" सुबह का समय" *_____*****_____*
"जैसा कि पिछले चैप्टर मे रानी के कमरे का दरवाजा कोई खटखटा रहा था ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, जिसके करण रानी की ऑख खुल जाती है ,और वो सोचने लगती है कि ,इतनी रात को दरवाजा कौन खटखटा रहा है ,,,,,,,,,,, जब खटखटाने की आवाज सुनकर राज नही उठे तो रानी जल्दी से उठकर दरवाजा खोलने गई, "।
"जब वो दरवाजा खोली तो कमरे के बाहर उसकी सॉस खडी थी ,और रानी को देखते ही बोली इतनी देर लगती है दरवाजा खोलने मे, अब जल्दी से बाहर आ जाव ••••••••बोलकर सॉसु-मॉ हॉल के सोफे मे जाकर बैठ गई ,फिर मै अपनी साडी ठीक करके कमरे के बाहर जाने लगी ,तो पीछे से आवाज आती है ,सॉल लेकर जाना बाहर बहुत ठंड है ,फिर मै सोची की अगर राज जागे हुऐ थे तो दरवाजा खोलने क्यु नही उठे ,चलो दरवाजा तो नही खोले कम से कम मेरी इतनी चिन्ता तो हुई की मुझे सॉल लेने बोले , फिर मै सॉल लेकर कमरे के बाहर चली गई ,बाहर जाकर देखा तो मेरी सॉस फुऑ सॉस से कह रही थी की ,क्या-क्या काम करना है ,इसे समझा दिजीएगा बोलकर मेरी सॉसु-मॉ सोने चली गई, "।
"फुऑ-सॉस मुझे अपने साथ घर के बाहर ऑगन मे लेकर गई ,वहॉ पर बहुत सारे झुठे बर्तन पडे हुऐ थे ,,,,,,,,,,,,,, जिनको दिखाकर बोली कि पहले इसे धो लेना उसके बाद पुरे घर मे झाडु-पोछा करके नहा लेना उसके बाद तुरन्त रसोई मे चले जाना , बोलकर फुऑ-सॉस भी हॉल मे जाकर लेट गई ,फिर मै ऑगन मे अकेले खडे-खडे सोचने लगी की••••••••• ,ये क्या तरीका हुआ एक बहु से काम कराने का,सुबह के •••••चारः बज रहे है , ठंडा का सुबह और अभी तक ऑधेरा ही है ,और इस खुली ऑगन मे मुझे बैठ कर बर्तन धोने है , लेकिन बोला गया है, तो करना ही पडेगा ,फिर मै बर्तन धोने बैठ गई, और सोचते रही की क्या मै इस घर की बहु ही हूं ना ,या कुछ ओर शादी के दुसरे दिन मुझे घर के सारे काम समझाया जा रहा है ,चलो ये भी ठीक है ,मगर सुबह के चार, बजे से ही ,और घर मे इतने लोग के रहते दुसरे दिन ही मुझसे ये सब काम करवाया जा रहा है ,क्या ये सही है ,"
"फिर सोचते-सोचते मै बर्तन धोने लगी ,मगर पानी इतनी ठंड थी की हाथ से छुआ नही जा रहा था ,फिर भी मेने किसी तरह बर्तन धोने लगी और सोच रही थी, किसी को मेरे पास होने चाहिए था ,मगर कोई नही है ,कोई ओर ना सही कम-से-कम मेरे पति राज को तो मुझसे आकर पूछना चाहिए कि कहॉ हूं ,क्या कर रही हूं ,मगर उनको भी मेरी नही पडी ,फिर यही सब सोचते-सोचते ना चाहते हुए मेरे ऑख से ऑसु निकल पडे ,और मै अपने मायके को याद करने लगी , •••••••••••••••
मयके मे, मै जब तक चाहती सोती रहती , बिना आवाज के पहले मै कभी उठती तक नही थी ,••••••••• मॉ कहती भी थी ,कि यहॉ जितना चाहो सो लो ,जब ससुराल जाएगी और वहॉ सुबह-सुबह उठना पडेगा तो पता चलेगा ,जितना मजा करना है••• मयके मे कर लो ,•••••• सोच-सोच कर मै रोए जा रही थी।
फिर घर के सारे काम करने के बाद मुझे नहाना था , और मेरे सारे समान कमरे के बजाय हॉल मे ही रखे थे ,फिर मेने अपने कपडे निकालकर नहाने चली गई ,और बाथरूम भी ऑगन मे थी , ••••••••••• नहाने के लिए जब बाथरूम के अन्दर गई तो वहॉ गर्म पानी का कोई साधन नही था ,और ठंड इतनी थी कि ठंडा पानी से नहाने का मन नही हो रहा था ,,,,,,,,,और अभी सुबह के छहः बज रहे थे ,इसलिए घर के सभीलोग सो ही रहे थे मै किस्से कहती की मुझे गर्म पानी चाहिए नहाने के लिए ••••••••••••• कुछ समझ मे नही आ रहा था कि क्या करू कैसे ठंडा पानी से नाहऊ ,•••••••••फिर बहुत सोचने के बाद ठंडा पानी से नहाकर मै कमरे मै जाने लगी ,तभी पीछे से सॉसु-मॉ बोली कहॉ जा रही हो तो मेने कहॉ मॉजी कमरे मे जा रही हूं साडी थोडा ठीक करना है ,बाथरूम मे ठीक से पहन नही पायी ,तो मेरी बात पर मेरी सॉस बोली ,दुसरे कमरे मे जाकर ठीक कर लो ,अभी इस कमरे मै मत जाव बबु का नींद खराब हो जाएगा ,( बाबु मेरे पति का नाम है ,घर के सारे लोग उन्हे प्यार से बाबू के नाम से बुलाते है ,),,,,,,,, ।वैसे भी तुम्हारे वजह से पहले भी नींद खराब हो गया होगा ,बोलकर सॉसु-मॉ वहॉ से चली गई ,••••••••••• उनके जाने के बाद मै फिर से सोचने लगी कि मुझे कमरे मे जाने से क्यु मना कर रही है ,मै वहॉ कमरे के बाहर सोचते रही की क्या करू ,कमरे के अन्दर जाऊ कि ना जाऊ , मुझे किसी और कमरे मे जाना अच्छा नही लग रहा था ,क्योकि हर कमरा मेहमानो से भरा पड़ था ,मुझे मेरे कमरे मे जाने के लिए मना कर रही थी ये बात समझ मे नही आ रहा था ,फिर, मेने बिना कुछ सोचे समझे अपने कमरे के अन्दर चली गई "।
"कमरा ऑधेरा था ,लाइट कही से भी नही आ रही थी ,और डर से मै लाइट नही जला रही थी ,,,,,,,,,,,,,कि कही वो उठ ना जाए ,अगर उठ गए तो सासु-मॉ मुझ पर गुस्सा करेगी ,फिर मेने ऑधेरे मे ही अपने कपडे ठीक किये और बाल बनाकर कमरे से बाहर जाने लगी ,,,,,,,,,,,,,,,, तभी फिर पीछे से आवाज आती है ,एक गिलास पानी लाना ,मेने उनकी किसी भी बात का जवाब ना देखकर कमरे से बाहर निकल गई और रसोई मे जाकर पानी लेकर कमरे मे जाने लगी ,,,,,,,,,,,,,,,,कमरे के दरवाजे तक पहुंची ही थी कि ,सॉसु-मॉ मुझे फिर से रोकी बोली ,,,,,,,,ये पानी का गिलास मुझे दो मै दे दुगी ,तुम रसोई मे जाव जाकर जल्दी से सबके लिए नास्ता तैयार करो ,,,,,,,,,बोलकर सॉसु -मॉ ,,,,,,,, मेरे हाथो से पानी का गिलास लेक, कमरे के अन्दर जाकर राज को पानी देती है ,,,,,,,,,,,,मै वहॉ से वापस रसोई मे चली आयी और मन मे फिर से कई सवाल चलने लगी ,,,,,,,,,,,, कि आखिर सॉसु-मॉ मुझे राज को पानी देने क्यु नही दी "।
"जबतक मेरे दिमाग मे ये सब बात चल ही रही थी ,,,,,,,,,,, कि उसी समय ,रसोई मे मेरी छोटी नन्द आती है ,,,,,,,,,,,और सबके लिए क्या-क्या नास्ता बनाना है बताकर चली जाती है ,,, उसके जाने के बाद मुझे लगा कि ,नास्ता क्या बनना है वो तो ठीक है ,लेकिन रसोई मे सारे समान कहॉ-कहॉ पर रखे है ,वो तो बताना चाहिए, मुझे हर समान ढुडने मे ही ऑधा घंटा लग जाएगा तो नास्ता कैसे मै सबके लिए जल्दी बनाऊगी ,कुछ समझ मे नही आ रहा था कि कैसे क्या करू ,"।
"फिर मै चीजो को ढुडकर इकट्ठा कर ही रही थी की ,,,,,,, नीतु रसोई मे आ जाती है , और कहती है ,भाभी क्या जरूरत है मेरी आपको ,,,,,,,,,,, जब मै नीतु को देखी तो जान मे जान आयी ,और मै उनसे बोली कि ,,,,,,,,,,,फिलहाल मुझे इस घर मे आपकी ही जरूरत है ,आच्छा हुआ जो आप रसोई मे आ गई ,अब मुझे जल्दी से बताइये की सब समान कहॉ पर रखे है ,,,,,,, मुझे एक घंटे मे नास्ता तैयार करना है ,,,,,,,, फिर नीतु मेरी बात सुनकर हंसने लगती है , और कहती है ,भाभी मै आपकी मदद करने ही आयी हूं ,,,,,,,,,,,,, आप चिन्ता मत कीजिए समय से नास्ता बन जाएगा ,फिर हमदोनो नास्ता बनने मे जुट गए, "।
"क्या रानी समय से नास्ता बना पाएगी , देखते है अगले चैप्टर मे "।
धन्यवाद !!