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" रानी का अपमान " { भाग -5 }

11 जून 2022

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     " नीतु बोली भाभी चलिए  मै आपको कमरे तक छोड देती हूं  ,भैया अभी घर पर नही है वो कही बाहर  गऐ  है ,इसलिए  अभी आपको कोई  नही रोकेगा ,बोलकर  हमलोग रसोई  से निकल कर कमरे मे जाने लगे तभी चाची सॉस  कहती है ,कहॉ जा रही हो बहु ,हमलोग  के पास भी आकर बैठो ,जब देखो तब कमरे मे ही जाने मे लगे रहती हो ,,,,,,,,,  उनकी बात सुनकर  नीतु बोली ,भाभी हो गया आपका आराम करना ,चलिए  अब महफ़िल  मै बैठते है ,"।

         "फिर  सभीलोग  जहॉ बैठकर बाते कर रहे थे हमदोनो भी वही चल गऐ ,फिर मौसी सॉस  ,,,,कुर्सी के तरफ इशारा करत बोली बहु उसमे बैठ जाव ,  तो तुरन्त  मेरी सॉस बोली कि सब बडे लोगो के सामने वो कुर्सी मे कैसे बैठेगी ,फिर वो नीतु को बोली नीतु जमीन पर एक चटाई  बिछा दो उसमे बैठ जाएगी ,तो एक चटाई  लेकर आयी और सबके बीच मे बीछा दी ,बोली आईये भाभी हमलोग  इसमे बैठते है ,फिर हमलोग  उस चटाई  मे बैठ गए  ,और मै फिर सोचने लगी कि , हरबार  मुझे जमीन पर क्यु  बैठाया जाता है ,"।

          "जबतक मै सोच ही रही थी कि ,चाची सॉस  बोली तब बहु क्या-क्या  लायी हो अपने ससुराल  वालो के लिए ,तुम्हारी  मॉ  हमार के लिए  कुछ शगुन  भेजी है ,या खाली हाथ आयी हो ,तो मै बोली ,मॉ सबके लिए  कपडे भेजी है ,वो सूटकेस  मे है ,तो सॉस बोली अगर नही बोला जाता तो तुम निकाल कर नही देती ,,,,,,,,,, मै बोली नही एसी बात नही है ,मै अभीतक कोई  समान खोली तक नही हूं ,समय कहा मिला खोलने का ,जो मै आपसब को दिखाती ,तो इसपर, मेरी सॉस  अपनी जेठानी से बोली जो चाची सॉस  थी उससे बोली की देख रही हो दिदि बोली कितना ऊंचा  है ,सिर्फ  इससे एक सवाल  किया गया ,मगर इसका जवाब कैसे दे रही है ,हमलोग  इसको समय नही दे रहे है ,"।

         " फिर मेरी बडी नन्द  बोली ,अभी तो झलक है मॉ ,आगे देखो और क्या-क्या  दिखाएगी , तो सॉस  बोली ,,,,,हॉ  देख रही हूं ,,,,,,,     मौसी सॉस  बोली ,,छोडो ना ये सब बात कुछ अच्छा  बात नही कर सकती हो ,वैसे भी वो क्या  गलत बोली ,सुबह  से वो रसोई  मे ही है ,कब वो तुमलोग  को दिखाती ,छोटी सी बात का तमाशा बना रही हो ,तो बडी नन्द  बोली ,,,,,,,क्यु  मौसी लगता है ,तुम मॉ -बेटी को इससे कुछ ज्यादा  लगाव हो रहा है ,इसलिए  हमेशा तुमलोग  इसका पछ लेती हो ,"।

        " मौसी सॉस  बोली ,,,,,  तो क्या  करे मै भी तुमालोग  की तरह कुछ ना कुछ एब निकलते रहूं , वो सब छोडो बोलकर मुझसे बोली ,जाव बहु समान लाकर दिखा दो सबको ,फिर मै सूटकेस  लाने हॉल की तरफ जाने लगी  तभी छोटी नन्द  बोली भाभी आपका समान बाहर ऑगन मे जो  स्टोर रूम है ,उसी मे रखा हुआ  है ,"।

        " मै ऑगन के तरफ जाने लगी ,और, मन मे सवाल  पर सवाल  चल रहे थे ,कि मेरा समान  कमरे मै ना रखवा कर स्टोर रूम  मे क्यु  रखवा गया ,ऑगन मे जब पहुंच कर स्टोर  रूम का दरवाजा खोली तो ,पुर स्टोर रूम  गंगा   पडा था ,और वही पर मेरा सारा समान जैसे तैसे रखा हुआ  था, "।

           " फिर मै उस सूटकेस  को उठाकर ले जाने लगी जिसमे ससुराल  वालो के कपडे थे ,,,,,,,,,,,, उस सूटकेस  को सबके पास लेजाकर खोलने लगी ,तभी मेरी सॉस  बोली तुम रहने दो ,हमलोग देख लेगे ,फिर वो छोटी नन्द को सूटकेस  से कपडे निकलने भेजती है ,,,,,,,,,, छोटी नन्द  और नीतु ,जिसके -जिसके नाम के थे ,वो  कपडे निकालकर  सबको देने लगी ,,,,,,,,, फिर क्या होना था वही  हुआ, जो नही होना चाहिए था ,,,,,,,, कपडे देखते ही तानो का बान शुरू हो गया ,किसी को कपडे मे कुछ कमीयॉ नजर आने लगी तो किसी को कुछ , ,,,,,,,,बहुत देर तक ये सिलसिला चलता रहा , 

              "उसके बाद मेरी सॉस का बोलना शुरू हुआ, वो बोली कि , इसके मायके वालो से और क्या  उम्मीद  कर सकते है ,इसके घर से जो भी समान  आया है ,सब फिजूल का समान  है ,  और, अब कपडे देखो कैसा है ,हमलोग  एसा कपडे पहनते है ,एक भी पहनने लायक नही है ,,,,,,,,,, फिर बडी नन्द बोली ,मॉ इनसब कपडे को किसी गरीब मे बॉट देना ,कहना बेटे की शादी की खुशी मे दे रही हूं ,"।

             " उसके बाद से लगातार सबका बोलना चालु ही रहा ,,,,,,,,, सबकी बोली सुनते-सुनते ऐसा लग रहा था कि ,मै यहॉ से उठकर चली जाऊ ,पर मै ऐसा नही कर सकती थी ,और मेरी ऑख ऑसुओ से भर जा ,हे थे ,पर चाहकर भी मै ऑसुओ  को निकाल नही पा रही थी ,,,,,,,,,, मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरे ससुराल  वाले सुबह से ही मेरा अपमान  करने का सोच रखे है ,इसलिए  सुबह  से ही किसी ना किसी बात पर मेरा अपमान  ही हो रहा था ,,,,,,,,, मन कर रहा था कि कमरे मे जाकर खुब रोऊ  ,

   पर मुझे ये बात समझ मे नही आ रही थी की , सबलोग मेरे साथ  एसा विहेव  क्यु  कर रहे है ,सॉस नन्द  तो ठीक से बात कर ही नही रही है ,और एक वो है ,जिनको मेरे से बात करने का टाइम तक नही है ,,,,,,,,, जब से मै यहॉ आयी हूं ,,,,,,,,,, तभी से वो मुझसे दुर-दुर रह रहे है ,पता नही ये शादी उनकी मर्जी  से हुई  है या नही ,अगर होती  तो ,अब तक वो मुझसे बात करने आते ,,,,सुबह  से एक बार भी आकर नही पूछे की ,मुझे उनके घर मे कैसा लग रहा है ,,,,,,,,,, अगर उनको मेरी चिन्ता होती तो वो मुझसे आकर पूछते कि मुझे ,यहॉ कैसा लग रहा  है ,, ,,,,,खैर ये सब मेरे मन की बात है ,"।

      "मेरे मन मे बात चल ही रही थी लेकिन,,,,,इधर सभीलोग  का ताना मारना बंद नही हुआ था ,फिर सबकी बातो को काटते हुए  नीतु बोली ,मौसी खाने का टाइम हो रहा है ,मै और भाभी सबके लिए  खाना निकलने जाऊ ,तो मेरी सॉस  बोली ठीक है जाव ,फिर हमलोग  रसोई  मे सबके लिए  खाना निकलने चले गये , रसोई  मे पहुंच  कर नीतु  मुझसे बोली ,भाभी मुझे पता है ,सबकी बातो से आपको मन बहुत  दु:खी हो रहा होगा , आप इपसब के बारे मे उतना मत सोचीए,  एक तरफ से बात सुनिए  और दुसरी तरफ से निकाल दिजीए, तभी खुश रह पाइयेगा ,,,,,,,,,,,,, नीतु की बात पर मै बोली वो सब तो ठीक है ,लेकिन  जिनको मेरी फिक्र  होनी चाहिए  ,उनेह तो कोई  मतलब  ही नही है ,क्या उनको एक बार भी मुझसे बात नही आकर करना चाहिए, तो नीतु बोली ,,,,,,,,,,, भाभी होगी कोई  वजह ,एसा नही है कि भैया को आपसे कोई  मतलब नही है ,"

           " नीतु फिर कहती है ,भाभी वो साल भर आपके बारे मे  पूछते आऐ है , जब भी मेरी आपसे बात होती तो वो फोन करके तुरन्त  बात करते ,और आपके बारे मे पूछते ,आप कैसी हो ,आपकी पंसद।   ना पंसद। क्या  है ,आपके बारे मे उनको हर चीज जनना होता ,और इस बात को लेकर हमेशा भैया से मजाक किया करते थे ,और मॉ कहती कि ,देखो तो बबुवा को अभी शादी भी नही हुई  है ,और बीवी का अभी से ही चिन्ता कर रहा है ,,,,,,,,,,बोलकर  हमलोग  उनका मजाक  बनाया करते ,,,,,,

नीतु की बात सुनकर  मुझे अच्छा  लगा ,सोचा कि चलो कुछ तो मेरे बारे मे पूछा करते थे ,लेकिन  मेरे मन मे फिर भी  सवाल चल ही रहे थे ,अगर उनको शादी से पहले मेरी चिन्ता थी तो अब क्यु  नही ,"।

"रानी के मन मै चल रहे सवालो का जवाब  उसे मिलेगा जानते है अगले चैप्टर  मे "।

धन्यवाद  !!

 


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