और क्या मँगोगे ?महावत से हाथी , तालाब से कमल, किसान से हल,मजदूर से साईकिल, आदिवासियों से तीर कमान, दार्जलिंग से चाय पत्ती, मानव से हाथ, गाँव से लालटेन, आसमान से चाँद तारे रंग चुराए प्रकृति से , यह राजनेता भी कितने अजीब हैं कहते हैं करते नहीं हर चुनाव मे एक नई मुसीबत मांग लेते हैं पूरा नहीं करते।1
फूल बनकर खिलोएक कमल की तरह ।कर दो शीतल सभी को विधु की तरह ।आरजू है हमारी मेरे भाइयों ।जब मिलो तो मिलो दोस्तों की तरह ।। था अभी पंक में एक पंकज खिला ।पंक बोला कि इससे हमें क्या मिला ।बोला पंकज कि तुझमें मेरी जान है ।दोस्त तुझसे ही मेरी ये पहचान है ।नाम तेरा बढ़े इस गगन की तरह ।फूल बनकर खिलो एक कमल की