भड़क
आज भड़काने वालों की कमी नहीं है न ही अंधभक्त भड़कने वालों की।भला होगा उस भले आदमी का जो इन भड़कने वालों को भड़काने वालों के भड़काउ भाषण* से ना भड़कने के लिये भड़का दे।।हम सिर्फ ईश्वर की कटपुतली हो सकते हैं,इशारों पर नाचने वाले तो निर्जीव होते हैं।।