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रचनाकार के दो शब्द

25 मार्च 2023

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"वनाओं के कई रंग होते हैं और सभी रंगों का अपना एक अलग 1 अपने दिल की सुनकर, भावनाओं से परिपूर्ण जीया है। यह पुस्तक इनसान के इंद्रधनुषी भावनाओं के उन रंगों को सहेजने का एक प्रयास है, जिसका अनुभव जिंदगी के किसी-न-किसी मोड़ पर मुझे हुआ है।

'इंद्रधनुष के कितने रंग' जिंदगी के विविध रंगों को पन्नों पर उतरने की एक कोशिश है।' फलसफा' में जिंदगी के मूल्य को समझते हुए, अपने कृत्य के द्वारा जिंदगी को और भी ज्यादा मूल्यवान बनाने का संदेश दिया गया है। 'जिंदगी दो पल की' होती है। अफसोस, ज्यादातर लोग इस बात को जब तक समझ पाते हैं, तब तक ये पल बीत गए होते हैं।

हर इनसान की यह ख्वाहिश होती है कि उससे बेशुमार प्यार किया जाए। प्रेम अपने अनेक रूप-रंग, हाव-भाव से हमें गुदगुदाता रहता है— चाहे वह 'इजहार' के दौरान अनिश्चितता भरी बेचैनी हो, 'प्यार भरी पाती' लिखे जाने का नमनाजुक 'एहसास' हो, 'मनुहार' हो या फिर 'दर्द' हो अन्य भावनाओं की तरह दर्द भी खास होता है, जिसे पाने, महसूस करने और जिसके लिए जश्न मनाने में कभी भी पीछे नहीं हटना चाहिए।

चूँकि हिंदी भाषा और साहित्य में मेरी विधिवत् शिक्षा नहीं हुई है, इसलिए पुस्तक की भाषा आम लोगों के द्वारा लिखी हुई, साधारण और गैर-

साहित्यिक प्रतीत हो सकती है। साथ ही इस पुस्तक में अनेक जगहों पर मैंने आमलोगों के बीच घुल-मिल चुके अरबी, फारसी, उर्दू शब्दों का भी प्रयोग किया है और ऐसा करते समय नुक्ता लगाने का अधिक मोह नहीं किया है,

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रचनाएँ
इंद्रधनुष के कितने रंग
5.0
भावनाओं के कई रंग होते हैं और सभी रंगों का अपना एक अलग ही मजा होता है। जब से जिंदगी को समझा है, जिंदगी को सिर्फ अपने दिल की सुनकर, भावनाओं से परिपूर्ण जीया है। यह पुस्तक इंसान के इंद्रधनुषी भावनाओं के उन रंगों को सहेजने का एक प्रयास है, जिसका अनुभव जिंदगी के किसी-न-किसी मोड़ पर मुझे हुआ है। ‘इंद्रधनुष के कितने रंग’ जिंदगी के विविध रंगों को पन्नों पर उतरने की एक कोशिश है। ‘फलसफा’ में जिंदगी के मूल्य को समझते हुए, अपने कृत्य के द्वारा जिंदगी को और भी ज्याद मूल्यवान बनाने का संदेश दिया गया है। ‘जिंदगी दो पल की’ होती है। अफसोस, ज्यादातर लोग इस बात को जब तक समझ पाते हैं, तब तक ये पल बीत गए होते हैं।
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रचनाकार के दो शब्द

25 मार्च 2023
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"वनाओं के कई रंग होते हैं और सभी रंगों का अपना एक अलग 1 अपने दिल की सुनकर, भावनाओं से परिपूर्ण जीया है। यह पुस्तक इनसान के इंद्रधनुषी भावनाओं के उन रंगों को सहेजने का एक प्रयास है, जिसका अनुभव जिंदगी

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वक्त बदलता जरूर है

25 मार्च 2023
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जो कभी सुखरू थे, उन्हें दीवारों पर टैंगते देखा है  वक्त कैसा भी हो, हर वक्त को बदलते देखा है हमेशा जो चला करते हैं, आसमाँ की तरफ देखकर  गाहे-बगाहे हमने उन्हें जमीन पर फिसलते देखा है। जरा जरा सी

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दो पल सिर्फ दिल की सुनते हैं

25 मार्च 2023
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मैंने अपनी बहुत कह ली  तुमने अपनी बहुत कह ली  अपनी-अपनी खूब कह ली  हल तो कुछ निकला नहीं मैंने अपना दिमाग खूब चलाया  तुमने भी बहुत चालाकियाँ की  बात तो बिगड़ती ही चली गई  और हल कुछ निकला नहीं

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