तुम गीत बनो मेरे दिल की, मै साज तुम्हारा हो जाऊँ। तुम कल हमारा हो जाओ,मै आज तुम्हारा हो जाऊँ।।
तुम वृंदावन यदि हो जाओ,मैं कुंज गली सा हो जाऊँ। तुम बनो प्रेम कि बगिया तो, उपवन मैं तुम्हारा हो जाऊँ।।
तुम राधा सी दिवानी हो जाओ,मैं श्याम तुम्हारा हो जाऊँ। तुम होंठ बनो यदि गिरधर के,तो बाँसुरी प्यारी मैं हो जाऊँ।।
तुम अगर चकोरी हो जाओ,मै चाँद तुम्हारा हो जाऊँ। प्यार करो यदि मीरा सा, गीरधर मै तुम्हारा हो जाऊँ।।
तुम ज्ञान बनो यदि गीता का,मैं सार तुम्हारा हो जाऊँ। तुम साथ चलो यदि सीता सी,मैं राम तुम्हारा हो जाऊँ।।
तुम अभिमान बनो यदि नारी का, तो शिवशक्ति मैं कहलाऊँ। तुम अगर प्रतिज्ञा अटल बनो, मैं भीष्म तुम्हारा हो जाऊँ।।
तुम मातृभूमि का मान बनो, तो अमर शहीद मैं कहलाऊं। तुम दीप बनो यदि आशा की, मैं लक्ष्य तुम्हारा हो जाऊँ।।
Saurabh bhatt ✍️