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मैं "पुर्णाराम चौधरी सारण" राजस्थान से हुँ (जिला) (चुरू) से "//√ || > बारिश की बूदें ईन्सा से, कुछ ईत्फाक तो रखतीं हैं,बसतीं हैं आसमा में फिर भी, ज़मी की ख्वाहिश रखतीं हैं। ईन्सा की फितरतभी तो, कुछ एसी ही होती हैं, खुलते ही आखें ज़मी परउसकी, आसमा की ख्वाहिशे बुनती हैं। यह सबके साथ ही होता हैं, मेरे मन केसाथ भी होता हैं, जो पास नही हैं आज मेरे, मन ऊसी कीख्वाहिश करता हैं।।

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