थे...राईमा भी अब सौरभ के घर आने लगी थी,पर सौरभ ने कभी भी अपनी सीमा लांघने की कोशिश नहीं की और यही बात राईमा को सबसे अच्छी लगती थी| उसे रमेश अंकल भी पसंद थे,और सौरभ से तो प्यार हो गया था ...पर ना जाने क्यों सौरभ के बड़े भाई साहिल को देखते ही वह डर जाती थी| उसदिन साहिल के उसे घर में आने से मना करने के बाद वह सौरभ से पहले पूछ लेती थी कि साहिल घर में है या नहीं..और उसके ना होने पर ही वह आती थी|


ज़िन्दगी इस तरह गुजर रही थी....पर एकदिन एक ऐसी आंधी आई जो राईमा के लिए ज़िन्दगी के मायने ही बदल डाले| उसे उसदिन पता चला कि इंसान नाम के इस जानवर का और एक रूप कितना भयानक और वीभत्स है,जिसे पहचानना शायद ईश्वर के लिए भी मुश्किल है| प्यार के नाम पर वह कितनी बुरी तरह छली गयी थी समझने से पहले ही वह पूरी तरह बर्बाद हो चुकी थी...और जिस कीचड़ में धंस चुकी थी,वहां से निकलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था......||

................

उसे वह दिन अच्छी तरह याद है....कॉलेज में छुट्टियाँ चल रही थी| एकदिन शाम को सौरभ ने उसे फ़ोन किया था ... “राई,क्या कुछ देर के लिए मेरे घर आ सकती हो?”

सौरभ राईमा को कभी शाम को अपने घर नहीं बुलाता था इसलिए उसने पूछा था... “क्या हुआ सौरभ...कुछ हुआ क्या?”

सौरभ ने रुंधे हुए स्वर में कहा था... “नहीं,बस ऐसे ही...कुछ अच्छा नहीं लग रहा| पर कोई बात नहीं...मैं ठीक हूँ|”

राईमा को लगा सौरभ रो रहा है| उसने व्याकुल होकर पूछा था.... “तुम्हें मेरी कसम सौरभ, बताओ क्या हुआ है?”

सौरभ ने दुखी स्वर में कहा था.... “अपनी कसम मत दिया करो राई..मैं तुम्हे खोना नहीं चाहता| माँ का प्यार तो कभी मिला नहीं,अब बस तुम ही हो जो मेरा दर्द समझती हो| आज माँ की पुण्यतिथि है..इसलिए मन बहुत भारी हो रहा है| लगा किसीसे बात करूँ तो दिल थोड़ा हल्का होगा,पर ठीक है..कल मिलेंगे|”

राईमा इतना सुनते ही बोल पड़ी थी.... “मैं आ रही हूँ सौरभ..|”

माँ रोज शाम को मंदिर जाती थी ,आज भी घर में नहीं थी, इसलिए उनको कुछ बताने की जरुरत भीं नहीं थी| राईमा ने ऑटो ली और सौरभ के घर आ गयी थी| उसे डर था कहीं साहिल से ना आमना सामना हो,पर सौरभ ने बताया कि वह गांव गया है,माँ के गांव...जहाँ उनके नाम पर पूजा होती है और दान-दक्षिणा किया जाता है|

राईमा ने पूछा था.... “तुम क्यों नहीं गए सौरभ?”

सौरभ ने उदास होकर कहा था.... “मेरा जन्म और माँ की मौत...एकसाथ हुआ है राई...इसलिए साहिल भैया मुझे ही जिम्मेदार समझते हैं और माँ के किसी भी कामों में मुझे शामिल नहीं होने देते|”

राईमा ने आश्चर्य से पूछा था.... “अंकल कुछ नहीं कहते?”

सौरभ ने कहा था.... “पापा को भी यही लगता है,इसलिए तो साहिल की हर बात मानते हैं| मैं ऐसा ही अभागा हूँ राई|”

इतना सुनते ही राईमा का दिल भर आया था| उसने कह था.... “ये गलत है सौरभ,मैं अंकल को समझाऊँगी|”

पर सौरभ ने हाथ जोड़ते हुए कहा था.... “प्लीज राई .मेरी कसम जो तुमने उनसे कुछ कहा...मैं तो बस अपना एजुकेशन ख़त्म होने का इंतज़ार कर रहा हूँ,फिर जॉब लेकर चला जाऊंगा कहीं दूर....|”

राईमा ने मुस्कुराते हुए पूछा था... “मुझे नहीं ले जाओगे ?”

सौरभ ने गर्दन हिलाते हुए उत्तर दिया था.... “हाँ मेरी राई ...बस तुम ही तो हो मेरे लिए अनमोल...मैं और तुम..बस और कोई नहीं...|”

राईमा की आँखों ने भी सपने देखने शुरू कर दिए थे| तभी सौरभ ने मुस्कुराते हुए कहा था.... “थैंक यू राई...तुम आई तो मेरा मूड चेंज हो गया...अच्छा लग रहा है| मैं कॉफ़ी बनाकर लाता हूँ|’


कुछ ही देर में वह कॉफ़ी का मग लेकर आ गया| फिर दोनों ने ढेर सारी बातें करते हुए...अपने भविष्य का सपना देखते हुए कॉफ़ी की चुस्कियां लेते रहे....| और कॉफ़ी शायद खत्म भी नहीं हुई थी...राईमा का सर चकराने लगा...और कुछ ही देर में वह जैसे सुन्न हो गयी.....और जमीन पर गिर पड़ी | वह उठने की कोशिश की पर उठाना तो दूर,वह हिल भी नहीं पा रही थी......उसका दिमाग काम कर रहा था..वह सब कुछ समझ रही थी पर शरीर साथ नहीं दे रहा था....उसने देखा सौरभ उसे देखकर मुस्कुरा रहा था...उसने आकर राईमा को अपनी बाँहों में उठाया और बेड पर सुला दिया....और एक ही झटके में उसके कपड़े उतर दिए..राईमा चिल्लाना चाहती थी...खुद को उससे बचाना चाहती थी पर कुछ भी उसके वश में नहीं था| उसके बाद तो सौरभ जैसे उसपर जानवरों की तरह टूट पड़ा...अपनी हवस मिटने के बाद उसने अपने मोबाइल से निर्वस्त्र राईमा के फोटो उतारे और फिर से अपनी हवस पूरी की....पर तबतक राईमा नींद के आगोश में चली गयी थी....|


जब राईमा  को होश आया तो वह पूरी तरह बर्बाद हो चुकी थी| सौरभ ने ही उसे कपड़े पहनने में मदद की फिर शातिर मुस्कराहट के साथ उसके गालों में चुटकी काटते हुए कहा.... “थैंक यू डार्लिंग...आज माँ के पुण्यतिथि पर तुमने मुझे सबसे अच्छा उपहार दिया है...चलो,अब तुम्हे घर छोड़ आऊँ|”


वह सहारा देकर राईमा को गाड़ी तक ले आया और गाड़ी में बिठाते हुए अपना मोबाइल उसके सामने रखते हुए कहा.... “ये देखो जान..तुम कितनी खुबसूरत और हॉट हो...अब तुम्हारा ये रूप हरपल मेरे सामने रहेगा....और हाँ...किसीको भी बताने की कोशिश की तो ये सारे खुबसूरत फोटोज मेरे फ्रेंड्स के पास पहुँच जायेंगे...सो राई डार्लिंग...चुप रहना ही बेहतर है..वैसे भी तुम मुझे प्यार करती हो और तुम्हें हमारे रिश्ते से इनकार नहीं होना चाहिए|”


राईमा केवल एक मुर्दे की तरह उसे देख रही थी| सौरभ ही उसे उसके घर ले आया था...उसे उसके कमरे में छोड़कर चेतावनी देते हुए वहां से चला गया था...पर राईमा शायद एक लाश बन चुकी थी..एक जिंदा लाश...जो हर वो लड़की बन जाती है जो ऐसे जानवरों के हवस का शिकार बनती है......

...........................................

Punam Banerjee की अन्य किताबें

2 जनवरी 2022

Jyoti

Jyoti

👌👌

31 दिसम्बर 2021

4
रचनाएँ
पवित्र रिश्ता
5.0
“जब कभी हमसे तकदीर रूठ जाती है तो आशा की किरणें सपनों में झिलमिलाती है कोई तो होगा जो एकदिन पास आएगा अपने पवित्र प्यार को मुझपर यों लुटायेगा अपनी प्यारी मुस्कराहट से ,नयी उमंग जगायेगा जैसी भी हूँ मैं,बेझिझक वो अपनाएगा जिस्म की सीमा से आगे,दिल तक समा जायेगा तब अपना वो प्यारा रिश्ता ‘पवित्र रिश्ता’ कहलायेगा |” अध्याय -1 क्यों? क्यों ? क्यों?....कहते हुए उसने गुस्से से दिवार पर जोर से मुक्का मारा और उतने ही गुस्से से गरजा... “क्यों हर बार मैं ही ? क्यों हर बार उसकी गलती की सजा मुझे मिलती है? क्यों वह बचकर निकल जाता है?” राईमा दुल्हन के लिबास में चुपचाप एक कोने में दुबककर खड़ी थी और सुनी,भयभीत नज़रों से उस इंसान को देख रही थी जिसे सपने में भी देखना उसके लिए आतंक की बात थी| अचानक उसने देखा उस इंसान के हाथ से खून की धारें बह निकली| उसने गुस्से में खिड़की के कांच पर हाथ दे मारा था और उस कांच के टुकड़े जमीन पर पड़े थे और शायद कुछ टुकड़े उसके हाथ में भी चुभ गए थे इसलिए तो उसका चेहरा दर्द से पीला पड़ा था ..वह अपने दायें जख्मी हाथ को बाएं हाथ से पकड़कर रखा था और दर्द को सहने की कोशिश कर रहा था| वह उठा और अलमारी से फर्स्ट एड बॉक्स निकला और मरहम पट्टी करने की कोशिश की पर बाएं हाथ से पट्टी बाँधी नहीं जा रही थी तो उसने गुस्से से उसे दूर फेंका और जाकर सोफे पर ढह गया| राईमा ने देखा खून अभी भी बह रहा था| उसने किसी तरह साहस बटोरे और फर्स्ट एड बॉक्स उठाकर उसके थोड़ा पास आई और धीरे से कांपते स्वर में बोली, “लाइये ,मैं कर देती हूँ|” पर उसकी आवाज़ सुनते ही उस इंसान के तन-बदन में आग लग गयी| वह उसकी तरफ लाल लाल आँखों से देखते हुए गुर्राया... “बेवकूफ लड़की! मैंने तुम्हें मना किया था न ! तुम जैसे पागल लड़कियों को ये क्यों समझ नहीं आता कि मर्द को सिर्फ एक औरत का जिस्म चाहिए होता है..जिसके लिए वह प्यार का नाटक करता है...और न मिले तो जबरदस्ती करता है...छल-बल हर चीज़ वह अपनाता है सिर्फ और सिर्फ अपनी हवस पूरी करने के लिए...पर तुमलोगों को तो बस लव स्टोरी बनाने का चस्का लगा रहता है...और इतनी बेशरम कैसे हो सकती हो तुम लोग? बिना किसी शर्म के अपना तन विवाह के रिश्ते में जुड़ने से पहले किसीको कैसे सौंप सकती हो? क्या दिमाग नाम की कोई चीज़ नहीं होती? मैं तुम जैसी लड़कियों से नफरत करता हूँ...समझी!!” राईमा अवाक सी उसे देख रही थी! यह क्या कह रहा था! ऐसे बातें कहते हुए उसने एकबार भी नहीं सोचा कि वह खुद भी एक मर्द है!किस मिटटी का बना है ये! और अगर वह उससे नफरत करता है तो उससे विवाह क्यों किया? वह तो अपनी गलती की सजा भुगत रही थी..मर जाना चाहती थी..| पर क्या ये जो कह रहा है वो सच है? उसने सौरभ से प्यार जरुर किया था पर उसने कभी सीमा नहीं लांघी| उसकी परवरिश ऐसी नहीं हुई थी...पर ,यह आदमी,जो इतनी बड़ी बातें कर रहा है...वह क्यों नहीं सोचता कि वह आज जिस जगह खड़ी है,सिर्फ और सिर्फ इसके भाई की वजह से...उस हवसी के वजह से,जिसका सिर्फ एक ही मकसद है...प्यार का छलावा कर लड़कियों के जिस्म से खेलना....| ........................ पूनम

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए