प्रो
किसी भी प्रोफेशन में सफलता हासिल करने के लिए पूर्ण समर्पण और तन्मयता बेहद आवश्यक है। समाज में महिलायों की भागीदारी हर क्षेत्र में बढ़ रही है| इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि किसी भी परिवार के लिए महिला एक महत्वपूर्ण व्यक्ति है जो एक माँ, बहन, बेटी, पत्नी किसी भी रूप में हो सकती है | इसी वजह से उनके लिए प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ में बैलेंस बहुत जरुरी है | कई बार जब महिलाओं के कार्य क्षेत्र की बात आती है तो उनमे शिक्षण को सबसे आसान माना जाता है और समाज का एक वर्ग तो इस बात की पुरजोर वकालत करता है कि सिर्फ शिक्षण कार्य क्षेत्र में ही महिलओं की भागीदारी होनी चाहिए क्योंकि वहां उन्हें अपना पारिवरिक जीवन सही तरीके से जीने के आजादी मिल जाती है | परन्तु क्या सिर्फ इसलिए उन्हें शिक्षण को अपना कैरियर चुनना चाहिए ? ये एक बहुत बड़ी बहस का विषय हो सकता है परन्तु आज महिला दिवस के अवसर पर मै मेरे प्रोफेशनल लाइफ से जुडी दो ऐसी महिलायों का जिक्र कर रहा हूँ जिन्होंने इन दोनों लाइफ को बखूबी बैलेंस किया है |
डॉ रत्नमाला आर्या, प्रोफेसर एंड हेड, डिपार्टमेंट ऑफ़ एजुकेशन, क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान, भोपाल के साथ कार्य करते हुए मैंने ये जाना कि किस तरह कार्यस्थल पर अपनी व्यक्तिगत समस्याओं से दूर रहकर अपना शत प्रतिशत दिया जा सकता है | उन्होंने ने कई मौको पर अपने स्वास्थ और परिवार की परवाह न करते हुए संस्थान के प्रति अपने दायित्वों को महत्व दिया |
डॉ ममता ठाकुर, प्रोफेसर, सिमबायोसिस यूनिवर्सिटी ऑफ़ एप्लाइड साइंसेज, इंदौर जो कि मेरी रिसर्च गाइड रह चुकी है | उन्होंने शोध जिसमे कंप्यूटर दक्षता की विशेष आवश्कयता होती है के साथ रिसर्च किया और इस दौरान उन्हें अपने समकक्ष लोगो द्वारा कई परेशानीयों का सामना भी करना पड़ा परन्तु इसके बावजूद उन्होंने इन सब से निजात पाकर अपने प्रोफेशनल और पारिवारिक जीवन दोनों के साथ न्याय किया | अपने प्रोफेशनल लाइफ में मैंने इस तरह की कंप्यूटर दक्षता बहुत कम महिलाओं में देखी है |
आज अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मै उन सभी महिलायों को नमन करता हूँ जिन्होंने अपनी दोनों जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया |