प्यार- इश्क- मोहब्बत या एक अलग ही रूहानी इबादत!
कभी सोचा है कि क्या हम सही मायनों में समझते भी हैं इन शब्दों को या सिर्फ शारिरिक चाहतें, कुछ अपनापन या एक तरह के लगाव होने को हम प्यार- इश्क- मोहब्बत होना मान लेते हैं?
क्यूँकी ये लगाव, अपनापन और शारिरिक चाहतें तो हमें और भी चीज़ों से हो सकती है जैसे किसी टैडी-बियर से, किसी पालतू जानवर से या किसी मित्र से भी और आजकल तो लोगों को सबसे ज्यादा अपने समार्टफोन से ही सबसे ज्यादा लगाव है।
आखिर इश्क होता क्या है? इश्क तो वो शैह है जिसमें दो इंसान एक-दूसरे को रूह कि गहराई तक चाहने लगें। एक-दूसरे को इतनी गहराई से समझने लग जाऐं कि शब्दों से नही बस आँखों से ही एक दुसरे के जज्ब़ात समझ लें।
कब किसे कौन सी बात बुरी लग रही है या कब क्या चाहिए वो सब बिना कहे ही समझने लग जाऐं यानि दो बदन एक जान। एक की आँखों के आँसू दूसरे की आँखों से निकलें और चोट एक को लगे तो दर्द दूजे को महसूस हो फिर शारिरिक रूप से बेशक वो कितनी भी दूर क्यूँ ना हो।
ऐसा ही इश्क था अनामिका और सूरज का।
अनामिका की पहली मुलाकात सूरज से कानपुर में एक शादी में हुईं थीं जब वो अपनी सहेली की बहन की शादी में शामिल हुई। नेहा बहुत खास दोस्त जो थी उसकी।
शायद इसलिए एक हफ्ते पहले ही वहाँ चली गई थी अनामिका, शादी का माहौल पसरा था चहू ओर सब जगह बस खुशियाँ ही थीं। वही पर पहली बार मुलाकात हुई थी सूरज से, जो नेहा का मौसेरा भाई था और दिल्ली से आया हुआ था दोनों की पहली मुलाकात औपचारिकता भरी ही थी बस दोनों ने हाय हल्लौ की और अपने आप मे ही रहे, पर वो कहते हैं ना जब उसने लौ लगानी हो इश्क की तो लगा ही देता है। एक ओर सूरज जो बेहद ख़ामोश, संजिदा, चुप-चाप और साधारण सा लङका जो हमेशा सर झुका के ही बात करता था और अनामिका एक बिंदास- हसीन और हंसमुख लङकी जो हर जहाँ खङी हो जाऐ ठहाके गूंज जाते थे सबके चेहरों पर मुस्कान आ जाती थी।
कभी-कभार बस आँखें चुराकर अनामिका सूरज को देखती और सोचती यह कैसा लड़का है जो कभी भी आँखें उठाकर नही देखता किसी भी लड़की को।
और सूरज की यही बात अनामिका को धीरे - धीरे उसके करीब कर रही थी, इधर सूरज भी अनामिका को नज़र बचा के देख चुका था और उसके व्यक्तित्व, उसके सौंदर्य, बेबाकी और हंसमुख व्यवहार को पसंद करने लगा था। और जब उसने पहली बार अनामिका के पैरों को देखा तो मेंहदी से सजे हुए सुर्ख लाल पैरों से ही इश्क हो गया था सूरज को, चेहरा तो बाद में कंही से छुप कर ही देखा था मन भर के।
इस बात का दोनों को एहसास हो गया था कि वो एक-दूसरे को बेहद प्यार करने लगे थे। सूरज जिसको अनामिका से पागलों जैसा प्यार हो गया था, जिसने कभी अनामिका के पैरों से आगे उसे कभी देखा ही नहीं था, वो क्या पहन रही है? कैसी लग रही है? सूरज को कभी नहीं पता होता था। और वो इस बात से अनजान था कि अनामिका की आँखें हमेशा सूरज पर ही टिकी होतीं और यही सोचती आखिर यह मेरी तरफ देखता क्यों नहीं है? हमेशा इसी बात से चिढ़ी सी रहती थी सूरज से अनामिका।
सूरज चाहता तो बहुत था कि वो जी भर के अनामिका को देखें पर सूरज प्यार को प्यार ही रहने देना चाहता था क्योंकि उसको लगता था जरूरी नहीं प्यार तभी होता है जब हम मिलें या एक-दूसरे को देखें। जब भी दोनों मिलते या बातचीत होती सूरज हमेशा की तरह अनामिका के पैरों को ही देखता अनामिका जान चुकी थी कि कुछ तो है जो सूरज का नाम आते ही या उसके पास आते ही उसकी धङकने तेज हो जाती हैं और सुरज का भी यही हाल था वो बहुत प्यार करने लगा था अनामिका से हमेशा तत्पर रहता उसके आस पास आने में और उसकी यही आदत के कारण सूरज की दिल से बहुत इज्जत करने लगी थी अनामिका।
उसे अहसास हो चुका था कि वो दोनो एक दूजे के लिऐ ही बने हैं क्योंकि आज तक उसने सुना था कि आजकल प्यार मे हर कोई किसी ना किसी बहाने से एक दूजे को छुना चाहते है यानी शारिरिक आकर्षण।
पर यहाँ तो छुअन की लालसा कहीं थी ही नहीं।
हमारा प्यार तो बस एक-दूसरे को पास होने से ही दिल और रूह से महसूस होता था।
वक्त कैसे बीता पता ही नही चला दोनों को अब वो भी वक्त आ गया जब सूरज वापिस जा रहा था अपने घर इस उम्मीद से जैसे ही अनामिका की पढ़ाई पुरी हो जाएगी और उसकी भी पढ़ाई पुरी हो, नौकरी लगे तो वो हमेशा के लिए अनामिका को अपनी बना लेगा।
सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था जब भी अनामिका किसी बात से परेशान सी होती पता नही कैसे सूरज को इस बात का एहसास सा हो जाता था कि अनामिका किसी बात से परेशान सी है और वो कुछ छुपा रही है मेरे से। उन लोगों की बातें आमने-सामने बहुत ही कम होती थी ज्यादा तर फोन पर ही बात करते थे।
जाने कैसे जब भी सूरज को लगता अनामिका परेशान है सीधा फोन करके पुछता क्या बात है, अनामिका आज तुम ठीक नहीं हो, क्या छुपा रही हो? अनामिका बहुत कोशिश करने पर भी उससे कभी कुछ छुपा नहीं पाती और यही हाल अनामिका के साथ होता था जब भी सूरज परेशान सा होता या अनामिका से बात करते समय कुछ सोच रहा होता तो अनामिका झट से पूछ लेती कहाँ ध्यान है, क्या सोच रहे हो तुम?
सब कुछ सही चल रहा था पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था अनामिका के साथ वो हादसा हुआ जिसे कोई सोच भी नही सकता उसके अपने ही दुर के भाई ने जो उससे लगभग 10-12 साल बङा था उस समय उसकी इज्जत तार तार कर दी। एक दिन घर के सभी सदस्य किसी समारोह में गए हुए थे और अनामिका बस अकेली पढ़ाई कर रही थी अपने घर में इस बात से अनजान कि उसके दूर के भाई कि ना जाने कितने दिनों से नियत खराब थी अनामिका पर। जैसे ही उस दरिंदे को मौका मिला उसने एक बार नहीं सोचा कि वो बहन भाई के रिश्ते को कलंकित कर रहा है, बहुत मिन्नत की उसने उस भेङिऐ से अपने आप को छोङने की, रिश्ते की दुहाई दी खुद को बचाने के लिए लेकिन उस भेड़िये को जरा सा भी तरस नहीं आया और उस बेचारी, मासूम, बेबाक और हंसमुख अनामिका को कुचल डाला और हमेशा के लिए दागदार कर दिया वो दरिंदा वहीं नहीं रूका अनामिका को धमकी भी दे दी कि गलती से यह बात कभी भी किसी को पता चल गई तो तेरा परिवार किसी को कभी भी मुँह नहीं दिखा पाएँगा इतनी बदनाम कर दूँगा तुझे।
अनामिका अपने सुरज को उसके बार बार पुछने पर भी कुछ नहीं बता पा रही थी अब वो खुद को समझा चुकी थी कि सूरज और मेरा इतना प्यार होने के बावजूद हम दोनों कभी भी एक-दूसरे के नहीं हो सकते अब।
अनामिका को लगने लगा अब वो सूरज के लायक नहीं रही क्योंकि उसके साथ जो हादसा हुआ और जिसे चाहकर भी किसी को बता सकती थी, बुरी तरह डर और टूट चुकी थी अनामिका।
इधर सूरज पल पल गिन रहा था इस बात के इंतजार मे कि कब अनामिका और उसकी पढ़ाई खत्म हो और वो अनामिका को हमेशा के लिये अपनी बना ले।सूरज हमेशा एक सपना देखता था जब अनामिका उसके घर आ जाएगी हमेशा के लिए उसकी बनकर और उसके घर हमेशा अनामिका की चूड़ियों की खनक और पायल की छमक की आवाज सुनाई देगी, छम छम करती, खिलखिलाती अनामिका उस घर की रौनक बन जाएगी और उस घर को एक नईं ज़िंदगी देगी, उसका घर स्वर्ग सा बन जाऐगा और वो दुनियाँ की हर खुशी अनामिका के पैरों पर ला कर रख देगा।अनामिका की हर खुशी का ध्यान रखेगा, उसके मुहँ से निकला हर शब्द उसके लिऐ एक जूनून होगा, उसकी हर छोटी-बङी ख्वाईश को किसी भी सूरत पूरा करेगा। इसलिए सूरज पढाई के साथ साथ दिन रात मेहनत करता रहता क्योंकि वो अनामिका के सब सपने पुरा करना चाहता था।
इधर अनामिका अन्दर ही अन्दर घुटती रहती थी, बुरी तरह टूट चुकी थी अनामिका उस हादसे के बाद और समझने लगी थी की वो अब सूरज लायक नहीं रही।अकेले बैठै- बैठे सोचा करती की "अब कुछ नही बचा मेरे पास सूरज के लिए, जो मेरे साथ हुआ उसमें सूरज की कोई गलती नहीं है, मै अपवित्र और जूठन बन चुकी हूँ अब और मेरा कोई हक नही मैं उसकी जिंदगी बर्बाद कर दूँ।
दोनों ही एक-दूसरे को सोच रहे थे इस बात से अनजान कि दोनो के रास्ते एक होते होते कितनी दूर और अलग जा रहें हैं।
अनामिका हमेशा के लिए उससे दुर जाने का फैंसला कर बैठी और इधर सूरज हमेशा के लिए उसे अपना बनाने का इरादा कर चुका था। अनामिका को पता था अगर सूरज को सब पता चला तो वो कभी भी उसे नही छोड़ेगा और उसे इतना प्यार करता है कि सबकुछ जानते हुऐ भी अपना लेगा उसे, पर अनामिका को अपनी धुटन उससे दूर करना चाहती थी। अनामिका ने सोच लिया था कि मुझे कुछ ऐसा करना होगा जिससे सूरज मेरे नाम से भी बस नफ़रत करने लग जाऐ।
अनामिका ने सोच लिया कि कैसे वो सूरज के दिल और दिमाग में बस नफ़रत भर देगी अपने खिलाफ ताकि वो मुझे हमेशा के लिए भुल जाए उसे, भूल जाऐ वो लंबी- लंबी प्यार भरी बातें, हर वो छोटे से छोटा पल जो साथ बिताया था, हर वो आहट जो दोनों के दिलों में उठती थी नज़र मिलते ही, हर वो खुशी जो साथ महसूस की थी और भूल जाऐ कि कोई अनामिका थी उसकी ज़िंदगी में।
इधर सूरज यह सोच रहा था कि मुझे इतनी मेहनत करनी है कि जिससे अनामिका को दुनिया की सब खुशियाँ दे सकूं। अनामिका ने जब पढ़ाई पुरी की तो सूरज को सबसे ज्यादा खुशी हुई थी सोच रहा था आज मैं अनामिका से हमेशा के लिए अपनी होने का वादा माँग लूँगा और अनामिका जानती थी कि आज सूरज उसे मिलने आ रहा था और ये भी की क्यूँ और आज अगर वो कमजोर पड़ गई अपने प्यार सूरज के सामने तो सूरज कभी भी दुनियां के सामने नजरें उठा सकेगा, उसे उस दरिंदे की धमकी याद और वो वहशीपन रह-रह के याद आ रहा था।
अनामिका अपने आप को सँभालते हुए अभी सोच ही रही थी कि अचानक सूरज अनामिका के सामने आ गया। सूरज तुम! चौंकते हुए । ना जाने कैसे आज पहली बार सूरज उसकी आँखों से आँखें मिला रहा था, आज उसके चेहरे पर एक अलग ही खुशी थी बहुत मासूमियत और शर्म भरी। जिस बात का इतने वक्त से अनामिका इंतजार कर रही थी कि कब सूरज उसे देखें, उसकी नज़रों में नज़रे डाल उससे बात करे, आज वो वक्त आया भी तो आज अनामिका उससे नज़रें नहीं मिला पा रही थी , नहीं देख पा रही थी उसकी प्यार से भरी आँखों को, जिन्हे देखने का सपना जाने कब से देख रही थी अनामिका और आज जब वो पल आया तो बस नजरें चुरा रही थी, जानती थी अगर सुरज ने उसकी आँखों में देखा तो कभी भी उसकी बातों पर यकीन नहीं करेगा।
इधर सूरज अपनी खुशी में बोला "अनामिका, मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ"। अनामिका सूरज की बात सुनकर उससे लिपट जाना चाहती थी और उसका मन तो यहाँ तक चाह रहा था कि सब कुछ बता दे सुरज को और खूब रोऐ उसकी बाहों में और धो डाले वो सारे दरिंदगी के दाग सुरज के प्यार में, ये वो पल था जिसका बहुत बेसब्री से इंतजार वो इंतजार किया करती थी।
अचानक सूरज बोला , अनामिका से मुझे बस एक साल का वक्त चाहिए। क्या ? अनामिका अनजान सी होते हुए जैसे उसे मौका मिल गया हो, एक साल!
पागल हो तुम?
तुमको पता होना चाहिए मेरे घर वाले बहुत दबाव डाल रहें हैं और रिश्तेदार पिताजी के देहांत के बाद बहुत ज्यादा पिछे पङे हैं, मैं बहुत मुश्किल से किसी ना किसी तरह टाल रही थी और अब बहुत मुश्किल होगा और टालना। मेरी माँ और भाईयों की मजबूरी है बन रही है मेरी जल्दी शादी करना और तुम्हारी अभी कोई पक्की नौकरी भी नहीं लगी है और ना ही तुम्हारे पास इतना काम हैं और ना पैसा कि गृहस्थी संभाल सको।
बहुत मुश्किल से खुद को और अपनी ज़बान को काबू में रख कर सख्ती से बोला था अनामिका ने ये सब और ऐसा बोलते- बोलते कहीं बहुत अंदर तक उसकी आत्मा चींख चींख कर तङप रही थी, उसका दिल आज पुरी तरह टूट कर चूर हो चूका था और उसकी रूह थरथरा गई थी आज।
अनामिका ने खुद पर काबू रख कर बोला "तुम्हारे पास तोअपना घर भी नहीं है, कहाँ रखोगे मुझे शादी के बाद, सोचा है कभी, किराऐ के मकान में? अगर कुछ दिखता तो मैं एक बार कोशिश भी करती अपने घर वालों से बात करने की और मनाने कि लेकिन किस आधार पर बात करूँ और अगर पुछा कि कहाँ रखेगा और कैसे खिलाऐगा तुम्हें तुम्हार सूरज? तो क्या जवाब दूंगी, सूरज, प्यार से जीवन नहीं कटता और इन हालातों में मैं अपने परिवार के खिलाफ नहीं जा सकती मुझे माफ कर दो।
जहाँ वो चाहेंगे, मुझे वहीं शादी करनी होगी और हाँ मेरी शादी की बात भी चल रही है शायद पक्की भी हो जाए। मैं सोच रही थी तुम्हें कुछ ना कुछ काम या नौकरी मिल जाऐगी लेकिन तुम्हें तो और वक्त चाहिए वो भी एक साल, जानते हो एक साल में बारह महिने,365 दिन और हर दिन में 24 धंटे और हर धंटे में 60 मिनट यानी सैंकङो पल होते है एक साल में जो अब मेरे पास नहीं है, तुम्हारा इंतज़ार करने के लिऐ अब इतना समय और उस लड़के के पास सब कुछ है जो एक अच्छा जीवन जीने के लिऐ चाहिए और सूरज प्यार से पेट नही भरता कुछ दिनों तक अच्छी लगती है प्यार मोहब्बत की बातें और फिर दुनिया-दारी शुरू करनी पङती है जिसके लिऐ पैसों की जरूरत होती है -बहुत सारे पैसे, सुरज अच्छा यही होगा तुम मुझे भुल जाओ और सोचना हम कभी मिले ही नहीं थे आज के बाद मुझे कभी मत मिलना और ना ही कभी कोशिश करना, मैं नहीं चाहती की तुम्हारे कारण मेरी आने वाली ज़िंदगी में कोई परेशानी हो।
अगर मुझे सचमुच प्यार करते हो तो कभी भी पलटकर मत देखना और ना ये जानने कि कभी कोशिश कि मै कैसी हूँ , कहाँ हूँ?
सूरज अवाक सा रह गया, उसका खून सूख रहा था, ज़बान तालू से चिपक गई, आँखे अश्को से भर चुकी थी, अब छल्की की तब छल्की, मानो पहाङ टूट गया हो उसपर और उसका दिल मानों मना कर रहा हो धङकने से, दिमाग विचार शुन्य मानों लकवा मार गया हो उसकी सोच पर, सारे अरमान, सपने, ख्व़ाईशे बह गऐ थे आज अनामिका के कहे एक-एक लफ्ज़ पर।
फिर भी अनामिका की बातें सुनकर उसे यकीन ही नही हो रहा था कि ये उसकी अनामिका है! यह क्या वही लड़की जो मुझे इतना प्यार करती थी और आज उसके लिए बस पैसा ही सब कुछ कैसे हो गया। सूरज रूआँसा हो कर बङी मुश्किल से बोला " अनामिका प्लीज कह दो ये सब झूठ है और तुम मुझसे मजाक कर रही हो, कह दो अनामिका, प्लीज कह दो ये सब मजाक था"।
अनामिका, सूरज तुम्हें समझ नहीं आ रहा या समझना नहीं चाह रहे हो तुम, ये सब सच है मैंने तुमसे जो भी कहा सच्चाई है। भूल जाओ वो सब कुछ जो हमारे बीच था मैं अब किसी और की होने वाली हूँ हमेशा के लिऐ, और इतना सूनते ही सूरज फफ़क कर रो पङा,और अनामिक ने देखा नहीं जा रहा था उसका दर्द गोया मुहँ मोङ के खङी हो गई और अपने आँसूऔं के सैलाब को छुपा लिया।
आज अनामिका की बातें सुन कर सूरज को प्यार से नफ़रत सी होने लगी थी, इधर अनामिका अपनी आँखें के आंसू छुपाती हुई मन ही मन सूरज से और अपने भगवान से कह रही थी
" मुझे माफ कर देना सूरज और मन ही मन बोल रही थी, मैं चाहती हूँ सूरज, तुम्हारी पहचान भी तुम्हारे नाम जैसी बनें ताकि मैं गर्व करूँ तुम्हें देख कर कि यह मेरा प्यार है, मेरे सूरज है, तुम भी कामयाबी के आसमान पर सूरज की तरह चमको। मैं कभी नही चाहती तुम मेरी खातिर अपने परिवार, समाज से अलग हो जाओ। मेरा क्या है? मेरी जिंदगी तो बर्बाद हो गई है लेकिन तुम्हारी जिंदगी में मैं रहूँ या ना रहूँ पर जब तुम हँसोगे तो मै भी तुम्हे हंसता देख हँसूगी, तुम्हारी हर कामयाबी पर तुम्हारे साथ ना होकर भी खुश हो जाऊँगी।
सूरज जा रहा था हमेशा के लिए यह सोचकर कि मैं कुछ बनकर दिखाऊँगा अनामिका को एक दिन और वो पछताऐगी की क्या खोया है उसने और अपने आसूँ अपनी आसतीन से पोंछ रहा था जो शायद रूकना नहीं चाहते थे, उधर अनामिका आँसू बहाते हुए यह सोच रही थी कि आज सूरज को अपने से हमेशा के लिऐ दूर करके उसने अपने ऊपर लगे दाग़ में भागीदार होने से बचा कर ठीक किया या नहीं, या फिर उसका दिल तोङ कर कहीं कुछ गलत तो नहीं किया, अंदर ही अंदर डर गई थी ये सोच कर कि कहीं सूरज कोई गलत कदम ना उठा ले फिर ये सोच कर थोङा शाँत हुई कि सूरज बहुत समझदार है ऐसा वैसा कुछ नहीं करेगा, घर की बहुत जिम्मेदारी है उस पर और मन ही मन दुआ कर रही थी की सूरज हमेशा सूरज की तरह चमकता रहें।
सूरज दूर जा चूका था अनामिका ने देखा और मन में कसक सी उठी , काश सूरज को एक बार देख पाऊँ जी भर के और आँसूओं की एक मोटी धार बह रही थी, अनामिक ने दिल से चाहा था कि काश सूरज एक बार पलट के देखे और वो उसके जी भर देख सके शायद अंतिम बार और कहीं उसका दिल चाह रहा था कि वो भाग के जाऐ और लिपट जाऐ सूरज से और कह दे, सूरज मैंने सब कुछ झुठ कहा था और सच्चाई ये है कि मैं तुम्हारे लायक नहीं रही अब, मैं दाग़दार हो चुकीं हूँ, मुझे एक वहशी ने नोच डाला है और मुझे तुम्हारे लायक नहीं छोङा है, मुझे माफ कर दो।
लेकिन सूरज नहीं पलटा आज उसने ने इतनी गहरी चोट जो खाई थी, वो भी उस इंसान से जिसको उसने दुनिया में सबसे ज्यादा प्यार किया था, पुजा था जिसको, हर साँस से साथ उसकी इबाद्त की थी।
अनामिका बिना किसी को बताए कहीं दुर चली गई थी सबकी नजरों से, पर सूरज की जिंदगी में क्या हो रहा था, क्या चल रहा था, क्या नहीं अनामिका को पल पल की खबरें रहती थी अपनी सहेली नेहा के सहारे।
सूरज आज एक अनामिका की बातों को सच मानकर ही सही पर ऐसे मुकाम पर पहुंच चुका था जैसा अनामिका चाहती थी पर ये भी सच था कि आज भी उसकी आँखों की उदासी, उसके दिल का दर्द बयान करती थी और वो आज भी अनामिका को याद कर अपनी आँखे भर लेता था शायद उसको आज भी आस है, इंतजार है अनामिका के लौट आने का, बहुत से सवाल उसने दबा रखे है अपने सीने में।
चाहे वो अलग हो गए थे पर अनामिका आज भी सूरज की ही थी और सूरज आज भी अनामिका का ही था।
जिंदगी जी तो रहे थे दोनों पर अन्दर से अलग -अलग, तङप और चाहत हर पल टुटती और बिखरती थी।
अलग- अलग और दूर होने के बाद भी, आज भी दोनों एक-दूसरे को महसूस करते हैं।
हर पल ना जाने कैसे दोनों को ही एक दूजे का दर्द महसूस होता है। शायद सचमुच होता है,,
" इश्क ऐसा भी!"