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प्रभात प्रकाशन विगत साठ वर्षों से साहित्य की प्रायः सभी विधाओं में एक विस्तृत पाठक वर्ग को श्रेष्ठतम पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराते हुए वर्तमान में देश में हिंदी पुस्तकों के प्रमुख और सर्वश्रेष्ठ प्रकाशन-गृह के रूप में 5,000 पुस्तकों का प्रकाशन कर अपनी पहचान बना चुका है। अपने स्थापना-काल सन् 1958 से ही ‘उचित मूल्य पर अच्छी पुस्तकें’ संस्थान का नीतिगत सिद्धांत रहा है। उत्कृष्ट गुणवत्ता-नीति को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय मानक संस्थान ‘मूडी’ द्वारा ISO 9001:2015 प्रकाशक से प्रमाणित, जो विश्व में पहली बार किसी हिंदी प्रकाशन संस्थान को दिया गया है। उत्तम गुणवत्ता के लिए पिछले बीस वर्षों से भारतीय प्रकाशन उद्योग के मुख्य संघ ‘फेडरेशन ऑफ इंडियन पब्लिशर्स’ द्वारा लगातार ‘प्रकाशन में श्रेष्ठता’ के लिए प्रथम पुरस्कार से सम्मानित। भारत के 60 शहरों में सर्वे कराने के बाद प्रतिष्ठित मार्केट सर्वे संस्था ICMR (इंडियन काउंसिल ऑफ मार्केट रिसर्च) ने पुस्तक प्रकाशन के क्षेत्र में ब्रांड प्रसिद्धि हेतु प्रभात प्रकाशन को STAR BRAND के लिए चयनित किया था। पाठकों को कम मूल्य पर पुस्तकें उपलब्ध कराकर उनकी साहित्यिक अभिरुचि में श्रीवृद्धि करने की दृष्टि से प्रभात पेपरबैक्स के बैनर तले लोकप्रिय एवं जनोपयोगी पुस्तकों का अल्पमोली संस्करण प्रकाशित। ओशियन बुक्स प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से अंग्र्रेजी भाषा में श्रेष्ठ पुस्तकें प्रकाशित। हिंदी पाठकों को सुरुचिपूर्ण पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराने के लिए अगस्त 1995 में लब्धप्रतिष्ठ साहित्यकार पं. विद्यानिवास मिश्र के संपादकत्व में साहित्य अमृत मासिक पत्रिका का प्रकाशन प्रारंभ, जो अब साहित्यिक जगत् में एक सुपरिचित नाम बन गया है। वेबसाइट : https://www.prabhatbooks.com/

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बातें कम स्कैम (Scam) ज्यादा

बातें कम स्कैम (Scam) ज्यादा

लोगो के पूर्व में दिए हुए प्यार, स्नेह और ऊर्जा को आधार बनाकर एक बार फिर कुछ रचनाएँ आपके हवाले कर रहा हूँ। रचनाएँ अच्छी बनी हैं या बुरी, ये तो पाठक ही तय करेंगे, मगर इतना जरूर कह सकता हूँ कि इन्हें लिखने, सुधारने और सँवारने में मैंने अपना सबकुछ झोंक

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250/-

बातें कम स्कैम (Scam) ज्यादा

बातें कम स्कैम (Scam) ज्यादा

लोगो के पूर्व में दिए हुए प्यार, स्नेह और ऊर्जा को आधार बनाकर एक बार फिर कुछ रचनाएँ आपके हवाले कर रहा हूँ। रचनाएँ अच्छी बनी हैं या बुरी, ये तो पाठक ही तय करेंगे, मगर इतना जरूर कह सकता हूँ कि इन्हें लिखने, सुधारने और सँवारने में मैंने अपना सबकुछ झोंक

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इंद्रधनुष के कितने रंग

इंद्रधनुष के कितने रंग

भावनाओं के कई रंग होते हैं और सभी रंगों का अपना एक अलग ही मजा होता है। जब से जिंदगी को समझा है, जिंदगी को सिर्फ अपने दिल की सुनकर, भावनाओं से परिपूर्ण जीया है। यह पुस्तक इंसान के इंद्रधनुषी भावनाओं के उन रंगों को सहेजने का एक प्रयास है, जिसका अनुभव ज

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इंद्रधनुष के कितने रंग

इंद्रधनुष के कितने रंग

भावनाओं के कई रंग होते हैं और सभी रंगों का अपना एक अलग ही मजा होता है। जब से जिंदगी को समझा है, जिंदगी को सिर्फ अपने दिल की सुनकर, भावनाओं से परिपूर्ण जीया है। यह पुस्तक इंसान के इंद्रधनुषी भावनाओं के उन रंगों को सहेजने का एक प्रयास है, जिसका अनुभव ज

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ठक्कर बापा (हिंदी)

ठक्कर बापा (हिंदी)

‘ठक्कर बापा’ अद्भुत व्यक्तित्व के स्वामी थे। लोगों का कहना था कि वे अपने आप में एक संस्था थे। वे जिस युग में थे, वहाँ समाज के दुर्बल अंग की उपेक्षा की जा रही थी; तब बापा ने दलितों और पिछड़े वर्ग को साथ लेकर प्रगति का रास्ता पकड़ा। उनकी अडिग लोक-सेवा

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ठक्कर बापा (हिंदी)

ठक्कर बापा (हिंदी)

‘ठक्कर बापा’ अद्भुत व्यक्तित्व के स्वामी थे। लोगों का कहना था कि वे अपने आप में एक संस्था थे। वे जिस युग में थे, वहाँ समाज के दुर्बल अंग की उपेक्षा की जा रही थी; तब बापा ने दलितों और पिछड़े वर्ग को साथ लेकर प्रगति का रास्ता पकड़ा। उनकी अडिग लोक-सेवा

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मेरी माँ के बाईस कमरे - कश्मीरी पंडितों के पलायन की कालजयी कथा

मेरी माँ के बाईस कमरे - कश्मीरी पंडितों के पलायन की कालजयी कथा

मेरी माँ के बाईस कमरे' कश्मीर के दिल से निकली वह कहानी है, जिसमें इस्लामी उग्रवाद के कारण लाखों कश्मीरी पंडितों के उत्पीडऩ, हत्याओं और पलायन का दर्द छुपा है। यह एक ऐसी आपबीती है, जिसमें एक पूरा समुदाय बेघरबार होकर अपने ही देश में निर्वासितों का जीवन

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मेरी माँ के बाईस कमरे - कश्मीरी पंडितों के पलायन की कालजयी कथा

मेरी माँ के बाईस कमरे - कश्मीरी पंडितों के पलायन की कालजयी कथा

मेरी माँ के बाईस कमरे' कश्मीर के दिल से निकली वह कहानी है, जिसमें इस्लामी उग्रवाद के कारण लाखों कश्मीरी पंडितों के उत्पीडऩ, हत्याओं और पलायन का दर्द छुपा है। यह एक ऐसी आपबीती है, जिसमें एक पूरा समुदाय बेघरबार होकर अपने ही देश में निर्वासितों का जीवन

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हिमयुग में प्रेम

हिमयुग में प्रेम

"जिन्दा रहने के संघर्ष के साथ 32000 साल पहले मनुष्य के होंठों ने खाने और बोलने केअलावा होंठ-चुंबन किया। सहवास की अवधारणा के साथ संसार का पहला प्रेम और पहले परिवार की परिकल्पना भी शुरू हुई। संसार के पहले राज्य जंबू की स्थापना हुई और संसार को पहला सम्र

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हिमयुग में प्रेम

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"जिन्दा रहने के संघर्ष के साथ 32000 साल पहले मनुष्य के होंठों ने खाने और बोलने केअलावा होंठ-चुंबन किया। सहवास की अवधारणा के साथ संसार का पहला प्रेम और पहले परिवार की परिकल्पना भी शुरू हुई। संसार के पहले राज्य जंबू की स्थापना हुई और संसार को पहला सम्र

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ख़नक (का इश्क़ )

ख़नक (का इश्क़ )

"प्यार एक बेहद खूबसूरत अनुभूति है और इसका अहसास हमारे रोम-रोम में रोमांच भर देता है, जीने के प्रति और सजग कर देता है। हर पल एक खुमारी-सी छाई रहती है। उस वक्त सही- गलत कुछ समझ नहीं आता। बस एक ही व्यक्ति के आसपास जैसे सारी दुनिया सिमट आई हो। और कभी-कभी

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ख़नक (का इश्क़ )

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"प्यार एक बेहद खूबसूरत अनुभूति है और इसका अहसास हमारे रोम-रोम में रोमांच भर देता है, जीने के प्रति और सजग कर देता है। हर पल एक खुमारी-सी छाई रहती है। उस वक्त सही- गलत कुछ समझ नहीं आता। बस एक ही व्यक्ति के आसपास जैसे सारी दुनिया सिमट आई हो। और कभी-कभी

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 द प्रोफेट

द प्रोफेट

जब आप दुःखी होते हैं तो फिर एक बार अपने हृदय में झाँकिए और आप देखेंगे कि वास्तव में आप उस चीज के लिए रो रहे हैं, जो आपकी खुशी का स्रोत था। आपमें से कुछ लोग कहते हैं, 'दुःख से बड़ा सुख होता है,” और दूसरे लोग कहते हैं, “नहीं, दुःख उससे भी बड़ा है। लेक

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जब आप दुःखी होते हैं तो फिर एक बार अपने हृदय में झाँकिए और आप देखेंगे कि वास्तव में आप उस चीज के लिए रो रहे हैं, जो आपकी खुशी का स्रोत था। आपमें से कुछ लोग कहते हैं, 'दुःख से बड़ा सुख होता है,” और दूसरे लोग कहते हैं, “नहीं, दुःख उससे भी बड़ा है। लेक

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मैडम भीकाजी कामा

मैडम भीकाजी कामा

‘मैडम भीकाजी रुस्तम कामा भारतीय मूल की फ्रांसीसी नागरिक थीं, जिन्होंने लंदन, जर्मनी तथा अमेरिका का भ्रमण कर भारत की स्वतंत्रता के पक्ष में वातावरण बनाया। उनके द्वारा पेरिस से प्रकाशित ‘वंदेमातरम्’ पत्र प्रवासी भारतीयों में काफी लोकप्रिय हुआ। सन् 1909

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125/-

मैडम भीकाजी कामा

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‘मैडम भीकाजी रुस्तम कामा भारतीय मूल की फ्रांसीसी नागरिक थीं, जिन्होंने लंदन, जर्मनी तथा अमेरिका का भ्रमण कर भारत की स्वतंत्रता के पक्ष में वातावरण बनाया। उनके द्वारा पेरिस से प्रकाशित ‘वंदेमातरम्’ पत्र प्रवासी भारतीयों में काफी लोकप्रिय हुआ। सन् 1909

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 कल्कि (दसवें अवतार का उदय)

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संभल गाँव का नी और फौज में सूबेदार बिंदेश्वरनाथ त्रिवेदी, प्रथम विश्व-युद्ध के लिए यूरोप जाता है लेकिन युद्ध खत्म होने पर भी घर नहीं लौटता। इस बीच उसके बेटे रमानाथ को संभल का एक रहस्यमयी व्यक्ति मिलता है जो रमानाथ के लापता पिता के बारे में सब जानता ह

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 कल्कि (दसवें अवतार का उदय)

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संभल गाँव का नी और फौज में सूबेदार बिंदेश्वरनाथ त्रिवेदी, प्रथम विश्व-युद्ध के लिए यूरोप जाता है लेकिन युद्ध खत्म होने पर भी घर नहीं लौटता। इस बीच उसके बेटे रमानाथ को संभल का एक रहस्यमयी व्यक्ति मिलता है जो रमानाथ के लापता पिता के बारे में सब जानता ह

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भगिनी निवेदिता

भगिनी निवेदिता

इस पुस्तक में भगिनी निवेदिता के समर्पित व्यक्तित्व की एक झलक प्रस्तुत करने की चेष्टा की गई है। निःसंदेह ऐसे महान् चरित्रों की उपलब्धियाँ शब्दों में नहीं आँकी जा सकतीं; किंतु यह हमारी ओर से उस सच्ची साधिका के प्रति एक विनम्र श्रद्धांजलि है। आशा है; पा

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भगिनी निवेदिता

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इस पुस्तक में भगिनी निवेदिता के समर्पित व्यक्तित्व की एक झलक प्रस्तुत करने की चेष्टा की गई है। निःसंदेह ऐसे महान् चरित्रों की उपलब्धियाँ शब्दों में नहीं आँकी जा सकतीं; किंतु यह हमारी ओर से उस सच्ची साधिका के प्रति एक विनम्र श्रद्धांजलि है। आशा है; पा

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ईश्वर दूत

8 अप्रैल 2023
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चयनित और प्रिय अलमुस्तफा, जिनके दिन का आरंभ हो चुका था, ने अपने उस जहाज का अरफलेस नगर में बारह वर्षों तक इंतजार किया था, जिसे वापस ऑकर उन्हें उनके उस द्वीप में वापस ले जाना था, जहाँ उनका जन्म हुआ था।

परिचय

8 अप्रैल 2023
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यह पुस्तक खलील जिब्रान की उत्कृष्ट रचना है और हमारे समय की प्रिय रचनाओं में से एक बन गई है। सन् 1923 में प्रकाशित इस रचना का बीस से अधिक भाषाओं में अनुवाद किया गया है और मात्र अमेरिकी संस्करण की ही नब

अनुवादक की ओर से

8 अप्रैल 2023
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गल्फ स्ट्रीम में वह बूढ़ा आदमी अपनी नाव से अकेले मछलियाँ पकड़ता था। चौरासी दिन हो चुके थे और उसे एक भी मछली नहीं मिली। शुरू के चालीस दिनों में एक लड़का उसके साथ था, लेकिन चालीस दिनों तक जब लड़के को क

भाग-1

8 अप्रैल 2023
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अक्तूबर 1996 में एक सर्द सुबह दिल्ली पहुँचा। कंधे पर लटकानेवाले झोले में दो जोड़ी कपड़ों और कई किताबों के अलावा इर्टिंग स्टोन की 'लस्ट फॉर लाइफ' की घिसी हुई प्रति भी थी, जो मुझे लगभग मुँहजुबानी याद थी

जम्मू, 1990

8 अप्रैल 2023
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उन्हें वह बूढ़ा अपने फटे हुए तंबू में मरा हुआ मिला, उसके दाएँ गाल के नीचे ठंडे दूध का पैकेट दबा हुआ था। वह हमारे निर्वासन का पहला जून था और सिर के पीछे लू के थपेड़े किसी हथौड़े-से महसूस होते थे। शरणार्

विप्रो का अस्तित्व में आना

8 अप्रैल 2023
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जैसे ही आप 'अजीम प्रेमजी' का नाम सुनते हैं, आपके जेहन में सबसे पहले जो धारणा उभरकर सामने आती है, वो है एक ऐसे महान् कु-लीन व्यक्ति की, जो व्यापारिक जगत् के साथ-साथ परोपकार की दुनिया में भी सीना तानकर

भूमिका

8 अप्रैल 2023
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देश के शीर्ष व्यवसायियों की सूची में बहुत से ऐसे सफल व्यवसायी हैं, जिन्होंने शीर्ष तक पहुँचने के लिए भ्रष्टाचार और रिश्वत जैसे अनैतिक साधनों का प्रयोग किया है और इसके बावजूद वे कई लोगों के लिए प्रेरणा

2- ओखा कबीले का दर्द

7 अप्रैल 2023
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“वह ध्वनि नहीं मिल रही है, मिथ?" गणी साउंड कैचर मशीन को बार-बार ट्यून कर रहा था, पर उसे महा और युग की वह ध्वनि नहीं मिल रही थी, जिसमें वे साथ-साथ गरुड़ पर सवार होकर ओखा की ओर गए थे। "अच्छा, मैं भी देख

1- चींटी-नौका

7 अप्रैल 2023
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“अरे, नदी-किनारे तो बहुत लोग जमा हैं। ऐसा लग रहा है, जैसे पूरा ओखापद ही यहाँ पहुँच गया है।" गति की ओर देखते हुए अथ ने कहा था और भोर के हलके उजाले में गुरुकुल जाने के लिए तेजी से नदी की ओर बढ़ रहा था।

2- चाबी नंबर 1026

7 अप्रैल 2023
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अगली सुबह 15 फरवरी को राकेश बलवाल आत्मघाती हमले की जगह खड़े, उस बस के धातु के कचरे को देख रहे थे, जिसे निशाना बनाया गया था। उनके चारों ओर फोरेंसिक और विस्फोटक विशेषज्ञ किसी सबूत के लिए इलाके का चप्पा-

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