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"फस्ट नाइट "{भाग-2}

11 जून 2022

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रानी और राज का फस्ट नाइट"                                       ___________*****___________

          " दिनभर  रानी हॉल मे बैठे-बेठे यही सोच रही थी कि ,जिनको देखने के लिए  मेरी ऑखे तरस रही है ,आखिर वो  इंसान  है कहॉ ,क्या  उनको मेरी जरा सा भी फिक्र  नही कि वो एक बार आकर मुझसे मिले ,और मुझसे पूछे कि मै उनके घर मे कैसा महसूस  कर रही हूं , खैर मेरे मन मै राज को लेकर बेचेनी  बढती जा रही थी ,लेकिन  मै चाहकर भी कुछ नही कर पा रही थी ,"।    

         " दिन भर  बैठे-बैठे बहुत  थकावट  हो रही थी ,वैसे भी मै दो दिनो से सोई नही थी , इसलिए  मुझे नींद भी बहुत  आ रही थी , और अभी तक मुझे ये भी नही पता था कि मुझे कोई  कमरा दिया गया है कि नही , या फिर आज की रात भी मुझे उसी कमरे मे बितानी  होगी ,जिस कमरे मे आऐ हुए  मेहमानो मे औरतो को रखा गया है "।

    " फिर मेरे पास नीतु आकर बैठी तो मुझे लगा कि मै उससे पूछू  की आपके भैया दिनभर  से है कहॉ ,मगर फिर कुछ सोचकर नही पूछी की कही मै मजाक का पात्र ना बन जाऊ ,फिर नीतु मुझे टोकता है और कहती है ,भाभी मुझे पता है आप किसको ढुड रही है ,आपकी ऑखे किसको देखने के लिए  बेचेन हो रहा है ,तो उसकी बातो पर मै बोली ,नीतु जी आप क्या  बोल रही है  मै किसको देखना चाहुगी ,तो नीतु बोली भैया को और किसको ,फिर  नीतु बोली भाभी आपके दिल का हाल कोई समझे या ना समझे मगर मै बहुत  अच्छे  से समझ रही हूं ,क्युकि  भैया के लिए  आपके मन मे जो तडप है ,वो जायज  भी तो है ,आखिर  आपलोग पुरे एक -साल  चार -महिने के बाद जो मिल रहे है ,और, पुरे साल आपलोग  ने बात भी तो नही की इसलिए  आपदोनो का एक -दुसरे से मिलने की जो तडप है ,उसे मै भलीभांति  समझ सकती हूं ,बोलते हुऐ  वो हंसने लगी "।

          "फिर मै नीतु से बोली ,मै आपके भैया को देखना चाह  रही हूं ये तो आपको पता है ,लेकिन क्या आपके भैया को मुझसे मिलना है , ये आपको पता नही होगा ,तो नीतु बोली नही भाभी एसी बात नही है ,वो भी आपसे मिलना चाह रहे होगे , मगर इतने लोगो के सामने शायद  आपसे मिलने मे शर्मा रहे हो, आखिर  मेरे भैया शर्मिला  जो है ,वो जल्दी  किसी भी लडकी से बात नही करते है ,बोले हुए  हमदोनो के चेहरे मे थोडी हंसी आ गई  ,हमलोग  को हंसते देखकर  मेरी छोटी नन्द  आकर हमलोग  से बोली ,क्या  बात है नीतु क्यु  इतनी हंसी आ रही है ,देख रही हो मॉ (यानी की मेरी सॉसु-मॉ ) इधर ही देख रही है, और भाभी के ऊपर गुस्सा हो रही है ,कह रही है ,नई-नवेली दुल्हन  को इतना भी तमीज नही है कि ,चार लोग के सामने हंसा नही करते है , और भाभी आप  अब बिना हंसे चुपचाप  बैठे रहिये ,बोलकर  छोटी नन्द  चली जाती है ,"।

         " नन्द के जाने के बाद मै फिर अपने मन से बात करने लगती हूं कि ,क्या  इस घर मे हंसना गुनाह है ,हमलोग तो सिर्फ  मुस्कुरा  रहे थे ,जोर-जोर से तो हंस नही रहे थे कि जिसके लिए  हमलोग  को बोलना पड गया की हमलोग  हंसे  नही ,खैर अब रात के  नौ बज  रहे थे ,और मन तो ऐसा कर रहा था कि कही खाली कमरा मिलता उसके बाद मै उसमे जाकर आराम से सो जाती ,  मेरे मन मै ये सब बात चल ही रही थी कि , मेरी सॉस  नीतु को ईशारे से कुछ कहती है ,फिर नीतु  मुझसे कहती है ,भाभी  अब सभीलोग  देखकर चले गए  ,चलिए  कमरे मे चलते है , फिर मै नीतु के साथ  कमरे मे जाने लगी , और जाते-जाते यही सोच रही थी कि ,कही मुझे फिर से उसी भीड वाले कमरे मे तो नही ले जाया जा रहा है , "।

    "मुझे उसी कमरे मे ले जाया गया ,कमरा तो वही था मगर कमरा खाली था ,जितने मेहमान  इस कमरे मे ठहरे हुए  थे उनमे से कोई  भी कमरे मे नही थे , पर अभी कमरा बिल्कुल  चेंज लग रहा था , पुरे कमरे को अच्छी तरह सजा  दिया गया था ,फिर मुझे पलंग मे बैठाकर नीतु को छोड़ाकर  सभीलोग  बाहर चली गई  , फिर नीतु मुझसे बोली , लो भाभी अब आपका कमरा सजकर तैयार है ,बस भैया का आने का इन्तजार  करिये , बोलकर  फिर हंस पडी ,फिर मै बोली नीतु आप फिर हंस रही है  , कही फिर से ना आपको सुनने मिल जाए  तो नीतु कहती है ,भाभी ये सब तो चलता रहता है ,मै तो आपसे मजाक भी करूगी और हंसुगी अब इसमे मौसी सुनाएगी तो सुनाने दिजीए  फिर नीतु बोली भाभी खाना यहॉ टेबल पर रखा है खा लिजिए  फिर मै नीतु से बोली की ,मै अकेले खाना खाऊ आप भी साथ मे खाइए ,तो नीतु बोली ,भाभी अभी सभी मेहमानो को खाना खिलाना है ,अगर मै यहॉ आपके साथ  खाने बैठ गई  तो देर हो जाएगा , इसलिए  आप खा लीजियेग ,बोलकर नीतु कमरे के बाहर  चली जाती है ,। 

            "नीतु  के जाने के बाद मै पंलग पर जाकर  बैठ गई  और सोचने लगी कि अब खाना भी मुझे अकेले खाना पडेगा ,मायके मे कभी भी अकेले खाना नही खाई ,हमेशा हम भाई-बहन और मॉ पापा के साथ  ही बैठकर खाते थे ,लेकिन  आज ससुराल  मे मुझे अकेले खाना पडेगा ,कम-से-कम कोई  ओर ना सही मेरे पति को तो होना चाहिए  था मेरे साथ  मगर उनका तो कुछ पता ही नही कि वो सुबह  से कहॉ छुपे बैठे है , कयु  नही मेरे सामने आ रहे है ,मेरा तो सोच-सोच कर दिमाग चलना बंद हो गया था ,फिर  मै सोचने लगी एगर उनके मेरी ही परवाह  नही है तो मै क्यु  उनके बारे मै सोचकर अपना दिमाग  खराब कर रही हूं "।

              "अकेले बैठकर खाने का मन तो नही हो रहा था , लेकिन  भुख भी लग रही थी ,मै बैठकर सोच ही रही थी कि तभी नीतु और छोटी नन्द कमरे मे आयी ,फिर खाना देखकर  नीतु बोली भाभी अभीतक आप खाना नही खाऐ ,अब तो खाना ठंडा भी हो गया है ,फिर छोटी नन्द  बोली आप जिसका इन्तज़ार  कर रही है ,वो अभी नही आऐगे वो अपने दोस्त के साथ  बाहर  खाना खाने गए है, इसलिए  आप खॉकर सो जाइए  ,भैया को आने मे लेट होगा ,बोलकर  दोनो हंसने लगी फिर नीतु बोली भाभी खाना गर्म करके ला दु ,तो मेने कहॉ की नही मै खा लुगी ,फिर नीतु बोली ठीक है आप खाना खाकर सो जाइए ,बोलते हुए  कमरा का दरवाजा सटाते हुए  बाहर चली गई "।

         "उनके जाने के बाद मै फिर  से सोचने लगी ,आज हमारी शादी की पहली रात थी , दिनभर  मुझसे आकर नही मिले ना सही कम-से-कम अभी तो समय से आ जाते ,सरे शादीशुदा  लोग अपनी पहली रात का बेसब्री से इंतजार  करते है , ये रात सिर्फ  फस्ट  नाइट  नही कहलाता ,बल्कि दो अनजाने लोग पहली बार एक -दुसरे से मिलते है ,जानते है ,समझते है , सारी उम्र एक-दुसरे के साथ  निभाने का वादा करते है ,पहली बार दोनो एक दुसरे के प्यार  को एहसास करते है ,

       "जब हमारी सगाई  हुई  थी, उस समय भी हमारे बीच कोई  बात नही हो पाई  थी ,और उस दिन से लेकर आज तक मुझसे बात करने की कोशिश  नही की , लगता है उनको ये शादी करनी ही नही थी ,तभी तो वो मुझसे दुर रह रहे है ",।

         "फिर उदास मन से थोडा बहुत  खाना खाकर लेटने चली गई  ,और गुस्से से कमरे की लाइट  भी बंद कर दी ,फिर लेटे-लेटे नीद  के मारे छपकी भी ले रही थी ,मगर मै सोना नही चाह रही थी ,मै अभी भी राज का ही इन्तज़ार  कर रही थी , इन्तज़ार  करते-करते रात के बारह : बज गए  फिर भी अभी तक उनका कोई  खबर नही ,ना मै सो पा रही थी और ना ही मै जग पा रही थी ,मेरे कमरे बाहर ही हॉल थी जहॉ घर के कुछ लोग बैठकर  बाते कर रहे थे ,और उनलोगो के बीच हंसी-मजाक  चल ही रहा था ,कि तभी एक आवाज  आती है ,मॉ मुझे कहॉ सोना है ,तो मॉ कहती है ,कहॉ सोना है अपने कमरे मे जाकर सो जाव , और ये आवाज  मेरे पति राज की थी , जब राज अपनी मॉ से ये बात पूछ रहे थे तो वहॉ पर जितने लोग भी बैठे थे सभी हंसने लगे ,तभी मौसी सॉस बोली ••••••दिदि लगता है,तेरा बेटा आज तक बबुऐ  ही ---है , जो तुझसे पूछ रहा है कि उसे कहॉ सोना है ,बोलकर  मौसी सॉस फिर हंसने लगती है ,। 

"और इधर मै ये सोच रही थी कि ,वो सोने के लिए  मॉ से पूछकर कमरे मे आएगे ,फिर मुझे लगा शायद आज की रात एसही बीत जाएगी बीना बात किये ,फिर मै सोचने की कोशिश  करने लगी, कुछ देर के बाद कमरे का दरवाजा खुलता है ,और वो कमरे के अन्दर  आने  है ,और मै जानबूझकर  सोने का नाटक करती रही  ,उनेह लगा कि मै सो रही हुं ,तो वो मै जो कंबल औढ  रखी थी उसे ना औढ कर पास मे एक कंबल रखा था ,उस कंबल को लेकर पंलग के दुसरे तरफ जाकर सो गए , ये सब देखकर  मुझे और भी गुस्सा  आ रहा था ,मै सोची क्या वो मुझे उठाकर बात नही कर सकते थे ,जो कमरे मे तो आऐ लेकिन आकर सीधा जाकर सो गए ,इसके बाद मै भी बिना कुछ बोले चुपचाप  सो गई , "।

          " नींद कब आ गई  पता नही चला , फिर अचानक  से ऑधी रात को दरवाजा खटखटाने की आवाज  होने लगी ,आवाज  सुनकर  मेरी ऑख खुल गई,  मै सोचने लगी इतनी रात को कौन दरवाजा खटखटा रहा है ,

 "इतनी रात को कौन दरवाजा खटखटा रहा था जानते है अगले चैप्टर  मे "!

धन्यवाद  !!


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