कवि की कलम रुकती नहीं थकती नहीं।
चलती रहती है वक्त के साथ कभी मचलती नहीं।
कुछ कह कह देती है कल्पनाओं के सागर से।
भर देती है खुशबु शब्द,वाक्य और अलंकार की गागर से।
कवि दुनिया की सच्चाई कह जाता है।
समाज ,जन का दर्पण कहलाता है।।
कभी निंदा और कभी प्रशंसा बयान करता है।
शब्दों के संगम से अपने मन के विचार उगलता है।।
प्रेम है दुख है और वीरता की है कहानियां।
कहीं हरे-भरे जंगल है कहीं कहता इनकी वीरानियां।।
पैदा होते हैं विचार दिल से उन्हें कलम से लिखता है।
कवि इस दुनिया के हर पक्ष की अभिव्यक्ति करता है।।
कभी गद्य में और कभी पद्य में अपनी कलम चलाता है।
जाति धर्म और समाज की परम्पराओं को सुनाता है।।
समय के साथ रंग बदलती है कवि की कलम की स्याही।
कवि ने अपनी कलम से बहुत लोगों को राह दिखाई।।