खुली आखों से जिसे देखता हूँ, वो मुक्कमलख्वाब हो तुम।
चेहरे से जो मेरी झलके ,वही खूबसूरत अन्दाज हो तुम।
जिसे पा के भी हमेसा प्यासा रह जाऊँ ,वो जानी पहचानी सी प्यास हो तुम।
हो वही तुम जिसे मै जनता तो कई जन्मो से हूँ ,पा के भी हर बार जो अधूरी ही रह जाती है, वो हसीन ख्वाब हो तुम।
तुम क्या हो क्या बताऊँ मै जितना,सोचूँ तुम्हे ,उतनी उलझी सी अहसास हो तुम।।
Saurabh✍️