🚩🚩🚩 धर्म का विजय 🚩🚩🚩🌹🌹🌹🌹🙏✍️🙏🌹🌹🌹🌹वर्णव्यवस्था को ढंक दिया ,जातिवाद चादर लपेट ,चलतीं रहे परिवारिक गाड़ी ,भरण होता रहें सब पेट ।मान सम्मान बना रहे ,चापलूसी बना सहारा ,उनके आगे बस ना
जातिवाद और धर्म भेदभाव का भाव है सबसे बड़ी विकृती,इससे कभी भी ना बढ़ पाती हमारे समाज की महान संस्कृती।।
प्रिय सखी ।कैसी हो ।हम अच्छे है ।अभी अभी देहली शोप से इकर बैठे है।आज सुबह ही देख लिया था आज का टापिक पर लिख नही पाये थे ।सो अब लिख रहे है ।आज का विषय :- जातिवाद और धर्म भेदभावजातिवाद एक ऐसी प्रणाली है
मैं हिन्दू हूं, मैं मुस्लिम हूंमैं सिक्ख हू , मैं ईसाई हूं।मैं ईश्वर के किसी रुप की पहचान हूं।प्रथमत: अंतिमत:मैं इंसान हूं ।खोज रहा हूं अस्तित्व मेरा,क्या है दुनिया में जाति धर्म मेरा,ना सरिता की लहरो
शीर्षक--जातिवाद और धर्म की जंजीर इंसानियत का फैला दो पैगाम,दुनिया में होगा इसका अच्छा परिणाम,जातिवाद और धर्म के भेदभाव को,भूल कर खुद को दे दो इनाम।न हवाओं पर लिखा है जाति और धर्म,न खून पे लिखा
जाति और धर्म का , जो जहर घोल रहे हैं।जो मानव की कीमत ,जाति धर्म से तोल रहै है।इंसानियत के लिए ,वे जमीर बेच चुके हैं।स्वहित की खातिर,वे जन प्रेमहीन हो चुके हैं।धरा एक है गगन एक है,मानव तन की सांसे
ईश्वर ने इस धरती को रचा है और जाहिर सी बात है की जब धरती को रचा है तो बनाने वाले ने इंसान को भी बनाया है वो इसलिये की इन्सान दो पैर का बुद्धिजीवी प्राणी हैं जिसके पास दिमाग है ईश्वर की यह बहुत सुन्दर
हमें अति प्राचीन पूर्वजों से बहुत कुछ सीखना होगा। एक समय ऐसा भी था जब मानव गुफाओं में बैठा पत्थरों से छोटे-मोटे औजारों का निर्माण करके ही खुष था। कोई अजनबी सा दिखने वाला चमकीला पत्थर भी उसे उत्साहित