shabd-logo

प्रथमत: अंतिमत:मैं इंसान हूं

10 नवम्बर 2022

15 बार देखा गया 15
मैं हिन्दू हूं, मैं मुस्लिम हूं
मैं सिक्ख हू , मैं ईसाई हूं।
मैं ईश्वर के किसी रुप की पहचान हूं।
प्रथमत: अंतिमत:मैं इंसान हूं ।

खोज रहा हूं अस्तित्व मेरा,
क्या है दुनिया में जाति धर्म मेरा,
ना सरिता की लहरों ने पूछा,
ना झर-झर बहते झरनों ने पूछा,
ना पूछा सागर की अनन्त गहराइयों ने।
जहां भी पूछा मुझे मानव ने पूछा,
मैं अंश हूं जल का वह इंसान हूं।
प्रथमत: अंतिमत:मैं इंसान हूं ।।


वहां से आगे निकल गया,
क्योंकि मेरा संशय अति बढ़ गया,
ना फल से लदी नम्र डाली ने पूछा ,
ना कानन के किसी तरू ने पूछा,
ना पुछा किसी उद्यान के खिलते फूलों ने,
ना दुनिया के वृक्षों की हरियाली ने पूछा,
मै तरू की मंद-सुगंध पवन का वरदान हूं।
प्रथमत: अंतिमत:मैं इंसान हूं ।।



कदम रूक रहे नहीं मैं विचलित हो रहा हूं,
क्यों अस्तित्व खोजने में विफल हो रहा हूं,
मंदिर में नमन करते ना ईश्वर ने पूछा।
मस्जिद में सजदा करते वक्त ना अल्लाह ने पूछा,
ना पूछा गुरुवाणी सुनते गुरु नानक ने गुरूद्वारे में,
ना प्रार्थना करते हुए चर्च के प्रभु ईशु ने।
ईश्वर कहता है मैं हर जन के ह्रदय में विद्यमान हूं।
प्रथमत: अंतिमत:मैं इंसान हूं 



मैं शंकाएं बढ़ती जा रही मैं बैचेन हूं अस्तित्व पाने को,
कैसे बताऊं किसी को नहीं मिला मुझे कुछ बताने को,
ना मुझे गिरि ने पूछा ना गिरि के गगन चूमते शिखरों ने,
ना विस्तारित मैदानों ने ना पूछा दुनिया के पठारो ने,
ना विनाशकारी भूकंप और ना ही जीवन छीनते तूफानों ने,
ना जाति धर्म की पहचान मिली, मैं ईश्वर की जाति का इंसान हूं
प्रथमत: अंतिमत:मैं इंसान हूं 


कुदरत के किसी रूप ने मुझे मानव ही समझा,
इसलिए मैंने मानव को मेरी जाति समझा,
जहां भी पूछा जाति धर्म खुद मानव ने पूछा,
मै ही बताने वाला मैं ही जिसने जो पूछा ,
मैं प्रकृति और ईश्वर का अद्भुत नमूना और वरदान हूं।प्रथमत: अंतिमत:मैं इंसान हूं 
15
रचनाएँ
मेरी डायरी नवम्बर-2022
0.0
मेरे जीवन के व्यक्तिगत विचार जो कहानी, कविता और लेखों के रूप में "मेरी डायरी नवम्बर-2022" के अंतर्गत लिखे जायेंगे।
1

मेरे जीवन के विचार

2 नवम्बर 2022
2
0
1

मेरी जिंदगी का प्रयास है कि मैं किसी के दुख में अपनी भागीदारी निभा सकूं। मैं उन लोगों के काम आ सकूं जिसके लिए मैं योग्यता और समर्थता रखता हूं, लेकिन जब मैं इस दुनिया में चरित्र को देखता हूं तो मुझे एक

2

मनुष्य की प्रकृति बदल रही है

3 नवम्बर 2022
0
0
0

वर्तमान समय का आकलन किया जाये तो मनुष्य के चरित्र दिनों दिन बदलता जा रहा है क्योंकि मनुष्य इस समय रिश्ते, संस्कार और संस्कृति से ज्यादा तकनीक की दुनिया में फंस चुका है।वह हमेशा अपनी जिंदगी फैशन, मोबाइ

3

हार जीत और सीख

3 नवम्बर 2022
0
0
0

हार से मत हारना जन ,हार ही हार लायेगी। हार है जीत का आगाज,हार जीतना सिखायेगी।। हार एक चुनौती है,जो जीत की तरफ बढ़ाती है। हार के बाद जिंदगी में जीत हासिल हो जाती है।। हार को स्वीकार करके,कदम ना

4

तुम बिन ........

6 नवम्बर 2022
0
0
0

मेरी जीवन की सांसें बनकर ,तुम आई हो इस दुनिया में।तेरे बिना जीवन व्यर्थ है ,इस प्रेम मोहब्बत की दुनिया में।।मेरी जिंदगी में तुम ,बहार बनकर आई हो।मेरे जीवन की खुशियां,बनकर मेरी दुनिया सजाई है।।महकते हु

5

हैवानों की हैवानियत

7 नवम्बर 2022
0
0
0

कैसी विडम्बना हुई दुनिया में,खिलती कली को मसल रहे।वासनाओं के पुजारी,ईश्वर दरबार क्यों पल रहे।दम तोड रहा विश्वास,दरिंदगी की हदें पार हुई।इंसानियत क्यों भूल गए,सीमाएं पाप की टूट गई।।ना समझे दुनिया के र

6

प्रथमत: अंतिमत:मैं इंसान हूं

10 नवम्बर 2022
2
0
0

मैं हिन्दू हूं, मैं मुस्लिम हूंमैं सिक्ख हू , मैं ईसाई हूं।मैं ईश्वर के किसी रुप की पहचान हूं।प्रथमत: अंतिमत:मैं इंसान हूं ।खोज रहा हूं अस्तित्व मेरा,क्या है दुनिया में जाति धर्म मेरा,ना सरिता की लहरो

7

कवि की कलम से

11 नवम्बर 2022
0
0
0

कवि की कलम रुकती नहीं थकती नहीं। चलती रहती है वक्त के साथ कभी मचलती नहीं। कुछ कह कह देती है कल्पनाओं के सागर से। भर देती है खुशबु शब्द,वाक्य और अलंकार की गागर से। कवि दुनिया की सच्चाई कह जाता है। समाज

8

क्षणिक प्रेम

16 नवम्बर 2022
1
1
1

द्राक्षा लताएं माकिफ लटकी लटें ललाट से कपोल पर उतर रहीमधुकर मंडराये चक्षुओं परतेरी भौंहे चढ रही।नयन है गोल-गोलभानोचंद्र सम कजरारे काले।तेरे होठों की मुस्कान देखीदिल हो गया तेरे हवाले।।मोती ब

9

दरिंदे तेरी दरिंदगी इंसानियत नही

19 नवम्बर 2022
0
0
0

मर्यादाओं की सीमा टूटती जा रही है।दरिंदों की दरिंदगी बढ़ती जा रही है।हैवानों की हैवानियत तो देखो,कैसे इनकी हिम्मत बढ़ती जा रही है।।निर्भय, श्रद्धा,संजली बलिदान दे रही है।मां-बाप की आंखें बैचेन हो रही

10

ऑनर कीलिंग

22 नवम्बर 2022
1
0
0

जो स्वहित की खातिर दुनिया में, अपनों की जिंदगी छीन रहे।जो भूल चुके हैं मानव कर्तव्य,मद में अंधे हो फूल रहे।।विश्वास और रिश्तों को तोडकर,मौत के घाट उतार रहे।कोई प्रेम,कोई धन की खातिर,अपने लोगों को मार

11

जैव ईंधन

23 नवम्बर 2022
0
0
0

गोबर, लकडी ,कोयला और कृषि फसलों के अवशेष।जैव ईंधन के स्त्रोत है,जो मनुष्य जीवन में विशेष।।जैव ईंधन से बने खाने में,स्वाद अनौखा आता है।आज भी चूल्हे की रोटी खाने को मन ललचाता है।।जैव ईंधन के जलने से, अव

12

प्राकृतिक संसाधनों का दोहन

25 नवम्बर 2022
0
0
0

मनुष्य का जीवन प्राकृतिक संसाधनों के बिना नहीं चल सकता है क्योंकि प्रकृति से प्राप्त हर वस्तु मनुष्य के जीवन के लिए उपयोगी हो।मनुष्य के शरीर का निर्माण जल,वायु,मिट्टी,तांबा,लौहा,पौटेशियम, मैग्नीशियम ज

13

मैं विचलित बहुत हुआ

25 नवम्बर 2022
0
0
0

विचलित हुआ, भयभीत हुआ,डरकर पीछे हटने भी लगा था।तूफानों के झोंखो के संग मैं,आत्मविश्वास घटने लगा था।।जीतने की कोशिश की बार-बार,पराजित होकर मायूस हुआ मैं।रखते थे जो दिल में दिल मिलाकर मुझसे,उनके जीवन से

14

दुश्मन के लिए तलवार बनो तुम

29 नवम्बर 2022
0
0
0

ऐसा बेटी हथियार बनो तुम,दुश्मन को तलवार बनो तुम।जो घूर सके ना गंदी नजरों से,ऐसी तुम खूंखार बनो तुम।।श्रद्धा का विश्वास यहां पर,पैंतीस खण्डों में खण्ड हुआ है।चोकस तुझे करनी खुद स्वयं की।श्वान अति उद्दण

15

चांदनी रात और तेरा प्यार

8 नवम्बर 2024
3
0
0

चांदनी रात में वो हल्की सी रौशनी,जैसे तेरी यादों की महकती नमी।चांद का वो सौम्य, प्यारा सा नूर,मुझे तेरी बाहों में लगाता है गुरूर।रात का सन्नाटा, ये खामोश फ़िज़ा,बस तेरा ही ख्याल लाए बार-बार यहाँ।तेरी

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए