आज 5 सितम्बर को टीचर्स डे बडे ही उत्साह पूर्वक मनाया जा रहा है । सभी को टीचर्स डे की हार्दिक शुभ कामनायें।
पिछले कुछ समय से उत्ततर प्रदेश में एक बहस चल रही है। प्रशिक्षित शिक्षक बनाम अप्रशिक्षित शिक्षक । जब से शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द किया गया है ज्यादात लोग कहने लगे कि इण्टर पास व्यक्ति पढा रहा है और एक बी0एड़0 टीईटी पास प्रशिक्षित व्यक्ति नौकरी की तलास में इधर उधर बेरोजगार टहल रहा है । इन सब लोगों का कहना बिल्कुल ही सत्य है कि सरकारी विद्यालयो में प्रशिक्षित शिक्षक होना चाहिये जो हमारे गरीब बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सकें और भविष्य का सही मार्गदर्शन कर सकें। परन्तु एक बात मेरे मन में बार - बार खटक रही है कि ये लोग अभी तक कहाँ थे? कि पिछले पन्द्रह वर्षों से ये अप्रशिक्षति शिक्षक हमारे बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड कर रहे थे और सभी लोग चुपचाप इस अन्याय को सहन कर रहे थे। वास्तव में ये लोग जो प्रशिक्षित शिक्षक का नाम दे कर शिक्षामित्रों (अप्रशिक्षित शिक्षकों) को विरोध कर रहे हैं इन लोगों को शिक्षा के स्तर से कोई लेना देना नहीं है ये सिर्फ आपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं। इन्हें समस्या है तो क्या सिर्फ शिक्षामित्रो को मिल रहे वेतनमान से है ???????
सुप्रीम कोर्ट ने अपना निर्णय दे दिया है जो कि सर्वमान्य है अब एक प्रश्न उठता है कि वे लोग जो अपने आप को प्रशिक्षत शिक्षक की श्रेणी में रख कर सुप्रीम कोर्ट में दलील दे रहे थे बच्चों को भविष्य के साथ खिलवाड हो रहा है क्या वे लोग अपने बच्चों को इन प्रशिक्षत शिक्षकों से सरकारी विद्यालयों में पढाना चाहेंगे?????
प्रायः ऐसा देखा जाता है प्रशिक्षत शिक्षक (सरकारी अध्यापक) अपने बच्चों को अपने विद्यालय में या किसी अन्य सरकारी विद्यालय में नही पढ़ाना चाहता वह अपने बच्चे को प्राइवेट विद्यालय में पढ़ायेंगे जहां पर हाईस्कूल या इण्टर पास व्यक्ति पढा रहा है। बडे ही शर्म की बात है कि कोई भी शिक्षा के स्तर की बात नहीं करता । सभी अपना उल्लू सीधा करने में लगे हुए हैं ।
आज शिक्षक दिवस के अवसर पर सबसे विचारणीय बिन्दु है कि शिक्षा के स्तर को कैसे आगे बढाया जाये ? और शिक्षा के व्यवसायीकरण पर रोक कैसे लगायी जाय? ?????