रमेश चंद्र
जन्म 31 दिसंबर, 1964 शिक्षा : बी.एस-सी., बी.एड., एम.ए. (अंग्रेजी), रिसर्च स्कॉलर भाषा : हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, भोजपुरी, कैथी (प्रारंभ)। प्रकाशित पुस्तकें : 'नागराज', 'सरहद का खून'। मंचीय नाटक : 'परधान का पोखरा', 'नचनिया एवं चिट्ठी आई है'। आकाशवाणी के कथा-जगत् कार्यक्रम में प्रसारित चर्चित कथाएँ घंटाघर' एवं 'पगला'। धारावाहिक 'पिरितिया के डोर' में 30 एपिसोड का लेखन सामाजिक सरोकार यथा नशा-मुक्ति एवं जल जीवन हरियाली पर दर्जनों गीत (पद्मश्री उदित नारायण एवं मोहन राठौड़ के स्वर)। पुरस्कार-सम्मान : शिक्षा का अक्षरश्री पुरस्कार। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा 'फणीश्वरनाथ रेणु सम्मान' तथा थाने विद्यापीठ द्वारा साहित्य रत्न' सम्मान। पता ग्राम-नबीहाता, पो. कैलगढ़, थाना बड़हरिया जिला सिवान- 841438 (बिहार)। मोबाइल 9430203718 इ-मेल: rameshchandra@gmail.com
भिखना पहाड़ी (Bhikhna Pahari)
रमेश चंद्र हिंदी के अत्यंत प्रभावशाली शिल्पकार हैं। कहानी चुनने और कथानक को विश्वसनीयता के साथ आत्मीय बनाने के लिए रचनाकार की सूक्ष्म दृष्टि और मानवीय मूल्य की सकारात्मकता बेहद जरूरी होती है। इस एतबार से चंद्र स्वाभाविक रूप से हमें पारंगत नजर आते हैं
भिखना पहाड़ी (Bhikhna Pahari)
रमेश चंद्र हिंदी के अत्यंत प्रभावशाली शिल्पकार हैं। कहानी चुनने और कथानक को विश्वसनीयता के साथ आत्मीय बनाने के लिए रचनाकार की सूक्ष्म दृष्टि और मानवीय मूल्य की सकारात्मकता बेहद जरूरी होती है। इस एतबार से चंद्र स्वाभाविक रूप से हमें पारंगत नजर आते हैं