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23 जून 2016

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featured image~रंग ~ मलूकदासजी कहते ---------------------- सुंदर देही देखि कै, उपजत है अनुराग। मढ़ी न होती चाम की, तो जीवन खाते काम।। अर्थात्‌: ‘‘मनुष्य का स्वभाव है कि वह किसी भी सुंदर शरीर को देखकर उससे प्रीति करने को लालाचित होने लगता है जबकि इसमें मांस, खून और हड्डी भरे हुए हैं। अगर इस कचड़े के ऊपर यह देह न हों तो कौऐ इसे जीते जी खाने लगें। इतनी सरल और छोटी सी बात अगर समझ ली जाये तो रंगभेद जैसी बुराई जड़ से ख़त्म हो जाऐगी। स्कूल, किसी भी बच्चे की सोच को विकसित होने का दूसरा महत्वपूर्ण तत्व है, उसके परिवार के बाद। और अगर वहीं यह सब सिखाया जाने लगे, कि साधारण पहनावे और गहरे रंग वाले लोग Ugly''कहलातें है.. तो फिर उस बच्चे के कोमल मन में यह बात ही उसका सोच बन जायेगी। बच्चों का मन तो कच्ची मिट्टी की तरह है और स्कूल बढ़ई, जैसा आकार देंगे वैसा बन जायेगा। ऐसा सबकुछ जानकर भी पढाई की विषयवस्तु इतनी अमानवीय करना जायज़ है?! कहीं पढा था मैने.. कि एक दिन घर-घर से कचरा इकट्ठा करने वाली कर्मचारी जब एक सज्जन के घर पहुंची.. तब उनकी बेटी ने आवाज़ लगाई, के डैडी.. कचरे वाली आ गयी है.. डस्टबिन दे दीजिए। तभी उसके पिताजी ने उस नन्ही को समझाया कि बेटे, ऐसे नही बोलते... कचरे वाले तो हम है.. क्यूँकि हम कचरा देतें है, जो लेने आते हैं.. वे नहीं!! वे सफाई कर्मचारी हैं और वे सारी कॉलोनी की गंदगी इकट्ठा कर, इस जगह को क्लीन रखतें हैं '' they are better than us. बात कितनी छोटी सी थी, चाहते तो वे अपनी बिटिया की इस बात को जाने देतें। लेकिन उन्होने उसी वक्त बच्ची की बात को सुधारा, दरअसल उन्होने उसकी सोच को ग्रसित होने से बचाया। लेकिन आजकल ज्यादातर अभिभावकों के पास इतना वक्त ही नहीं है कि वे ध्यान दे पायें कि उनकी संतान की सोच किस दिशा में जा रही है!! °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
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~अर्थ~

16 जून 2016
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कला..इसका अर्थ होता है, बिना किसी स्वार्थ और बनावटीपन के, अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति। ऐसा मेरा जवाब था.. जब किसी बहुत ही पहुंचे हुए कलाकार ने मुझसे पूछा था, के बताओ तुम्हारी नजर में कला क्या है।लेकिन फिर उन्होने मुझे कला का सही अर्थ कुछ यूं समझाया के...जिसमें समाज का हित हो,जो लोगो के काम आये.. किसी

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डिग्री

16 जून 2016
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Today 

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सोचती हूं..

17 जून 2016
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कभी सोचती हूं.. क्या होता अगर माता सीता ने साफ-साफ मना कर दिया होता अग्नि-परीक्षा देने से! क्या होता अगर सावित्री लड़ने नही जाती, यमराज से अपने पति के प्राण वापस लाने.. क्या होता जो कुन्ती छोड़ नही जाती कर्ण को.. शुद्र कहलाने.... क्या होता अगर द्रोपदी वगावत कर देती,शर्त में हार जाने वाली संपत्त

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रंग

23 जून 2016
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~रंग ~मलूकदासजी कहते----------------------सुंदर देही देखि कै, उपजत है अनुराग।मढ़ी न होती चाम की, तो जीवन खाते काम।।अर्थात्‌: ‘‘मनुष्य का स्वभाव है कि वह किसी भी सुंदर शरीर को देखकर उससे प्रीति करने को लालाचित होने लगता है जबकि इसमें मांस, खून और हड्डी भरे हुए हैं। अगर इस कचड़े के ऊपर यह देह न ह

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