पुस्तक समीक्षा:-रास्ते और मंज़िलें’
समीक्षक-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
युवा कवि रविन्द्र यादव एक नये उभरते हुए कवि है जो कि अच्छा लिख रहे है उनकी कविताओं में भाव पक्ष बहुत विस्तृत है उनकी सोच युवा है उनका यह पहला कविता संग्रह ‘रास्ते और मंज़िलें’ प्रकाषित होकर आ रहा है इसमें उन्होंने ने काव्य के विविध रंगों व षटरसों का समावेष किया है। लगभग सभी प्रमुख विषय पर अपनी कलम बखूबी चलायी है। उनकी कुछ रचनाओं की कुछ पँक्तियाँ बानगी के तौर पर यहाँ हम प्रस्तुत कर रहे है लेकिन पूरा आनंद तो उनकी पूरी कविताएँ पढ़कर की मिलेगा।
वे अपनी कविताओं के माध्यम से युवाओं को आगे बढ़ने का हौसला देते कहते है-
बेसहारे नहीं तुम, बेचारे नहीं हो।
युवा हो किसी के सहारे नहीं हो।।
रविन्द्र जी एक रचना में कहते है कि ग़म किसे नहीं है फिर भी हमें सदा मुस्कुराते रहना चाहिए-
जिन्दगी में गम किसे नहीं मिले,।
रोज हँसना मुस्कुराना चाहिये ।।
वे कहते है कि वतन पर शहीद होना की सच्ची इबादत है-
वतन के वास्ते जीना जरूरी है मगर,
वतन के वास्ते मरना इबादत हैं।।
माता-पिता के लिए समर्पण और स्नेह बनाये रखने के लिए वे कहते है कि-
यही सोचकर के हमने हँसती फोटो भेज दी,
मम्मी को लगेगा कि बेटा खुश तो है, चलो।।
रविन्द्र जी के कुछ मुक्तक भी मुझे बहुत अच्छे लगे है जैसे-
जो कुछ भी मामला है सारा आपसी का है।
सच पूछिये तो ये सफर इक बापसी का है।।
कहने को तो दुनियाँ में, सारे एक हैं लेकिन,
इस जमाने में क्या, कोई किसी का है?
रविन्द्र जी के कुछ मुक्तक भे देखे-
ये कैसी महक दिल की फिजाओं में घुल गई।
जैसे कि जिस्मों रूह की तबीयत बदल गई।
मैं सोच रहा था कि किसे सोच कर लिखूँ,
फिर गैलरी में आपकी तस्वीर मिल गई।।
ऐसी अनेक रचनाएँ इस पुस्तक में है जो भावनाओं को समंदर अपने भीतर समेटे हुए हैं कवि की कल्पना और भावों का विस्तार बहुत अधिक है उनकी नयी सोच कविताओं को नया रूप देती है। रविन्द्र का यह पहला कविता संग्रह है आगे और अधिक उनकी कविताओं में निखार आता जायेगा। उनका यह पहल कविता संग्रह पठनीय है जहाँ आज का युवा साहित्य से दूर भागता जा रहा है ऐसे में श्री रविन्द्र जी का यह कविता संग्रह ‘रास्ते और मंज़िलें ’सराहनीय है। आज की युवा पीढ़ी क्या सोचती है, उनके मन में क्या चला रहा है और दिल में क्या हैै इन सभी विचारों को कविता के रूप में बहुत खूबसूरती के साथ श्री रविन्द्र जी पेश किया है।
हम निदेशक महोदय आदरणीय श्री विकास दवे जी एवं मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी भोपाल के हृदय तल से बहुत-बहुत धन्यबाद देते है कि उन्होंने हमारे टीकमगढ़ जिले के एक उभरते हुए होनहार युवा कवि की रचनाओं का प्रकाशन हेतु आर्थिक सहयोग प्रदान कर उन्हें साहित्य जगत आगे बढ़ाने की सराहनीय पहल की है।
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समीक्षक-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
संपादक आकांक्षा पत्रिका
संपादक ‘अनुश्रुति’ बुंदेली त्रैमासिक ई पत्रिका
अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
E Mail- ranalidhori@gmail.com
Blog - rajeevranalidhori.blogspot.com
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