" पहली रसोई " *____*****____*
" आज ससुराल मे रानी की पहली रसोई थी ,जहॉ पहले कुछ मीठा बनना होता है ,फिर घर के सारे बडे अपने हिसाब से कुछ नेग देते है ,।
"पर ये क्या यहॉ तो रानी को जल्दी से सबके लिए नास्ता तैयार करना है , सुबह के आठ :बज चुके थे ,नास्ता अभी तैयार नही हुआ था ,फिर छोटी नन्द रसोई मे आती है ,और कहती है ,नास्ता तैयार हुआ , तो नीतु बोली ,बस दिदि हो ही गया है थोडा और बनना है ,इस पर वो होली ,,,,,,,,,,,,अगर नास्ता बनाने मे इतना लेट होगा तो कैसे चलेगा ,तुम नही जानती हो कि पापा को आठःबजे तक नास्ता मिल जाना चाहिए ,अब पापा नास्ता मॉग रहे है ,अब क्या जाकर बोलु कि आपकी नई-नवेली बहु अभीतक नास्ता नही बनाई है ,फिर नीतु बोली ठीक है आज पहला दिन है ,हो जाता है ,कल से नही होगा ,इसमे इतना गुस्सा क्यु कर रही हो दिदि ,नीतु की बात सुनकर नन्द छमक कर रसोई से बाहर चली जाती है ,"।
" उसके जाने के बाद नीतु कहती है ,भाभी ,मौसा जी के लिए चार रोटियॉ बना दिजीए मै जल्दी से जाकर दे आती हूं ,बाकी का बाद मे भी चलेगा ,फिर मै रोटियॉ बनाने लगी ,,,,,,,,,, रोटी बन जाने के बाद नीतु मेरे ससुर जी को पहले नास्ता दे आयी ,उसके बाद मै रोटियॉ बनाते चली गई, और, नीतु सभी को नास्ता देते चली गई ,"।
"और उधर कुछ लोग को मेरा बनाया हुआ नास्ता पंसद आया और कुछ लोग को नही ,जिनको पंसद नही आया उनमे मेरी सॉस और बडी नन्द को अच्छा नही लगा ,और वो बार-बार मेरे बनाये हुए नास्ता मे कमीयॉ निकलने लगी , और मेरी सॉस कहने लगी की अगर ये इस तरह से खाना बनाएगी तो पता नही मेरा बेटा कैसे खाएगा "।
" तो मेरी मौसी सॉस बोली नास्ता तो ठीक बना है ,दिदि तुमको कैसे पंसद नही आ रहा है ,तुमको तो आदत है सभी के बनाए हुए खाना मे कमीयॉ निकलना ,,,,,,,,,,, मौसी सॉस की बात पर मेरी सॉस बोली कि तो क्या मै झुट बोल रही है ,तुमको क्या पता कि मेरा बेटा किस तरह का खाना खाता है ,वो जैसा खाता है ,उस हिसाब से मै बोल रही हूं ,फिर मौसी सॉस बोली दिदि बाबु सब खॉ लेगा तमीज उसको माथे पर चढाती हो ,अब ये सब बंद करो ,अब उसको देखने वाली आ गयी है ,अब उसी को देखने दो ,"।
"तो इसपर बडी नन्द बोली ,,,,,,,,,, हॉ मौसी तुम ठीक ही बोल रही हो ,अब हमलोग को अपने भाई से दुर ही रहना होगा ना ,हमलोग अब उसकी फिक्र क्यु करे ,अब तो उसकी चिन्ता करने वाली जो आ गयी है ,"।
"फिर सभीलोग एक-दूसरे के साथ बहस करते रहे ,और इधर मै रसोई मे ये सोच रही थी कि , अभी सुबह सेही इतना कुछ सुनने को मिल रहा है ,पता नही अभी तो पुरा दिन बाकी है अब पता नही दिनभर और क्या-क्या सुनने को मिलेगा ,,,,,,,,,,,, जबतक मै ये बाते सोच ही रही थी कि ,पिछे से नीतु आकर बोली भाभी क्या सोच रही है आप ,मै बोली कुछ नही बस यु ही ,,,,,,,,, फिर वो बोली चलिए भाभी सभी का नास्ता हो गया ,अब आप भी कर लीजिए,,,,, तो मै बोली ,नीतु जी आपके भैया उठा क्या ,,,,,,,,,, तो वो बोली ,,,,,,,,, नही भाभी भैया अभी तक नही उठे है ,और वो अभी उठेगे भी नही ,,,,,,,,,,,, ।
जब वो ऑफिस नही जाते है तो वो लेट से उठते है ,इसलिए उनकी चिन्ता मत कीजिए ,चलिए आप नास्ता कर लीजिए, तभी छोटी नन्द रसोई मे आती है ,और हमारी बाते सुन लेती है ,और कहती है ,भाभी अभी नास्ता नही करेगी तुम कर लो ,,,,,,,,,,,, भैया के खाने के बाद ही भाभी खाएगी ,एसा मॉ बोलने को बोली है ,इसलिए भैया के उठने का भाभी को इन्तजार करना पडेगा ,बोलकर वो रसोई से बाहर चली जाती है ,फिर नीतु बोली ,भाभी ,मौसी बोली है तो आपको भैया के खाने तक इन्तजार करना पडेगा ,बोलकर शीतु भी चली जाती है , फिर मै सोचने लगी कि ,अगर वो दिनभर नही उठेगी तो क्या मै दिनभर खाना नही खाऊगी ,,,,,,,,,,और मुझे भुख भी लग रही थी ,, ,,, अब क्या करू कुछ समझ मे नही आ रहा था ,
"फिर मुझे लगा मै ही उनको जाकर उठा देती हूं तब तो उठेगे ,सोचकर मै रसोई से निकलकर कमरे मे जाने लगी ,तभी छोटी नन्द बोली कहॉ जा रही हो भाभी , अभी कमरे मे मत जाना अगर आपकी वजह से भैया उठ गये तो ,,,,,,,,,, मॉ चार बात सुनाएगी ,इसलिए कमरे मे जाने के बजाय रसोई मे जाकर दोपहर के खाने का इन्तजाम किजिए, फिर मै दरवाजे से ही वापस रसोई मे चली गई "।
" रसोई मे जाने के बाद मेरे ऑख से ऑसु बाहने लगे , फिर मुझे ये बात समझ मे नही आ रही थी कि ,जब भी मै कमरे मे जाना चाहती हूं ,तभी कोई ना कोई मुझे रोक लेता आखिर ऐसा क्यु, फिर गुस्से से मै दोपहर के खाने का इन्तजाम करने लगी "।
"कुछ देर के बाद एक आवाज आती है नास्ता लगाव ,मुझे लगा कही राज तो नही ,फिर मै नास्ता निकलने लगी ,जैसे ही नास्ता लेकर रसोई से जाने लगी तभी ,छोटी नन्द मेरे हाथ से नास्ता का प्लेट लेकर बोली मै देती हूं ,आप खाना देखिए, और वो नास्ता लेकर चली गई ,मै फिर उदास होकर काम करने लगी ,,,,,,,,, राज जब नास्ता कर लेते है ,,,,,,,,उसके बाद उनका झुटा प्लेट मुझे लाकर दिया जाता है और कहॉ जाता है कि ,मै इसी झुटी प्लेट मे नास्ता कर लु ,फिर वो झुटा प्लेट मेरे हाथो मे रखकर नन्द चली गई "।
" फिर मै उस झुटी प्लेट को हाथ मे लिये सोच रही थी कि इस झुटी प्लेट मे कैसे नास्ता करू ,मुझे कुछ समझ मे नही आया फिर मेने उस झुटी प्लेट को धोने के लिए रखकर एक गिलास पानी पीकर रह गई , और दोपहर का खाना बनाने मे लग गई ,"।
" नीतु रसोई मे आती है और कहती है ,भाभी आप नास्ता कर लिये ,मै बोली हॉ मेने नास्ता कर ली हूं ,और बताईये कुछ काम था ,,,,,,,,, वो बोली हॉ आपका खाना बनने मे मदद करने आयी हूं ,,, तो मै नीतु से बोली की ,,,,, नीतु जी आप मेरी मदद करने आती है तो आपकी मौसी कुछ नही बोलती है ,तो बोली ,नही मौसी क्या बोलेगी ,मुझे मन होता है मै आ जाती हूं ,और मुझे आपके पास रहना अच्छा लगता है ,"।
" फिर मै बोली ,चलिए इस घर मे किसी को तो अच्छी लग रही हूं ,तो नीतु बोली ,भाभी मै समझ सकती हूं कि ,,,,,,,,, नास्ता के टाइम मे मौसी जो बोली उससे आपको खराब लगा होगा , अब छोडिये उन सब बातो को ,ये बताइये कल रात भैया से क्या बात हुई ,कुछ हुआ कि नही आपलोग के बीच , तो मै बोली ,,,,हॉ हुआ ना ,,, मै पलंग के इस कोने मे सो रही थी और वो उस कोने मे ,और वो भी अलग -अलग कंबल लेकर हमलोग सो रहे थे ,इस बात पर नीतु जोर से हंसने लगी ,बोली ,,,,,,भैया भी ना भोले ही रहेगे ,पता नही उनेह लडकीयो से बात करने मे कितना शर्म आता है , मतलब ये कि आपदोनो के बीच बातचीत नही हुई ,,,,,,,, फिर हंसते हुए बोली हे भगवान आखिर कब कराओगे इनका मिलन ,बोलकर जोर-जोर से हंसने लगी "।
"तभी हॉल से आवाज आती है ,क्या बात है नीतु बहुत हंसी आ रही है ,जरा धीरे हंसो ,आस-पडोस को सुनाना जरूरी है ,और तुम्हारी भाभी भी हंस रही होगी ,तो नीतु जोर से बोली नही मौसी ,सिर्फ मै हंस रही हूं ,,,,,भाभी नही हंस रही है ,,और नीतु के बात पर मै मन ही मन हंस रही थी ,फिर मै नीतु को बोली नीतु अब आप हंसेंगे नही ,वर्ना मुझे भी सुनने को मिलेगा ,,,,,,,,,, फिर नीतु बोली अच्छा भाभी अब मै नही हंसुगी ,लेकिन भैया से जरूर पूछुगी कि वो ऐसा क्यु किये , ,,,,,,,,,, मै बोली रहने दिजीए आप मै देखती हूं वो कब आकर मुझसे बात करते है ,और वैसे भी अगर उनको मुझसे थोडा सा भी लगाव होता तो वो मुझसे जरूरबात करते ,ना वो मुझसे सगाई के बाद कभी बात की और ना अब जब हमारी शादी हो गई है ,मुझे तो कभी-कभी लगता है कि ये शादी उनकी मर्जी के बगैर हुई है ,"।
"अगर मै उनको पंसद नही थी तो मुझसे शादी नही करते ,,,,,, तो नीतु बोली नही भाभी एसी बात नही है , भाले भैया आपसे बात नही किये हो , मगर वो आपको पंसद जरूर करते है ,इतना पता है मुझे ,कयुकि उनके दिल की हर बात सिर्फ मै जानती हूं और कोई नही , क्युकि वो हमेशा आपको लेकर मुझसे बात किया करते थे , हो सकता है उनको समझ मे नही आ रहा होगा कि वो आपसे कैसे बात करे ,लगता है आपदोनो को मुझे ही मीलाना पडेगा ,
" इस तरह बाते करते-करते कब खाना बन गया पता नही चला फिर मै नीतु से बोली ,नीतु खाना तो बन गया ,है और अभी खाने का टाइम हुआ नही है ,तो कोई कमरा खाली मिलता तो मै वहॉ जाकर लेटती ,तो नीतु बोली आप अपने कमरे मे जाकर लेट जाइये ,मै बोली नही मुझे उस कमरे मे नही जाना है ,क्योकि वहॉ जाने से पहले मुझे रोक दिया जाएगा ,इसलिए मै उस कमरे मे नही जाऊगी ,तो नीतु बोली , भाभी अभी भैया कमरे मे नही है ,इसलिए आपको नही रोका जाएगा , जब भैया सो रहे होते है ,तो मौसी किसी को भी कमरे मे नही जाने देती है ,इसलिए हो सकता है आपको भी मना कि होगी "।
"तो मै नीतु से बोली आखिर इसतरह कबतक चलेगा ,जबतक वो कमरे मे रहेगे तो मै कहॉ जाऊगी ,,,, वो बोली इस समस्या का समाधान तो अब भैया ही कर सकते है ,मै भैया से बात करती हूं ,
"रानी आराम करने कमरे मे जाएगी या कुछ और उसके साथ होगा ,
धन्यवाद !!